द्विभार्या योग (दो पत्नी के योग) कुण्डली में कब बनते है?(When is the yoga of two marriage formed in the horoscope?):-ज्योतिष शास्त्र पर विस्तृत अध्ययन प्राचीन काल से हुआ जो कि बहुत ही सटीक बैठता है, लेकिन इस विषय की जानकारी होनी भी जरुरी हैं। आदमी या औरत के जीवन में कितने विवाह होंगे। इस विषय को ज्योतिष शास्त्र के द्वारा जान सकते है। जब किसी कारण वश आदमी या औरत के द्वारा अनेक विवाह करने पर बहुत ही परेशानिया आ जाती हैं। विवाह को एक पवित्र सम्बन्ध होता है जो कि दो आत्माओं का मिलन माना जाता है। इसलिए विवाह को दो शरीर का मिलन नहीं मानकर आत्माओं से जोड़ा गया है। इसलिए विवाह करने से पूर्व अपनी जन्मकुंडली का विश्लेषण करना चाहिए जिससे मालूम पड़ सके कि उस व्यक्ति विशेष के जीवन में कितने विवाह होंगे। जिससे जिस व्यक्ति के साथ जन्मकुंडली का मिलान करते है तब यह भी देखना होता है कि गुण मिलने से कुछ नहीं होता है उसकी जन्मकुंडली का सप्तम भाव, सप्तमेश, द्वितीय भाव, द्वितीयेश, चतुर्थ भाव चतुर्थेश एवं द्वादश भाव द्वादशेश की स्थिति किसी है और इन सभी के कारकेश की स्थिति कैसी है। इन सबकी स्थिति अच्छी होने पर ही विवाह की रजामंदी देनी चाहिए। क्योंकि एक बार विवाह होने के बाद जिससे विवाह हो रहा हैं उसकी जन्मकुंडली अनेक विवाह के योग बनने पर उस आदमी या औरत का जीवन नरकमयी बन जाता है।
अपनी जन्मकुंडली का मिलान करने से पूर्व किसी जानकार ज्योतिषी से अपनी जन्मकुंडली का सटीक विश्लेषण करना चाहिए। जन्मकुंडली के विश्लेषण से मनुष्य अपने वैवाहिक जीवन के बारे में जान सकता है कि उसका विवाह कितनी स्त्रियों से होगा या वह मनुष्य यह भी जान सकता है कि उसके जीवन में कितनी स्त्रियों से लगाव रहेगा।
ज्योतिष शास्त्र के महत्वपूर्ण अनेक विवाह से सम्बंधित योग:-किसी भी आदमी या औरत की जन्मकुंडली को देखकर यह बताया जा सकता हैं कि इसके कितने विवाह होंगे। इस विषय को जानने के लिए इन योगों को ध्यान करना चाहिए, जो इस तरह हैं:
◆पहले घर का स्वामी पहले घर में हो या फिर आठवें घर का स्वामी पहले के घर या सातवें घर में होने पर या मंगल ग्रह का सम्बन्ध पहले घर तथा सातवें घर के स्वामी के साथ होने पर, छठे, आठवें घर या बारहवें घर में होने पर और पाप ग्रहों से जुड़ा होने पर पुरुष का दो स्त्रियों से या औरत का दो पुरुषों से दो विवाह के योग बनते है।
◆बुरे या पापी ग्रह सातवें घर में बैठे हो तथा शुभ फल देने वाले ग्रहों के साथ सातवें घर का स्वामी अपनी नीच राशि में होने पर दो विवाह के योग पुरुष या महिला के बनते हैं।
◆जब जन्मकुंडली में बुरे या पापी ग्रहों के साथ सयोंग सातवें घर के कारक ग्रह का होने पर भी दो विवाह के योग बनते हैं।
◆जब सातवें घर के कारक ग्रह नीच राशि, अपने दुश्मन की राशि में या अस्त ग्रह के नवांश में होने पर भी पुरुष या स्त्री के दूसरी शादी के योग बनेंगे।
◆जब जन्मकुंडली में सातवें घर में शुक्र वृषभ राशि, तुला राशि या मीन राशि का होकर स्थित होने पर और उसी के साथ में राहु ग्रह या केतु ग्रह का सयोंग होने पर भी दूसरी शादी के योग बनेंगे।
◆जब जन्मकुंडली के सातवें घर में पापी ग्रह का प्रभाव होने पर या जब मेष राशि, सिंह राशि, वृश्चिक राशि, मकर राशि या कुम्भ राशि में मंगल ग्रह होने पर भी दूसरी शादी के योग बनते हैं।
◆जब जन्मकुंडली के दूसरे घर के स्वामी के द्वारा किसी भी तरह की दृष्टि नहीं होने पर और पापी ग्रह बहुत ज्यादा दूसरे घर में जब बैठ जाते है तब भी दो से अधिक विवाह के योग बनते हैं।
◆जब जन्मकुंडली के सातवें घर में जब अधिक पापी ग्रह बैठकर अपना पाप प्रभाव सातवें घर पर डालते है और सातवें घर के स्वामी की दृष्टि अपने घर पर नहीं होने पर भी दो से अधिक विवाह के योग बनते हैं।
◆जब जन्मकुंडली में पहले घर के स्वामी का आठवें घर में बैठ जाते है और मंगल ग्रह, शुक्र ग्रह और शनि ग्रह का सातवें घर किसी भी तरह का प्रभाव होने पर दो से अधिक शादी के योग बनते हैं।
◆जब आठवें घर के मालिक ग्रह पांचवे घर में बैठ जाता है और शुक्र ग्रह से चन्द्रमा ग्रह सातवें होने पर और चन्द्रमा ग्रह से बुध ग्रह सातवें घर में स्थित होने पर भी अनेक शादी के योग बनेंगे।
◆जब दूसरे घर में एवं सातवें घर में बुरे ग्रह का प्रभाव होने पर तथा सातवें घर के स्वामी पर बुरे ग्रहों का बुरा प्रभाव होने पर पति या पत्नी की मृत्यु होने से भी अधिक बार शादी के योग बन सकते हैं।
◆जब सातवें घर का मालिक अपनी मजबूत स्थिति में होता है साथ ही शुक्र ग्रह मिथुन राशि, कन्या राशि, धनु राशि या मीन राशि में बैठा हो इन सभी राशियों में से किसी भी राशि का स्वामी ग्रह उच्च राशि में बैठा होने पर भी बहुत सारे सम्बन्धों के योग बनता हैं।
◆जब सातवें घर का मालिक ग्रह अपनी उच्च राशि में बैठा हो या वक्री होता हैं या भृगु ग्रह का सम्बंध पहले घर में मजबूत स्थिति में एवं एक जगह पर स्थिर प्रकृति होने पर बहुत अधिक जनों से सम्बन्ध बनते हैं।
◆जब ग्याहरवें घर का मालिक और सातवें घर का मालिक जन्मकुंडली में किसी भी घर में एक साथ बैठे होते हैं या एक दूसरे किसी भी तरह का सम्बंध बन जाता है या एक दूसरे से पांचवे या नवें जगह में होने पर भी अनेक विवाह योग बन सकते हैं।
◆जब चौथे घर में सातवे घर का मालिक ग्रह हो एवं सातवें घर में नवें घर का स्वामी घर होने पर भी एक से ज्यादा विवाह के योग बनते हैं।
◆जब ग्यारहवें घर का स्वामी ग्रह और सातवें घर का स्वामी ग्रह एक दूसरे से केंद्र में बैठे होते है तब भी एक से ज्यादा विवाह के योग बन सकते हैं।