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Saturday, August 28, 2021

कृष्ण जन्माष्टमी कब है? 2021 में: जानें तारीख, तिथि, शुभ मुहूर्त और महत्व(When is krishna janmashtami in 2021: know date, Tithi, shubh muhurat & significance)



कृष्ण जन्माष्टमी कब है? 2021 में: जानें तारीख, तिथि, शुभ मुहूर्त और महत्व(When is krishna janmashtami in 2021: know date, Tithi, shubh muhurat & significance):-जन्माष्टमी भाद्रपद मास के कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाने वाला पर्व हैं, इस तिथि के रात्रिकाल के बारह बजे मथुरा नगरी के कारागृह में वासुदेवजी की पत्नी देवकी के गर्भ से सोलह कला से सम्पन्न भगवान श्रीकृष्णजी का जन्म रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। जब-जब पृथ्वी पर बुरे आचरणों एवं पापों की बढ़ोतरी होती हैं तब भगवान किसी न किसी रूप में अवतरित होकर समस्त तीनों लोकों में शांति स्थापित करते है और समस्त जगहों पर सदाचार और धर्म कल्याण की भावना को जागृत करते हैं। इस तरह से अवतारों में श्रीरामजी और श्रीकृष्णजी का नाम सर्व विख्यात हैं। भगवान रामजी ने जन्म लेकर अपनी मर्यादा का ध्यान रखते हुए समस्त जगह पर धर्म की रक्षा की थी।

दूसरे अवतार के रूप में भगवान श्रीकृष्णजी जन्म लेकर अपनी लीलाओं को करते हुए लीला पुरुषोत्तम के रूप जाने जाते हैं।

जो कि श्रीविष्णुजी के रूप में अवतरित हुए थे। आज के दिन श्रीकृष्णजी के जन्मदिवस को समस्त भारतवर्ष में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। इस पर्व को भारत देश के अलावा विदेशों में भी मनाया जाता हैं। यह पर्व हर्षोल्लास, उत्साह का संचार करने वाला और मन के अंदर उमंग को जगाने वाला होता हैं। 

जन्माष्टमी के रात्रि में पूजा का समय:-श्रीकृष्णजी की पूजा अर्धरात्रि अर्थात् निशीथ समय में की जाती है, जो कि ज्योतिष शास्त्र के समय के अनुसार निशीथ मुहूर्त जो कि अर्धरात्रि का आठवां मुहूर्त होता है, इस मुहूर्त के स्वामी ब्रह्माजी होते है और नक्षत्र रोहिणी होता है, इस आठवें मुहूर्त अर्थात् निशीथ मुहूर्त का समय रात्रि में 11:36 से 12:24 तक होता है, इस तरह श्रीकृष्णजी की पूजा का समय रात्रि 11:36 से लेकर 12:24 के बीच का होता है।


अष्टमी तिथि का समय:-पंचांग के अनुसार अष्ठमी तिथि 29 अगस्त 2021 में रात्रिकाल 23:24:48 बजे से शुरू होकर 30 अगस्त 2021 में प्रात(कल) 25:59:02 बजे तक रहेगी।


नक्षत्र का समय:-पंचांग के अनुसार 29 अगस्त 2021 को कृत्तिका नक्षत्र प्रातः(कल) 30:37:39 तक रहेगा।

30 अगस्त 2021 में रोहिणी नक्षत्र प्रातःकाल 06:37:39 से शुरू होकर 31 अगस्त 2021 में प्रातःकाल 09:42:49 तक रहेगा।


योग का समय:-पंचांग के अनुसार 30 अगस्त 2021 में हर्षण योग का समय शुरू होगा जो कि प्रातःकाल 07:44:22 से 31 अगस्त 2021 में प्रातःकाल 08:46:39 तक रहेगा।


करण का समय:-पंचांग के मतानुसार कौलव करण दोपहर 12:42:08 से शुरू होकर प्रातः(कल) 25:59:02 तक रहेगा।

वार का काल:-अष्टमी तिथि 29 अगस्त 2021 में रविवार से शुरू होकर 30 अगस्त 2021 में सोमवार रहेगा।


श्रीकृष्णजी के जन्म के काल में लग्न का समय:-वृषभ लग्न 29 अगस्त 2021 के रात्रिकाल में 22:55 से शुरू होकर 30 अगस्त 2021 में प्रातः(कल) 25:52 तक रहेगा। जो की श्रीकृष्णजी के जन्म के लग्न में होगा।


जन्माष्टमी के रात्रिकाल के योग-संजोग:-भगवान श्रीकृष्णजी का जन्म का दिन 2021 में 29 अगस्त 2021 को रहेगा, इस समय में जो योग बनेंगे। वे योग इस तरह रहेंगे, जो इस तरह हैं

दिनांक 30 अगस्त 2021 को रोहिणी नक्षत्र रहेगा और साथ में हर्षण योग का भी सँजोग बनेगा, जो कि एक विशेष तरह का योग होता है, वह योग जयंती योग कहलाता है। इस योग में जन्म लेने वाला कोई भी हो वह हर जगह विजय को प्राप्त करने वाला अर्थात् विजयिनी होता है, इस तरह श्रीकृष्णजी के जन्मकाल में यह योग बना था और 2021 में भी बन रहा हैं।


श्रीकृष्णजी की पूजा की विधि:-भगवान श्रीकृष्णजी के जन्म के बाद भक्तगणों को उनकी पूजा पूर्ण रूप से विधि-विधानपूर्वक करनी चाहिए।

व्रत करने वालों को जन्म के बाद ही पूजा करके ही उपवास को छोड़ना चाहिए। उसके बाद में श्रीकृष्णजी को भोग के रूप में पंजरी, गुन्दगिरी के लड्डू, अजवायन, चरणामृत का भोग अर्पण करना चाहिए।

◆जागरण को करके, भजन के रूप में प्रभु का गुणगान करना चाहिए।



।।अथ श्री बालकृष्णजी की आरती ।।

आरती बालकृष्णजी कीजै

अपनों जनम सुफल करि लीजै।

श्रीयशुदा को परम् दुलारौ।

बाबा की अंखियन कौ तारो।।

आरती बालकृष्णजी कीजै

अपनों जनम सुफल करि लीजै।

गोपिन के प्राणन को प्यारौ।

इन पैं प्राण निछावरि कीजै।

आरति बालकृष्ण की कीजै।।

अपनों जनम सुफल करि लीजै।

बलदाऊ कौ छोटो भैया।

कनुआँ कहि कहि बोलत मैया।

परम मुदित मन लेत वलैया।

यह छबि नयननि में सरि लीजै।

आरती बालकृष्णजी कीजै।

अपनों जनम सुफल करि लीजै।

श्री राधावर सुघर कन्हैया।

ब्रजनन कौ नवनीत खवैया।

देखत ही मन नयन चुरैया।

अपनौ सरबस इनकूं दिजे।

आरती बालकृष्णजी कीजै।

अपनों जनम सुफल करि लीजै।

तोतरि बोलनि मधुर सुहावै।

सखन मधुर खेलत सुख पावै।

सोई सुकृती जो इनकू ध्यावै।।

अब इनकूं अपनो करि लीजै।

आरती बालकृष्णजी कीजै।।

अपनों जनम सुफल करि लीजै।

।।इति श्रीबालकृष्णजी की आरती।।

।।जय बोलो बालगोपाल जी जय हो।।

।।जय बोलो बालकन्हिया की जय।।