जानें कौन सा ग्रह नाराज होगा किस परिजन के कारण होगा?(Know which planet will be angry due to which family member?):-मनुष्यों अपने जीवनकाल में अपने-अपने कर्मों को करते हैं, उन किये गए अच्छे-बुरे कर्मों के द्वारा मनुष्यों को सुख-दुःख को भोगना पड़ता हैं। मनुष्यों को कुछ सुख-दुःख अपने जीवनकाल में किए गये कर्मों के द्वारा, कुछ सुख-दुःख मनुष्यों को अपने परिवार-कुटुंब के सदस्यों के द्वारा, कुछ सुख-दुःख अपने सगे सम्बन्धियों के द्वारा और कुछ सुख-दुःख अपने व्यवहार के द्वारा दूसरों के मदद करने पर प्राप्त होता हैं।
मनुष्यों के द्वारा अपने परिवार-कुटुंब के सदस्यों को दुःख या कष्ट देने पर कौनसा ग्रह पीड़ित या कुपित या रुष्ट या नाराज होता है-
संसार में जन्म लेकर उत्पन्न होने वाले सभी मनुष्यों का जन्म समय अलग-अलग होने से उनकी जन्मकुण्डली भी अलग-अलग होती हैं, उन अलग-अलग मनुष्यों की जन्मकुण्डली में सभी शुभ-अशुभ ग्रहों की स्थिति भी भिन्न-भिन्न होती हैं, मनुष्य के अच्छे-बुरे कर्मों के आधार पर भी ग्रह मनुष्यों को बुरे नतीजे देते हैं।
नवग्रहों के असर से मनुष्य को अच्छे व बुरे कर्मों को करने के लिए प्रेरित करते हैं। नवग्रहों के दूषित होने से मनुष्य के जीवन पर प्रभाव पड़ता हैं, नवग्रहों को मनुष्य के परिवार के सदस्यों के कारक ग्रह रूप में स्थान प्राप्त हैं, उन नवग्रहों में से कौनसे परिवार के सदस्यों के कारक ग्रह कमजोर होकर बुरे प्रभाव मनुष्य के जीवनकाल में असर करेंगे, उनको जानने के लिए मनुष्य को अपनी जन्मकुण्डली कमजोर ग्रहों को देखना चाहिए और अपने ऊपर उन ग्रहों से होने असर को जानना चाहिए।
1.पिता परिजन के साथ बुरे बर्ताव से सूर्य ग्रह नाराज होकर के बुरे फल:-मनुष्य के द्वारा अपने तात या तात की उम्र वाले या तात के समान मनुष्य के साथ क्रूर एवं बुरे बर्ताव पर सूर्य ग्रह नाराज हो जाते हैं और जन्मकुंडली में कमजोर होकर अपना बुरा फल देते है और निम्नलिखित असर जीवन पर डालते हैं-
◆मनुष्य के द्वारा दूसरे मनुष्य को आश्वासन देकर उनके साथ छलावा करके उनको पीड़ा देते हैं।
◆मनुष्य के द्वारा शासन से संबंधित दिए जाने वाले धनरूपी कर को शासन में नहीं भरते हुए छलावा करते हैं, तब सूर्य ग्रह नाराज हो जाते हैं।
◆मनुष्य के द्वारा कीड़े-मकोड़े, पशु, जानवर और जीव युक्त को अपनी तरफ से उनके साथ दुर्व्यवहार करके उनको कष्ट देकर पीड़ा देते हैं और उनकी पीड़ा को देकर आनन्द करने वाले होते हैं।
◆अपने पिता का कहना नहीं मानना एवं उसके साथ बुरा व्यवहार करके उनकी आत्मा को दुःख देते हैं, तब मनुष्य को सूर्य ग्रह बुरा फल देता हैं।
◆मनुष्य के द्वारा ईश्वर, परलोक आदि के संबन्ध में विशेष प्रकार का विश्वास रखते हुए उपासना पद्धति के विपरीत आचरण को करते हैं और उस पद्धति का अनादर करते हैं।
