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Thursday, February 24, 2022

जानिए कैलेंडर को वास्तु शास्त्र के अनुसार किस दिशा में लगाना चाहिए?(Know in which direction the calendar should be placed according to Vastu Shastra?)





जानिए कैलेंडर को वास्तु शास्त्र के अनुसार किस दिशा में लगाना चाहिए?(Know in which direction the calendar should be placed according to Vastu Shastra?):-कैलेंडर या दिनदर्शिका का अर्थ:-वर्ष भर में एक विशेष कार्यक्षेत्र में होने वाले आयोजनों तथा उनसे संबंधित दिन, तारीख और महीनों की तिथियों आदि छपे हुए विवरण के बारे में जानकारी प्राप्त होती हैं, उसे कैलेंडर या तिथि-पत्र या पंचांग या दैनिक वृत्त की पुस्तक या रोजनामचा या दिनपत्रिका या दैनंदिनी कहते  हैं।

वास्तु शास्त्र में पुराने कैलेंडर को अपने निवास स्थान की किसी भी जगह पर लगाए रखना अच्छा नहीं माना गया है। पुरानी दिनदर्शिका को अपने निवास स्थान में लगाए रखने से मनुष्य की निरन्तर विकसित होने वाले मौकों को कम करते हैं, जिससे मनुष्य को अपने कार्य में आगे की ओर उन्नति रुक जाती हैं। इसलिए पुराने कैलेंडर को हटा देना चाहिए।

कैलेंडर कालचक्र की गणना का कार्य करता हैं, गणना का मालिक ग्रह बुध होता हैं, बुध ग्रह का चन्द्रमा ग्रह शत्रु हैं और मंगल ग्रह व गुरु ग्रह भी बुध ग्रह के शत्रु है, अतः कैलेंडर को उत्तर-पूर्व दिशा (ईशान कोण) जिसके शंकरजी, दक्षिण दिशा जिसके यमराज और दक्षिण-पूर्व (अग्निकोण) जिसके स्वामी अग्निदेव हैं आदि दिशाओं में कैलेंडर नहीं लगाना चाहिए, शेष दिशाओं में लगाना शुभ होगा। 


मनुष्य को अपने निवास स्थान में प्रत्येक साल में नया कैलेंडर लगाना चाहिए। जिससे नए साल में पुराने साल से भी ज्यादा अच्छे व प्रगति युक्त मौके की प्राप्ति होती रहे। मनुष्य अगर सालभर में चारों तरफ अपने जीवनकाल में अच्छी तरह के हितकारी फायदों को प्राप्त करना चाहते हैं, उन मनुष्य को अपने निवास में वास्तुशास्त्र के अनुरूप ही कैलेंडर को लगाना चाहिए।

वास्तुशास्त्र के अनुरूप कहां पर कैलेंडर लगाना चाहिए?:-जो निम्नलिखित तरह हैं-


दिशाओं के आधार पर निवास स्थान या किसी भी जगह पर कैलेंडर को लगाने से मिलने वाले फायदे या लाभ:-मनुष्य को दिशाओं के आधार पर समस्त जगहों पर कैलेंडर को लगाने पर मनुष्य को निम्नलिखित फायदे या लाभ मिलते हैं, जो इस तरह हैं-


पूर्व दिशा में कैलेंडर लगाने से मिलने वाले फायदे या लाभ:-मनुष्य के द्वारा कैलेंडर को अपने निवास स्थान की जगह की पूर्व दिशा में लगाना चाहिए, जिससे मनुष्य को अपने प्रत्येक क्षेत्र में उन्नति मिलती हैं, क्योंकि पूर्व दिशा के स्वामी सूर्यदेव एवं इंद्रदेव को माना जाता है, जो नेतृत्व करने वाले या लीडरशिप के देवता हैं। इस पूर्व दिशा में कैलेंडर को लगाने से मनुष्य के जीवनकाल में उन्नति के मार्ग खुल जाते हैं और अवश्य ही उन्नति करते हैं। मनुष्य को अपने जीवनकाल में सकारात्मक गुणों का विकास होता हैं।


पूर्व दिशा में लगाने वाले कैलेंडर के कागज का रंग एवं तस्वीरे:-मनुष्य को बाजार से कैलेंडर को खरीदकर लाते समय कैलेंडर सफेद, लाल या गुलाबी रंग के कागज वाला होना चाहिए, उस कैलेंडर पर उगते सूर्यदेव और भगवान आदि की तस्वीरों वाला होना चाहिए, क्योंकि पूर्व दिशा के स्वामी सूर्यदेवजी की होने से हमेशा श्वेत रोशनी एवं प्रकाश देते हैं।


पश्चिम दिशा में कैलेंडर लगाने से मिलने वाले फायदे या लाभ:-मनुष्य के द्वारा कैलेंडर को अपने निवास स्थान की पश्चिम दिशा में लगाना चाहिए, जिससे मनुष्य के पूर्व में और वर्तमान समय में अटके हुए कामों में प्रगति होने लगे, जिससे मनुष्य का जीवनकाल उन्नति की नई ऊंचाइयों को छू पावे, क्योंकि पश्चिम दिशा के स्वामी शनिदेव एवं वरुणदेव को माना जाता है, पश्चिम दिशा बहाव की दिशा अर्थात् अपने वेगपूर्ण गति से कार्यक्षेत्र एवं जीवनक्षेत्र में रुकावट को दूर कर सके। मनुष्य के द्वारा किये गए कार्यों में लगातार जल्दी से पूर्ण करने में मदद करके मनुष्य के कार्यक्षेत्र को बढ़ोतरी करती हैं। मनुष्य को पश्चिम दिशा में उत्तर दिशा वाले कोने में कैलेंडर को लगाना चाहिए। 


