शनि कवचं स्तोत्रं अर्थ सहित और लाभ(Shani Kavacham Stotra with meaning and benefits):-मनुष्य को अपने जीवन काल में आने वाली समस्त मुसीबतों से छुटकारा पाना होता है, तब न्याय के देवता श्री शनिदेव महाराज की शरण में जाना चाहिए। शनिदेव न्याय के देवता है, वे किसी का भी बुरा नहीं करते है, वे तो अपनी दशा या महादशा में मनुष्य के अच्छे एवं बुरे कर्मो के आधार पर मनुष्य को फल देते हैं। शनिदेव महाराज की स्तुति करने एवं उनकी पूजा-अर्चना करने के लिए धर्म ग्रन्थों में अनेक मन्त्रों, स्तोत्रं का आख्यान मिलता हैं। जिनका वांचन करके शनिदेवजी को खुश किया जा सकता है और उनके द्वारा जो संकष्ट का सामना करना पड़ता है उन संकष्टो से मुक्ति मिल सके। शनि ग्रह की जब वक्र दृष्टि मनुष्य के जीवन पर पड़ती है, तब मनुष्य को राजा से रंक और रंक से राजा का पद मिल जाता है। इसलिए मनुष्य को शनिदेवजी की वक्र दृष्टि से बचने के लिए उनके शनि कवच का वांचन नियमित रूप से करना चाहिए, जिससे उनकी अनुकृपा बनी रहे।
कवच का मतलब:-जिसके द्वारा शरीर पर अस्त्र-शस्त्र से प्रहार से रक्षा होती हैं, उसे कवच या सुरक्षा दीवार भी कहते हैं।
शनि कवच स्तोत्रं का अर्थ:-जिसमें ऐसे मन्त्रों का संग्रह होता है, जिनका उच्चारण करके अपने ऊपर आने वाले किसी भी तरह के आघात, मुसीबतों और शारीरिक, मानसिक एवं आर्थिक परेशानियों से मुक्ति का एक सुरक्षित दीवार के समान रक्षा करते हैं, उनको शनि कवच स्तोत्रं कहा जाता है।
अथ श्री शनिकवचम् स्तोत्रं अर्थ सहित:-श्री कश्यप ऋषि के द्वारा श्री शनि कवच स्तोत्रं के मन्त्रों की रचना की गई थी। जिसमें शनिदेवता को शक्ति स्वरूप एवं पीड़ा देने वाले बताया गया है, उन सब तरह की पीड़ा से मुक्ति के लिए शनिदेव के शनि कवच स्तोत्रं का जप करें।
अस्य श्री शनैश्चरकवचस्तोत्रमंत्रस्य कश्यप ऋषिः!
अनुष्टुप् छन्दः! शनैश्चरो देवता! शीं शक्तिः!
शूं कीलकम्! शनैश्चरप्रीत्यर्थं जपे विनियोगः।।
निलांबरो नीलवपुः किरीटी गृध्रस्थितस्त्रासकरो धनुष्मान्।
चतुर्भुजः सूर्यसुतः प्रसन्नः सदा मम स्याद्वरदः प्रशान्तः।।
ब्रह्मोवाच:-ब्रह्म कहते है-की सभी मुनियों एवं मनुष्यों ध्यान पूर्वक सुनिए। शनिदेव का शनि कवच स्तोत्रं समस्त तरह के पीड़ा को हरने वाला सबसे उत्तम स्तोत्र हैं।
श्रुणूध्वमृषयः सर्वे शनिपीडाहरं महत्।
कवचं शनिराजस्य सौरेरिदमनुत्तमम्।।
कवचं देवतावासं वज्रपंजरसंज्ञकम्।
शनैश्चरप्रीतिकरं सर्वसौभाग्यदायकम्।।
ॐ श्रीशनैश्चरः पातु भालं मे सूर्यनंदनः।
नेत्रे छायात्मजः पातु पातु कर्णौ यमानुजः।।
नासां वैवस्वतः पातु मुखं मे भास्करः सदा।
स्निग्धकंठःश्च मे कंठं भुजौ पातु महाभुजः।।
स्कंधौ पातु शनिश्चैव करौ पातु शुभप्रदः।
वक्षः पातु यमभ्राता कुक्षिं पात्वसितत्सथा।।
नाभिं ग्रहपतिः पातु मंदः पातु कटिं तथा।
ऊरू ममांतकः पातु यमो जानुयुगं तथा।।
पादौ मंदगतिः पातु सर्वांगं पातु पिप्पलः।
अङ्गोपाङ्गानि सर्वाणि रक्षेन्मे सूर्यनंदन:।।
इत्येतत्कवचं दिव्यं पठेत्सूर्यसुतस्य यः।