◆मनुष्य अपने वंश की लोकप्रचलित शिष्ट व्यवहार व उनके बनाये हुए नियमों के विपरीत कार्य करते हुए उनकी सीमा को लाँघने लग जाते हैं।
◆मनुष्य के द्वारा किसी तरह को कोई अपराध नहीं करने पर भी राजकीय सजा को भोगना पड़ता हैं। जावें।
◆मनुष्य को हृदय से सम्बंधित विकार होकर रोग कर देते हैं, जिससे शरीर व्याधियों से गिरकर कमजोर हो जाएगा।
2.माता, नानी, दादी, सास औरतों आदि परिजन के साथ बुरे बर्ताव से चन्द्रमा ग्रह नाराज होकर के बुरे फल देते:-मनुष्य के द्वारा अपनी माता, नानी, दादी, सास और इनके उम्र वाली औरतों के साथ बुरे बर्ताव पर चन्द्रमा ग्रह नाराज होकर जन्मकुंडली के भाव के स्वामी या कारक ग्रह से संबंधित भाव या कारक भाव के घर को कमजोर करके अपना बुरा फल देते है और निम्नलिखित असर जीवन पर डालते हैं-
◆मनुष्य के द्वारा माता, नानी (मातामह), दादी (पितामह), सास और इनके समान उम्र वाली औरतों के साथ दुर्व्यवहार करके उनके मन को दुखाकर उनके हृदय को पीड़ा देने से और किसी दूसरे से नफरत करते हुए अस्तित्व युक्त चीज को लेने से चन्द्रमा ग्रह बुरा फल देता हैं।
◆माता के प्रति लापरवाह रहना अर्थात् उसके सुख-दुःख का ध्यान न देना।
◆मनुष्य की माता एवं मौसी के स्वास्थ्य में उतार-चढ़ाव बना रहने से मनुष्य को चिंता हर समय सताती हैं।
◆मनुष्य को दोस्तों पर शंका होने लग जाती हैं जिससे दोस्तों पर विश्वास नहीं रह पाता है और दोस्तों के द्वारा धोखा मिलना।
◆मनुष्य का किसी औरत से बिना वजह टकराव होना।
◆माता को अपनी संतान के जन्म के बाद बेघर कर देना।
◆मनुष्य के द्वारा माता के साथ बुरा व्यवहार करने से मानसिक रूप से वेदना देना।
◆मनुष्य की माता को शारीरिक व्याधि से वेदना होना।
◆किसी से मदद नहीं मिले।
◆कर्जा बढ़ता ही जाए और कम नहीं हो पाए।
◆घर या निवास स्थान में बिना मतलब के टकराव होना।
◆व्यक्ति भोजन पर बैठने पर स्त्री के द्वारा खरी-खोटी सुनाने लग जावे।
3.भाई और भाई की पत्नी आदि परिजन के साथ बुरे बर्ताव से मंगल ग्रह के बुरे फल:-मनुष्य के द्वारा अपने छोटे भाई-बहिन और उसकी पत्नी के साथ और अपने साले के साथ बुरे बर्ताव पर मंगलग्रह कमजोर होकर अपना बुरा फल देते है और निम्नलिखित असर जीवन पर डालते हैं-
◆मनुष्य के द्वारा अपने भ्राता के साथ अनावश्यक क्लेश, मतभेद और भ्राता के साथ छलावा करने पर मंगल ग्रह बुरा फल देने लग जाता हैं।
◆मनुष्य के द्वारा अपने भ्राता की भार्या के भ्रातृ का मानभंग करके तिरस्कार करते हैं, तब मंगल ग्रह बुरा फल देता हैं।
◆अपने भाई-बन्धुओं से धोखा किया भाई की संम्पत्ति को हड़पा हो भाई की हत्या करवाई हो।
◆अपने छोटे भाई-बहिन को दुख देने पर मंगल ग्रह नाराज हो जाते हैं।
◆मित्र अकारण शत्रु बन जावें।
◆28 वें आते ही सारे सुख समाप्त हो जावें।
◆मदद नहीं मिले।
