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Thursday, November 18, 2021

मौली क्या हैं, क्यों इसका इतना धार्मिक महत्व हैं?What is Molly, why it has so much religious significance)




मौली क्या हैं, क्यों इसका इतना धार्मिक महत्व हैं?What is Molly, why it has so much religious significance):-प्राचीन काल से ही हमारे ऋषि-मुनियों ने मनुष्य के जीवन पर पड़ने वाले बुरे असर को कम करने के अनेक माध्यम बनाये थे। उन माध्यमों पर पूर्ण तरह से शोध कार्य किया था। उसके बाद ही उस शोधों को मनुष्य के जीवन पर लागू किया था। उनमें मौली भी एक माध्यम जो कि मानव जीवन पर पड़ने वाले बुरे परिणामो को दूर करने का एक माध्यम होता है। इसलिए मौली को पूजा-अर्चना में बहुत ही मुख्य स्थान दिया था। मौली के बिना कोई भी धार्मिक कार्य सम्पन्न नहीं हो सकता हैं। हिन्दू धर्म मौली का महत्त्व जन्म से मृत्यु तक सभी कार्यों में मंगलकारी एवं शुभ माना गया है। दूसरों देशों में भी मौली के स्वरूप को मानते हुए अलग-अलग रंग के धागों को मिश्रित करते हुए बांधने में उपयोग किया जाता हैं।

मौली का प्रयोग अनादिकाल से होता आ रहा हैं। जब मनुष्य के जीवनकाल पर बुरे या पापी ग्रहों का प्रभाव पड़ता है तब उन ग्रहों के प्रभाव से मनुष्य का जीवन बहुत मुश्किलों में पड़ जाता है और दूसरों के आगे हाथ फैलाना पड़ता है। इस तरह से बुरे ग्रहों के बुरे असर को कम करने के लिए 'रक्षा सूत्र" के रूप में मौली को बांधने पर मनुष्य के जीवन पर पड़ने वाले बुरे असर को कम करने में सहायक होकर भाग्य को आगे की ओर ले जाते है।

मौली का अर्थ:-एक तीन रंग या पांच रंग में रंगे कच्चे धागे या सुत को एकत्रित करके जो इकट्ठा धागे का स्वरूप बनता है, उसे मौली कहते हैं। जब मौली के इस तरह के इकट्ठे रंग के धागों पर मन्त्रों के द्वारा जाप किया जाता हैं, तब उसको किसी भी मनुष्य के हाथ की कलाई पर बांधा जाता हैं तो उसमें देवत्य गुणों का संचार हो जाता है और मनुष्य के बाहरी एवं आंतरिक बुरी शक्तियों से एक आवरण का निर्माण होता है, जो एक तरह से शुरक्षा का कार्य करती है, उसे देवतुल्य मौली कहा जाता है।

मौली का अर्थ:-जिसका उपयोग पहले एवं सबसे ऊपर की तरफ होता हैं।

मौली का मतलब है:- कि मस्तिष्क या सिर से भी होता है, क्योंकि सिर को शरीर का मुख्य अंग माना जाता है।

मौली का अर्थ:-लाल रँग में रंगा हुआ मांगलिक डोरा या धागा होता है, उसे मौली कहा जाता हैं।

कलावा का अर्थ:-मनुष्य के हाथ की कलाई पर मौली बांधी जाती है, तब उस मौली को दूसरे नाम के रूप में कलावा कहा जाता हैं।

रक्षासूत्र:-जिस रंग-बिरंगे रंग के धागे को बटकर किसी भी मनुष्य के हाथ की कलाई पर बांधने से उस मनुष्य का उत्साह बढ़ जाता है और देवी-देवता के द्वारा उसकी सभी तरह रक्षा करते है, तब उसे रक्षासूत्र कहा जाता हैं। जो कि तरह से ढ़ाल की तरह ही कवच का काम करता हैं।

चन्द्र मौली:-चन्द्र मौली स्वयं शिव हैं, क्योंकि उनके शिर पर चन्द्रमा विराजमान हैं। चन्द्रमौली भगवान शिवजी ने अपने सिर पर चन्द्रमा को धारण करने से भगवान शिवजी को चन्द्रमौली भी कहा जाता है। इसलिए मौली का एक रूप चंद्रमौली भी होता हैं।

मणिबन्ध भी मौली का एक नाम:-मानव का शरीर जड़ सिर है, जिसमें सुषुम्ना इड़ा एवं पिंगला नाड़ियों का जाल हैं इनका सन्धि स्थान हाथ की कलाई है जिसे मणिबन्ध कहते हैं। धार्मिक ग्रन्थों में उप मणिबन्ध भी कहा जाता हैं।



