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Monday, November 8, 2021

आंवला नवमी कब हैं? जानें आंवला नवमी पूजा विधि, कथा, शुभ मुहूर्त और महत्व(When is Amla Navami? Know Amla Navami puja vidhi, katha, Shubh Muhurat and importance)





आंवला नवमी कब हैं? जानें आंवला नवमी पूजा विधि, कथा, शुभ मुहूर्त और महत्व(When is Amla Navami?  Know Amla Navami puja vidhi, katha, Shubh Muhurat and importance):-आँवला नवमी या अक्षय नवमी की कहानी यह व्रत कार्तिक शुक्ल नवमी को किया जाता हैं। इस मास में व्रत करने वाली स्त्रियां अक्षय नवमी को आँवला वृक्ष के नीचे भगवान कार्तिकेय की कथा सुनती हैं। उसके बाद में जहां ब्राह्मणों को अन्न, धन एवं आंवले दान दिये जाते है, वहीं बतुआ व कोले के अन्दर गुप्त दान भी दिया जाता हैं। इसके साथ ही कुंआरों, कुंआरियों एवं ब्राह्मणों को आँवला वृक्ष के नीचे विधिवत भोजन करवाया जाता हैं। वैसे तो पूरे कार्तिक मास में दान देने का महत्त्व हैं।

कार्तिक शुक्ल नवमी को आँवला नवमी के रूप में मनाया जाता है। इस दिन व्रत रखा जाता हैं और आँवले के वृक्ष का पूजन किया जाता है। यह कूष्माण्ड नवमी या अक्षय नवमी और धात्री नवमी के रूप में भी मनायी जाती है।


आँवला नवमी कब हैं, की तिथि:-12 नवम्बर 2021 को प्रातःकाल 05 बजकर 50 मिनिट 42 सैकिंड पर शुरू होकर 13 नवम्बर 2021 को 05 बजकर 30 मिनिट 36 सेकण्ड तक रहेगी। शुक्रवार के दिन आंवला नवमी रहेगा।

आंवला नवमी या अक्षय नवमी पूजा का शुभ मुहूर्त समय:-इस तरह हैं:

पूजा मुहूर्त:-प्रातःकाल 06:45 से 10:44 तक रहेगा।

उसके बाद में प्रातःकाल 11:44 से 12:27 तक रहेगा। 

कुल समय पूजा करने का:-04 घन्टे 30 मिनिट तक रहेगा।

चर का चौघड़िया:-प्रातःकाल 06:43 से 08:03 तक रहेगा जो कि शुभ कार्य को करने के लिए शुभ रहेगा।

लाभ का चौघड़िया:-प्रातःकाल 08:03 से 09:24 तक रहेगा जो कि शुभ कार्य को करने के लिए शुभ रहेगा।

अमृत का चौघड़िया:-प्रातःकाल 09:24 से 10:44 तक रहेगा, जो कि शुभ कार्य को करने के लिए शुभ रहेगा।


अभिजीत महूर्त का समय:-प्रातःकाल 11:44 से दोपहर 12:27 तक का समय शुभ होने से जिन कामों को करने में मुहूर्त नहीं मिलने पर अभिजीत मुहूर्त के समय में कामों को करने से कामयाबी मिलती है।



आँवला नवमी पूजा के लिए पूजा सामग्री:-आँवला नवमी या अक्षय नवमी या कूष्माण्ड नवमी और धात्री नवमी की पूजा सामग्री निम्नलिखित हैं:

