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Saturday, March 12, 2022

कुंडली में बीमारी कैसे देखें? जानें गंभीर व असाध्य रोग के कारण(How to see disease in horoscope? Know the causes of serious and incurable diseases)

How to see disease in horoscope? Know the causes of serious and incurable diseases




कुंडली में बीमारी कैसे देखें? जानें गंभीर व असाध्य रोग के कारण(How to see disease in horoscope? Know the causes of serious and incurable diseases):-प्राचीनकाल से ऋषि-मुनियों के द्वारा मनुष्य के जीवन पर ग्रहों के पड़ने वाले प्रभाव का पूर्ण रूप से अवलोकन किया। जिससे मनुष्य के जीवन को ग्रह किस तरह असर करते हैं और उनके असर से क्या नुकसान होता हैं। इस तरह से मनुष्य की जन्मकुंडली में बुरे ग्रहों का व अच्छे ग्रहों का बुरे प्रभाव में होने से मनुष्य के स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव पड़ता हैं? इन सबकी जानकारी प्राप्त करके योगों का निर्माण किया। जिनको जानकर मनुष्य अपने स्वास्थ्य के बारे में जानकारी पा सकते हैं और उन व्यधियों से मुक्ति के उपाय भी कर सकते हैं। ऋषि-मुनियों के द्वारा वर्णित ज्योतिष शास्त्र के योगों के द्वारा मनुष्य अपने स्वास्थ्य को दुर्बल करने वाले रोगों या बीमारियों की जानकारी जन्म कुंडली के द्वारा पहले से भी जान सकते हैं। जो योग निम्नलिखित है-



कुंडली में पागलपन के योग:-जब मनुष्य किसी तीव्र मनोविकार के कारण ज्ञान या विवेक को खो बैठता हैं, जिससे उसकी दिमागी हालत ठीक नहीं होती हैं उस अवस्था को पागलपन का योग कहते हैं। जब मनुष्य की जन्मकुंडली का विश्लेषण किया जाता हैं, तब जन्मकुंडली का पूर्ण रूप से गहनता के साथ अवलोकन करके दिखना चाहिए कि मनुष्य की जन्मकुंडली में पागलपन के योग तो नहीं बन रहे हैं, इस योग को जानने के लिए ज्योतिष शास्त्र में वर्णित योग बताएं हैं, उनमें से प्रमुख योग निम्नलिखित हैं-


कुंडली में पागलपन योग के कारण:-पागलपन योग के कारण निम्नलिखित हैं-

◆जब मनुष्य की जन्मकुंडली के पहले घर या सातवें घर में गुरु ग्रह बैठा हो और बारहवें घर में पापी ग्रहों के प्रभाव से ग्रसित चन्द्रमा ग्रह और शनि ग्रह दोनों ही एक साथ होते हैं तब मनुष्य पागलपन का शिकार हो जाता हैं।


बवासीर रोग के योग:-जिस रोग के कारण गुदेंद्रिय में मस्से निकलते हैं, जिससे रोगी को बहुत ही कष्ट व बैठने में परेशानी होती है और यह रोग खूनी व बादी दो तरह का होता हैं। इसलिए जन्मकुंडली को देखते समय ग्रहों के हालात को जानना चाहिए। जन्मकुंडली में देखना चाहिए क्या बवासीर रोग के तो योग नहीं बन रहे है। इस रोग को जानने के योग निम्नलिखित है-


बवासीर रोग के योग के कारण:-बवासीर रोग योग के कारण निम्नलिखित हैं-

◆जब मनुष्य की जन्मकुंडली के पहले घर में शनि ग्रह बैठा हो एवं सातवें घर में मंगल ग्रह बैठा होता हैं, तब बवासीर योग का निर्माण होता हैं।