मौली बांधने की शुरुआत:- जब भगवान विष्णुजी ने वामन अवतार धारण किया था, तब से शुरुआत हुई थी। भगवान श्रीविष्णुजी ने वामन रूप को ग्रहण करके महादानी राजा बली को अमरता के लिए कलाई में मौली बांधी थी। इस तरह से मौली बांधने की परम्परा का चलन शुरू हुआ, जो कि आज तक चल रही हैं। राजा बली की उदारता, दानशीलता एवं धैर्य का प्रतीक हैं।

मौली में अलग-अलग रंगों के प्रतीक एवं गुण:-मौली में विशेष कर तीन रंग हरा, लाल रंग, पिला रंग या पांच रंग के कच्चे सुत या धागा हरा रंग, लाल रंग, पिला रंग, नीला रंग एवं सफेद रंग को इकट्ठा करके बटकर बनाया जाता है, जिनमें निम्नलिखित गुणों का प्रभाव एवं कारकतत्व के रूप होते है: 

◆हरे रंग के धागे के गुण:-हरा रंग को उदारता का प्रतीक माना जाता है, इसलिए हरा रंग के धागे को बांधने पर मनुष्य के मन में दूसरों के प्रति दया की भावना जागृत होती हैं।

◆लाल रंग के धागे के गुण:-जब मौली के धागे में लाल रंग का उपयोग किया जाता है, तब वह लाल रंग के गुणों का संचार मनुष्य के अन्दर आ जाते है और दानशीलता की ओर अग्रसर करता हैं।

◆पीला रंग के धागे के गुण:-जब पीले रंग धैर्य का प्रतीक माना जाता है, जिससे मनुष्य के हाथ पर पीले रंग के धागे को बांधा जाता है, तब उस मनुष्य में धीरज या संकट के समय मन में सहनशीलता के भाव को जागृत करता हैं। 

इस तरह यजमान को मौली बांध कर इन तीनों गुणों की कामना की जाती हैं।


मौली में तीनों देव एवं देवियों का वास:-मौली में तीनों देव एवं देवियों का वास माना जाता है। मौली तीनों देवों ब्रह्मा, चक्रपाणीजी, शिवजी तथा तीनों देवियों दुर्गा, लक्ष्मी तथा सरस्वती की अनुकृपा करवाकर आशीष दिलवाती है।

◆महाशक्ति दायिनी मां दुर्गा शक्ति प्रदान कर प्रशासन एवं नेतृत्व करने की क्षमता देती हैं।

◆ब्रह्मा की अनुकृपा से कीर्ति यश प्राप्त होता हैं।

◆स्वयं शिव शंकर दुर्गुणों एवं संकटों का विनाश करते हैं। 

मौली बांधने की रीति:-मौली को पुरुष एवं स्त्री के अलग-अलग हाथों की कलाई पर बांधने का विधान शास्त्रों में बताया है: 

◆सबसे पहले सृष्टि की रचना करने वाले ब्रह्माजी ने पूर्णरूप से अपने विचार पूर्वक सृष्टि की रचना की थी। जब ब्रह्मदेव के द्वारा पृथ्वीलोक पर पुरुष का जन्म ब्रह्माजी अपने दाहिने कन्धे से एवं बायें कन्धे से औरत का जन्म किया था। 

◆इसलिए आदमी के बाएं या वाम अंग में औरत को जगह दी गई हैं। आदमी के दाएं हाथ की कलाई पर मौली बांधी जाती हैं। 

◆औरत के बाएं हाथ की कलाई पर मौली को बांधा जाता है। 

◆इसी तरह जब भी हस्तरेखा में औरत की हस्तरेखा दिखने के वक्त औरत का बाएं हाथ से हस्तरेखा को देखकर फलादेश बताया जाता है, 

◆जबकि आदमी के दाएं हाथ की हस्तरेखा देखकर फलादेश बताया जाता है।

◆जो बालिकाएं एवं कुवांरी कन्याऐं और आदमी वर्ग के दाएं हाथ की कलाई पर मौली या कलावा को बांधा जाता है।

◆मौली को बांधने के समय बंधवाने वाले मनुष्य को हाथ के अन्दर फूल या अक्षत को लेकर ही बंधवाना चाहिए।

◆मौली बंधवाते समय मनुष्य को अपनी चारों अंगुलियों के बीच में अंगूठे को रखकर मुट्ठी को बांधकर ही मौली को बंधवाना चाहिए।