◆आँवले का पौधा पत्ते एवं फल।

◆तुलसी के पत्ते एवं पौधा।

◆एक पक्का हुआ कुम्हड़ा या कूष्माण्ड।

◆रत्न, सुवर्ण, रजत या रुपया 

◆तांबे का कलश।

◆शुद्ध जल।

◆मौली, कुमकुम, हल्दी, सिन्दूर, अबीर, कपूर,।

◆फूल, दूध, घृत, गुलाल, अक्षत,।

◆पानी वाला श्रीफल,।

◆कच्चा सुत का धागा,।

◆धूप, दीप, माचिस,।

◆श्रृंगार का सामान,।

◆साड़ी ब्लाउज,।

◆दान के लिए अनाज और वस्त्र आदि हैं।


अक्षय नवमी या आंवला नवमी पूजा विधि:-अक्षय कूष्माण्ड नवमी कार्तिक शुक्ल नवमी को अक्षय कूष्माण्ड नवमी के रूप में मनाया जाता है।

◆इस दिन प्रातःकाल व्रत का संकल्प लिया जाना चाहिए।

◆तदुपरान्त स्नान ध्यान आदि करने के बाद आँवले के वृक्ष के नीचे पूर्वाभिमुख बैठकर ऊँ धात्र्यै नमः मंत्र से षोडशोपचार पूजन करना चाहिए।

◆फिर निम्नलिखित मन्त्रों के द्वारा आँवले के वृक्ष की जड़ में दूध की धारा गिराते हुए पितरों का तर्पण करना चाहिए:

पिता पितमहाश्चानये अपुत्रा ये च गोत्रिणः।

ते पिबन्तु मया दत्तं धात्रीमूलेSक्षयं पयः।।

आब्रह्मस्तम्बपर्यन्तं देवर्षिपितृमानवाः।

ते पिबन्तु मया दत्तं धात्रीमूलेSक्षयं पयः।।

◆इसके बाद आँवले के वृक्ष के तने में निम्नलिखित मंत्र से सूत्र को बांधना चाहिए:

दामोदरनिवासायै धात्र्यै देवयै नमो नमः।

सूत्रेणानेन बध्नामि धात्रि देवि नमोस्तु ते।।

◆फिर कर्पूर या घृतपूर्ण दीपक से आँवले के वृक्ष की आरती करनी चाहिए।

यानि कानि च पापानि जन्मान्तरकृतानि च 

तानि सर्वाणि नश्यन्तु प्रदक्षिणपदे पदे।।

◆उसके बाद में ब्राह्मण को आँवले के वृक्ष के नीचे बैठाकर भोजन को कराना चाहिए और अन्त में स्वयं भोजन करना चाहिए।

◆एक पक्का हुआ कुम्हड़ा या कूष्माण्ड लेकर उसके अन्दर रत्न, सुवर्ण, रजत या रुपया आदि रखकर निम्न संकल्प करना चाहिए:

ममाखिलपापक्षयपूर्वकसुखसौभाग्यादीनामुत्तरोत्तराभिवृद्धये कूष्माण्ड दानमहं करिष्ये।

◆फिर विद्वान तथा अच्छे आचरण वाले ब्राह्मण को तिलक करना चाहिए।

◆फिर अपने सामर्थ्य के अनुसार दक्षिणा एवं कूष्माण्ड को देना चाहिए।

◆इस तरह समस्त प्रकिया करने के बाद में निम्नलिखित मंत्र के द्वारा अरदास या प्रार्थना करनी चाहिए:

कूष्माण्डं बहुबीजाढयं ब्रह्मणा निर्मितं पुरा।

दास्यामि विष्णवे तुभ्यं पितृणां ताराणाय च।।

◆पितरों के शीतनिवारण के लिए अपने सामर्थ्य के अनुसार कम्बल आदि ऊर्णवस भी जो गरीब व असहाय मनुष्य हो उसको देना चाहिए।

