Breaking

Monday, February 1, 2021

षट्तिला एकादशी(माघ कृष्ण पक्ष एकादशी) व्रत की विधि के नियम,कथा और फायदे। (Rules, story and benefits of the method of fasting Shatila Ekadashi (Magha Krishna Paksha Ekadashi)

             



षट्तिला एकादशी(माघ कृष्ण पक्ष एकादशी) व्रत की विधि के नियम,कथा और फायदे(Rules, story and benefits of the method of fasting Shattila Ekadashi (Magha Krishna Paksha Ekadashi):-यह माघ मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी के रूप में मनायी जाती है।माघ कृष्ण पक्ष की एकादशी व्रत में छः तरह के तिल का प्रयोग होने के कारण इसे षट्तिला एकादशी कहते है।


षट्तिला एकादशी(माघ कृष्ण पक्ष एकादशी)व्रत के विधि के नियम:-इस व्रत को विधि-विधान से नियमों को टांक में रखते हुए करने से व्रत सफल होता है और नतीजे मिलते है।

◆पंचामृत में तिल मिलाकर पहले भगवान विष्णुजी को स्नान करवाना चाहिए।

◆माघ कृष्ण पक्ष की एकादशी व्रत के दिन तिल मिश्रित भोजन करना चाहिए।

◆व्रत करने वालों को दिन में हरि कीर्तन कर रात्रि में भगवान की प्रतिमा के सामने सोना चाहिए। 

◆इस दिन काले रंग की गाय माता और छः तरह के तिलों में से विशेष कर काले तिलों का बहुत ज्यादा महत्व होता है।

◆व्रत करने वालों को अपने शरीर पर तिल-तेल,गर्दन,तिल को मिलाकर स्नान करना चाहिए।

◆ व्रती को तिल को पानी में मिलाजर पानी पीना चाहिए।

◆व्रती को तिल से बनी हुई वस्तुओं को भोजन के रूप में लेना चाहिए।

◆इस व्रत के दिन काले तिलों को हवन समग्र के रूप में उपयोग में लेने के लिए भगवान श्रीकृष्ण जी ने नारदजी को बताया था।


षट्तिला एकादशी(माघ कृष्ण पक्ष एकादशी)व्रत की पहली पौराणिक कथा:-एक जमाने में एक गरीब ब्राह्मणी एक नगर में रहती थी। वह नित्य भगवान की पूजा-पाठ करती थी।उसने साधु-संतों के द्वारा बताएं अनुसार तपस्या करने शुरू किया।वह नित्य तपस्या करने से उसकी देह सूखती जा रही थी।लेकिन उसने तपस्या निरन्तर चालू रखी और अपने शरीर को सुखा डाला।

उस ब्राह्मणी के इस तरह की कठोर तपस्या को देख भगवान खुश होकर उसकी परीक्षा लेने के लिए एक भिखारी का रूप लेकर उसके सामने प्रकट हुए और उसके उसके द्वार पर जाकर उससे भीख मांगने की आवाज लगाई।ब्राह्मणी ने गुस्सा करते हुए भगवान के रूप में भिखारी के भिक्षा बर्तन में मिट्टी का ढेला डाल दिया।इस तरह भगवान के रूप में बने भिखारी ने वह मिट्टी का ढेला लेकर चले गए।

समय बीतने पर उस ब्राह्मणी की मृत्यु हो गई और मरने के बाद उसे बैकुण्ठ में जगह मिली।बैकुण्ठ में रहने के लिए उसे मिट्टी का साफ और आलीशान भवन दिया गया।उसके लिए रहने की व्यवस्था तो थी,लेकिन खाने-पीने की कोई तरह की व्यवस्था नहीं थी।इस तरह उस बैकुण्ठ की जगह पर उसे खाने-पीने की व्यवस्था नहीं मिलने को देखकर उसे बहुत ही ज्यादा दुःख हुआ।

फिर उस ब्राह्मणी ने मन में सोचा की मैंने जीवनभर तपस्या की और कठोर तपस्या करने पर भी मुझे इस बैकुण्ठ में सुविधाएं दी गई।लेकिन इन सुविधाओं में तो मुझे खाने-पीने के लिए मुझे कुछ भी नहीं उपलब्ध करवाया।फिर अपने अन्तःकरण से ईश्वर को याद किया और भगवान से इसका कारण पूछा तो भगवान ने कहा कि इसका कारण देवांगन से पूछो।

तब उसने देवांगनाओं से पूछा तो देवांगनाओं ने उस ब्राह्मणी को बताया-"तुमने षट्तिला एकादशी का व्रत नहीं किया है तब ब्राह्मणी ने फिर पूरे विधि-विधान के साथ षट्तिला एकादशी का व्रत करना शुरू किया और व्रत के प्रभाव से उसे स्वर्ग के सारे सुखों की प्राप्ति हुई और सब सुखों को भोगते हुए भगवान का गुणगान करती रही थी।


दूसरी षट्तिला एकादशी व्रत की पौराणिक कथा:-पुराने जमाने में वाराणसी नगर में एक गरीब अहीर रहता था।वह जंगल में लकड़ी काटकर बेचने का काम करता था।जिस दिन की लकड़ी नहीं बिकती तो उसका पूरे परिवार के सदस्यों को भूख रहना पड़ता था।एक दिन वह साहूकार के घर लकड़ी बेचने गया।साहूकार के घर में उसने देखा कि साहूकार के घर में किसी उत्सव की तैयारी चल रही थी।

अहीर ने सेठजी से डरते-डरते पूछा कि सेठजी!किसी चीज की तैयारी हो रही है।सेठजी ने बताया कि षट्तिला एकादशी के व्रत की तैयारी की जा रही है।इस व्रत को करने से गरीबी, बीमारी,पाप आदि से मुक्ति तथा धन एवं पुत्र की प्राप्ति होती है।

इस तरह अहीर ने सेठजी से षट्तिला एकादशी व्रत की विधि-विधान को जानकर अपने घर पहुँचकर अहीर ने अपनी स्त्री सहित परिवार के सभी सदस्यों के साथ षट्तिला एकादशी व्रत को पूरे विधि-विधान से किया।इस तरह व्रत करने से व्रत के प्रभाव से वह गरीब से अमीर हो गया।वह समय-समय पर षट्तिला एकादशी का व्रत करता रहा और अंत में उसे स्वर्गलोक की प्राप्ति हुई। 


षट्तिला एकादशी(माघ कृष्ण एकादशी) व्रत के करने से होने वाले फायदे:-इस व्रत को करने से जीवन के सभी दुःखों से आजादी मिलती है।

◆जिन ओरतों को सन्तान के रूप में पुत्र की चाह होती है,उनको यह व्रत करने से उनकी चाह पूरी होती है।◆व्रत करने वालों की गरीबी दूर होकर रूपयों-पैसों की प्राप्ति होती है और जीवन भर भंडार भरा रहता है।◆व्रत करने से व्रत करने वालों के द्वारा जीवन में किये गए पापों से मुक्ति मिलती है।

◆व्रत करने से शरीर स्वस्थ रहता है और बीमारी आस-पास भी नहीं भटकती है।

◆व्रत करने से पति-पत्नी का सुख मिलता है और मन की समस्त इच्छाओं की पूर्ति होती है।◆