◆मौली को बंधवाते समय तीन देव एवं तीन देवियों के निमित तीन तरह के आंटे लगाकर ही मौली को बंधवाना चाहिए।

◆यदि मनुष्य ज्यादा आंटे लगाकर मौली को बंधवाता है, तब अधिकतम पांच आंटे जो कि पंचदेव विष्णु, शिव, गणेश, सूर्य एवं शक्ति या सूर्य, गणेश, देवी, रुद्र और विष्णु ये पांच देव समस्त कार्यों में पूजन होता हैं। इनके निमित पांच आंटे लगाना चाहिए।

मौली बांधते समय मन्त्र का जाप:-जब भी आदमी लोग की बहिन राखी बांधे या फिर किसी भी ब्राह्मण के द्वारा रक्षासूत्र बंधवाते समय निम्न मंत्र का उच्चारण करना चाहिए।

येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबलः।

तेन त्वामनुबध्नामि रक्षे मा चल मा चल।।

मौली बांधने का स्थान:-मौली को शरीर के अलग-अलग जगहों पर बांधा जाता है, जो की तीन जगह पर विशेष कर बांधा जाता हैं।

शरीर के अंग सिर की जगह पर:-जब पूजा-अर्चना की जाती है, ललाट पर तिलक करते समय सिर पर वस्त्र के रूप में रखकर मौली को रखा जाता हैं।

शरीर के गले की जगह पर:-मनुष्य के द्वारा गले की जगह पर भी मौली को पहना जाता हैं।

शरीर के अंग हाथ की कलाई:-मनुष्य के हाथ की कलाई पर मौली को बांधा जाता हैं।

शरीर के अंग कमर पर:-मनुष्य के किसी तरह के पेट के विकार होने पर अभिमंत्रित करके मौली को कमर पर पहना दिया जाता हैं।

इसी तरह वृक्ष पूजा करते समय:-शास्त्रों में निमित पूजा में वृक्षों के चारों तरफ पूजा के निमित भी मौली को लपेटा जाता हैं।

पशुओं के भी मौली को बांधा जाता हैं:-पशुओं के किसी तरह के दैविक प्रकोप को कम करने के लिए एवं किसी तरह की व्याधि होने पर भी पशुओं के गले में या पैरों के ऊपर मौली बांधी जाती हैं।

जब किसी भी तरह नई वस्तु को:- खरीदकर लाया जाता है, तब मनुष्य के द्वारा उस नवीन वस्तु के सबसे पहले मौली बांधी जाती हैं।


आयुर्वेद में व्याधि को जानने में पुरुष एवं स्त्री के हाथ के अलग-अलग कलाई:-आयुर्वेद के वेद्यचार्यो द्वारा जब व्याधि के बारे में जानना होता है, तब वे आदमी के दाएं हाथ नाड़ी को देखते है और औरत के बाएं हाथ की नाड़ी को देखते है, इसके बाद ही अपने परीक्षण के आधार पर रोग को जानकर रोग के बारे जानकारी देकर उस रोग का निवारण करते हैं। इसलिए औरत को वामांगी कहा जाता हैं अतः पूजा-पाठ, हवन-यज्ञ आदि मांगलिक कार्य को करते समय औरत को आदमी के बायें अंग की तरफ ही बैठाया जाता हैं, जो धर्म को नहीं स्वयं सृष्टि रचियता ब्रह्मा के द्वारा बनाई गई रीति हैं।


मौली बांधने एवं बदलने का वार:-हिन्दू धर्म को मानने वाले एवं जो इस धर्म में विश्वास एवं श्रद्धाभाव रखने वालों को नयी मौली बांधनी हो तो उनको मंगलवार या शनिवार को शुभ मुहूर्त में बांधना चाहिए। 

◆पहले बांधी हुई मौली को बदलने के लिए प्रत्येक मंगलवार या शनिवार के दिन ही बदलना चाहिए।

◆मौली को हाथ की कलाई पर या गले में भी पहन सकते है, जिससे मनुष्य के जीवनकाल में आने वाले कष्टों एवं मुसीबतों से छुटकारा मिल जाता हैं।

◆मौली किसी से भी बंधवा सकते है, जिनमें किसी ब्राह्मण या बहिन के द्वारा भी बंधवाया जा सकता हैं।

◆मौली बंधवाने से मनुष्य को व्याधियों से मुक्ति मिलकर सुख-समृद्धिपूर्वक जीवन को सौ वर्ष तक दीर्घ उम्र तक जीते हैं।

