शनि की स्थिति को जानें मकान बनाने से पहले (Know the position of Saturn before building a house)
शनि की स्थिति को जानें मकान बनाने से पहले (Know the position of Saturn before building a house):-लाल किताब में वास्तु शास्त्र में पर्याप्त तर्क-वितर्क के बाद निश्चित सिद्धांतों का वर्णन करते हुए कहा गया है कि निवास स्थान बनाने से पहले जमीन का निरीक्षण-परीक्षण करना, भूमि के भाग को नापने या मापने की क्रिया, उसके रूप, आकार, आसपास के वातावरण आदि का ध्यान जरूर रखना चाहिए।
◆विवाह आदि धार्मिक कार्यों में खोदी भूमि का प्रभाव:-यदि इंसान जिस निवास स्थान में रहता हैं, उस निवास स्थान के अंदर जाते समय यदि किसी हिस्से में जमीन के अंदर ऐसी मिट्टी जो सिर्फ शादी-विवाह के मौके पर खोदी जाती है और फिर बंद कर दी जाती है, उसमें जब भी अष्टम भाव के मंगल वाला बच्चा पैदा होगा, तो उसके खून के रिश्ते के लोगों को परेशानी उठानी पड़ सकती है। अतः आपके घर में यदि ऐसी कोई जगह हो, तो वहां की मिट्टी खोदकर उसे किसी नदी, नाले आदि में प्रवाहित कर दें।
◆घर को मंदिर परिसर के समान मूर्तियों वाला बनाने पर प्रभाव:-जब इंसान अपने निवास स्थान को रहने के लिए बनाता हैं, हिन्दू धर्म के छत्तीस कोटि के देवी-देवताओं पर विश्वास एवं श्रद्धा भाव होने से वह अपने घर में मूर्तियां रखकर निवास स्थान की जगह को मंदिर जैसा बना लिया है, तो यह बुरा एवं जीवनकाल में उन्नति को रोकने वाला हो सकता है। ऐसे में आपके परिवार में संतानहीनता आ सकती हैं। क्योंकि हिन्दू धर्म के देवी-देवताओं की मूर्तियों का वास्तविक स्थान मंदिरों एवं धर्मस्थलों में माना जाता हैं, जिससे इन स्थानों पर आने वाले अपने इष्टदेव की अरदास कर सके और उनका मन ईश्वर की भक्ति में डूब सके, इसलिए इन स्थानों में मूर्तियों को रखना शुभ माना जाता हैं।
◆जब इंसान के निवास स्थान में अधिक देवी-देवताओं की मूर्तियों स्थापित होती हैं, उस निवास स्थान में सातवें घर में बैठे बृहस्पति वाला कोई बच्चा जन्म लेता हैं, तब ठीक रहता हैं, अन्यथा नुकसान करवाता हैं। यह नियम देवी-देवता की कागज वाली तस्वीर पर लागू नहीं होता।
◆मकान प्रवेश के वक्त दाहिनी ओर समाप्त होने पर प्रभाव:-कई बार ऐसा होता है कि इंसान के निवास स्थान में अंदर की तरफ जाते समय दाहिनी तरफ में आखिर में जाकर मकान में मकान समाप्त हो जाता है, वहां अंधेरी कोठरी (घर के भीतर का छोटा कमरा) हुआ करती है, जिसमें जाने के लिए दरवाजे के अतिरिक्त कोई दूसरा रास्ता नहीं होता। इस अंधेरी कोठरी वाले छोटे कमरे में किसी भी तरह का उजाला एवं हवा के संचार का भी कोई माध्यम नहीं होता हैं। इस तरह बने हुए छोटे कमरे में प्रकाश को आने देने के लिए दीवार में ऊपर की ओर खुला झरोखा बना भी लिया जाता हैं, तो भी उस निवास स्थान में रहने वाले सदस्यों पर मुसीबतों का साया बना रहता हैं।
◆मकान की छत बदलने का प्रभाव:-इंसान को अपने निवास स्थान को ऊपर से ढकने वाली छाजन को बदलना हो, तो सबसे पहले इंसान को उस छत के ऊपर एक छत पहले बनानी चाहिए, उसके बाद में पुरानी छत को गिरना चाहिए।