मिर्गी से संबंधित व्याधि का योग:-जिस व्याधि के कारण रोगी अकस्मात ही रोगी अपना होश खोकर बेसुध या मूर्छित हो जाता हैं उस व्याधि को अपस्मार या एपिलेप्सी या मिर्गी रोग कहते हैं। मनुष्य की जब जन्मकुंडली को देखते समय यह भी देखना चाहिए कि जन्म कुंडली में कही अपस्मार या मिर्गी से संबंधित व्याधि के योग तो नहीं बन रहे हैं। ज्योतिष शास्त्र में वर्णित मिर्गी से संबंधित व्याधि के योग निम्नलिखित हैं-


मिर्गी से संबंधित व्याधि का योग के कारण:-मिर्गी से संबंधित व्याधि योग के कारण निम्नलिखित हैं-

◆जब मनुष्य की जन्मकुंडली में चन्द्रमा व शनि ग्रह एक साथ एक घर में बैठे होते हैं और इन दोनों ग्रहों पर मंगल ग्रह अपनी पूर्ण दृष्टि से देखते हैं तब मनुष्य मिर्गी व्याधि से पीड़ित होता हैं।

◆जब मनुष्य की जन्मकुंडली के छठे, आठवें व बारहवें घर में से किसी भी घर में पहले घर का मालिक ग्रह बैठ जाता हैं और पहले घर के मालिक ग्रह के साथ जब पापी व बुरे ग्रह भी बैठ जाते हैं, तब मनुष्य को मिर्गी की व्याधि को भोगना पड़ता हैं।


कुष्ठ रोग के योग:-जिस रोग के कारण मनुष्य के शरीर की चमड़ी या त्वचा सड़ने-गलने लग जाती हैं उस रोग को कोढ़ या लेप्रॉसी या कुष्ठ रोग कहते हैं। इसलिए मनुष्य की कुंडली को देखकर जाना जा सकता हैं कि मनुष्य को कुष्ठ रोग है या नहीं हैं, इसकी जानकारी निम्नलिखित योगों से जान सकते हैं।

कुष्ठ रोग के योग:-कुष्ठ से संबंधित व्याधि योग के कारण निम्नलिखित हैं-

◆जब मनुष्य की जन्मकुंडली के कारकांश पहले घर से चौथे घर में हो व चन्द्रमा भी हो और फिर शुक्र ग्रह के द्वारा अपनी पूर्ण दृष्टि से देखा जाता हैं, तब मनुष्य को कुष्ठ रोग को जीवन में झेलना पड़ता हैं।



हृदय रोग के योग:-जिस रोग के कारण मनुष्य के शरीर में स्थित संकुचन व शिथिलन के द्वारा अंग जो सभी कशेरुकी जीवों में आवृत्त क्रमबद्ध संकुचित होकर शुद्ध शोणित का बहते हुए देह के समस्त भागों तक पहुंचता हैं, जब इस प्रमुख अंग में विकृति होने से जो रोग होता हैं, उसे हृदय रोग कहते हैं।


हृदय रोग के योग:-हृदय से संबंधित व्याधि योग के कारण निम्नलिखित हैं- 

◆जब मनुष्य की जन्मकुंडली के चौथे घर में सूर्य ग्रह, गुरु ग्रह और शनि ग्रह एक साथ बैठ जाते हैं, तब उन ग्रहों के प्रभाव से हृदय रोग होता हैं।


प्रमेह रोग के योग:-जिस रोग के कारण बार-बार पेशाब लगती है और शरीर की रक्त, रस, मेद, मज्जा, अस्थि, आर्तव, शुक्र आदि सप्तधातुएँ भी पेशाब के रास्ते गिरा देती हैं, जिससे शरीर कमजोर होकर हाड़-पंजर होने लगता हैं उस रोग को प्रमेह कहते हैं। यह रोग विशेषकर औरतों को होता हैं। इसलिए जन्मकुंडली को देखकर यह जाना जा सकता है कि प्रमेह रोग तो हैं या नहीं।


प्रमेह रोग के योग:-प्रमेह से संबंधित व्याधि योग के कारण निम्नलिखित हैं- 

◆जब जन्मकुंडली के पांचवे घर में सूर्य ग्रह, शुक्र ग्रह और शनि ग्रह एक साथ बैठ जाते हैं, तब इस योग का निर्माण होता हैं।


