दीपावली कब हैं? 2021 में: जानें तारीख, तिथि, दीपावली पूजा का शुभ मुहूर्त और महत्त्व(When is Deepawali In 2021: Know date, Tithi, Deepawali puja ka Shubh Muhurat & significance):-हिन्दुधर्म में दीपावली के पर्व को रोशनी का पर्व माना जाता हैं, जिनमें अंधेरी रात पर रोशनी की जीत का होता हैं। भगवान रामचन्द्रजी के द्वारा चौदह वर्ष के वनवास एवं रावण की लंका पर विजय के बाद जब अयोध्या में आने पर उनके जीत की खुशी एवं भगवान रामजी के अयोध्या में आने की खुशी के उपलक्ष में दीपावली पर्व को मनाया जाता है। इस अवसर पर अयोध्यावासियों ने घरों में दीपक जलाकर रोशनी करके भगवान श्रीरामजी का स्वागत किया था। तब से यह पर्व प्रकाश पर्व के रूप में और दीपावली के रूप में मनाया जाता है। हिन्दू शास्त्रों के अनुसार किसी भी शुभ कार्यों को करते समय मुहूर्त का बहुत महत्व बताया गया है, इसलिए मुहूर्त को ध्यान में रखकर ही दीपावली पर्व के दिन लक्ष्मीजी की पूजा करके दीपावली पर्व मनाने का विधान शास्त्रों में बताया गया हैं, जो कि दिनांक 04 नवम्बर 2021 में दीपावली का पर्व रहेगा। दीपावली पर्व कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को मनाया जाता हैं। भारतीय वर्ष में मनाए जाने वाले विभिन्न त्यौहारों, व्रतों एवं धार्मिक अनुष्ठानों का समय शुभ मुहूर्त के अंतर्गत निर्धारित किया जाता हैं। हिन्दू मास, तिथि, नक्षत्र, सूर्य और चन्द्र की स्थिति, स्थान विशेष का लग्न, शुभ चौघड़िया, भद्रा पंचक और राहुकाल आदि का समग्र रूप से विचार और परिकलन कर किसी त्यौहार या व्रतं का समय निर्धारित किया जाता हैं। यह जरूरी नहीं कि किसी त्यौहार के समय निर्धारण में सभी शुभ मुहूर्त सम्मिलित हो सकें। किन्तु अधिक से अधिक शुभ मुहूर्त का समायोजन किया जाना उस पर्व से सम्बंधित समस्त दैवीय उपलब्धियों की अभिप्राप्ति को दर्शाता हैं।
वर्ष 2021 में संवत 2078, राष्ट्रीय शक संवत 1943 मास कार्तिक कृष्णपक्ष की अमावस्या तिथि दिनांक 04 नवम्बर 2021 के दिन गुरुवार को दीपावली हैं। कार्तिक कृष्णपक्ष अमावस्या तिथि (30) गुरुवार, नक्षत्र चित्रा-स्वाति नक्षत्र दीपावली पर्व तारीख 04 नवम्बर 2021 हैं।
भारत देश का समय 82°30' रेखांश पर निर्धारित किया गया हैं। अतः दिल्ली को केंद्र बिंदु मानने पर दिनांक 04 नवम्बर 2021 को सूर्योदय प्रातःकाल 06:35:44 बजे हो रहा हैं और अमावस्या तिथि प्रातःकाल 06:02:52 बजे शुरू हो रही हैं।
दीपावली में लक्ष्मी पूजन स्थिर लग्न वृषभ लग्न, सिंह लग्न, वृश्चिक लग्न एवं कुम्भ लग्न में ही करने का शास्त्रों में बताया गया हैं। जब इन स्थिर लग्नों के मध्य में चर चौघड़िया, लाभ चौघड़िया, अमृत चौघड़िया और शुभ चौघड़िया आदि होने पर उत्तम रहता हैं। इन समस्त चौघड़िया के समय के अंतराल में लक्ष्मी जी का पूजन को शुरू करना बढ़िया रहता हैं। पूजन को शुरू करने के बाद पूजन की समाप्ति किसी भी समय पर की जा सकती हैं।