◆कीमती वस्तुओं को सुरक्षित रखने पर बनाये हुए गड्ढों का प्रभाव:-कई इंसान अपने निवास स्थान में कीमती चीजें, जेवर, रुपया आदि को सुरक्षित रखने एवं दूसरों से चोरी के डर से अपने निवास स्थान में अपनी तय जगह पर स्वयं गड्ढा खोदकर उन कीमती वस्तुओं को उन गड्ढों में छिपा देते हैं। यदि कारणवश ऐसे गड्ढ़े कीमती वस्तुओं या किसी भी तरह से खाली रह जाते हैं, तब इंसान की आमदनी पर असर डालते हैं, जिससे उनकी आमदनी में गिरावट आती हैं। यदि किसी कारणवश उन गड्ढों में से कीमती वस्तुओं को निकालने के बाद वापस नहीं रख पाने की स्थिति में उन गड्ढों में कम से कम बादाम, छुहारे आदि रख देने चाहिए।
◆मकान में कच्चा स्थान नहीं होने पर प्रभाव:-लाल किताब के अनुसार यदि जिस किसी इंसान के निवास स्थान की जगह का कोई भी भाग यदि बिल्कुल भी कच्चा नहीं होता हैं, तब उस निवास स्थान में रहने वाले परिवार के सदस्यों पर शुक्र का साया हट जाता हैं, क्योंकि निवास स्थान के कच्चे भाग का प्रतिनिधित्व शुक्र ग्रह को माना गया हैं, जब घर में कच्चा स्थान नहीं होगा तो शुक्र का भी निवास नहीं होगा, जिससे औरतों के मान-सम्मान, स्वास्थ्य और रुपये-पैसों सहित सुख-शांति आदि पर खराब असर पड़ सकता हैं, इसलिए ऐसे घरों में शुक्र की चीजें जैसे-गाय पालना, मनीप्लांट या आलू आदि के पौधे लगाना श्रेयस्कर रहता हैं।
◆नया मकान बनाने से पहले कुण्डली के घरों में शनि की स्थिति का प्रभाव:-इंसान को अपना निवास स्थान बनाने से पहले अपनी जन्मकुण्डली का विश्लेषण करवाना चाहिए, उस विश्लेषण के द्वारा शनि का हाल क्या हैं, शनि के भावों गत हाल को जानने के लिए निम्नलिखित तरीके या माध्यम हैं।
लाल किताब के अनुसार किसी जातक की कुंडली में शनि यदि मेष राशि में हो, तो भी उसका फल अशुभ होता हैं।
द्वादश भावों में शनि के होने पर मिलने वाले मकान से सम्बंधित शुभ-अशुभ फल:-कुण्डली के बारह भावों में शनि अलग-अलग फल देता है। अतः मकान के निर्माण से पहले इससे संबंधित फलों का ध्यान अवश्य रखना चाहिए। कहते हैं कि बारह भावों में से कुछ में शनि के होने से मकान बनाना बेहद शुभ तो कुछ में अशुभ फल देता हैं। हालांकि किसी और के बनाए हुए मकान को खरीदने पर यह बात लागू नहीं होती।
शनि के पहले घर में होने पर:-जब इंसान की जन्मकुण्डली के पहले घर में शनि बैठा होने पर जब इंसान अपना मकान स्वयं बनाता हैं, तब मकान बनाने के बाद उस इंसान को रुपये-पैसों की तंगी का सामना करना पड़ सकता हैं। शनि के कमजोर होने के कारण इंसान को दूसरे के आगे हाथ फैलाने से दिनों-दिन उधारी होती जाती हैं और आखिर में एकदम बुरे हालात एवं गरीबी उसे घेर लेती हैं। लेकिन शनि के शुभ होने यानी मकर, कुंभ या तुला राशि में, प्रथम भाव में होने एवं सप्तम व दशम भाव के खाली होने पर अशुभ फल नहीं मिलता।
शनि के दूजे घर में होने पर:-जब इंसान की जन्मकुण्डली के दूजे घर में शनि बैठा होने पर इंसान को मकान बनाने की ओर प्रेरित करता हैं, इंसान को यह बात ध्यान रखनी चाहिए, की मकान जैसा भी बने, बनने देना चाहिए, इसके बनने से शनि शुभ हो जाता है और जातक की आर्थिक स्थिति मजबूत हो जाती है।
शनि के तीजे घर में होने पर:-जब इंसान की जन्मकुण्डली के तीजे घर में शनि बैठा होने पर इंसान के द्वारा स्वयं का मकान बनाना शुभ नहीं होता। ऐसे में तीन कुत्ते पालें। इससे मकान हर हाल में बनता ही है।