4.किन्नर, सहोदरा या तनुजा, बुआ, साली और मौसी औरतों आदि परिजन के साथ बुरे बर्ताव से बुध ग्रह के बुरे फल:-मनुष्य के द्वारा अपनी मामा, बन्धु-बान्धव, माता के समान चाची-ताई, भांजा-भांजी (भागिनेय), दत्तक पुत्र, मित्र सहोदरा या तनुजा, बुआ, साली, किन्नर और मौसी आदि औरतों के साथ बुरे बर्ताव पर बुध ग्रह नाराज होकर एवं कमजोर होकर अपना बुरा फल देते है और निम्नलिखित असर जीवन पर डालते हैं-
◆मनुष्य के द्वारा अपनी सहोदरा या तनुजा, बुआ, साली और मौसी को बिना मतलब परेशान करके उनको दुःख देने से बुध ग्रह बुरा फल देता हैं।
◆हिजड़े या किन्नर को परेशान करना और उनका तिरस्कार करते हुए मानभंग करते हैं, तब मनुष्य को बुध ग्रह बुरा फल देता हैं।
◆लड़की या बहिन की हत्या की हो या उन पर अत्याचार किया हो, खोए हुए मासूम बच्चों को उठाकर बेचा हो या लालच वश उनको बदला हो।बहिन या बेटी की संम्पत्ति को हड़पा हो या रुपया लेकर वापस नहीं दिया हो।
◆संम्पन्न होते हुए भी अपनी बहिन बेटी को ऐसे घर में दिया हो जहां उसका संपूर्ण जीवन गरीबी में नष्ट हुआ हो।
◆समर्थ होते हुए भी अपने जीवनकाल में अपनी बहिन-बेटी की मदद नहीं कि हो।
◆ससुराल व ननिहाल से कोई सहयोग न मिले मदद करने वाले दूर जावे।
5.दादा, गुरु, नाना और इनके पद के समान वाले आदर वाले मनुष्य के आदि परिजन के साथ बुरे बर्ताव से गुरु ग्रह नाराज होकर अपने बुरे फल:-मनुष्य के द्वारा अपने पिता, दादा, नाना और इनकी उम्र वाले मनुष्य के साथ बुरे बर्ताव पर गुरु ग्रह नाराज हो जाते हैं अपना शुभ प्रभाव छोड़कर बुरा फल देते है और निम्नलिखित असर जीवन पर डालते हैं-
◆अपने पिता, दादा, नाना और इनके समान सम्मानित मनुष्य को दुःख देते हैं और साधु-सन्यासियों को अपमानित करके उनके जी को दुखाते हैं, तब मनुष्य को गुरु ग्रह बुरा फल देता हैं।
◆लाल किताब से बनी जन्मपत्रिका के आधार पर दूजे, पांचवे, नवें और बारहवें घर में भृगु ग्रह, सौम्य ग्रह और सेंहिकीय ग्रह के बैठने से गुरु का ऋण मनुष्य को पीड़ित करता है।
◆मनुष्य के द्वारा पीपल के वृक्ष को हानि या काटने से और अपने परिवार कुटुंब के सदस्यों के द्वारा अपने ईष्ट देव को बदलने से भी गुरु का ऋण चढ़ता है।
◆मनुष्य के द्वारा ब्राह्मणों का अपमान करने से ब्रह्म दोष का निर्माण होता है। ब्राह्मण को गुरु के समान माना गया है तथा ब्राह्मण कारक ज्योतिष में जीव ग्रह को कहा गया है।
◆मनुष्य की जन्मकुंडली में जीव ग्रह तथा पांचवा घर व पुत्र भाव के मालिक पीड़ित हो तो ब्रह्म दोष से सन्तान हानि या सन्तानहीनता समझनी चाहिए।
6.पत्नी आदि परिजन के साथ बुरे बर्ताव से शुक्र ग्रह नाराज होकर के बुरे फल:-मनुष्य के द्वारा अपनी पत्नी के साथ बुरे बर्ताव पर शुक्र ग्रह नाराज होकर अपने फल को कमजोर करके अपना बुरा फल देते है और निम्नलिखित असर जीवन पर डालते हैं-
◆मनुष्य के द्वारा अपनी गृह संगिनी के साथ दुर्व्यवहार करते हुए उसको अपमानित करके उनके मन को दुखाते हैं।