न तस्य जायते पीडा प्रीतो भवति सूर्यजः।।
व्ययजन्मद्वितीयस्थो मृत्युस्थानगतोSपि वा।
कलत्रस्थो गतो वापि सुप्रीतस्तु सदा शनिः।।
अष्टमस्थे सूर्यसुते व्यये जन्मद्वितीयगे।
कवचं पठतो नित्यं न पीडा जायते क्वचित्।।
इत्येतत्कवचं दिव्यं सौरेर्यनिर्मितं पुरा।
द्वादशाष्टमजन्मस्थदोषान्नाशायते सदा।
जन्मलग्नास्थितान्दोषान्सर्वान्नाशयते प्रभुः।।12।।
।।इति श्रीब्रह्मांडपुराणे ब्रह्म-नारदसंवादे शनि वज्र पंजर कवच या शनैश्चरकवचं संपूर्णं।।
शनि कवच स्तोत्रं के वांचन के फायदे:-शनिदेव महाराज की बुरी दृष्टि से बचने के लिए उनके कवच का पाठ करने के फायदे इस तरह होते है:
◆जब मनुष्य के जीवनकाल में शनि ग्रह की महादशा या अन्तर्दशा का असर होता है, तब मनुष्य को शनिदेवजी के शनि कवच स्तोत्रं का वांचन करने पर फायदा मिलता हैं।
◆जब जन्मकुंडली की राशि के अनुसार मनुष्य के जीवन पर शनि ग्रह की दृष्टि पड़ने से मनुष्य पर शनि ग्रह का प्रकोप दैय्या अर्थात् ढाई साल की दशा या साढ़े साती अर्थात् सात वर्ष छः मास की दशा का प्रकोप होता है, तब उनकी दशा के असर को कम करने के उनके शनि कवच का वांचन करने से फायदा मिलता हैं।
◆जो कोई भी मनुष्य शनि कवच का वांचन करता है, तब मनुष्य को सभी तरह की मुसीबत से छुटकारा मिल जाता हैं।
◆मनुष्य को बार-बार रोगों का सामना अपने जीवनकाल में करना पड़ता है, उपचार लेने पर भी ठीक नहीं होते हैं। तब उन मनुष्य को शनि कवच स्तोत्रं का वांचन करने रोगों से मुक्ति मिल जाती हैं।
◆मनुष्य को अपने सभी तरह कोशिश करने पर समस्त मुहँ की खानी पड़ती है, तब मनुष्य निराश हो जाते है, उन मनुष्य को शनि कवच स्तोत्रं के पाठ का वांचन करने पर सफलता मिलने लग जाती हैं।
◆मनुष्य अच्छा करने की कोशिश करता है, तब भी उसे तिरस्कार का सामना करना पड़ता है और इस तरह तिरस्कृत होने से उसका उत्साह खत्म हो जाता है, तब मनुष्य शनि कवच का वांचन शुरू करना चाहिए, जिससे शनि देवजी का आशीर्वाद मिल सके।
◆जब शनि ग्रह की दशा मनुष्य को लगती है, तब बिना मतलब के मिथ्या लांछनों का सामना करना पड़ता है, जिससे मनुष्य शरीर से दुर्बल होकर मन के अन्दर बुरे विकारों का जन्म हो जाता है, इसलिए इन सब मुक्ति का उपाय शनि कवच स्तोत्रं का वांचन करने से सभी मुश्किलें समाप्त हो जाती हैं।
◆जब शनि ग्रह की दशा से मनुष्य को लोगों के सामने भीख मांगने तक नोबत बन जाती है और मेहनत करने पर भी वह रुपयों-पैसों का संचय नहीं कर पाता है, तब उन मनुष्य को शनि कवच का पाठ शुरू करना चाहिए।
◆मनुष्य पर शनि ग्रह का असर होने पर उसे हर समय मृत्यु का और किसी दूसरे मनुष्य को मारने का डर शुरू हो जाता है, इनसे बचने के इस स्तोत्रं का पाठ करने से मनुष्य की रक्षा हो जाती हैं।
◆शनि ग्रह की दशा आने पर मनुष्य को किसी वाहन से दुर्घटना का योग बन जाता है, जिससे मनुष्य के शरीर में चोट, घाव एवं सर्जरी भी हो जाती है। इन सभी बुरे विकारों से बचने के लिए शनिदेवजी की पूजा-अर्चना करने पर फायदा मिल जाता हैं।