शनि के चौथे घर में होने पर:-जब इंसान की जन्मकुण्डली के चौथे घर में शनि बैठा होने पर इंसान जब अपना नवीन निवास स्थान को बनाता हैं, तब चौथे घर से सम्बन्धित रिश्तेदारों के कारक जैसे-सास, माता आदि के जीवन पर बुरा असर पड़ता हैं।
शनि यदि पांचवें घर में होने पर:-जब इंसान की जन्मकुण्डली के पांचवें घर में शनि बैठा होने पर इंसान के द्वारा बनाए मकान का बुरा असर उसके पुत्र-पुत्री के जीवन पर पड़ सकता है, लेकिन औलाद द्वारा बनाया गया मकान उसके लिए शुभ फलदायी रहेगा। ऐसा इंसान यदि मकान बनाना चाहे, तो शनि से संबंधित चीजें जैसे-भैंस आदि दान कर या जिंदा छोड़कर मकान की नींव रखें। ऐसे इंसानों के लिए अड़तालीस साल की उम्र के बाद ही मकान बनाना शुभ रहता हैं।
शनि यदि छठे घर में होने पर:-जब इंसान की जन्मकुण्डली के छठे घर में शनि बैठा होने पर इंसान के द्वारा उनतालीस वर्ष की उम्र के बाद मकान बनाना शुभ रहता है। इससे पहले मकान बनाने पर बेटियों के रिश्तेदारों पर बुरा असर पड़ सकता है।
शनि यदि सातवें घर में होने पर:-जब इंसान की जन्मकुण्डली के सातवें घर में शनि बैठा होने पर इंसान को बना-बनाया मकान मिलने की संभावना ज्यादा होती है। ऐसा मकान जातक को शुभ फल देता हैं।
शनि यदि आठवें घर में होने पर:-कुण्डली के आठवें घर में बैठा शनि मकान के लिए अशुभ माना जाता है। ऐसे इंसान के मकान का निर्माण शुरू होते ही, उसके परिवार में मौतें हो सकती हैं।
शनि यदि नवें घर में स्थित होने पर:-जब इंसान की जन्मकुण्डली के नवें घर में शनि बैठा होने पर इंसान की पत्नी के पेट में बच्चा होता हैं, उस समय यदि मकान बनाने का काम शुरू करवा देता हैं, तब उस मकान के निर्माण के कारण उस इंसान की मौत का कारण बन सकता हैं।
शनि यदि दशवें घर में होने पर:-जब इंसान की जन्मकुण्डली के दशवें घर में शनि बैठा होने पर इंसान जब तक मकान नहीं बनाता, तब तक उसे आमदनी होती रहेगी, लेकिन मकान बनाते ही उसकी आमदनी रुक सकती है। ऐसा इंसान यदि अपने चाचा से रुपये-पैसों को उधार लेकर मकान बनाए, तो लाभ मिल सकता है।
शनि यदि ग्याहरवें घर में होने पर:-जब इंसान की जन्मकुण्डली के ग्याहरवें घर में शनि बैठे होते हैं, तब इंसान स्वयं के निवास स्थान के लिए बहुत हाथ-पैर मारते हैं, लेकिन मकान नहीं बना पाते हैं, जब वे अपनी उम्र के ढलान वाली स्थिति में होते हैं तब मकान का सुख मिलता हैं। इस तरह से पचपन वर्ष की उम्र होने पर के बाद अपना स्वयं का मकान बना पाता हैं।
यदि इंसान के द्वारा लंबे समय इन्तजार करने के बाद मकान बनाता हैं, वह मकान यदि दक्षिणी द्वार वाला हुआ, तो मानव को बीमारी की हालत में लंबे समय तक बिस्तर पर रहना पड़ सकता हैं।
शनि यदि बारहवें घर में होने पर:-जब इंसान की जन्मकुण्डली के बारहवें घर में शनि बैठे होते हैं, तब इंसान किसी भी तरह से मेहनत नहीं करने पर भी उसका निवास स्थान खुद ब खुद बन जाता है और वह बना हुआ मकान इंसान के जीवन में खुशहाली को भर देता हैं और सभी तरह के सुख-आरमों को दिलवाता हैं।
जब शनि के साथ यदि सूर्य भी बारहवें घर में आ जाते हैं, तब भी किसी तरह का अशुभ प्रभाव नहीं पड़ता हैं और शुभ फल की प्राप्ति होती रहती हैं।