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Wednesday, May 19, 2021

मां लक्ष्मीजी की आरती(Aarti of Maa Lakshmiji)

               


मां लक्ष्मीजी की आरती(Aarti of Maa Lakshmiji):-माता लक्ष्मीजी को धन-संपत्ति, ऐश्वर्य और सुख-शांति की होती है। जिन मनुष्य को मेहनत करने पर भी धन का संचय नहीं हो पाता हैं, उनको नियमित रूप से अपने मन को केंद्रित करके सच्चे मन से माता लक्ष्मी की आराधना करते हुए उनकी आरती को करने पर घर के अंदर उनका निवास स्थाई हो जाएगा।


।।अथ श्री लक्ष्मीजी की आरती।।

जय लक्ष्मी माता जय-जय लक्ष्मी माता।

तुमको निशदिन सेवत हर विष्णु विधाता।

ब्राह्मणी, रुद्राणी, कमला तू ही जगमाता।

सूर्य, चन्द्रमा ध्यावत नारद ऋषि गाता।

जय लक्ष्मी माता जय-जय लक्ष्मी माता।

तुमको निशदिन सेवत हर विष्णु विधाता।

दुर्गा रूप निरंजनी सुख संपति दाता।

जो कोई तुमको ध्यावत ऋद्धि-सिद्धि पाता।

जय लक्ष्मी माता जय-जय लक्ष्मी माता।

तुमको निशदिन सेवत हर विष्णु विधाता।

तू ही पाताल बसंती तू ही शुभ दाता।

जय लक्ष्मी माता जय-जय लक्ष्मी माता।

तुमको निशदिन सेवत हर विष्णु विधाता।

कर्म प्रभाव प्रकाशक जग निधि के त्राता।

जिस घर थारो वासा तिस घर में गुण आता।

जय लक्ष्मी माता जय-जय लक्ष्मी माता।

तुमको निशदिन सेवत हर विष्णु विधाता।

कर सके सोई कर ले मन नहीं घबराता।

तुम बिन यज्ञ न होवे वस्त्र न कोई पाता।

जय लक्ष्मी माता जय-जय लक्ष्मी माता।

तुमको निशदिन सेवत हर विष्णु विधाता।

खान-पान का वैभव तुम बिन नहीं आता।

शुभ गुण सुंदर मुक्ता क्षीर निधि जाता।

जय लक्ष्मी माता जय-जय लक्ष्मी माता।

तुमको निशदिन सेवत हर विष्णु विधाता।

रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता।

श्री लक्ष्मीजी की आरती, जो कोई नर गाता। 

जय लक्ष्मी माता जय-जय लक्ष्मी माता।

तुमको निशदिन सेवत हर विष्णु विधाता।

उर उमंग अति उपजे पाप उतर जाना।

स्थिर चर जगत रचाये शुभ कर्म नर लाता।

जय लक्ष्मी माता जय-जय लक्ष्मी माता।

तुमको निशदिन सेवत हर विष्णु विधाता।

राम प्रताप मैया की शुभ दृष्टि चाहता।

जय लक्ष्मी माता जय-जय लक्ष्मी माता।

तुमको निशदिन सेवत हर विष्णु विधाता।

।।इति श्री लक्ष्मीजी की आरती।।

।।जय बोलो माता लक्ष्मीजी की जय हो।।


।।अथ श्री लक्ष्मीजी की आरती।।

ऊँ जय लक्ष्मी अम्बे, मैया जय आनन्द कन्दे।

सत् चित् नित्य स्वरूपा, सुर नर मुनि सोहे।।

कनक समान कलेवर, दिव्याम्बर राजे। 

श्री पीठ सुर पूजित, कमलासन साजे।।

ऊँ जय लक्ष्मी अम्बे, मैया जय आनन्द कन्दे।

सत् चित् नित्य स्वरूपा, सुर नर मुनि सोहे।।

तुम हो जग की जननी, विश्वम्भर रूपा।

दुख दारिद्रय विनाशे, सौभाग्यं सहिता।।

ऊँ जय लक्ष्मी अम्बे, मैया जय आनन्द कन्दे।

सत् चित् नित्य स्वरूपा, सुर नर मुनि सोहे।।

नाना भूषण भाजत, रजत सुखकारी।

कानन कुण्डल सहित, श्री विष्णु प्यारी।।

ऊँ जय लक्ष्मी अम्बे, मैया जय आनन्द कन्दे।

सत् चित् नित्य स्वरूपा, सुर नर मुनि सोहे।।

उमा तुम्हीं, इंद्राणी तुम सबकी रानी।।

पद्म शंख कर धारी, भुक्ति, मुक्ति दायी।

ऊँ जय लक्ष्मी अम्बे, मैया जय आनन्द कन्दे।

सत् चित् नित्य स्वरूपा, सुर नर मुनि सोहे।।

दुःख हरती सुख करती, भक्तन हितकारी।।

मनवांछित फल पावत, सेवत नर नारी।।

ऊँ जय लक्ष्मी अम्बे, मैया जय आनन्द कन्दे।

सत् चित् नित्य स्वरूपा, सुर नर मुनि सोहे।।

अमल कमल घृत मातः, जग पावन कारी।

विश्व चराचर तुम हीं, तुम विश्वम्भर दायी।।

ऊँ जय लक्ष्मी अम्बे, मैया जय आनन्द कन्दे।

सत् चित् नित्य स्वरूपा, सुर नर मुनि सोहे।।

कंचन थाल विराजत, शुभ्र कपूर बाती।

गावत आरती निशदिन, जन मन शुभ करती।।

ऊँ जय लक्ष्मी अम्बे, मैया जय आनन्द कन्दे।

सत् चित् नित्य स्वरूपा, सुर नर मुनि सोहे।।


।।इति श्री लक्ष्मीजी की आरती।।

।।जय बोलो माता लक्ष्मीजी की जय हो।।