
बुद्धि स्तोत्र अर्थ सहित और फायदे(Buddhi Stotra with meaning and benefits):-मनुष्य को अपने जीवन में ज्ञान की जरूरत पड़ती हैं, यह ज्ञान अध्ययन के द्वारा एवं सामाजिक परिवेश से प्राप्त किया जा सकता है। इसलिए मनुष्य को ज्ञान प्राप्ति हेतु ऋषिवर याज्ञवल्क्य ने सरस्वती स्तोत्रं की रचना की थी। जिससे मनुष्य को अपने जीवन के क्षेत्र में ज्ञान की प्राप्ति हो सके, भूलने की समस्या का समाधान होकर याददाश्त शक्ति में बढ़ोतरी हो सके, मनुष्य को किसी विषय या वस्तु के वास्तविक रूप को सहज समझने की शक्ति का विकास सो सके, अपने विवेक से किसी तरह का निर्णय लेने का सामर्थ्य उत्पन्न हो सके, अपने कौशल को प्रकट करने के लिए और काव्य रचना के गुण शक्ति को पा सके आदि के लिए माता सरस्वती की वंदना की जाती हैं और उनके गुणों के बारे में बखान करने के लिए सरस्वती स्तोत्रं होता हैं, इस स्तोत्रम् में सत्ताईस श्लोकों के द्वारा माता सरस्वती की वंदना की गई हैं।
याज्ञवल्क्य उवाच:-याज्ञवल्क्य ऋषिवर ने अपनी कठोर तपस्या व साधना शक्ति के द्वारा बनाये गए सरस्वती स्तोत्रं का वांचन मनुष्य को नियमित रूप से करना चाहिए, जिससे मनुष्य को उच्च ज्ञान व सोचने-समझने और निश्चय करने की मानसिक शक्ति की प्राप्ति होकर बहुत ही जानकर एवं अपनी मधुर वाणी के द्वारा काव्यकार बन सकता है। जिन मनुष्य की याददाश्त शक्ति कम हो और बार-बार किसी भी विषय के बारे में भूल जाते हैं, उन मनुष्य को प्रातःकाल जल्दी उठकर अपनी दैनिकचर्या को पूर्ण करने के बाद सरस्वती स्तोत्रं का वांचन करना चाहिए, जो मनुष्य नियमित रूप से इस स्तोत्र का वांचन एक वर्ष तक करते हैं, वे मनुष्य बिना किसी संदेह के द्वारा अच्छे काव्यकार, समझदार और बहुत बड़े जानकर बनते हैं।
।।अथ श्री याज्ञवल्क्य विरचितं बुद्धि स्तोत्रं।।
कृपां कुरु जगन्मातर्मामेवं हततेजसम्।
गुरु शापात स्मृति भ्रष्टं विज्ञाहीनं च दुःखितं।।१।।
ज्ञानं देहि स्मृतिं विद्यां शक्तिं शिष्य प्रबोधिनीम।
ग्रन्थ कर्तृव्य शक्तिं च सुशिष्यं सुप्रतिष्ठितम।।२।।
प्रतिभां सतसभायां च विचार क्षमतां शुभाम।
लुप्तं सर्वं दैवयोगात नविभूतं पुनः कुरुः।।३।।
यथांकुरं भस्मनि च करोति देवता पुनः।
ब्रह्मस्वरूपा परमा ज्योतिरुपा सनातनी।।४।।
सर्व विज्ञाधिदेवी या तस्यै वाण्यै नमो नमः।
विसर्ग बिंदु मात्रासु यदधिष्ठान मेव च।।५।।
तदधिष्ठात्री या देवी तस्यै नित्य नमो नमः।
व्याख्या स्वरूपा सा देवी व्याख्याधिष्ठातृ रूपिणी।।६।।