◆पुरानी मौली को किसी भी पीपल के वृक्ष या बहते हुए पानी में पवाहित कर देना चाहिए।

◆मौली को धार्मिक कार्य को करते समय अपने मन के दृढ़ निश्चय को करते समय बांधते है।

◆जब मनुष्य के द्वारा अपने निवास स्थान या किसी भी पूजा स्थल पर हवन-यज्ञ आदि को प्रारम्भ किया जाता है, तब बंधवाते हैं।

◆जब मनुष्य की कोई मानसिक कामना के निमित मौली को ईश्वर की साक्षी में अपने कामना पूर्ति तक बांधा जाता हैं।

◆मनुष्य के द्वारा संक्रांति के दिन पर मौली को बांधना चाहिए।

◆मनुष्य के द्वारा अपनी कामना को पूरा करने के लिए ईश्वर या अपने देव-देवी की खुश करने के मौली को बांधा जाता है


पक्के पांच रंग से बनी हुई मौली को पहनने के प्रभाव:-हिन्दू धर्म में मौली को बहुत ही पवित्र एवं निर्मल रूप में माना जाता है, जो कि धर्म की रक्षा करने वाली ताकत होती हैं।

यदि मौली को पांच रंग जैसे-लाल रंग, पीला रंग, हरा रंग, नीला रंग एवं केसरिया रंग के धागों को मिश्रित करके बनाते है, तो उन सभी अलग-अलग रंगों के धागों का प्रभाव उस रंग से सम्बंधित कमजोर ग्रह को बल देने में मदद करता हैं। 

यदि मौली में लाल रंग के धागा होने से मिलने वाले प्रभाव:-जब मौली में लाल रंग का धागा होता है, वह सूर्य ग्रह एवं मंगल ग्रह का प्रतिनिधित्व बन जाता है और सूर्य ग्रह के माणिक्य रत्न एवं मंगल ग्रह के मूंगा रत्न के समान ही फायदा देता हैं।


यदि मौली में पीला रंग के धागा होने से मिलने वाले प्रभाव:-जब मौली में पीला रंग का धागा होता है, वह गुरु ग्रह का प्रतिनिधित्व बन जाता है और गुरु ग्रह पुखराज रत्न के समान ही फायदा देता हैं।


यदि मौली में हरा रंग के धागा होने से मिलने वाले प्रभाव:-जब मौली में हरा रंग का धागा होता है, वह बुध ग्रह का प्रतिनिधित्व बन जाता है और बुध ग्रह के पन्ना रत्न के समान ही फायदा देता हैं।

यदि मौली में नीला रंग के धागा होने से मिलने वाले प्रभाव:-जब मौली में नीला रंग का धागा होता है, वह शनि ग्रह का प्रतिनिधित्व बन जाता है और शनि ग्रह के नीलम रत्न के समान ही फायदा देता हैं।


यदि मौली में केसरिया रंग के धागा होने से मिलने वाले प्रभाव:-जब मौली में केसरिया रंग का धागा होता है, और दूसरे रंग के धागे मिलकर समस्त "नौ ग्रहों" के प्रतिनिधत्व बनकर उनके रत्नों के समान ही फल देते है, जिससे "नौ ग्रहों" की अनुकृपा हो जाती है और "नौ ग्रह" खुश होकर शुभ फल देने लगते हैं।


मौली को बांधने पर मिलने वाले लाभ:-मौली एक तरह से धागा ना होकर ग्रहों के तत्वों के कारक होती है, इसके बांधने पर निम्नलिखित लाभ मिलते हैं:

◆मौली को बांधने से ग्रहों की नाराजगी दूर हो जाती है और वे अपना बुरा असर को कम कर देते है।

◆मनुष्य के पारिवारिक जीवनकाल में गृह क्लेश को कम करके शांति करने में सहायक होता है।

◆मनुष्य के निवास स्थान या दूसरी जगह के वास्तुदोष को दूर करने में मौली सहायक होती हैं।

◆मनुष्य की जन्मकुंडली में बुरे असर को कम करने में भी मौली सहायक होती हैं।

◆मौली हाथ की कलाई में बांधने से त्रिक दोष का निवारण होता हैं एवं त्रिक नतीजों की प्राप्ति होती हैं। त्रिदोषों जैसे वात दोष, पित्त दोष एवं कफ दोष से सम्बंधित समस्त व्याधियों पर अपना दवाव बनाकर अपने पक्ष में करके इन व्याधियों को दूर करती हैं।

◆मनुष्य के सात्विक, राजसिक एवं तामसिक गुणों पर अपना असर करके मनुष्य की आत्मा पर सीधे रूप से नियंत्रित करके बराबर रखने का कार्य मौली बांधने पर होता हैं।