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Tuesday, May 17, 2022

कुंडली में विकलांग योग कैसे बनते हैं?

How are handicapped yogas formed in the horoscope?





कुंडली में विकलांग योग कैसे बनते हैं?(How are handicapped yogas formed in the horoscope?):-जन्मपत्रिका एक ऐसा माध्यम में जिसके द्वारा मनुष्य के जन्म से लेकर मरण तक के भविष्य के विषय में पहले ही जाना जा सकता हैं, की मनुष्य के जीवन में कैसे-कैसे शुभ-अशुभ योग बन रहे हैं। उन योगों के द्वारा जीवन पर किस तरह का प्रभाव पड़ेगा। मनुष्य के शरीर में किस तरह के अंग में पीड़ा व कौनसा अंग काम नहीं करेगा। इसके विषय में भी जाना जा सकता हैं।



शारीरिक विकलता का अर्थ:-मानव शरीर के किसी हिस्से में पीड़ा होने से उस पीड़ा के कारण व्याकुलता या बेचैनी रहती हैं, उसे शारीरिक विकलता कहा जाता हैं।



विकलांग का अर्थ:-जब मनुष्य जन्म के समय या जन्म के बाद किसी अंग से हीन या बेकार अंगों वाला होकर शक्तिहीन हो जाता हैं, तब उस शरीर वाले मनुष्य को अपंग या लूला-लँगड़ा या विकलांग कहा जाता हैं।



पंगु का अर्थ:-जब मनुष्य के पैरों में कोई खराबी होने के कारण चलने में अक्षम या शक्तिहीन होते हैं, उन्हें पंगु कहा जाता हैं। 



शारीरिक विकलता, विकलांग और पंगु योग:-निम्नलिखित में से एक या अधिक योग होने पर जातक शारीरिक विकलता, विकलांग और पंगु योग हो सकता है:



◆जब जन्मकुण्डली के पहले, चौथे, सातवें एवं बारहवें घर में सूर्य, पीड़ित चन्द्रमा, मंगल, शनि, राहु एवं केतु जैसे क्रुरग्रह बैठे होते हैं, तब मनुष्य जन्म से या बाद में किसी कारण से जातक का कोई शरीर का अंग बेकार हो जाता है। 



◆जब जन्मकुण्डली के पहले, चौथे, सातवें एवं बारहवें घर में सूर्य-चन्द्रमा दोनों हों, तो मानव अपने शरीर के किसी अंग से विकृत होता हैं।


◆जब जन्मकुण्डली के लग्न में स्थित शुक्र ग्रह को शनि के द्वारा देखा जाता हैं, तो मनुष्य को कटिप्रदेश में दर्द होने से बेचैनी रहती हैं।



◆यदि पहले घर के स्वामी बारहवें घर में बैठे हो और वह सूर्य, शनि, मंगल, राहु, केतु जैसे पापग्रह के साथ में संयोग करके बैठे हो या इन बुरे ग्रहों केद्वारा देखा जाता हैं, तब जातक छड़ी के सहारे चलता हैं।



◆जब कुण्डली के दूसरे घर में शनि, दशवें घर में चन्द्रमा और सातवें घर में बुध स्थित हो, तो जातक का शरीर का कोई भाग बेकार होता हैं। 

 

◆जब कुंडली के चतुर्थ भाव में शुक्र स्थित हो और मंगल-शनि या बुध के साथ बृहस्पति की युति हो, तो क्रमशः पैर, हाथ या कटि भाग में पीड़ा होने से बेचैनी रहती हैं। 



◆जब कुण्डली के पांचवें घर अथवा नवें घर में मंगल बैठा हो और सूर्य, शनि, राहु व केतु जैसे बुरे ग्रहों के द्वारा देखा जाता हैं, तब बिना किसी अंग का होता हैं। 



◆जब मीन, वृश्चिक, मेष, कर्क एवं मकर राशि के अन्तिम अंशों में स्थित चन्द्रमा एवं शनि पापग्रहों के साथ नवें अथवा पांचवें भाव में बैठा हों, तो जातक के पैरों में परेशानी होने से वह पंगु होता हैं।



◆जब कर्क राशि में चन्द्रमा एवं शनि स्थित हों एवं शुभग्रह के द्वारा देखा जाता हैं, तब जातक पैर से लाचार होता हैं। 



◆जब कुण्डली में भृगु एवं मन्द ग्रह का संयोग एक जगह पर होता हैं और उन पर अच्छे ग्रहों के द्वारा नहीं देखा जाता है, तब जातक पंगु होता हैं।




◆ छठे घर में रवि, भौम एवं मन्द ग्रह की युति एक जगह पर होती हैं, तब जातक के पैरों में खराबी होने से चलने में परेशानी होती हैं। 



◆जब जातक की जन्मकुण्डली के छठे भाव के स्वामी एवं शनि बारहवें भाव में पापग्रहों के द्वारा देखे जाते हैं, तब जातक के पैर से शक्तिहीन होता हैं। 


◆जब जातक की जन्मकुण्डली में सातवें घर का स्वामी शनि दूसरे बुरे ग्रहों के साथ बैठा होता हैं, तब जातक पंगु होता हैं।



◆जब कुण्डली के चौथे घर में आठवें घर का स्वामी और नवें घर का स्वामी बुरे व पापी ग्रहों के साथ बैठे होते हैं, तब जातक पैर से लाचार होता हैं।



◆जन्मकुण्डली में दशवें घर में चन्द्रमा, सातवें घर में मंगल और दूसरे घर में शनि बैठे हो, तो मनुष्य को अपने शरीर के किसी भाग में अपंगता रहती हैं।  



◆जब बारहवें घर के स्वामी कमजोर होते हैं, क्रूर राशि या नवांश में हो अथवा नीच राशि में हो, तो जातक के शरीर किसी भी अंग में बेचैनी रहने से विकलता रहती हैं।



◆जब बारहवें स्थान में ज्यादा पापग्रह हों और बारहवें घर के स्वामी शनि गुलिक एवं राहु से युत हो, तो जातक के शरीर में विकलता रहती हैं।



विशेष महादेव पाठक के अनुसार:-जब जन्मकुण्डली सोम, भृगु और मन्द ग्रह अपनी नीच राशि में बैठे हो तथा कुम्भ राशि में सूर्य हो, तो जातक किसी अंग से विकलांग होता हैं।



◆यहाँ ध्यातव्य रहे कि शुक्र यदि अपनी नीचराशि कन्या में स्थित होगा, तो सूर्य कुम्भ राशि में सम्भव नहीं हैं।