◆मनुष्य के द्वारा मैले-कुचले कपड़ों को पहनते हैं।
◆निवास स्थान में मैले एवं फटे-पुराने कपड़ों को रखते हैं।
◆दूसरी औरत-आदमी से नीति के विरुद्ध कामवासना का सम्बंध रखते हैं, तब मनुष्य को शुक्र ग्रह बुरा फल देता हैं।
◆अपनी स्वयं की पत्नी को प्रताड़ित करते हैं।
◆लालचवश गर्भवती स्त्री की हत्या कर देते हैं।
◆स्त्री के साथ मारपीट या उसे घर से निकाल देते हैं।
◆मांगलिक कार्य के दौरान निकटतम रिश्तेदार के यहां मृत्यु हो जाएं, सुखद अवसर पर अचानक दुख का कोई कारण जैसे परिवार का कोई व्यक्ति चोटग्रस्त हो जाए, पैदा हो जाए, मांगलिक कार्य के सम्पन्न करने के बाद सुखद अनुभूति नहीं होवे पुत्र विवाह के बाद बहू का गलत चयन करना आदि।
◆ज्यादा विवाह के बाद भी वैवाहिक सुख नहीं मिलता हैं।
◆विवाह के बाद ससुराल में औरत को असाध्य बीमारिया हो जाती हैं।
7.ताऊ, चाचा एवं ससुराल वाले आदि परिजन के साथ बुरे बर्ताव से शनि ग्रह नाराज होते हैं और बुरे फल:-मनुष्य के द्वारा अपने ताऊ एवं चाचा (पितृव्य) और मृत बन्धु के साथ बुरे बर्ताव पर शनि ग्रह नाराज हो जाते हैं अपने भाव के फल को कमजोर करके अपना बुरा फल देते है और निम्नलिखित असर जीवन पर डालते हैं-
◆ताऊ एवं चाचा (पितृव्य) के साथ बिना मतलब के वाणी से मतभेद करके अनावश्यक रूप से क्लेश करते हैं।
◆परिश्रम करने वाले मनुष्य को दुःख देते हैं।
◆जो न्यायसम्मत आचरण या कार्य नहीं होता हैं, उस कार्य या आचरण में सहयोग करते हैं।
◆गाली-गलौज जैसे अशोभनीय शब्दों के द्वारा किसी भी मनुष्य के हृदय को दुखाते हैं।
◆मद्य पदार्थ और मांसाहार का सेवन करते हैं, तब शनि ग्रह बुरा फल देता हैं।
◆जो मनुष्य किसी दूसरे के निवास स्थान एवं दुकान को किराए के रूप लेते हैं, किराए के रूप में लेने के बाद उन जगहों को खाली नहीं करते हैं और बदले में रुपयों-पैसों को मांगते हैं, तब मनुष्य के ऊपर शनि ग्रह बुरा फल देता हैं।
◆मनुष्य को एवं ससुराल वाले को अकारण पुलिस तंग करे।
◆घर के लोग आराम से न सो पाए अर्थात् परिवार में अनिद्रा का रोग हो जाए।
◆योग्य संतान भी नकारा हो जाए।
◆धोखे से किसी की हत्या की हो इस करवाई हो।
◆कुटुम्ब के सदस्य धीरे-धीरे कम हो रहे हों एवं परिवार विपत्तियों से घिर जाए कोई भी स्पष्ट कारण नजर न आए की ऐसा क्यों हो रहा है तो इसका विचार चुकाए या जबरदस्ती से छीना तो नहीं गया हैं।
8.सपेरे, बड़े भाई एवं ननिहाल वालों आदि परिजन के साथ बुरे बर्ताव से राहु ग्रह के बुरे फल:-मनुष्य के द्वारा सांप को पालने वाले एवं पकड़ने वाले मनुष्य, बड़े ज्येष्ठ और ननिहाल या नानेरा पक्ष जैसे-मामा, मामी, नाना, नानी आदि के साथ बुरे बर्ताव पर राहु ग्रह नाराज हो जाते हैं और जन्मकुंडली में स्थित भाव के फल को कमजोर करके अपना बुरा फल देते है और निम्नलिखित असर जीवन पर डालते हैं-
