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Saturday, February 5, 2022

विवाह किस दिशा में, जानें कुंडली से ससुराल की दूरी(In which direction marriage, know the distance of the in-laws from the horoscope)





विवाह किस दिशा में, जानें कुंडली से ससुराल की दूरी(In which direction marriage, know the distance of the in-laws from the horoscope):-जब परिवार-कुटुम्ब में लड़के की उम्र इक्कीस वर्ष की एवं लड़की की उम्र अठारह वर्ष की हो जाती हैं, तो लड़के या लड़के माता-पिता को उनकी शादी के बारे में चिंता बढ़ जाती हैं, वे सोचने लगते हैं कि लड़के या लड़की का विवाह उनके निवास स्थान से कितनी दूरी पर किस दिशा में होगा। इस तरह की चिंताओं से मुक्ति पाने हेतु वे किसी ज्योतिषी के पास जाते हैं और लड़के या लड़की जन्मकुण्डली दिखाकर जानना चाहते हैं कि किस दिशा में लड़की या लड़के का विवाह होगा। इन चिंताओं से मुक्ति पाने हेतु ऋषि-मुनियों ने अपने ज्ञान चक्षुओं एवं साधना शक्ति के द्वारा खोज-बिन एवं विषय की गहराई में उतर कर ज्योतिषी योगों का निर्माण किया जिससे जानकर मनुष्य को संतुष्टि मिल सके कि उनके सन्तान का विवाह किस दिशा या कितनी दूरी पर होगा।



लड़के या लड़की के विवाह की दिशा को जानने के लिए जातक गर्न्थो में कई योग बताए हुए हैं-वे योग निम्नलिखित हैं-

1.सबसे पहले लड़के या लड़की की जन्मकुंडली के सातवें घर में जो राशि आती हैं उस राशि की दिशा में विवाह होता हैं। 


१.फिर लड़के या लड़की की जन्मकुंडली के सातवें घर के मालिक जिस राशि में बैठे होते हैं, उस राशि की दिशा में विवाह होता हैं।


२.फिर लड़के या लड़की की जन्मकुंडली में गुरु ग्रह या शुक्र ग्रह जिस राशि में स्थित उस राशि के मालिक ग्रह की दिशा में विवाह होता हैं।


३.फिर लड़के या लड़की की नवांश कुंडली के सातवें नवांश में स्थित राशि के स्वामी ग्रह के अनुसार दिशा में विवाह होता हैं।   हैं।


४.फिर लड़के या लड़की की नवांश कुंडली के सातवें नवांश के स्वामी जिस नवांश में स्थित होते हैं, उस राशि के स्वामी की दिशा में विवाह होता हैं। 


५.फिर लड़के या लड़की की नवांश कुंडली में गुरु या शुक्र जिस नवांश में स्थित है उस राशि के मालिक ग्रह की दिशा में विवाह होता हैं।


2.जब जन्मकुण्डली में भिन्नाष्टक वर्ग में जब शुक्र या सातवें घर के मालिक ग्रह के भिन्नाष्टक वर्ग में जिस राशि में सर्वाधिक शुभ रेखाएँ हैं, उस राशि की दिशा भावी जीवनसाथी की जन्म की दिशा मानी गई है। ये योग व्यवहार में सटीक नहीं बैठते हैं।


प्रथमतः-इन योगों के माध्यम से एक से अधिक दिशाएँ निर्धारित होती हैं।


द्वितीयतः-आधुनिक युग में आने-जाने की सुविधा होने से एवं संचार के साधनों के विकास के चलते जीवनसाथी की दिशा निर्धारित करना भी प्रासंगिकता नहीं हैं। 


जातक गर्न्थो में बताए योग:-जातक गर्न्थो के अनुसार विवाह दिशा के योग निम्नलिखित हैं-

1.लड़के या पुरूष की जन्मकुंडली में या लड़की या महिला की जन्मकुंडली में सातवें घर में स्थित राशि, सातवें घर के मालिक ग्रह जिस राशि में स्थित हो, वह राशि तथा शुक्र ग्रह जिस राशि में स्थित ही, वह राशि। इन तीन राशियों की दिशा में लड़के या पुरूष या लड़की या महिला का विवाह होता हैं।


