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Friday, November 26, 2021

काली ध्यानम् अर्थ सहित और लाभ (Kali Dhyaan With Meaning & Benefits)


काली ध्यानम् अर्थ सहित और लाभ(Kali Dhyaan With Meaning & Benefits):-माँ दुर्गाजी का ही विकराल रूप को मां काली के रूप में जाना जाता हैं। माता भगवती के रूप में काली माता ने अत्याचारी, क्रूर एवं बुरे कर्मों को करने वाले राक्षसों ने जब तीनों लोकों में अपने कर्मों एवं कार्यों के द्वारा समस्त ब्रह्मांड में उत्पात करने लगे थे, तब माता भगवती को विकराल रूप को धारण करना पड़ा था, वह रूप काली के रूप में था। जिससे समस्त तीनों लोकों की सुरक्षा होकर शांति स्थापित हो सके। इस तरह चारों तरफ जब हाहाकार मचने लगा तब उस उत्पात को समाप्त करने के तीनों देवियों जिनमें सरस्वती माता, लक्ष्मीजी एवं माता गौरी एक होकर नए रूप को धारण किया था, जो की बहुत ही विकराल एवं तेज अग्नि के स्वरूप था। जिससे बुरे, अत्याचारी एवं क्रूर दैत्यों से समस्त लोकों को इन दैत्यों के प्रभाव से मुक्त करवाया था।



Kali Dhyaan With Meaning & Benefits



काली माता को सृजन, सरंक्षण एवं विनाश की देवी कहा जाता हैं। दुर्गा के नवरुपों में महाकाली का एक रूप माना जाता है। जो मनुष्य माता काली के ध्यानम् मन्त्रों का उच्चारण सही तरह से करते है, तो उन मनुष्य पर माताकाली की अनुकृपा हो जाती है। मनुष्य को नियमित रूप से माता काली के ध्यानम् मन्त्रों का उच्चारण करते रहना चाहिए।

         


अथ श्री काली ध्यानम् मंत्र अर्थ सहित:-माता कालीजी को खुश करने एवं उनकी अनुकृपा को पाने हेतु माता काली के ध्यान मन्त्रों का उच्चारण सही एवं अच्छी तरह से शब्दों का सही तरह से वांचन करना चाहिए। इसके लिए काली ध्यान मन्त्रों का अर्थ भी दिया जा रहा हैं, जिससे संस्कृत शब्दों के साथ अर्थ को जानकर उच्चारण करने पर शीघ्र फल मिले।



 सद्यश्छिन्नशिरः कृपाणमभयं हस्तैर्वरं बिभ्रतीं


घोरास्यां शिरसां स्त्रजा सुरुचिरामुन्मुक्तकेशावलीम्।


सृक्कासृत्प्रवहां श्मशाननिलयां श्रुतयोः शवालङ्कृतिं


श्यामाङ्गीं कृतमेखलां शवकरैर्देवीन भजे कलिकाम्।।1।।



शिवारुढ़ां महाभीमां घोरदंष्ट्रां हसन्मुखीम्।


चतुर्भुजां खड्गमुण्डवराभयकरांशिवाम्।।2।।



अर्थात्:-शिव भगवान की अर्धांगिनी, भीम से भी बढ़कर जिनमें शक्ति हैं, गहरा या डरावने मोटे दांतों वाली हसन्मुखीम से युक्त होती हैं, जिनके चार भुजाएं हैं, खड्ग अर्थात् तलवार को धारण किये हुए, मुण्ड दैत्य का संहार करके उसकी मुंडी को अपने गले में माला की तरह धारण करने वाली हो और दैत्यों में भय को बढ़ाने वाली शिवजी को अतिप्रिय हो।


मुण्डमालाधरां देवीं ललजजिह्वां दिगम्बराम्।


सदा सञ्चिन्तये  कालीं श्मशानालयवासिनीम्।।3।।


अर्थात्:-हे काली माता! आप मुण्ड की माला को धारण करनी वाली हो, आपकी जिह्वा शोणित से भरी होने से लाल रंग की दिखाई देती हैं, आपकी समस्त दिशाएं ही वस्त्र के समान प्रतीत होती हैं, आप हमेशा रक्त के द्वारा सिंचन करने वाली और श्मशान में आप निवास करने वाली होती हो।


