आरती जगदीश जी की (Aarti of Shree jagdish ji):-भगवान जगदीश जी विष्णु भगवान का ही नाम हैं, समस्त ब्रह्मांड को पालन करने वाले और समस्त ब्रह्मांड को धारण करने वाले श्रीजगदीश जी की आरती को हमेशा करते रहना चाहिए। जिस तरह सभी बुरी ताकतों का अंत करते है, अपने भक्त की भक्ति भाव से खुश होकर उनके कष्टों को हरने वाले होते है, जो मनुष्य भगवान जगदीशजी का गुणगान नियमित रूप से आरती के रूप में करते है उनके प्रति भगवान अपनी कृपा दृष्टि हर पल उन मनुष्य के साथ होती है, जीवन में आने वाली बाधाओं से मुक्ति प्रदान करके उनकी गति को मोक्ष के द्वारा अपने धाम में जगह देते है, इसलिए मनुष्य को नियमित रूप से भगवान की आरती करते रहना चाहिए।
।।अथ श्री जगदीश भगवान की आरती।।
अथ श्री जय जगदीश भगवान की आरती
ऊँ जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे।
भक्त जनन के संकट, क्षण में दूर करे।।
ऊँ जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे।
भक्त जनन के संकट, क्षण में दूर करे।।
जो ध्यावे फल पावें, दुःख बिनसे मन का।
सुख-सम्पत्ति घर आवे, कष्ट मिटे तन का।।
ऊँ जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे।
माता-पिता तुम मेरे, शरण गहूं किसकी।
तुम बिन और न दूजा, आस करुं जिसकी।।
ऊँ जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे।
तुम हो पूर्ण परमात्मा, तुम अर्न्तयामी।
पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सबके स्वामी।।
ऊँ जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे।
तुम करुणा के सागर, तुम पालन कर्ता।
मैं मूर्ख खल कामी, कृपा करो भर्ता।।
ऊँ जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे।
तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।
किस विधि मिलूँँ दयामय तुमको मैं कुमति।।
ऊँ जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे।
दीन बन्धु दुःख हरता, तुम ठाकुर मेरे।
अपने हाथ उठाओं, द्वार पड़ा मैं तेरे।।
ऊँ जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे।
विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा।
श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, सन्तन की सेवा।।
ऊँ जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे।
तन, मन, धन सब कुछ है तेरा।
तेरा तुझको अर्पण, क्या लागे मेरा।।
ऊँ जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे।
भक्त जनन के संकट, क्षण में दूर करे।।
।।इति श्री जगदीश भगवान की आरती।।
।।जय बोलो जगदीश भगवान की जय हो।।