2.विवाह स्थान की दिशा अर्थात ससुराल की दिशा जानने के लिए लड़के या पुरूष की जन्मकुंडली में शुक्र ग्रह जिस राशि में बैठा होता हैं, शुक्र ग्रह के बैठने की जगह से गिनने पर जो सातवें घर की राशि आती हैं तो सातवें घर के मालिक ग्रह की दिशा में लड़के या पुरुष का विवाह होता हैं।



3.विवाह स्थान की दिशा अर्थात ससुराल की दिशा जानने के लिए लड़की या महिला की जन्मकुंडली में गुरु ग्रह जिस राशि में बैठा होता हैं, गुरु ग्रह के बैठने की जगह से गिनने पर जो सातवें घर की राशि आती हैं तो सातवें घर के मालिक ग्रह की दिशा में लड़की या महिला का विवाह होता हैं।


4..पुरुष या लड़के या लड़की या महिला की जन्मकुण्डली में शुक्र ग्रह से गिनने पर जो सातवीं राशि आती हैं, उस सातवीं राशि के मालिक ग्रह यदि निम्नलिखित हो तो पुरुष या लड़के या लड़की या महिला के विवाह की दिशा या ससुराल की दिशा इस तरह होगी-


१.यदि जन्मकुण्डली में शुक्र से गिनने पर सातवें राशि सिंह राशि व सातवें राशि के मालिक ग्रह सुर्य ग्रह और उनकी दिशा पूर्व दिशा की तरफ रिश्ते की बातें होगी एवं ससुराल होगा।


२.यदि जन्मकुण्डली में शुक्र से गिनने पर सातवें राशि मकर या कुम्भ राशि होने से कुम्भ या मकर राशि का मालिक ग्रह शनि ग्रह एवं  उनकी दिशा पश्चिम दिशा की तरफ रिश्ते की बातें होगी एवं ससुराल होगा।


३.यदि जन्मकुण्डली में शुक्र से गिनने पर सातवें राशि मिथुन या कन्या राशि व सातवें राशि के मालिक ग्रह बुध ग्रह और उनकी दिशा उत्तर दिशा की तरफ रिश्ते की बातें होगी एवं ससुराल होगा।


४.यदि जन्मकुण्डली में शुक्र से गिनने पर सातवें राशि मेष या वृश्चिक राशि व सातवें राशि के मालिक ग्रह मंगल ग्रह और उनकी दिशा दक्षिण दिशा की तरफ रिश्ते की बातें होगी एवं ससुराल होगा।


५.यदि जन्मकुण्डली में शुक्र से गिनने पर सातवें राशि धनु या मीन राशि व सातवें राशि के मालिक ग्रह गुरु ग्रह और उनकी दिशा उत्तर-पूर्व (ईशानकोण) दिशा की तरफ रिश्ते की बातें होगी एवं ससुराल होगा।


६.यदि जन्मकुण्डली में शुक्र से गिनने पर सातवें राशि वृषभ या तुला राशि व सातवें राशि के मालिक ग्रह शुक्र ग्रह और उनकी दिशा दक्षिण-पूर्व (आग्नेय) दिशा की तरफ रिश्ते की बातें होगी एवं ससुराल होगा।


७.यदि जन्मकुण्डली में शुक्र से गिनने पर सातवें राशि कर्क राशि व सातवें राशि के मालिक ग्रह चन्द्रमा ग्रह और उनकी दिशा उत्तर-पश्चिम (वायव्य) दिशा की तरफ रिश्ते की बातें होगी एवं ससुराल होगा।


८.यदि जन्मकुण्डली में शुक्र से गिनने पर मतान्तर से मिथुन राशि के स्वामी राहु व धनु राशि के स्वामी केतु माने गए हैं सातवें राशि मिथुन राशि व सातवें राशि के मालिक ग्रह राहु ग्रह और उनकी दिशा दक्षिण-पश्चिम (नैऋत्य) दिशा की तरफ रिश्ते की बातें होगी एवं ससुराल होगा।