श्री महालक्ष्मी पूजा-अर्चना मुहूर्त 04 नवम्बर 2021 में:-माता लक्ष्मीजी को प्रसन्न करने के लिए इस दिन उनकी पूजा विधि-विधान पूर्वक करना चाहिए। जिससे माता लक्ष्मीजी की अनुकृपा बनी रहे।
सिद्धिबुद्धिप्रदे देवि भुक्ति मुक्ति प्रदायनी।
मंत्रपूते सदा देवि महालक्ष्मी नमोस्तुते ते।।
नमस्ते तु महामाये श्रीपीठे सुरपूजिते।
शंख चक्र गदा हस्ते महालक्ष्मी नमोस्तुते ते।।
दीपावली के पर्व के दिन या रात्रिकाल में लक्ष्मीजी की पूजा का शुभ मुहूर्त एवं समय:- श्री महालक्ष्मी पूजा-दीपोत्सव श्रीसंवत 2075 कार्तिक कृष्णपक्ष 30 गुरुवार तिथिमानक रचना अनुसार 04 नवम्बर 2021 ईसवी दिवस वेला पर प्रालेपन गादी स्थापना-स्याही भरना-कलम दवात संवारने हेतु प्रातःकाल स्टैंडर्ड रेलवे घड़ी समयानुसार निम्नलिखित तरह से दिन में जो ग्रह हालात रहेंगे और जो शुभ मुहूर्त रहेगा, उसका विश्लेषण इस तरह रहेगा:
विशेष:-यह सभी तरह की पंचांग सूचना नई दिल्ली के अक्षांश 28.636 और देशांतर 77.224 और time zone 5.5 के अनुसार है।
दिनांक 04 नवम्बर 2021 के दिन के समय में सूर्य का उदय व अस्त,दिनमान व रात्रिमान और चन्द्रमा के उदय और अस्त का समय:-
सूर्योदय का समय:-प्रातःकाल 06:36:28 बजे पर दिल्ली में सूर्योदय होगा।
सूर्यास्त का समय:-रात्रिकाल 17:32:27 बजे सन्ध्याकाल पर सूर्यास्त दिल्ली में होगा।
चन्द्रोदय का समय:-प्रातः(कल) 30:49:33।
चन्द्रास्त का समय:-सायंकाल 17:20:15।
दिनमान का समय:-प्रातःकाल 10:55:58।
रात्रिमान का समय:-दोपहर 13:04:46।
तिथि का समय:-कार्तिक मास की कृष्णपक्ष की अमावस्या तिथि दिनांक 04 नवम्बर 2021 के दिन प्रातःकाल 06:02:52 से शुरू होगी, जो कि सूर्योदय से पूर्व 05 नवम्बर 2021 को होकर प्रातः(कल) 26:43:48 तक रहेगी।
शुभ वार:-कार्तिक अमावस्या तिथि के दिन गुरुवार रहेगा।
नक्षत्र का समय:- अगस्त 04 नवम्बर 2021 में चित्रा नक्षत्र प्रातःकाल 07:41:40 तक रहेगा।
नक्षत्र------चित्रा नक्षत्र प्रातःकाल 07:41:40 तक रहेगा।
उसके बाद
नक्षत्र---स्वाति नक्षत्र प्रातः(कल) 29:06:30 तक रहेगा।
शोभन योग का समय:-04 नवम्बर 2021 के दिन प्रीति योग प्रातःकाल 11:08:49 तक रहेगा, उसके बाद में आयुष्मान योग प्रातःकाल 11:08:49 से शुरू होकर प्रातः(कल) 31:11:15 तक रहेगा। जो कि शुभ कार्य के लिए विशेष कर शुभ माना जाता है।
करण का समय:-04 नवम्बर 2021 में चतुष्पद करण सायंकाल 16:25:16 तक रहेगा,
उसके बाद में नाग करण सायंकाल 16:25:16 शुरू होकर प्रातः(कल) 26:43:48 तक रहेगा। जो कि शुभ कार्य के लिए विशेष कर अशुभ माना जाती हैं
चन्द्रमा का समय:-04 नवम्बर 2021 में चन्द्रमा तुला राशि में रहेगा।
सूर्य की राशि:-04 नवम्बर 2021 में सूर्य तुला राशि में रहेगा।
सौर प्रविष्टे:-19, कार्तिक।
इस समय में दीपावली के पर्व को मानने के लिए शुभ रहेगा। जो दीपावली पर्व में लक्ष्मीजी के पूजन लिए उत्तम रहेगा वह इस तरह है:
अभिजीत महूर्त का समय:-प्रातःकाल 11:43 से दोपहर 12:26 तक का समय शुभ होने से जिन कामों को करने में मुहूर्त नहीं मिलने पर अभिजीत मुहूर्त के समय में कामों को करने से कामयाबी मिलती है।
