शिवजी की आरती(Shivji ki Aarti):-शिवजी की आरती भगवान शिवजी की आरती को नियमित रूप से करने से अनेक फायदे होते हैं, क्योंकि सभी देवी-देवताओं में शिवजी को स्वभाव से भोला माना जाता है, जो व्यक्ति इनकी आराधना आरती के रूप में करते हैं, उन पर शिव उनकी भक्ति भाव पर जल्दी खुश होकर सभी तरह की मनोकामनाएं को पूरा कर देते है।
जिनका विवाह नहीं हो रहा है व विवाह की उम्र बीत रही हो तो उनको शिवजी की आरती नियमित रूप करनी चाहिए।
जिनको सुयोग्य एवं अपनी मन के इच्छित वर या वधु की प्राप्ति हेतु नियमित रूप से आरती करके भगवान शिवजी को खुश करना चाहिए जिससे उनकी समस्त तरह की इच्छाओं की पूर्ति हो सके।
जिनके दाम्पत्य जीवन में गृह क्लेश हो और जिनको पति-पत्नी का प्रेम नहीं मिल पा रहा हो उनको शिवजी की आराधना करनी चाहिए।
।।अथ श्री शिवजी भगवान की आरती।।
जय शिव ओंकारा हर जय शिव ओंकारा।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा।।
एकानन चतुरानन पंचानन राजे।
हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे।।
जय शिव ओंकारा हर जय शिव ओंकारा।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा।।
दो भुज चारु चतुर्भुज दस भुज ते सोहे।
तीनों रूप निरखता त्रिभुवन मन मोहे।।
जय शिव ओंकारा हर जय शिव ओंकारा।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा।।
अक्षमाला बनमाला मुण्डमाला धारी।
त्रिपुरारी कंसारी करमाला धारी।।
जय शिव ओंकारा हर जय शिव ओंकारा।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा।।
श्वेताम्बर पीताम्बर बाघाम्बर अंगे।
सनकादिक ब्रह्मादिक भूतादिक संगे।।
जय शिव ओंकारा हर जय शिव ओंकारा।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा।।
कर में मध्य श्रेष्ठ कमण्डलु चक्र त्रिशूल धर्ता।
जगकर्ता जगहर्ता जगपालन कर्ता।।
जय शिव ओंकारा हर जय शिव ओंकारा।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा।।
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका।
प्रणवाक्षर के मध्य यह तीनों की एका।।
जय शिव ओंकारा हर जय शिव ओंकारा।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा।।
त्रिगुण शिव की आरती जो कोई नर गावे।
कहत शिवानंद स्वामी मनवांछित फल पावे।।
जय शिव ओंकारा हर जय शिव ओंकारा।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा।।
।।इति श्री शिवजी भगवान की आरती।।
।।जय बोलो शिवशंकर जी की जय।।
।।जय बोले भोलेनाथ जी की जय।।