5.जब लड़के या लड़की की जन्मकुण्डली का अवलोकन किया जाता हैं, तब जन्मकुण्डली के सातवें घर में यदि वृषभ राशि, तुला राशि, वृश्चिक राशि, मकर राशि या कुम्भ राशि आदि में से कोई एक राशि होने पर विवाह नजदीक या आजूबाजू से कुछ दूरी के अंतराल पर लड़के या लड़की का ससुराल हो सकता हैं। 


6.जब लड़के या लड़की की जन्मकुण्डली के सप्तम घर का अवलोकन करने पर यदि सप्तम घर में मिथुन राशि, कन्या राशि, धनु राशि या मीन राशि में से कोई भी राशि होने पर लड़के या लड़की का विवाह घर के पास ही होता है।


7.जब जन्मकुण्डली में भृगु ग्रह अच्छे ग्रहों के साथ एक ही भाव या राशि में बैठा हो एवं किसी भी बुरे ग्रहों के साथ एक भाव में या राशि में नहीं हो और बुरे ग्रहों के द्वारा देखा भी नहीं जावे तो लड़की या लड़के का विवाह स्थान या ससुराल स्थानीय या आसपास होता हैं।

'कामस्थकामाधिपभार्गवानामृक्षं दिशं शंसति तस्य पत्न्याः।'

                   (फलदीपिका१०/१२)


8.जब जन्मकुण्डली के चौथे घर, चौथे घर के मालिक ग्रह एवं भृगु पर बुरे ग्रहों के द्वारा देखे जा रहे होने पर लड़के या लड़की का ससुराल जन्म होने की जगह से दूर होता हैं। 

'कारके वा कलत्रेशे सक्रूरे कोणे दुरदेशे विवाहः।।'

               (जातकतत्व ७/१२८७)

9.जब जन्मकुण्डली में भृगु ग्रह छठे घर में आठवें घर में या बारहवें घर में होने पर लड़की या लड़के का विवाह जन्म होने की जगह से दूर होता हैं।


10.जब जन्मकुण्डली के सप्तम घर में जीव ग्रह या भृगु ग्रह  दोनों में जो मजबूत एवं पाप ग्रहों के प्रभाव से रहित होते हैं, उस मजबूत या बलवान ग्रह की दिशा में विवाह होगा।



विवाह किससे होगा:-जन्मकुण्डली के पहले घर के मालिक ग्रह या सातवें घर के मालिक ग्रह की राशि उच्च या नीच की हो तो विवाह चन्द्र लग्न या लग्न राशि कन्या या वर से होगा। 

13.यदि जन्मकुण्डली में चर राशि (मेष राशि, कर्क राशि, तुला राशि या मकर राशि), स्थिर (वृषभ राशि, सिंह राशि, वृश्चिक राशि या कुम्भ राशि) और उसी के नवांश के पांचवे घर या नवें घर में स्थित होने से जो बलवान हो, उस राशि के वर या कन्या से विवाह होगा।


उदाहरण स्वरूप:-यदि कन्या या लड़के का जन्मलग्न वृषभ राशि है, शुक्रग्रह उसके पंचम घर में बैठे हो तो शुक्र से सातवें स्थान को गिनने पर बारहवीं घर आता है, जहां मीन राशि हैं, इसके स्वामी गुरु हैं। 

गुरु ग्रह की दिशा दक्षिण-पूर्व (आग्नेय) दिशा की तरफ रिश्ते की बातें होगी एवं ससुराल होगा। हैं। इसलिए इस कन्या या लड़की का ससुराल जन्म स्थान से दक्षिण-पूर्व (आग्नेय) दिशा में होगा। कन्या या लड़के के पिता को चाहिए कि वह इसी दिशा में प्राप्त प्रस्तावों पर कोशिश करनी चाहिए जिससे बिना मतलब का समय एवं धन की बर्बादी नहीं हो सके।