अमावस्या तिथि एवं गुरुवार के दिन में प्राप्त होने वाले शुभ समय चौघड़ियो के अनुसार:-अमावस्या तिथि एवं गुरुवार के दिन में प्राप्त होने वाले शुभ चौघड़िया निम्नलिखित हैं:
शुभ का चौघड़िया:-प्रातःकाल 06:36 से 07:58 तक रहेगा जो कि शुभ कार्य को करने के लिए शुभ रहेगा।
चर का चौघड़िया:-प्रातःकाल 10:42 से 12:04 तक रहेगा, जो कि शुभ कार्य को करने के लिए शुभ रहेगा।
लाभ का चौघड़िया:-दोपहर 12:05 से 13:26 तक रहेगा जो कि शुभ कार्य को करने के लिए शुभ रहेगा।
अमृत का चौघड़िया:-दोपहर 13:26 से 14:48 तक रहेगा जो कि शुभ कार्य को करने के लिए शुभ रहेगा।
शुभ का चौघड़िया:-सायंकाल 16:10 से 17:32 तक रहेगा जो कि शुभ कार्य को करने के लिए शुभ रहेगा एवं समगतिक मान्य हैं।
गोधूलि प्रदोष काल का समय:-श्रीपूजन मुहूर्त दैनिक लग्न विगणना मान्यता अनुसार सायंकाल गोधूलि प्रदोष वेला का समय मानक सायंकाल 17:32:27 से 20:09:27 रात्रिकाल पर्यंत रहेगा। इस समय में भी पूजा की सकती हैं।
अमावस्या तिथि एवं गुरुवार की रात्रिकाल में प्राप्त होने वाले शुभ समय चौघड़ियो के अनुसार:-अमावस्या तिथि एवं गुरुवार की रात्रिकाल में प्राप्त होने वाले शुभ चौघड़िया निम्नलिखित हैं:
अमृत का चौघड़िया:-रात्रिकाल 17:32 से 19:11 तक रहेगा जो कि शुभ कार्य को करने के लिए शुभ रहेगा।
चर का चौघड़िया:-रात्रिकाल 19:11 से 20:49 तक रहेगा जो कि शुभ कार्य को करने के शुभ रहेगा।
लाभ का चौघड़िया:-मध्य रात्रि 24:05 से 25:43 तक रहेगा जो कि शुभ कार्य को करने के लिए शुभ रहेगा।
शुभ का चौघड़िया:-प्रातः(कल) 27:21 से 28:59 तक रहेगा जो कि शुभ कार्य को करने के लिए शुभ रहेगा।
अमृत का चौघड़िया:-प्रातः(कल) 28:59 से 30:37 तक रहेगा जो कि शुभ कार्य को करने के लिए शुभ रहेगा।
दिल्ली शहर में स्थिर लग्नों में लक्ष्मी जी के पूजन:- करने हेतु प्राप्त होने वाले चौघडियां का शुभ समय निम्नलिखित तरह से हैं:
वृश्चिक लग्न में प्राप्त:-दिल्ली शहर के समय के अनुसार स्थिर संज्ञक वृश्चिके लग्न प्रातःकाल 07:48:15 बजे से 10:06:52 बजे तक का समय होगा।
शुभ का चौघड़िया:-प्रातःकाल 06:36 से 07:58 तक रहेगा जो कि शुभ कार्य को करने के लिए शुभ रहेगा। जो कि दीपावली में लक्ष्मी पूजन करने के उत्तम समय रहेगा।
चर का चौघड़िया:-प्रातःकाल 10:42 से 12:04 तक रहेगा, जो कि शुभ कार्य को करने के लिए शुभ रहेगा। जो कि दीपावली में लक्ष्मी पूजन करने के उत्तम समय रहेगा।
कुम्भ लग्न में प्राप्त:-दिल्ली शहर के समय के अनुसार स्थिर संज्ञक कुम्भ लग्न दोपहर 13:53:28 बजे से 15:21:00 बजे तक का समय रहेगा, जो कि मान्यता भी सामान्य पक्ष अनुसार व्यवहारजनक हैं।
लाभ का चौघड़िया:-दोपहर 12:05 से 13:26 तक रहेगा जो कि शुभ कार्य को करने के लिए शुभ रहेगा। जो कि दीपावली में लक्ष्मी पूजन करने के उत्तम समय रहेगा।
अमृत का चौघड़िया:-दोपहर 13:26 से 14:48 तक रहेगा जो कि शुभ कार्य को करने के लिए शुभ रहेगा। जो कि दीपावली में लक्ष्मी पूजन करने के उत्तम समय रहेगा।