टी. बी. या क्षयरोग के योग:-जिस रोग के कारण बुखार एवं खाँसी होती हैं, बहुत समय तक रहती हैं, जिससे शरीर धीरे-धीरे कमजोर होकर गलने लगता है, उस रोग को टी. बी. या ट्यूबरक्लोसिस या यक्ष्मा या तपेदिक या क्षयरोग कहते हैं। ज्योतिष शास्त्र में वर्णित योग को जन्मकुंडली में देखकर मनुष्य जान सकता हैं, उसे या उसके किसी परिवार जन को क्षय रोग तो नहीं हैं।


टी. बी. या क्षयरोग के योग:-टी. बी. या क्षय रोग के कारण निम्नलिखित हैं-

◆जब मनुष्य की जन्मकुंडली के छठे, आठवें व बारहवें घर में से किसी भी घर में पहले घर का मालिक ग्रह बैठ जाता हैं और साथ में शुक्र ग्रह भी बैठ जाता हैं, तब मनुष्य को तपेदिक या यक्ष्मा रोग के योग बनते हैं।


गुप्त रोग के योग:-ऐसा रोग जो शरीर के गुप्तांगों को पीड़ित करते हैं, उनको गुप्त रोग कहा जाता हैं। जन्मकुण्डली का विश्लेषण ज्योतिष शास्त्र में वर्णित योग से जान सकते हैं। 


गुप्त रोग के योग के कारण:-गुप्त रोग से संबंधित व्याधि योग के कारण निम्नलिखित हैं- 

◆जब जन्मकुण्डली में बुरे व पापी आठवें घर में बैठे हो और उन ग्रहों पर बुरे व पापी ग्रहों के द्वारा पूर्ण दृष्टि से देखा जाता हैं तो मनुष्य गुप्तरोग से पीड़ित हो जाता हैं।

◆जब मनुष्य की जन्मकुंडली के आठवें घर में बुरे व पापी ग्रह मंगल ग्रह, सूर्य ग्रह या शनि ग्रह बैठे हो और अत्रि राशि या नीच राशि में बुरे ग्रहों व पापी ग्रह बैठ जाते हैं या इन पापी ग्रहों के द्वारा अपनी पूर्ण दृष्टि होती हैं तब मनुष्य को गुप्त रोग का शिकार होना पड़ता हैं।


वीर्य संबंधित असाध्य व्याधि का योग:-वह रोग जिसमें संतान उत्पन्न करने की शक्ति का ह्रास होता हैं उसे वीर्य व्याधि कहते हैं। वीर्य व्याधि के बारे में ज्योतिष शास्त्र में वर्णित योगों के द्वारा मनुष्य जान सकता हैं उसको वीर्य व्याधि हैं या नहीं।


वीर्य संबंधित असाध्य व्याधि का योग:-वीर्य संबंधित असाध्य व्याधि योग के कारण निम्नलिखित हैं- 

◆जब मनुष्य की जन्मकुंडली के दूसरे घर में सूर्य ग्रह, छठे घर में मंगल ग्रह, आठवें घर में शनि ग्रह और बारहवें घर में चन्द्रमा ग्रह बैठे होते हैं तो मनुष्य वीर्य से संबंधित बिना उपचार की व्याधि से पीड़ित होता है।


नपुंसकता का योग:-जिस रोग के कारण मनुष्य कामक्रीड़ा के सुख को नहीं भोग सकता है और संतान उत्पन्न नहीं कर सकता हैं उसे नपुंसकता कहते हैं। मनुष्य की जन्मकुंडली का विश्लेषण करने पर देखना होता हैं कि उस मनुष्य में संतान उत्पन्न की क्षमता हैं या नहीं।