यया विना प्रसंख्यावान संख्यां कर्तुं न शक्यते।
कालसंख्यारूपा या तस्यै दैव्यै नमो नमः।।७।।
भ्रम सिद्धान्तरूपा या तस्यै दैव्यै नमो नमः।
स्मृतिशक्ति ज्ञानशक्ति बुद्धिशक्ति स्वरूपिणी।।८।।
प्रतिभा कल्पनाशक्तिर्या च तस्यै नमो नमः।
सनत्कुमारो ब्रम्हाणं ज्ञानं पप्रच्छ यंत्र वै।।९।।
बभूव मूक वंसोपि सिद्धान्तं कर्तुमक्षमः।
तदा जगाम भगवानात्मा श्रीकृष्ण ईश्वरः।।१०।।
उवाच सचतां स्तौही वाणी मिष्टाम प्रजापते।
स च तुष्टा वतां ब्रम्हा चाज्ञया परमात्मनः।।११।।
चकार तत्प्रसादेन तदा सिद्धांतमुत्तमम।
यदापि अनन्तं पप्रच्छ ज्ञानमेकं वसुंधरा।।१२।।
बभूव मूक वत्सोपि सिद्धान्तं कर्तुमक्षमः।
तदा तान्च तुष्टाव संत्रस्त कश्यपाज्ञया।।१३।।
ततश्चकार सिद्धान्तं निर्मलं भ्रमभंजनम।
व्यासः पुराणसूत्रं च पप्रच्छ वाल्मीकिं यदा।।१४।।
मौनी भूतश्च सस्मार तामेव जगदम्बिकाम।
तदा चकार सिद्धान्तं तद्वरेण मुनिश्वरः।।१५।।
सम्प्राप्य निर्मलं ज्ञानं भ्रमान्ध ध्वंसदीपकं।
पुराण सूत्रं श्रुत्वा च व्यासः कृष्ण क्लोद्भवः।।१६।।
तां शिवां वेद दध्यौ च शतवर्षं च पुष्करे।
तदा त्वतो वरं प्राप्य सतकवीन्द्रो बभूव ह।।१७।।
तदा वेदविभागं च पुराणं च चकार सः।
यदा महेंद्रः पप्रच्छ तत्वज्ञानं सदाशिवम।।१८।।
क्षणं तामेव सनचिन्त्य तस्मै ज्ञानं ददौ विभुः।
पप्रच्छ शब्दशास्त्रं च महेन्द्रश्च बृहस्पतिम।।१९।।
दिव्यं वर्षसहस्त्रं च सा त्वां दध्यौ च पुष्करे।
तदा त्वत्तो वरं प्राप्य दिव्यं वर्ष सहस्त्रकम।।२०।।
उवाच शब्द शास्त्रं च तदर्थं च सुरेश्वरम।
अध्यापिताश्च ये शिष्या यैरधीतं मुनीश्वरैः।।२१।।
ते च तां परी संचित्य प्रवर्तते सुरेश्वरीम।
त्वं संस्तुता पूजिता च मुनीद्रैः मुनिमानवैः।।२२।।
दैत्यं इन्द्रेश्च सुरेश्चापि ब्रम्हविष्णु शिवादिभिः।
जड़ीभूतः सहस्त्रास्यः पंचवक्त्रः चतुर्मुखः।।२३।।
अर्थात्:-हे सरस्वती देवी! दैत्य, इंद्र, देवता, ब्रह्मा, विष्णु और महेश, पांच मुख व चार मुख वाले जो जड़ की तरह स्थिर हैं वे भी आपकी वन्दना बुद्धि स्तोत्रं के द्वारा अनेक बार करते हैं।
यां स्तौतुं किमहं स्तौमि तामेकास्येन मानवः।
इत्युक्त्वा याज्ञवल्क्यच भक्ति नम्रात्मकंधर।।२४।।
प्राणनाम निराहारो रुरोद च मुहुर्मुहुः।
ज्योतिरुपा महामाया तेन दृष्टापि उवाचतम।।२५।।
सुकवीन्द्रो भवेत्युक्त्वा वैकुण्ठं जगाम हे।
याज्ञवल्क्य कृतं वाणी स्तोत्रं येतस्तु यः पठेत।।२६।।