◆यदि गरीब मनुष्य को नहीं देते हो किसी ब्राह्मण को दान के रूप में देना चाहिए।


अक्षय नवमी या आंवला नवमी की पौराणिक कथा या कहानी:-एक राजा था। हमेशा सवामण आँवला प्रतिदिन दान करके ही भोजन करता था। इससे उसका नाम भी आंवल्या राजा पड़ गया। एक दिन उसके बेटे की बहू ने सोचा कि इतने आंवले रोज-रोज दान करने से थोड़े ही दिन में सब धन समाप्त हो जायेगा। दूसरे दिन बेटे-बहू ने माँ-बाप को आंवले दान करने से मना कर दिया। जिससे राजा-रानी दुःखी होकर जंगल में जाकर बैठ गये। राजा आंवला दान नहीं कर सका और अपने वचन के कारण खाना खा नहीं सका। जब उसे भूखे-प्यासे सात दिन हो गये, तब भगवान ने सोचा कि जब मैं इसका वचन नहीं निभाऊंगा तो दुनिया अपना पूजन नहीं करेगी। जो रात को ही भगवान ने जंगल में महल-माले, बाग-बगीचे बनवा दिए। जहां ढ़ेरों आंवले के पेड़ थे। सुबह जब राजा-रानी की आंख खुली तो उन्होंने देखा कि मेरे राज्य से भी बढ़कर यहां राज-पाट हो गया। राजा रानी से कहने लगा। रानी देखकर कहती हैं सत् मत छोड़ो। " सुरमा सत् छोड़िया पत जाय" सत् छोड़ी लक्ष्मी और मिलेगी आय। "फिर राजा-रानी ने नहा-धोकर आंवले फिर से दान करने शुरू कर दिये। बाद में खाना खाया। उधर आंवला देवता का अपमान करने से अपने पिता को आंवले दान देने से रोकने के लिए बेटे-बहू के बुरे दिन आ गए। राजपाट दुश्मनों ने छीन लिया और दाने दाने के मोहताज होकर काम ढूंढते हुए अपने ही पिता के राज्य में आ पहुँचे। ऊपर झरोखे से रानी ने जब उनको बिगड़ी हालत में आते देखा तो नौकरों को आदेश दिया और कहा कि इन दोनों को बुलाकर लाओ व नौकरी पर रख लो। इनसे काम कम करवाना और दाम ज्यादा देना। नौकरों ने वैसा ही किया। एक दिन रानी ने उसे स्वयं को स्नान कराने के लिए ऊपर बुलाया। बहू ने सास को स्नान करवाते समय उनके कमर में मस्सा देखा तो सास को याद करके दो आंसू रानी की कमर पर टपक पड़े। रानी ने पूछा कि तुम क्यों रो रही हो? बहू ने कहा- आपके जैसे ही मेरी सास के भी मस्सा था, जो उनकी याद आ गयी। हमने उनको घर से निकाल दिया। हमने सोचा कि इतने आंवले दान करने से हमारा सारा धन खत्म हो जाएगा। अब न जाने वह लोग किस हाल में और कहां होंगे? इधर उनके जाने के बाद हमारे भी बुरे दिन आ गए। तब रानी ने कहा कि हम ही तुम्हारे सास-ससुर हैं। बहू धन दान देने से घटता नहीं, बल्कि बढ़ता ही हैं। हे भगवान! जैसे उस राजा-रानी पर कृपा की, वैसे ही सभी पर करना।


अक्षय नवमी या आँवला नवमी पूजा का महत्त्व:-अक्षय नवमी या आँवला नवमी की पूजा करने से निम्नलिखित फल प्राप्त होते हैं:

◆जो मनुष्य नियमित रूप से आँवला नवमी की पूजा करके व्रत करता हैं, उसको धन-सम्पत्ति की प्राप्ति होती हैं।

◆व्रत करने वाले व्रती को समस्त तरह के सुख एवं ऐश्वर्य की प्राप्ति होती हैं।

◆व्रती को व्रत के फलस्वरूप जीवन में आने वाली समस्त बाधाओं से मुक्ति मिलती हैं।

◆समस्त तरह के बुरे पापों से मुक्ति मिल जाती हैं।

◆व्रती का भाग्य साथ देने लगता है और जीवन में तरक्की होती हैं।