नपुंसकता योग के कारण:-नपुंसकता से संबंधित व्याधि योग के कारण निम्नलिखित हैं- 

◆जब जन्मकुण्डली में वृषभ, कर्क, कन्या, वृश्चिक, मकर व मीन राशि में चन्द्रमा ग्रह और मेष, मिथुन, सिंह, तुला, धनु व कुंभ राशि में सूर्य ग्रह हो और चन्द्रमा व सूर्य ग्रह एक दूसरे को आपस में अपनी पूर्ण दृष्टि से देखते हो तो मनुष्य में नामर्दी का रोग होता हैं।

◆जब जन्मकुण्डली में वृषभ, कर्क, कन्या, वृश्चिक, मकर व मीन राशि में बुध ग्रह और मेष, मिथुन, सिंह, तुला, धनु व कुंभ राशि में शनि ग्रह हो और बुध व शनि ग्रह एक दूसरे को आपस में अपनी पूर्ण दृष्टि से देखते हो तो मनुष्य में नामर्दी का रोग होता हैं।

◆जब जन्मकुण्डली में वृषभ, कर्क, कन्या, वृश्चिक, मकर व मीन राशि में सूर्य ग्रह और मेष, मिथुन, सिंह, तुला, धनु व कुंभ राशि में मंगल ग्रह हो और बुध व शनि ग्रह एक दूसरे को आपस में अपनी पूर्ण दृष्टि से देखते हो तो मनुष्य में नामर्दी का रोग होता हैं।

◆जब जन्मकुण्डली का लग्न व चन्द्रमा दोनों ही मेष, मिथुन, सिंह, तुला, धनु व कुंभ राशि में शनि ग्रह हो और वृषभ, कर्क, कन्या, वृश्चिक, मकर व मीन राशि में मंगल ग्रह होकर अपनी पूर्ण दृष्टि से देखते हो तो मनुष्य में संतान उत्पन्न नहीं कर पाते हैं।

◆जब जन्मकुंडली में विषम राशि में स्थित चन्द्रमा ग्रह पर मंगल ग्रह की पूर्ण दृष्टि हो और बुध ग्रह सम राशि में स्थित होने पर उस पर भी मंगल ग्रह की दृष्टि होने पर मनुष्य में पुरुषत्व की कमी होती हैं।

◆जब शुक्र ग्रह से शनि ग्रह छठे या आठवें घर में होता हैं या शुक्र ग्रह व शनि ग्रह दोनों ही आठवें घर में होते हैं और विषम राशि के ही नवमांश में होते हैं, तब मनुष्य कामसुख को नहीं भोग सकता हैं, जिससे नपुंसकता का योग बनता हैं।

◆जब मनुष्य की जन्मकुंडली के सातवें घर में बुध ग्रह होता हैं, तब भी मनुष्य में पुरुषत्व नष्ट हो जाता है। 

◆जब सातवें घर में स्थित बुध ग्रह के साथ शनि व केतु ग्रह भी साथ बैठ जाते हैं, तब मनुष्य में सहवास क्रिया में रुचि नहीं रहती हैं और कामसुख पाने में अक्षम होता हैं।


अनैतिक यौन क्रिया का योग:-जो नीति के विरुद्ध दूसरों के साथ कामसुख के सम्बन्ध रखते हैं, उनको अनैतिक यौन क्रिया कहते हैं।


अनैतिक यौन क्रिया योग के कारण:-अनैतिक यौन क्रिया के योग के कारण निम्नलिखित हैं-

◆जब मनुष्य की जन्मकुंडली के सातवें घर में चन्द्रमा, मंगल, शुक्र और राहु ग्रह के साथ बुध ग्रह भी साथ में बैठ जाता हैं, तब मनुष्य अनैतिक यौन क्रियाओं के प्रति रुझान बढ़ता हैं, जिससे दाम्पत्य जीवन में दाम्पत्य सुख को नष्ट करता हैं।

इस तरह के योग के कारण आदमियों की औरतें यौन सुखों से मानसिक एवं दैहिक रूप से संतुष्ट नहीं कर पाते हैं, जिससे दाम्पत्य जीवन में बिना मतलब के टकराव होकर तलाक या अलगाव की स्थिति का जन्म होता हैं।