डबल व ट्रिपल मांगलिक दोष कैसे हो जाता है? जानें गणित विधि से(How do double and triple Manglik dosha happen? Know Maths Method):-प्रायः मनुष्य सुनते रहते है कि यह कुंडली तो डबल मांगलिक या त्रिबल मांगलिक है। मंगल डबल या ट्रिपल कैसे हो जाता है? यह गणित की कौनसी विधि है, जानें-मंगल ग्रह को दम्पत्यसुख के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि मंगल वर व वधू के दाम्पत्य जीवन को चलाने में जोश व पराक्रम को प्रदान करने वाला होता हैं। जब जीवन में जोश या उत्साह नहीं रहता हैं, तब मनुष्य अपने जीवन में और दाम्पत्य जीवन हतोत्साहित हो जाता हैं और उसके मन में निराशा घर कर लेती हैं और मनुष्य किसी भी तरह पुरुषार्थ कुछ नहीं कर पाते हैं। इसलिए महर्षियों ने दाम्पत्य जीवन में मंगल की अहम भूमिका बताई हैं, जिससे गृहस्थी सही रूप से चल सके। वर व वधू की जन्म कुंडली में कभी-कभी मंगल की स्थिति भिन्न-भिन्न तरह की होती हैं, जिससे वर व वधू के जीवन में मंगल अपने प्रभाव में लेकर अपने दोषों के अनुसार अपने प्रभावों को वर व वधू के जीवन में एक गुना, दो गुना, तीन गुना, चार गुना और पांच गुना तक कर देता हैं। इस तरह मंगल के इन पांच प्रभावों को गणित की कौनसी विधि से जान सकते हैं। इसके लिए कुछ ज्योतिषीय योगों को गणित के माध्यम से जान सकते हैं कि अमुक वर व वधू की जन्म कुण्डली में कितने गुने का मंगल अपना असर कर रहा हैं-
यदि जन्म कुण्डली में पहले घर, चोथे घर, सातवें घर, आठवें घर और बारहवें घर में मंगल ग्रह बैठा होता हैं, मंगल स्थित घर के अतिरिक्त दूसरे दोषोक्त घरों में सूर्य, शनि, राहु या केतु आदि पापग्रहों में से एक या अधिक ग्रह बैठे होते हैं तब जितने ग्रह दोषोक्त घरों में होते है, उन स्थित ग्रहों के आधार उतने गुना ही मनुष्य मांगलिक या मंगली माना जाता है।
सिंगल मांगलिक कुण्डली:-जब किसी कुण्डली के 1, 4, 7, 8 या 12 वें भाव में मंगल हो तो वह कुण्डली 'मांगलिक'कहलाती है। इसे हम सिंगल मांगलिक कुण्डली कह सकते है।
द्विगुणित' डबल मांगलिक कुण्डली:-जब किसी कुण्डली के 1, 4, 7, 8 या 12 वें इन्हीं भावों में यदि मंगल अपनी नीच राशि में होकर बैठा हो तो मंगल द्विगुणित प्रभाव डालेगा। ऐसी कुण्डली 'द्विगुणित' डबल मांगलिक कहलाएगी।
◆इसके अलावा 1, 4, 7, 8, 12 वें भावों में शनि, राहु, केतु या सूर्य इनमें से कोई ग्रह हो तथा मंगल भी हो तो ऐसे में भी यह कुण्डली डबल या द्विगुणित मांगलिक कहलाएगी।
◆यदि जन्मकुंडली में मंगल और शनि साथ-साथ बैठे हो, तो उसे 'दोगुना मंगली' या 'डबल मंगली' कहते हैं।
त्रिबल' या ट्रिपल मांगलिक दोष:-यदि जन्मकुंडली में मंगल ग्रह 1, 4, 7, 8 या 12 वें भावों में से किसी एक जगह पर बैठा हो, साथ ही शनि ग्रह व सूर्य या राहु ग्रह में से किसी भी दूसरे 1, 4, 7, 8 या 12 वें भावों में अलग-अलग भाव में बैठ जाते हैं, तब उसे 'तीन गुना मंगली' या 'ट्रिपल मंगली' कहते हैं।
त्रिबल' या ट्रिपल मांगलिक दोष:-मंगल नीच का 1, 4, 7, 8 या 12 वें भाव में हो, साथ में ही यदि राहु, शनि, केतु या सूर्य हो तो ऐसी कुण्डली 'त्रिबल' या ट्रिपल मांगलिक कहलाएगी। क्योंकि मंगल का दोष इस कुण्डली में तीन गुणा बढ़ जाता है।
चौबल व पांच गुणा मांगलिक दोष:-इस प्रकार से एक कुण्डली अधिकतम पांच गुणा मंगल दोष वाली हो सकती है, तो इसमें कोई आश्चर्य नहीं करना चाहिए।
डबल, त्रिबल मांगलिक कुण्डली के लिए उदाहरण:-निम्नलिखित हैं, जिनसे जान सकते हैं, की डबल, त्रिबल मांगलिक कुण्डली हैं या नहीं-