वृषभ लग्न में प्राप्त:-दिल्ली शहर के समय के अनुसार दीपावली लक्ष्मीजी पूजन का मुहूर्त समय:- स्थिर संज्ञक वृषभ लग्न रात्रिकाल 18:20:59 बजे से 20:16:20 बजे तक का समय होगा।
समय अवधि:-01 घण्टा 55 मिनिट 21 सेकण्ड तक रहेगा।
अमृत का चौघड़िया:-रात्रिकाल 17:32 से 19:11 तक रहेगा जो कि शुभ कार्य को करने के लिए शुभ रहेगा। जो कि दीपावली में लक्ष्मी पूजन करने के उत्तम समय रहेगा।
चर का चौघड़िया:-रात्रिकाल 19:11 से 20:49 तक रहेगा जो कि शुभ कार्य को करने के शुभ रहेगा। जो कि दीपावली में लक्ष्मी पूजन करने के उत्तम समय रहेगा।
सिंह लग्न में प्राप्त:-दिल्ली शहर के समय के अनुसार स्थिर संज्ञक सिंह लग्न मध्यरात्रि 24:51:11 बजे से 27:08:31 बजे तक का समय होगा। इस सिंह लग्न में कनकधारा स्तोत्रं का पठन पाठ विशेष श्रीकार सिद्ध होता हैं। प्रकारांतर से पूजन समय परिहार समाधान सूचक हैं।
लाभ का चौघड़िया:-मध्य रात्रि 24:05 से 25:43 तक रहेगा जो कि शुभ कार्य को करने के लिए शुभ रहेगा। जो कि दीपावली में लक्ष्मी पूजन करने के उत्तम समय रहेगा।
शुभ का चौघड़िया:-प्रातः(कल) 27:21 से 28:59 तक रहेगा जो कि शुभ कार्य को करने के लिए शुभ रहेगा। जो कि दीपावली में लक्ष्मी पूजन करने के उत्तम समय रहेगा।
चार ग्रहों के मिलन से शुभ योग का निर्माण:-दीपावली पर बहुत कठिनता से प्राप्त होने वाले योग का मेल बन रहा हैं, इस वर्ष में चार ग्रहों का मेल एक ही राशि में एक साथ होने से दीपावली मनुष्यों के लिए बहुत ही बढ़िया एवं मंगलकारी रहेगी। माता लक्ष्मीजी एवं भगवान गणेशजी की अनुकृपा मिलेगी और मनुष्यों को फायदा ही फायदा प्राप्त होने की सम्भावना बनती हैं।
सूर्योदय कालीन उदित लग्न में तुला लग्न की कुंडली में चार ग्रह जिनमें सूर्य ग्रह, चन्द्रमा ग्रह, मंगल ग्रह एवं बुध ग्रह तुला राशि में तुला लग्न के पहले घर में युति बन रही हैं। इस तरह तुला राशि के मालिक शुक्र ग्रह होते है, शुक्र ग्रह की शुभता में बढ़ोतरी लक्ष्मीजी की पूजा पर बढ़ेगी। क्योंकि शुक्र सौन्दर्य, ऐश्वर्य एवं भौतिक सुख-साधनो का प्रतीक माना जाता है। रवि ग्रह जो कि समस्त ग्रहों में राजा पद पर, भौम ग्रह को ग्रहों में सेना का नेतृत्वशक्ति के स्वामी सेनापति पद एव सौम्य ग्रह को राजकुमार का पद प्राप्त हैं। सोम ग्रह को अंतरात्मा एवं चिंतन का प्रतीक माना गया है। इसी रवि को तात एवं सौम्य को माता का प्रतीक समझा जाता हैं।
सूर्योदयकालीन उदित लग्न:-तुला लग्न 17°40' गति 197°40' रहेगा।
सूर्य नक्षत्र:-स्वाति नक्षत्र में सूर्य रहेंगे।
चन्द्रमा नक्षत्र:-चित्रा नक्षत्र में चन्द्रमा रहेंगे।
गोचर राशि में ग्रहों के हालात,नक्षत्रों के चरण और अक्षर :-जो नीचे बताये गए है:-
सूर्य ग्रह:-तुला राशि में स्वाति नक्षत्र के चतुर्थ चरण के ता अक्षर में रहेगा।
चन्द्रमा ग्रह:-तुला राशि में चित्रा नक्षत्र के चौथे चरण के री अक्षर में रहेगा।
मंगल ग्रह:-तुला राशि में स्वाति नक्षत्र के पहले चरण के रु अक्षर में रहेगा।
बुध ग्रह:-तुला राशि में चित्रा नक्षत्र के तीसरे चरण के रा अक्षर में रहेगा।
