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Saturday, November 6, 2021

आज का पंचांग दिनांक 06 नवम्बर 2021(Aaj ka panchang date 06 November 2021)

                    



आज का पंचांग दिनांक 06 नवम्बर 2021(Aaj ka panchang date 06 November 2021):-द्वितीया तिथि के स्वामी:-द्वितीया तिथि के स्वामी ब्रह्माजी को पूजा-अर्चना करके उनको खुश करके उनका आशीर्वाद पाना चाहिए, जिससे मनुष्य को अपने जीवन धन-सम्पति मिल सके।

द्वितीया तिथि के दिन करने योग्य काम:-द्वितीया तिथि के दिन मनुष्य को राजकीय प्रशासनिक काम, विवाह, उपनयन, यात्रा, देवप्रतिष्ठा, आभूषण, गृह, समस्त पौष्टिक एवं शुभ आदि काम करना ठीक रहता है।

तृतीया तिथि के स्वामी:- तृतीया तिथि के स्वामी पार्वती माताजी की पूजा-अर्चना करके उनको खुश करना चाहिए, जिससे उनका आशीर्वाद मिल सके और सांसारिक जीवन में सुख-शांति प्राप्त हो सके। 

तृतीया तिथि के दिन करने योग्य काम:-तृतीया तिथि के दिन मनुष्य को सीमन्त संस्कार, चौल संस्कार, अन्नप्राशन, उपनयन, गृह प्रवेश, प्रतिष्ठा, संगीत, शिल्पविद्या, समस्त शुभ काम, पशुओं से सम्बंधित काम, जलयान, आभूषण इत्यादि काम करना अच्छा होता है। 


विशेष:-आज के दिन गण्डमूल नक्षत्र रहने से गण्डमूल मुहूर्त रहेगा, जो इस तरह हैं।

गण्डमूल मुहूर्त का समय:-रात्रिकाल 23:38 से अहोरात्र तक रहेगा जो कि अशुभ मुहूर्त है।

अभिजीत महूर्त का समय:-प्रातःकाल 11:44 से दोपहर 12:26 तक का समय शुभ होने से जिन कामों को करने में मुहूर्त नहीं मिलने पर अभिजीत मुहूर्त के समय में कामों को करने से कामयाबी मिलती है। 


विशेष:-आज के दिन विश्वकर्मा पूजा करनी चाहिए।


विशेष:-आज के दिन भाईदूज एवं यमद्वितीया पूजा करें।

भाई दूज क्यों मनाते हैं, व्रत पूजा विधि, कथा और महत्व (Why Bhai Dooj is celebrated, vrat puja vidhi, katha and importance):-दीपावली के तीसरे दिन अर्थात कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को भाई दूज के नाम से जाना जाता है। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया "यमद्वितीया" भैया दूज कहलाती है। इस दिन बहिन के घर भाई को जाना चाहिए।



भाई दूज व्रत की पूजा विधि:-बहिन को चाहिए कि घर आए भाई को एक शुभ आसन पर बैठाकर हाथ-पैर धुलाये। 

◆इस दिन भाई अपनी बहिन के हाथों रोली-अक्षत लगवाकर मिठाई खाता है और अपनी बहिन को दक्षिणा के रूप में रुपयों-पैसों व वस्त्रों को देता है।

◆विभिन्न प्रकार के उत्तम तरह के व्यंजन परोस कर उसका अभिनंदन करें।

◆भाई बहिन को श्रद्धानुसार उपहार देते हैं।

◆भाई दूज के दिन भाई को अपनी बहिन के घर पर भोजन करना भी शास्त्र के अनुसार जरूरी बताया गया है।

◆परंतु कहीं-कहीं जिनके भाई-बहिन के घर नहीं पहुंच पाते उनकी बहिनें भाई के घर पर जाकर उन्हें टिका लगाकर मिठाइयाँ खिलाती हैं।


भाई दूज के विषय में पौराणिक कथा:-भगवान सूर्यदेव और छाया को यम, यमुना और शनिदेवजी के रूप में सन्तान हुई थी। यम और यमुना दोनों भाई बहिन में बहुत ही प्रेम था। परन्तु यमराज यमलोक की शासन व्यवस्था में इतने व्यस्त रहते थे कि यमुनाजी के घर ही न जा पाते थे। पुराणों में बताया जाता है कि एक बार यम यमुनाजी से मिलने घर आए। भाई यम को अपने घर आया देखकर बहिन यमुनाजी बहुत ही खुश हुई और भाई का बहुत ही आदर व सम्मान किया। 

