श्री मेंहदीपुर बालाजी की आरती अर्थ सहित(Shri Mehandipur Balaaji Aarti With Meaning):-श्री मेहंदीपुर बालाजी का मंदिर राजस्थान में स्थित है। जो कि बहुत ही प्राचीन काल से बना हुआ है। जो कि दौसा जिले में स्थित है। इस मंदिर में विराजित श्री मेहंदीपुर बालाजी जो कि हनुमानजी के रूप में ही पूजा की जाती हैं। श्री हनुमानजी को समस्त शक्तियों का स्वामी माना जाता है। इस मंदिर में भूत-पलीत आदि दुष्ट शक्तियों का समाधान होता है, जिन व्यक्तियों को बाहरी ताकतों ने शरीर को जकड़ लिया होता है, वे सभी तरह के यत्न करने पर भी उनसे छुटकारा नहीं मिल पाता है तो उन व्यक्तियों को श्री मेहंदीपुर बालाजी के मन्दिर में जाना चाहिए। जिससे अजर-अमर श्री हनुमानजी के द्वार में जाने पर बुरी शक्तियों का नाश हो जाता है। श्री मेहंदीपुर बालाजी की आरती हमेशा करने पर बुरी शक्तियों का मानव शरीर पर किसी तरह का कोई असर नहीं होता हैं, इसलिए श्री मेहंदीपुर बालाजी का गुणगान उनकी आरती करके भी कर सकते हैं।
श्री मेहंदीपुर बालाजी की आरती का अर्थ:-श्री मेहंदीपुर बालाजी को हनुमानजी के रूप में ही पूजा जाता है, जो कि उनके एक का नाम है, उनमें बुरी शक्तियों को खत्म करने की ताकत होती है, जिस किसी को भी अपने पर नकारात्मक ऊर्जा का संचार होने पर श्री मेहंदीपुर बालाजी की आरती को करने पर फायदा मिलता है। आरती करने से पूर्व के शब्दों का ज्ञान भी होना चाहिए। इसलिए आरती के शब्दों को अर्थ के सहित विवेचन इस तरह है:
ऊँ जय हनुमत वीरा, स्वामी जी हनुमत वीरा।
संकट मोचन स्वामी, तुम हो रणधीरा।।
अर्थात्:-हे हनुमानजी! आपकी जय हो, आप तो सबके स्वामी है। आप तो सभी तरह के संकट को हरणे वालों हो, आप तो रणवीर हो। आपकी अरदास करता हूँ।
पवन-पुत्र अंजनी-सुत, महिमा अति भारी,
दुःख दरिद्रय मिटाओ, संकट सब हारी।।
अर्थात्:-हे पवनपुत्र!अंजनी-पुत्र आपकी तो महिमा बहुत ही हैं, मैं क्या आपकी महिमा बताऊ? श्री हनुमानजी आप सभी तरह के दुःख और गरीबी को दूर कीजिए। आप सभी तरह संकटो को हरण कर दीजिए। इतनी अरदास करता हूँ।
बाल समय में तुमने, रवि को भक्ष लियो,
देवन स्तुति किन्हीं, तबहीं छोड़ दियो।।
अर्थात्:-हे पवनपुत्र! आपने तो अपने बाल्यकाल में भूख लगने पर सूरज देव को फल समझ कर अपने मुंह में ले लिया था, जब सभी देवताओं ने आपसे प्रार्थना की तब आपने सूर्यदेव को मुक्त किया था।
कपि सुग्रीव राम संग, मैत्री करवाई,
बालीबली मराये, कपीशहि गद्दी दिलवाई।।
अर्थात्:-हे पवनपुत्र! आपने सुग्रीव को आपने भगवान रामजी से मिलवाया था और उनसे आपने मित्रता करवाई थी। आपके द्वारा करवाई गई मित्रता के फलस्वरूप ही भगवान रामजी ने बाली का वध करवाया था और आपने ही तो सुग्रीव को राजा पद पुनः दिलवाया था।
जारि लंक को ले सिय की सुधि, वानर हर्षाये,
कारज कठिन सुधारे, रघुबर मन भाये।।
अर्थात्:-हे पवनपुत्र! आपको माता सीताजी की खोज-खबर के लिए भेजा था। आपने माता सीताजी की खोज की थी। आपने माता सीताजी को लंका में खोज कर सीताजी को सांत्वना दी थी और लंका को अपनी पूंछ पर लगी ज्वाला से जला दिया था। आप जब सीताजी की खोज-खबर लेकर भगवान रामजी के पास पहुँचते हो तब सभी वानर सेना बहुत ही खुश होती है। आपने बहुत कठिन कार्य करने पर भगवान रामजी ने आपको अपने मन जगह दी थी।