पश्चिम दिशा में लगाने वाले कैलेंडर के कागज का रंग एवं तस्वीरे:-मनुष्य को बाजार से कैलेंडर को खरीदकर लाते समय कैलेंडर नीले रंग के कागज वाला होना चाहिए, उस कैलेंडर पर वायु से युक्त नील बादलों आदि की तस्वीरों वाला होना चाहिए, क्योंकि पश्चिम दिशा के स्वामी शनिदेवजी की होने से हमेशा आकाशीय नीले रंग का प्रतिनिधित्व करता हैं।



उत्तर दिशा में कैलेंडर लगाने से मिलने वाले फायदे या लाभ:-मनुष्य के द्वारा कैलेंडर को उत्तर दिशा में लगाना चाहिए, जिससे मनुष्य के जीवनकाल में सुख-समृद्धि मिल सके और उसके घर में अन्न-धन के भंडार भरे रह सके। क्योंकि उत्तर दिशा के स्वामी कुबेरदेव एवं गुरुदेव होते हैं।

उत्तर दिशा में लगाने वाले कैलेंडर के कागज का रंग एवं तस्वीरे:-मनुष्य को बाजार से कैलेंडर को खरीदकर लाते समय कैलेंडर पर हरे व सफेद रंग के कागज का उपयोग अधिक किया हो। क्योंकि भगवान शंकर जी उत्तर दिशा में हिमालय स्थान में निवास करते हैं, इसलिए उत्तर दिशा में हरियाली, फव्वारा, नदी, समुद्र, झरने, विवाह आदि की तस्वीरों वाला कैलेंडर को लगाना चाहिए।  


दक्षिण दिशा में कैलेंडर लगाने से मिलने वाले फायदे-नुकसान या हानि-लाभ:-मनुष्य के द्वारा कैलेंडर को अपने कार्यक्षेत्र या निवास स्थान की दक्षिण दिशा में कभी नहीं लगाना चाहिए, जिससे मनुष्य के जीवनकाल में प्रगति रुक जाती हैं, क्योंकि दक्षिण दिशा के स्वामी यम या यमराज होते हैं, जो मृत्यु के देवता हैं। यह सूर्यपुत्र है एवं भगवान विष्णुजी के शत्रु हैं। मानव जीवन को क्षीण बनाने वाली यह दिशा हैं, जो शुभ कार्यों के मना मानी गई हैं। घर की दक्षिण दिशा में घड़ी और कैलेंडर दोनों ही समय के सूचक हैं। दक्षिण दिशा ठहराव की दिशा हैं। यहां समय सूचक वस्तुओं को ना रखें। ये घर के सदस्यों की तरक्की के अवसर रोकता हैं। घर के मुखिया के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है।


कैलेंडर को लगाते समय रखने योग्य सावधानियां:-जो निम्नलिखित हैं-

◆मनुष्य के द्वारा खरीदे हुए नए कैलेंडर को अपने निवास स्थान की उत्तर, पश्चिम या पूर्वी दीवार पर लगाना चाहिए।

◆हिंसा युक्त जानवरो के चेहरे वाले कैलेंडर:-मनुष्य को अपने निवास स्थान में नए कैलेंडर को खरीदकर लाते समय विशेषकर ध्यान रखना चाहिए, की कैलेंडर पर हिंसा करने वाले असभ्य जानवरों के चेहरे से युक्त चित्र या फोटू युक्त कैलेंडर को नहीं लगाना चाहिए।

◆दूसरों का बुरा चाहने एवं कष्ट देने वाले चित्र वाले कैलेंडर:-कैलेंडर पर दुसरो का बुरा चाहने वाले एवं कष्ट देने वाले चित्रों से युक्त चेहरों वाले को रहने की जगह पर कभी नहीं लगाना चाहिए। इस तरह के चेहरों से चित्रों के कैलेंडर लगाने से मनुष्य के मन में किसी भी कार्य को करते समय निराशा के भाव उत्पन्न होने लगते हैं, जिससे मनुष्य के शरीर पर नकारात्मक ऊर्जा अपना नियंत्रण कर लेती हैं और मनुष्य किसी भी तरह के सही निर्णय नहीं ले पाते हैं। 

◆मुख्य दरवाजे से नजर आता कैलेंडर भी नहीं लगाएं 

◆मुख्य दरवाजे के सामने कैलेंडर नहीं लगाना चाहिए। दरवाजे से गुजरने वाली ऊर्जा प्रभावित होती हैं। साथ ही तेज हवा चलने से कैलेंडर हिलने से तेज उलट जाते हैं।

◆अगर कैलेंडर में संतों महापुरुषों तथा भगवान के श्रीचित्र लगे हो, तो ये अधिक पुण्यदायी और आनंददायी माना गया है।