एक बार यमुना (नदी) अपने भाई यमराज को मांगलिक द्रव्यों से टिका लगाकर उन्हें भोजन कराया था। जिस दिन यमुना ने अपने भाई से निवेदन कर भोजन आदि से संतुष्ट किया था।

बहिन की सेवा से संतुष्ट होकर यमुना से वरदान माँगने के लिए कहा- तब बहिन यमुना ने उत्तर दिया कि आज की पवित्र तिथि के दिन जो भाई-बहिन एक साथ मेरे जल में स्नान करें, उन्हें अन्तकाल में यमलोक में न जाना पड़े व यम-यातना न भोगना पड़े, वह जीवनकाल में सभी तरह के सुख-समृद्धि को प्राप्त होवें और बल्कि सीधे स्वर्गलोक (बैकुण्ठ) में ही जाए। आज के दिन आप हर वर्ष मेरे घर आकर आतिथ्य स्वीकार करें। यमराज ने कहा- बहिन! ऐसा ही होगा। बहिन को वरदान देकर यमराज अपने यमपुरीलोक में चले गए। 

उस दिन कार्तिक शुक्लपक्ष की द्वितीया तिथि थी। इसलिए इस दिन यमुना स्नान का विशेष महत्त्व है।तभी से भाई दूज को माना जाने लगा। 

यदि अपनी सगी बहिन न हो तो काका-बाबा, मामा, मौसी, भुआ की बेटी यह भी बहिन के समान है। इनके हाथ का भोजन करें। उस भाई को धन, यश, आयुष्य, धर्म, अर्थ और अपरिमित सुख की प्राप्ति होती है।अतः हम सभी लोगों का कर्त्तव्य है कि, इस पावन पवित्र पर्व को विधिवत मनाना चाहिए।

भैया दूज(यम द्वितीया) की दूसरी व्रत कथा:-एक बहिन के सात भाई वठे। वह उन्हें बहुत प्यारी थी। उसका पति अपने माँ-बाप का इकलौता बेटा था। जिसके होने पर की गई मनौतियों को पूरा न करने से देवता अप्रसन्न थे। इसी कारण देवताओं ने क्रुद्ध होकर पुत्र तथा पुत्रवधु को मार का निर्णय किया। उसकी बहिन को किसी तरह इसका पता चल गया। उसने भावी जीवन में आने वाले दुःखों की कल्पना करके उनके उपचार के तरीके सोचे और अपने भाइयों से कहा कि उसे उसकी ससुराल भेज दिया जाए। 

भाई उसे लेने के लिए आए बिना बहनोई के भेजना नहीं चाहते थे। लेकिन बहिन जिद्द पर अड़ींग रही कि कुछ भी हो वह तो आज ही अपनी ससुराल जाएगी। जब वह नहीं मानी तो भाइयों को मजबूरी में उसे ससुराल भेजने की तैयारियां करनी पड़ी। डोली में बैठने से पहले बहिन ने अपने पास दूध, मांस तथा ओढ़नी रख ली। थोड़ी दूर जानेपर देवताओं के प्रकोप से एक सांप ने उसकी डोली का रास्ता रोक लिया। उसने तुरन्त सांप के सामने दूध रख दिया और आगे बढ़ गई। थोड़ा और आगे जाने पर उस पर शेर झपटा तो उसने मांस फेंक दिया। 

शेर का ध्यान मांस की ओर चला गया और कहार डोली लेकर आगे बढ़ गए।अब रास्ते में यमुनाजी थी। ज्यों ही कहार डोली को यमुना से पार करने लगे। यमुना ऊंची लहरें उठाकर डोली की आत्मसात करने लगी। तब बहिन ने ओढ़नी समर्पित करके यमुना की लहरों को शांत किया। नव वधू को बिना बुलाए घर आया देखकर ससुराल वाले आश्चर्य में पड़ गए। 

बहिन ने आदेश दिया कि उसके गृह प्रवेश के लिए घर के पिछवाड़े फूलों का दरवाजा बनवाया जाए। दरवाजा बना लेकिन ज्यों ही वह उसे पार करने लगी। द्वार उस पर गिर पड़ा। फूलों का दरवाजा होने के कारण उसे बिल्कुल भी चोट नहीं आई। घर में प्रवेश करके उसने सबसे पहले स्वयं खाना खाने लगी तो उसे खाने में सुच्चा कांटा मिला। जिसे उसने एक डिबिया में रख लिया।