उदाहरण के लिए कुण्डली से जानें डबल मांगलिक को:-प्रस्तुत कुण्डली कर्क लग्न की कर्क राशि में शुक्र, द्वितीय स्थान में सिंह राशि में शनि व सूर्य, तीसरे भाव में कन्या राशि में केतु व बुध, चौथे भाव में तुला राशि में मंगल, सातवें भाव में मकर राशि में चन्द्रमा, आठवें भाव में कुंभ राशि में गुरु और नवें भाव में मीन राशि में राहु ग्रह विराजमान हैं।
प्रस्तुत कुण्डली में मंगल चौथे भाव में, द्वितीय भाव में सूर्य एवं शनि होने से यह डबल मांगलिक कुण्डली है। डबल मांगलिक दोष होने से वैध्वय योग बन रहा हैं।
उदाहरण के लिए कुण्डली से जानें ट्रिपल मांगलिक को:-प्रस्तुत कुण्डली सिंह लग्न की सिंह राशि में शुक्र, बुध, केतु व सूर्य, द्वितीय स्थान में कन्या राशि में शनि, सातवें भाव में कुंभ राशि में चन्द्रमा व राहु, आठवें भाव में मीन राशि में गुरु और बारहवें भाव में कर्क राशि में मंगल ग्रह विराजमान हैं।
ट्रिपल मांगलिक प्रस्तुत कुण्डली में मंगल नीच राशि का द्वादश स्थान में होने से डबल तथा राहु सप्तम होने से त्रिबल, सूर्य लग्न में होने से चौबल या चतुगुर्णित मांगलिक कुण्डली हैं।
वर व वधू की कुंडली को जाँचना:-वर व वधु की कुंडली की जाँच सही तरीके से ही किया जाना शास्त्र सम्मत है। क्योंकि यह दो जातकों के जीवन का प्रश्न है। कुण्डली की जाँच करते समय निम्न बिन्दुओं पर विचार करें-
◆यदि एक के मंगल सातवें में हो दूसरे के आठवें में हो तो भी कुण्डली मिलान या जाँच नहीं करना चाहिए।
◆समान भाव में स्थिति मंगल से दोनों के जीवन में यह दोष वृद्धि को ही पाएगा।
◆सप्तमेश एवं शुक्र पर तथा सप्तमेश व गुरु पर पड़ने वाले कुप्रभाव हों तो भी मिलान न मानें। इससे तलाक, कलह होने की सम्भावना रहती है। शेष स्थितियों में मिलान श्रेयस्कर होगा।
◆मंगल व सप्तमेश किन नक्षत्रों की दशा में स्थित है उनका भी मिलान के वक्त ज्ञान कर लेना सूक्ष्मतः प्रभावी होगा।
◆यदि कारक व शुभ ग्रह नक्षत्रों में स्थित होगा तो मिलना सुन्दर अन्यथा मध्यम व अन्य योगों में कनिष्ठ रहेगा।
विशेष:-वर व वधू कुण्डली को जाँच करने वाले को ऐसे स्थाई मामलों में सुयोग्य ज्योतिषी की सलाह ही लेनी चाहिए व भावी जीवन में दम्पति का जीवन सुखमय हो यह परोपकार लक्ष्य में रख लेना चाहिए।
वरस्य भास्करबलं, कन्यायाश्च गुरोर्बलम्।
द्वयोश् चन्द्रबलं ग्राह्यं, विवाहो नान्यथा भवेत्।।
अर्थात्:-मांगलिक कन्या की गुरु की स्थिति मिलान के बाद भी निर्बल लगे तो उसे विवाह से पूर्व पुखराज रत्न सवा पांच रत्ती के वजन में धारण करा देना चाहिए। चाहे जिस लग्न की कुण्डली हो या न हो पुखराज रत्न को धारण करना हर युवती के लिए शुभ माना गया है। हां अगर वह स्वयं आत्मनिर्भर और नौकरी करनी हो तो कुण्डली की ग्रह स्थिति देखकर के रत्न पहनाएं और उसमें भाग्येश व लग्नेश में से जो भी शुभ हो उसका योग कराएं।
◆पुरुष के जन्म कुंडली में शुक्र की स्थिति स्पष्ट देखकर उसका पालन करने से मंगल के मिलान के बाद में दम्पति सुख पाएंगे, अन्यथा नहीं।
अष्टकूट मिलान हेतु:-मंगल का मिलान स्पष्ट सुनिश्चित होने के बाद हमें अष्टकूट मिलान की ओर आगे बढ़ना चाहिए। आजकल पंचांग में बनी अष्टकूट टेबल को देखकर फटाफट गुण बता दिए जाते है। ये निर्णय भी गलत हो सकते है क्योंकि एकांकी होते है।
अष्टकूट मिलान में इन आठ कूट:-वर्ण, वश्य, तारा, योनि, ग्रह मैत्री, गण मैत्री, भकूट, नाड़ी आदि सभी का अलग-अलग मिलान करें-
◆यदि कुण्डली मिलान को सौ में से नम्बर दिए जाए तो पचास नम्बर मंगल को मिलेंगे। मंगल के मिलान होते ही कुण्डली 50 प्रतिशत मिल जाती है। बाकी अष्टकूट से प्राप्त होने वाले नम्बर भी जोड़ दें।
उदाहरण के लिए:- यदि मानो किसी जातक को अष्टकूट से 18 नम्बर मिलें। मंगल मिल गया तो 50+18= कुल मिलान 68 उत्कृष्टता को धारण किए हुए हैं। ऐसा स्पष्ट जानना चाहिए अष्टकूट मिलान विद्वान ज्योतिषाचार्य से ही कराएं, वही श्रेष्ठ हैं।