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Monday, May 24, 2021

संतोषी माता की आरती एवं भोग आरती (Aarti and Bhog Aarti of Santoshi Mata)

                     

संतोषी माता की आरती एवं भोग आरती(Aarti and Bhog Aarti of Santoshi Mata):-माता सन्तोषी की अनुकृपा प्राप्त करने के लिए नियमित रूप से उनकी आरती प्रातःकाल और सायंकाल के समय करनी चाहिए। माता संतोषी को खुश करने पर मनुष्यों को उनके जीवन में खुशहाली, धन-सम्पत्ति और ऐश्वर्य प्रदान करती हैं।



Aarti and Bhog Aarti of Santoshi Mata



।।अथ श्री आरती संतोषी माता की जय।।


जय संतोषी माता ओ मैया जय संतोषी माता।


अपने जन को सेवक, सुख सम्पत्ति दाता।।


सुन्दर चीर सुनहरी, मां धारण कीन्हो।


ओ मैया मां धारण कीन्हो।


हीरा-पन्ना दमके, तन सिंगार लीन्हो।।


जय संतोषी माता ओ मैया जय संतोषी माता।



अपने जन को सेवक, सुख सम्पत्ति दाता।।


गेरू लाल छटा छवि, बदन कमल सोहे।



मन्द हंसत करुणामयी, त्रिभुवन मन मोहे।।


जय संतोषी माता ओ मैया जय संतोषी माता।



अपने जन को सेवक, सुख सम्पत्ति दाता।।


स्वर्ण सिंहासन बैठी, चंवर ढुरे प्यारे। 



ओ मैया चंवर ढुरे प्यारे।


धूप, दिप, नैवेद्य मधुमेवा, भोग धरे न्यारे।।



जय संतोषी माता ओ मैया जय संतोषी माता।


अपने जन को सेवक, सुख सम्पत्ति दाता।।



गुड़ अरु चना परम प्रिय, तामें संतोष किया।


संतोषी कहलाई, भक्तन वैभव दियो।।



जय संतोषी माता ओ मैया जय संतोषी माता।


अपने जन को सेवक, सुख सम्पत्ति दाता।।



शुक्रवार प्रिय मानत, आज दिवस सोहि।


भक्त मण्डली आई, कथा सुनत मोहि।।



जय संतोषी माता ओ मैया जय संतोषी माता।


अपने जन को सेवक, सुख सम्पत्ति दाता।।



मंदिर जगमग ज्योति, मंगल ध्वनि छाई।


विनय करें हम बालक, चरनन सिर नाई।।



जय संतोषी माता ओ मैया जय संतोषी माता।


अपने जन को सेवक, सुख सम्पत्ति दाता।।



भक्ति भवमय पूजा, अंगीकृत कीजै।


जो मन बसे हमारे, इच्छा फल दीजै।।



जय संतोषी माता ओ मैया जय संतोषी माता।


अपने जन को सेवक, सुख सम्पत्ति दाता।।



दुःखी, दरिद्री, रोगी, संकट मुक्त किये।


बहु धन धान्य भरे घर, सुख सौभाग्य दीये।।



जय संतोषी माता ओ मैया जय संतोषी माता।


अपने जन को सेवक, सुख सम्पत्ति दाता।।



ध्यान धरे जो नर तेरा, मनवांछित फल पाया।


पूजा कथा श्रवण कर, घर आनन्द आयो।।



जय संतोषी माता ओ मैया जय संतोषी माता।


अपने जन को सेवक, सुख सम्पत्ति दाता।।



शरण गहे की लज्जा राखियों जगदम्बे।


संकट तू ही निवारे, दयामयी मां अम्बे।।



जय संतोषी माता ओ मैया जय संतोषी माता।


अपने जन को सेवक, सुख सम्पत्ति दाता।।



संतोषी मां की आरती जो कोई नर गावे।


ऋद्धि-सिद्धि सुख सम्पत्ति, जी भर के पावे।।



जय संतोषी माता ओ मैया जय संतोषी माता।


अपने जन को सेवक, सुख सम्पत्ति दाता।।



।।इति श्री संतोषी माता की आरती।।


।।जय बोलो संतोषी माता की जय।।


।।अथ श्री संतोषी माता को भोग लगाने की  आरती।।


भोग लगाओ मैया संतोषी।


भोग लगाओ मैया भुवनेश्वरी।।


भोजन को जलदी आना, संतोषी मैया।


मैं तो देख रही तुम्हारी राह.....! 



मैया जलदी आना!


खीर प्रेम से बनाया,


खाजा-चने का शोक अनोखा बनाया,


मैया उमंग से आना!



भक्तजनों को शुक्रवार प्यारा।


कथा श्रवण नामस्मरण है प्यारा!


मैया दर्शन देना रे!


संतोषी मैया, जलदी से आना।



।।इति श्री संतोषी माता भोग लगाने की आरती।।


।।जय बोलो संतोषी माता की जय।।


आपकी जय जयकार हो, संतोषी मैया।


आपकी महिमा अपार है, संतोषी मैया।।


।।जय संतोषी माता की जय।।