◆राहु को भुजंग का स्वरूप माना जाता है इसलिए सांप को पालने वाले एवं पकड़ने वाले मनुष्य का दिल दुखाते हैं।
◆बड़े भाई या ज्येष्ठ को अपनी वाणी के द्वारा या शारीरिक, मानसिक आर्थिक रूप से कष्ट देने से अथवा बड़े भाई का अपमान करते हैं।
◆जब ननिहाल पक्ष वालों का अपमान करते हैं।
◆नीच संगति या दुष्ट संगति करने से राहु बुरा फल देता हैं।
◆ससुराल या निकट संबंधियों के साथ विश्वासघात की घटनाएं इस प्रकार से की गई होंगी की उनका पूरा कुटुम्ब तबाह हो जाए। अर्थात् अपने ससुराल वालों या किसी संबन्धी अथवा मित्रादि के साथ कोई ऐसी कपट चाल चली होगी, जिसके कारण वे आर्थिक या पारिवारिक रूप में बर्बाद हो गए होंगे। उनमें से ही कोई व्यक्ति मरने के बाद यदि प्रेत योनि को प्राप्त हो जाए वह प्रतिशोध की भावना के कारण अजन्मे ऋण से ग्रसित कुण्डली में जातक को परेशान करता हैं।
◆संबंधियों में युवा उम्र का कोई व्यक्ति सिर में चोट की वजह से कोमा में चले जाए। जहां तक रक्त का संबन्ध हो वे संबन्धी भी किसी न किसी प्रकार से परेशान रहे।
9.भतीजे और भांजे आदि परिजन के साथ बुरे बर्ताव से केतु ग्रह नाराज होकर जन्मकुंडली में स्थित भाव को कमजोर करके बुरे फल:-मनुष्य के द्वारा अपने भतीजे, भांजा-भांजी, पितामह (नाना), मातामह (नानी) और श्वसुर के साथ बुरे बर्ताव पर केतु ग्रह नाराज हो जाते है और जन्मकुंडली अपने भाव के फल को कमजोर करके अपना बुरा फल देते है और निम्नलिखित असर जीवन पर डालते हैं-
◆भतीजे एवं भांजे के साथ बुरा व्यवहार करके उनके दिल दुखाकर उनके दिल में चोट करते हैं एवं उनका हक छिनने पर केतु बुरे फल देता हैं।
◆श्वान के साथ दुर्व्यवहार करके श्वान को किसी वस्तु से मारते एवं किसी के द्वारा मरवाने पर।
◆देवी-देवताओं के मंदिर की किसी भी वस्तु को तोड़कर मंदिर को नुकसान करते हैं अथवा शिखर पर स्थित पताका को तोड़ते हैं या पताका का अपमान करते हैं, तब केतु ग्रह नाराज हो जाते हैं।
◆जो कोई भी ज्यादा कंजूसी करते हुए अपने जीवन को दुःखी करके जीते हैं, उन पर केतु ग्रह नाराज हो जाते हैं।
◆किसी से धोखा करने व झूठी गवाही देने पर भी राहु-केतु बुरे फल देते हैं।
◆जब किसी के द्वारा किसी की भी नर संतान को बलपूर्वक छीनकर ले जाते है और नर संतान को मरवा देते हैं।
◆जब किसी के द्वारा किसी भी चीज को पाने हेतु अनुचित इच्छा की पूर्ति के लिए दूसरे के कुटुम्ब को नष्ट करना या करवा देना।
◆जब किसी भी मनुष्य के लड़किया का जन्म ज्यादा होना, लड़के पैदा होने पर ज्यादा व्याधि से ग्रसित होकर रहते हैं।
◆जब मनुष्य आर्थिक रूप से दूसरों के आगे हाथ फैलाने के लिए मजबूर होकर आर्थिक स्थिति से बर्बाद हो जाए।
◆किसी को भी कष्ट या छल-कपट द्वारा अपनी रोजी नहीं चलानी चाहिए।
◆किसी भी प्राणी को अपने अधीन नहीं समझना चाहिए जिससे ग्रहों के बुरे कष्ट सहना पड़े।