शाम को घूमने का समय आया तो सबसे पहले उसने ही जूता पहना। जूते में काला बिच्छू था। उसने वह भी उसी डिबिया में सहेजकर रख लिया। रात हुई तो उसने फिर जिद्द की शैय्या पर पहले मैं ही सोऊंगी। बहू का हर काम के लिए पहल करना यद्यपि किसी को अच्छा नहीं लग रहा था।लेकिन परिस्थिति वश सब हो रहा था। 

सोने के कमरे में उसे काला नाग मिला। उसने उसे भी मारकर सहेज लिया। फिर पति को शैय्या पर सुलाया। इतना सब करने के पश्चात उसने अपनी सास को डिबिया खोलकर सुच्चा कांटा, बिच्छू तथा सांप दिखते हुए कहा- मैनें तुम्हें पुत्रवती किया हैं। स्वयं कष्ट सहनकर तुम्हारे पुत्र की रक्षा करके अपने सुहाग को नया जीवन दिया हैं। ये सब कष्ट देवताओं के रुष्ट हो जाने के कारण उठाने पड़े। 

भविष्य में कभी भी मनौती मानकर उन्हें पूरा करना न भूलना। इतना कहकर सात भाइयों की परम प्यारी बहिन पीहर लौट गई। तब सास ने देवी-देवताओं का पूजन करके भाई-बहिनों के प्रेम की प्रशंसा तथा उनके सुखी होने की आशीष दी।

भाई दूज व्रत का महत्त्व:-भाई दूज का त्यौहार बहिन के द्वारा अपने भाई की उम्र की बढ़ोतरी के लिए करती है, जिससे भाई के ऊपर किसी भी तरह संकष्टो से मुक्ति मिल जावे।

◆बहिन के द्वारा भाई के भगवान यमराज से अरदास करती है हे यमराजजी आप मेरे भाई की काल से रक्षा करना।

◆भाई के द्वारा बहिन के घर पर अपना व्रत छोड़ने पर बहिन को सुख-सौभाग्य की प्राप्ति का वरदान मिलता है।


विशेष:-आज के दिन चन्द्रदर्शन विशाखायां रवि दोपहर 14:18 प्रवेश करेगा।



          ।।दैनिक पंचांग का विवरण।।


दिनांक------------------06 नवम्बर 2021।

महीना (अमावस्यांत् )---------कार्तिक

महीना (पूर्णिमांंत् )-------------कार्तिक।

पक्ष------------------------------शुक्ल पक्ष।

कलियुगाब्द्--------------------5123।

विक्रम संवत्-------------------2078 विक्रम संवत।

विक्रम संवत् (कर्तक्)---------2077 विक्रम संवत।

शक संवत्----------------------1943 शक संवत।

ऋतु-----------------------------शरद ऋतु।

सूर्य का अयण----------------दक्षिणायणे।

सूर्य का गोल----------------- दक्षिण गोले।

संवत्सर(उत्तर)------------------आनंद।

संवत्सर--------------------------प्लव ।


           

           ।।आज के पंचांग के हालात को जानें।। 


तिथि----द्वितीया तिथि रात्रिकाल 19:43:37 तक रहेगी, 

उसके बाद तृतीया तिथि रात्रिकाल 19:43:37 से शुरू होगी। 

वार-------------शनिवार

नक्षत्र--------------अनुराधा नक्षत्र रात्रिकाल 23:37:40 तक  रहेगा।

उसके बाद

नक्षत्र---ज्येष्ठा नक्षत्र रात्रिकाल 23:37:40 से शुरू होगा।

योग....आयुष्मान योग रात्रिकाल 23:02:43 तक रहेगा, 

उसके बाद में

योग..अतिगंड योग रात्रिकाल 23:02:43 से शुरू होगा। तक रहेगा।

करण.......बालव  करण प्रातःकाल 09:28:24 तक रहेगा, 

उसके बाद

करण...........कौलव करण प्रातःकाल 09:28:24 शुरू  होकर रात्रिकाल 19:43:37 तक रहेगा।

उसके बाद में

करण......तैतिल करण रात्रिकाल 19:43:37 से शुरू होकर प्रातः(कल) 30:00:55 तक रहेगा।

चन्द्रमा की राशि-------वृश्चिक राशि में चन्द्रमा रहेगा।

सूर्य की राशि......तुला राशि में रहेगा।

सौर प्रविष्टे............21, कार्तिक।


   