अर्थात्:-याज्ञवल्क्य ऋषिवर के द्वारा बनाये गए सरस्वती स्तोत्रं का वांचन करने वाले मनुष्य की वाणी में मिठास, काव्यकार और वैकुंठ लोक की प्राप्ति होती हैं।
सुकवीन्द्रो महावाग्मी बृहस्पतिसमो भवेत्।
महामुर्खश्च दुर्बुद्धिः वर्षमेकं यदा पठेत।
स पण्डितश्च मेधावी सुकवीन्द्रो भवेद ध्रुवम।।२७।।
अर्थात्:-बुद्धि स्तोत्रं के वांचन से मनुष्य बहुत ही अच्छा कविताओं की रचना करने वाला बन जाता हैं, बृहस्पति देव की तरह बहुत शास्त्रों के जानकार बन जाते हैं, जिन मनुष्य में सोचने-समझने की कम शक्ति होती हैं और बुरे विचारों को सोचने वाले हो उनको एक वर्ष तक नियमित रूप से वांचन करते रहने पर व बहुत ज्ञानवान पण्डित , होशियार और अच्छे काव्यकार बन जाते हैं।
।।इति श्री याज्ञवल्क्य विरचितं बुद्धि स्तोत्रं संपूर्णम्।।
श्री बुद्धि स्तोत्र के फायदे(Benefits of Shree Buddhi Stotra):-मनुष्य को याज्ञवल्क्य ऋषिवर के द्वारा बनाये गए सरस्वती या बुद्धि या प्रज्ञावर्धन स्तोत्रं के वांचन करने पर निम्नलिखित लाभ मिलते हैं-
याददाश्त शक्ति की बढ़ोतरी हेतु:-जिन मनुष्य को भूलने की बीमारी होती हैं, उनको बुद्धि स्तोत्रं का नियमित रूप से वांचन करना चाहिए, जिससे उनकी याददाश्त शक्ति ठीक हो जावें।
उच्च शिक्षा की प्राप्ति हेतु:-प्रत्येक मनुष्य की चाहत होती हैं, की उनको उच्च शिक्षा मिले, उच्च शिक्षा के लिए मनुष्य को माता सरस्वती की वंदना करनी चाहिए।
सोचने-समझने के लिए:-मनुष्य को सोचने-समझने की शक्ति बढ़ाने के लिए माता वीणावादिनी की उपासना करते हुए बुद्धि स्तोत्रं का वांचन करना चाहिए।
उच्चपद पाने हेतु:-मनुष्य को अपने जीवनकाल में प्रत्येक क्षेत्र में उच्चपद को पाने हेतु उनको बुद्धि स्तोत्रं का वांचन करना चाहिए।
कामयाबी पाने हेतु:-अपने ज्ञान के द्वारा अच्छी कामयाबी के लिए सरस्वती स्तोत्रं का वांचन करने से जीवन में हर जगह पर कामयाबी मिल जाती हैं।
मोक्ष गति पाने हेतु:-मनुष्य को जगत में आने-जाने की गति से मुक्ति दिलाने में यह स्तोत्रं मददकारी होता हैं, इस स्तोत्र का वांचन करते हुए अपने जीवन की गति से मुक्ति की प्राप्ति हो जाती हैं।
अपनी योग्यता को जाहिर करने हेतु:-मनुष्य में योग्यता की कमी नहीं होती हैं, लेकिन वह उसको प्रकट नहीं कर पाते हैं, उन मनुष्य की योग्यता को जाहिर करने में स्तोत्रं सहायक होता हैं।
प्रतियोगिता परीक्षा में कामयाबी हेतु:-बुद्धि स्तोत्रं का नियमित रूप से वांचन करने से मनुष्य को प्रतियोगिता परीक्षा में कामयाबी मिलती हैं।