शक्ति लगी लक्ष्मण को, भारी सोच भयो,
लाय संजीवन बूटी, दुःख सब दूर कियो।।
अर्थात्:-हे पवनपुत्र! जब युद्ध के दौरान लक्ष्मणजी को बाण लग जाती है और नागपाश के बंधन में फंस जाते है, तब भगवान रामजी को चिंता होने लगती है, तब आप बहुत दूर संजीवन बूटी को लाकर लक्ष्मणजी के प्राणों की रक्षा करते है, इस तरह भगवान रामजी के सब तरह के कष्टों को आपने दूर किया हैं।
ले पाताल अहिरावण, जबहि पैठी गयो,
ताहि मारि प्रभु लाये, जय जयकार भयो।।
अर्थात्:-हे पवनपुत्र! जब पाताल लोक का स्वामी अहिरावण भगवान रामजी और लक्ष्मणजी को हरण करके पाताललोक ले जाता है, तब आपको मालूम होने पर आप पाताललोक जाकर अहिरावण का वध कर देते हो और भगवान रामजी के साथ लक्ष्मणजी को वापस ले आते हो तब आपकी चारो तरफ जय-जयकार होती हैं।
घाटा मेंहदी पुर में शोभित दर्शन अति भारी,
मंगल और शनिश्चर, मेला है जारी।।
अर्थात्:-हे पवनपुत्र!आप मेहंदीपुर नामक घाट पर विराजमान है, आप इस मेहंदीपुर नामक घाट पर बहुत शोभा से युक्त सुन्दर दिखाई देते हो, आप के दर्शन करने के लिए बहुत ही भीड़ का सामना करना पड़ता है। मंगलवार और शनिवार की आपका मेला भरता हैं।
श्री बाला जी की आरती, जो कोई नर गावे,
कहत सुनील जोशी हर्षित, मनवांछित फल पावे।।
अर्थात्:-हे पवनपुत्र! श्री बालाजी की आरती जो कोई मनुष्य अपनी श्रद्धाभाव और विश्वास से करता है, उसको अपनी इच्छा के अनुसार भगवान बालाजी फल देते है, ऐसा सुनील जोशी नामक व्यक्ति ने कहा हैं।
।।अथ श्री मेहंदीपुर बालाजी की आरती।।
ऊँ जय हनुमत वीरा, स्वामी जी हनुमत वीरा।
संकट मोचन स्वामी, तुम हो रणधीरा।।
ऊँ जय हनुमत वीरा, स्वामी जी हनुमत वीरा।
पवन-पुत्र अंजनी-सुत, महिमा अति भारी,
दुःख दरिद्रय मिटाओ, संकट सब हारी।।
ऊँ जय हनुमत वीरा, स्वामी जी हनुमत वीरा।
बाल समय में तुमने, रवि को भक्ष लियो,
देवन स्तुति किन्हीं, तबहीं छोड़ दियो।।
ऊँ जय हनुमत वीरा, स्वामी जी हनुमत वीरा।
कपि सुग्रीव राम संग, मैत्री करवाई,
बालीबली मराये, कपीशहि गद्दी दिलवाई।।
ऊँ जय हनुमत वीरा, स्वामी जी हनुमत वीरा।
जारि लंक को ले सिय की सुधि, वानर हर्षाये,
कारज कठिन सुधारे, रघुबर मन भाये।।
ऊँ जय हनुमत वीरा, स्वामी जी हनुमत वीरा।
शक्ति लगी लक्ष्मण को, भारी सोच भयो,
लाय संजीवन बूटी, दुःख सब दूर कियो।।
ऊँ जय हनुमत वीरा, स्वामी जी हनुमत वीरा।
ले पाताल अहिरावण, जबहि पैठी गयो,
ताहि मारि प्रभु लाये, जय जयकार भयो।।
ऊँ जय हनुमत वीरा, स्वामी जी हनुमत वीरा।
घाटा मेंहदी पुर में शोभित दर्शन अति भारी,
मंगल और शनिश्चर, मेला है जारी।।
ऊँ जय हनुमत वीरा, स्वामी जी हनुमत वीरा।
श्री बाला जी की आरती, जो कोई नर गावे,
कहत सुनील जोशी हर्षित, मनवांछित फल पावे।।
ऊँ जय हनुमत वीरा, स्वामी जी हनुमत वीरा।
।।इति श्री मेहंदीपुर बालाजी की आरती।।
।।जय बोलो श्री मेहंदीपुर बालाजी की जय हो।।
।।जय बोलो अंजनिपुत्र श्री हनुमानजी की जय हो।