सूर्य का उदय व अस्त,दिनमान व रात्रिमान और चन्द्रमा के उदय और अस्त का समय:-

सूर्योदय का समय:-प्रातःकाल 06:37:58।

सूर्यास्त का समय:-रात्रिकाल 17:31:05।

चन्द्रोदय का समय:-प्रातः(कल) 30:59:04

चन्द्रास्त का समय:-रात्रिकाल 18:49:32। 

दिनमान का समय:-प्रातःकाल 10:53:07।

रात्रिमान का समय:-दोपहर 13:07:38


आज जन्में बच्चे के नक्षत्र का चरण और नाम अक्षर:-

पहले चरण ना अक्षर के अनुराधा नक्षत्र का समय प्रातःकाल 07:40:22 तक रहेगा।

दूसरे चरण नी अक्षर के अनुराधा नक्षत्र का समय दोपहर 12:59:05 तक रहेगा।

तीसरे चरण नू अक्षर के अनुराधा नक्षत्र का समय रात्रिकाल 18:18:08 तक रहेगा।

चतुर्थ चरण ने अक्षर के अनुराधा नक्षत्र का समय रात्रिकाल 23:37:40 तक रहेगा।

पहलर चरण नो अक्षर के ज्येष्ठा नक्षत्र का समय प्रातः(कल) 28:57:51 तक रहेगा।


         ।।आज के दिन का शुभ मुहूर्त का समय।।                     

अभिजीत महूर्त का समय:-प्रातःकाल 11:44 से दोपहर 12:26 तक का समय शुभ होने से जिन कामों को करने में मुहूर्त नहीं मिलने पर अभिजीत मुहूर्त के समय में कामों को करने से कामयाबी मिलती है। 



      ।।आज के दिन के अशुभ मुहूर्त का समय।। 

                

राहुकाल मुहूर्त का समय:-प्रातःकाल 09:21 से 10:43 तक रहेगा जो कि अशुभ मुहूर्त का समय होने से अच्छे कामों को इस समय में नहीं करे। 

यमघण्टा मुहूर्त का समय:-दोपहर 13:26 से 14:48 तक रहेगा जो कि अशुभ मुहूर्त है।

गुलिक मुहूर्त का समय:-प्रातःकाल 06:38 से 07:59 तक रहेगा जो कि अशुभ मुहूर्त है।

दूर मुहूर्त का समय:-प्रातःकाल 08:05 से 08:49 तक रहेगा जो कि अशुभ मुहूर्त है।

गण्डमूल मुहूर्त का समय:-रात्रिकाल 23:38 से अहोरात्र तक रहेगा, जो कि अशुभ मुहूर्त समय है।

 

      

     ।।आज के दिन दिशाशूल से बचने का उपाय।।


दिशा शूल:-पूर्व दिशा की ओर रहने से यदि जरूरी हो तो तिल या उड़द का दान करके या अदरक खाकर करके यात्रा करने से दिशाशूल का परिहार हो जाता हैं। 

षनिवार


 ।।आज के शुभ-अशुभ चौघड़िया को जानें।।


नोट:-दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है। 

◆प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है। 

"चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।

शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥

रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।

अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥"

अर्थात-:

चर:- में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।

उद्वेग:- में जमीन सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।

शुभ:- में औरत श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।

लाभ:- में धंधा करें ।

रोग:- में जब कोई बीमार बीमारी से ठीक होने पर उसे  स्नान करें ।

काल:- में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।

अमृत:- में सभी शुभ कार्य करें ।


   दिन के चौघड़िया के समय से जानें मुहूर्त को:- 


काल का चौघड़िया:-प्रातःकाल 06:38 से 07:59 तक रहेगा जो कि शुभ कार्य को करने के लिए शुभ रहेगा।

शुभ का चौघड़िया:-प्रातःकाल 07:59 से 09:21 तक रहेगा जो कि शुभ कार्य को करने के लिए शुभ रहेगा।

रोग का चौघड़िया:-प्रातःकाल 09:21 से 10:43 तक रहेगा, जो कि शुभ कार्य को करने के लिए शुभ रहेगा।

उद्वेग का चौघड़िया:-प्रातःकाल 10:43 से 12:05 तक रहेगा, जो कि शुभ  कार्य को करने के लिए शुभ रहेगा।

चर का चौघड़िया:-दोपहर 12:05 से 13:26 तक रहेगा जो कि शुभ कार्य को करने के लिए शुभ रहेगा।

लाभ का चौघड़िया:-दोपहर 13:26 से 14:48 तक रहेगा जो कि शुभ कार्य को करने के लिए शुभ रहेगा।

अमृत का चौघड़िया:-दोपहर 14:48 से 16:09 तक रहेगा जो कि शुभ कार्य को करने के लिए शुभ रहेगा।

काल का चौघड़िया:-सायंकाल 16:09 से 17:31 तक रहेगा जो कि शुभ कार्य को करने के लिए शुभ रहेगा।