गुरु ग्रह:-मकर राशि में धनिष्ठा नक्षत्र के दूसरे चरण के गी अक्षर में रहेगा।
शुक्र-ग्रह:-धनु राशि में मूल नक्षत्र के दूसरे चरण के यो अक्षर में रहेगा।
शनि ग्रह:-मकर राशि में श्रवण नक्षत्र के पहले चरण के खी अक्षर में रहेगा।
राहु ग्रह:-वृषभ राशि में कृत्तिका नक्षत्र के चतुर्थ चरण के ए अक्षर में रहेगा।
केतु ग्रह:-वृश्चिक राशि में अनुराधा नक्षत्र के दूसरे चरण के नी अक्षर में रहेगा।
स्थिर लग्नो के मुख्य तत्व के आधार पर कार्य करने वाले मनुष्य:-वृश्चिक लग्न में जल तत्व प्रधान कार्य करने वाले मनुष्य, कुम्भ लग्न में वायु तत्व सम्बन्धी कार्य करने वाले मनुष्य और वृषभ लग्न में पृथ्वी तत्व सम्बन्धी कार्य करने वाले मनुष्य को लक्ष्मीजी का पूजा कर सकते हैं।
जल तत्व मुख्य कार्य करने वाले मनुष्य:-जो मनुष्य कोल्ड ड्रिंक व्यापारी, दवाई को बेचने वाले, चाय-काफी का धंधा करने वाले, हाइड्रोलिक प्रोजेक्ट का कार्य करने वाले कमर्चारी, रत्न का धंधा करने वाले, नेवी कर्मचारी, डेयरी कमर्चारी, ड्राइक्लीनर्स एवं केटरर आदि के लिए जल तत्व राशि कर्क राशि, वृश्चिक राशि और मीन राशि के लोगों के पूजन करना शुभ रहता हैं।
वायु तत्व मुख्य कार्य करने वाले मनुष्य:-जो मनुष्य वायुसेना के कर्मचारी, एयरलाइंस कर्मचारी, मंत्री, बड़े औद्योगिक संस्थान के मैनेजर और कर्मचारी, समाजसेवी, स्टाफ एक्सचेंज कर्मचारी, शेयर-स्टाक से सम्बंधित मनुष्य, ट्रेवल एजेंट और होलसेल व्यापारी इत्यादि वायु तत्व राशि मिथुन राशि, तुला राशि एवं कुम्भ राशि के लोगों के द्वारा दीपावली में लक्ष्मीजी की पूजा करना चाहिए।
पृथ्वी तत्व मुख्य कार्य करने वाले मनुष्य:-जो मनुष्य गृहस्थ उच्चकुलीन मनुष्य, औद्योगिक घरानों और राज घरानों से सम्बंधित मनुष्य, रेलवे कर्मचारी, भूमि सम्बन्धी व्यवसायी, बैंक कर्मचारी एवं लेखन-प्रकाशन से सम्बंधित मनुष्य इत्यादि पृथ्वी तत्व राशि वृषभ राशि, कन्या राशि एवं मकर राशि के लोगों के द्वारा दीपावली में लक्ष्मीजी की पूजा करना चाहिए।
अग्नि तत्व मुख्य कार्य करने वाले मनुष्य:-जो मनुष्य अधिकारी, शासक, सुरक्षाकर्मी, सैनिक, पुलिस, विद्युत कर्मचारी, शस्त्र व्यवसायी, होटल-ढाबा व्यवसायी, बीड़ी-सिगरेट के निर्माता या विक्रेता एवं रसायनज्ञ इत्यादि अग्नि तत्व राशि मेष राशि, सिंह राशि एवं धनु राशि के लोगों के द्वारा दीपावली में लक्ष्मीजी की पूजा करना चाहिए।
लक्ष्मीजी एवं गणेशजी की पूजा विधि:-लक्ष्मी पूजा में सबसे पहले श्रीगणेश जी का षोडशोपचार कर्म से पूजा मुहूर्त के शुभ समय करना चाहिए। पूजा क्रम में लक्ष्मीजी की पूजा मुहूर्त समयान्तराल के बाहर भी की जा सकती हैं। भगवान गणेशजी एवं लक्ष्मीजी की पूजा में कुबेर यंत्र, श्री यंत्र, कनकधारा यंत्र, बीसा यंत्र आदि धनदायक यंत्रों को सम्मिलित करने से लक्ष्मीजी साल भर खुश रहती हैं।विशेष अनुष्ठान तहत दिनांक 04 नवम्बर 2021 के सम्पूर्ण रात्रिकाल में श्रीसूक्त का पाठकर कमलगट्टे, मिश्री एवं घी से हवन भी करना चाहिए।