नमामि दक्षिणामूर्तिं कालिकां परभैरवीम्।


भिन्नाञ्जनचयप्रख्यां प्रवीरशवसंस्थिताम्।।4।।


अर्थात्:-हे काली माता! आप की मूर्ति दक्षिणा दिशा में स्थापित होती है, परन्तु भैरवी अर्थात् आतंक या विध्वंसक के रूप में अपने पहलू में रूद रूप में कालिकां माता को नतमस्तक होकर नमन करता हूँ।


गलच्छोणितधाराभिः स्मेराननसरोरुहाम्।


पीनोन्नतकुचद्वन्द्वां पीनवक्षोनितम्बिनीम्।।5।।


दक्षिणां मुक्तकेशालीं दिगम्बरविनोदिनीम्।


महाकालशवाविष्टां स्मेराम्बरपरिस्थिताम्।।6।।


मुखसान्द्रस्मितामोदमोदिनीं मदविह्वलाम्।


आरक्तमुखसान्द्राभिः नेत्रालीभिर्विराजिताम्।।7।।


शवद्वयकृतोत्तंसांसिन्दूरतिलकोज्ज्वलाम्।


पञ्चाशन्मुण्डघटितमालाशोणितलोहिताम्।।8।।


नानााामणिविशोभाढ्यनानालङ्कारशोभिताम्।


शवास्थिकृतकेयूरशङ्खकङ्कणमणिडताम्।।9।।


शववक्षःसमारुढां लेलिहानां शवं क्वचित्।


शवमांसकृतग्रासां साट्टहांस मुहुर्मुहुः।।10।।


खड्गमुण्डधरां वामे सव्येSभयवरप्रदाम्।


दन्तुरां च महारौद्रीं चण्डनादातिभीषणाम्।।11।।


शिवाभिर्घोररूपाभिर्वेष्टितां भयनाशिनीम्।


"माभैर्माभैः" स्वभक्तेषु जल्पन्तीं घोरनिः स्वनैः।।12।।


यूयं किमिच्छत ब्रूत ददामीति प्रभाषिणीम्।


ध्यायामि तां महाकालीं सर्वोपद्रववारिणीम्।।13।।



        ।।इति श्रीकालीं ध्यानम् संपूर्णम्।।


     ।।जय बोलो महाकालीं माता की जय।।



श्रीकाली ध्यानम् के लाभ:-मनुष्य को माता काली का आशीर्वाद अपने जीवनकाल में प्राप्त करना हो, तब उनको माता काली के ध्यानम् मन्त्रों का उच्चारण करना चाहिए, जिससे उस मनुष्य को निम्नलिखित लाभ प्राप्त हो सके:



◆जो मनुष्य माता काली के ध्यानम् मन्त्रों को दोहराते हैं, उन मनुष्यों पर माता अपनी कृपा दृष्टि बनाकर रखती हैं।



◆माता काली सृष्टि की रचना करके अपने आश्रय में रखकर पालन-पोषण भी करती है। जो मनुष्य माता काली का ध्यान करता है, तो माता अपने स्नेह से उस मनुष्य का पूर्ण रूप से ख्याल भी रखती हैं।



◆माता काली का ध्यान करने वाले मनुष्य पर शत्रुओं के द्वारा आघात से सुरक्षा प्रदान करती हैं।



◆तांत्रिक क्रियाओं में सफलता पाने के लिए अघोरी माता काली कि आराधना एवं साधना करते हैं।



◆जिन मनुष्यों को बुरी एवं तांत्रिक क्रियाओं ने जकड़ रखा होता है, तब माता काली का ध्यान करने पर उन बुरी एवं तांत्रिक क्रियाओं का अंत हो जाता हैं।



◆मनुष्य के शारिरिक एवं मानसिक व्याधियों से छुटकारा मिल जाता हैं।



◆मनुष्य को कोर्ट-कचहरी के मामलों में विजय प्राप्त करनी होती है, तब माता काली का ध्यान करना चाहिए।



◆मनुष्य को जीवनकाल में समस्त तरह के सुख प्राप्त करने हेतु माता काली का ध्यान करना चाहिए।