रात के चौघड़िया के समय से जानें मुहूर्त को:-


लाभ का चौघड़िया:-रात्रिकाल 17:32 से 19:10 तक रहेगा जो कि शुभ कार्य को करने के लिए शुभ रहेगा।

उद्वेग का चौघड़िया:-रात्रिकाल 19:10 से 20:48 तक रहेगा जो कि शुभ कार्य को करने के शुभ रहेगा।

शुभ का चौघड़िया:-रात्रिकाल 20:48 से 22:26 तक रहेगा जो कि शुभ कार्य को करने के लिए शुभ रहेगा।

अमृत का चौघड़िया:-रात्रिकाल 22:26 से 24:05 तक रहेगा जो कि शुभ कार्य को करने के लिए शुभ रहेगा।

चर का चौघड़िया:-मध्य रात्रि 24:05 से 25:43 तक रहेगा जो कि शुभ कार्य को करने के लिए शुभ रहेगा।

रोग का चौघड़िया:-प्रातः(कल) 25:43 से 27:22 तक रहेगा जो कि शुभ कार्य को करने के लिए शुभ रहेगा।

काल का चौघड़िया:-प्रातः(कल) 27:22 से 29:00 तक रहेगा जो कि शुभ कार्य को करने के लिए शुभ रहेगा।

लाभ का चौघड़िया:-प्रातः(कल) 29:00 से 30:39 तक रहेगा जो कि शुभ कार्य को करने के लिए शुभ रहेगा।

 


    ।।सूर्य के उदय के समय के लग्न को जानें।।


सूर्योदयकालीन उदित लग्न:-तुला लग्न 19°41' गति 199°41' रहेगा।

सूर्य नक्षत्र:-स्वाति नक्षत्र में सूर्य रहेंगे।

चन्द्रमा नक्षत्र:-अनुराधा नक्षत्र में चन्द्रमा रहेंगे।

           

गोचर राशि में ग्रहों के हालात,नक्षत्रों के चरण और अक्षर :-जो नीचे बताये गए है:-


ग्रह----------राशि----------नक्षत्र के चरण--अक्षर      


सूर्य ग्रह:-तुला राशि में स्वाति नक्षत्र के चतुर्थ चरण के ता अक्षर में रहेगा।  

चन्द्रमा ग्रह:-वृश्चिक राशि में अनुराधा नक्षत्र के पहले चरण के ना अक्षर में रहेगा।  

मंगल ग्रह:-तुला राशि में स्वाति नक्षत्र के दूसरे चरण के रे अक्षर में रहेगा।   

बुध ग्रह:-तुला राशि में चित्रा नक्षत्र के चौथे चरण के री अक्षर में रहेगा। 

गुरु ग्रह:-मकर राशि में धनिष्ठा नक्षत्र के दूसरे चरण के गी अक्षर में रहेगा।

शुक्र-ग्रह:-धनु राशि में मूल नक्षत्र के दूसरे चरण के यो अक्षर में रहेगा।

शनि ग्रह:-मकर राशि में श्रवण नक्षत्र के दूसरे चरण के खू अक्षर में रहेगा।

राहु ग्रह:-वृषभ राशि में कृत्तिका नक्षत्र के चतुर्थ चरण के ए अक्षर में रहेगा।

केतु ग्रह:-वृश्चिक राशि में अनुराधा नक्षत्र के दूसरे चरण के नी अक्षर में रहेगा। 


  ।।अंक शास्त्र ज्योतिष विज्ञान से जानें हाल:-


06 तारीख को जन्में मनुष्य के लिए मूलांक 06 के लिए शुभाशुभ:-

शुभ-तारीखें:-हर माह की 6, 15 और 24।

शुभ-वार:--बुधवार और शुक्रवार।

शुभ-वर्ष:-उम्र के 6, 15, 24, 33, 42, 51, 60, 69,78, 87 और 96 वें वर्ष।

शुभ-दिशा:-आग्नेय कोण की दिशा।

शुभ-रंग:--सफेद, गुलाबी, आसमानी।

शुभ-रत्न:-हीरा।

शुभ-धातु:-चाँदी।

आराध्य-देव:-कार्तिकेय।

जपनीय-मन्त्र:-ऊँ शुं शुक्राय नमः।

पूज्य-धारण योग्य यंत्र:-

                  11     6     13 

                 12      10     8

                  7       14     9

मित्र-अंक (मालिक ग्रह के अनुसार):-4, 5, 6 और 8।

शत्रु-अंक (मालिक ग्रह के अनुसार):-1, 2और 7।

सम-अंक (मालिक ग्रह के अनुसार):-3 और 9।