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Saturday, July 31, 2021

आरती श्री साईं बाबा की(Aarti of Shri Sai Baba)

                  


आरती श्री साईं बाबा की(Aarti of Shri Sai Baba):-साईं बाबा के बारे बहुत कुछ वर्णन मिलता है, कोई इनको हिन्दू धर्म का मानते है, तो कोई इनको मुस्लिम धर्म का मानते है। साईं बाबा ने सभी धर्म के लोगो को एक समान मानते थे। वे न तो धर्म एवं जात-पात में विश्वास करते थे। उनका कहना था सभी जीवों को एक ईश्वर या अल्लाह ने ही बनाया हैं। सबका पालनहार एक ही है। उन्होंने अपने जीवनकाल में बहुत सारी ज्ञान बातों से मनुष्य को जाग्रत किया था। उन्होंने अपने चमत्कारों से सबको आश्चर्यचकित भी किया था। उन्होंने हिंदुओं एवं मुस्लिम लोगों को एक साथ रखना प्रयत्न भी किया था। उन्होंने ईश्वर को एक मानते हुए उनकी पूजा करने को कहा था। आज के युग में उनको ईश्वर की पदवी दी गई हैं। जिन व्यक्ति को साईं बाबा पर पूर्ण विश्वास होता हैं वे उनको अपना इष्ट मानते हुए उनकी पूजा-अर्चना करते हैं। जो व्यक्ति नियमित रूप उनको खुश करने के लिए उनकी आरती करता है उन पर साईं बाबा अपनी अनुकृपा की बारिश को करके उस मनुष्य का जीवन खुशहाली से भर देते है। इसलिए मैंने व्यक्तियों को उन पर सम्पूर्ण आस्था के साथ उन विश्वास रखते उनकी आराधना के रूप में आरती करते रहना चाहिए।



       ।।अथ आरती श्री साईं बाबा की।।


आरती श्री साईं गुरुवर की, परमानन्द सदा सुरवर की।

जा की कृपा विपुल सुखकारी, दुःख, शोक, संकट, भयकारी।

आरती श्री साईं गुरुवर की, परमानन्द सदा सुरवर की।

शिरडी में अवतार रचाया, चमत्कार से तत्त्व दिखाया।

आरती श्री साईं गुरुवर की, परमानन्द सदा सुरवर की।

कितने भक्त चरण पर आये, वे सुख शान्ति चिरंतन पाये।

आरती श्री साईं गुरुवर की, परमानन्द सदा सुरवर की।

भाव धरै जो मन में जैसा, पावत अनुभव वो ही वैसा।

आरती श्री साईं गुरुवर की, परमानन्द सदा सुरवर की।

गुरु की उदी लगावे तान को, समाधान लाभत उस मन को।

आरती श्री साईं गुरुवर की, परमानन्द सदा सुरवर की।

साईं नाम सदजो गावे, सो फल जग में शाश्वत पावे।

आरती श्री साईं गुरुवर की, परमानन्द सदा सुरवर की।

गुरूवासर करि पूजा-सेवा, उस पर कृपा करत गुरुदेवा।

आरती श्री साईं गुरुवर की, परमानन्द सदा सुरवर की।

राम, कृष्ण, हनुमान रूप में, दे दर्शन, जानत जो मन में।

आरती श्री साईं गुरुवर की, परमानन्द सदा सुरवर की।

विविध धर्म के सेवक आते, दर्शन इच्छित फल पावे।

आरती श्री साईं गुरुवर की, परमानन्द सदा सुरवर की।

जै बोलो साईं बाबा की, जै बोलो अवधूत गुरु की।

आरती श्री साईं गुरुवर की, परमानन्द सदा सुरवर की।

'साईंदास' आरती को गावै, घर में बसि सुख, मंगल पावे।

आरती श्री साईं गुरुवर की, परमानन्द सदा सुरवर की।


           ।।इति श्री साईं बाबा आरती।।

        ।।जय बोलो साईं बाबा की जय हो।।

        ।।जय बोलो साईं पीर की जय हो।।

।।जसाईं पीरहो।

        

       ।।आरती श्री साईं बाबा की।।

आरती साईंबाबा।

सौख्यदातार जीवा। चरणरजातलीं।

द्यावा दासां विसावां, भक्तां विसावां।।

आ.घ्रु.।। जालुनियां

अनंग। स्वस्वरुप राहे दंग।

मुमुक्षुजनां दावी। निज डोलां श्रीरंग

आ●।।१।।

जया मनीं जैसा भाव। तयातैसां अनुभव।

दाविसी दयाघना। ऐसी तुझी ही माव।।

आ●।।२।।

तुमचें नाम ध्यातां हरे संसृतिव्यथा।

अगाध तव करणी। मार्ग दाविसी अनाथा।।

आ●।।३।।

कलियुगीं अवतार। सगुणब्रह्म साचार।

अवतीर्ण झालासे। स्वामी दत्त दिगंबर द●

आ●।।४।। 

आठां दिवसां गुरूवारीं। भक्त करिती वारी।

प्रभुपद पहावया। भयभय निवारी 

आ●।।५।।

माझा निजद्रव्यठेवा। तव चरणरजसेवा मागर्णे

हेंचि आतां। तुम्हां देवाधिदेवा 

आ●।।६।।

इच्छित दीन चातक। निर्मल तोयसूख।

पाजावें माधवा या। साभाल आपुली भाक।।

आ●।।७।।

ऊँ साईं श्री साईं जय जय साईं।

ऊँ साईं श्री साईं जय जय साईं।।


    ।।इति श्री साईं बाबा आरती।।

    ।।जय बोलो साईं बाबा की जय हो।।

     ।।जय बोलो साईं पीर की जय हो।।