Breaking

Tuesday, January 26, 2021

अथ शुक्रवार व्रत की विधि के नियम,कथा,आरती और व्रत के फायदे(The rules of the Law of Friday fast, the benefits of Katha, Aarti and fasting)

                   The rules of the Law of Friday fast, the benefits of Katha, Aarti and fasting



अथ शुक्रवार व्रत की विधि के नियम,कथा,आरती और व्रत के फायदे(The rules of the Law of Friday fast, the benefits of Katha, Aarti and fasting):- शुक्रवार व्रत को उन ओरतों को करना चाहिए जिनको दाम्पत्य जीवन का सुख नहीं मिलता है,माता वैभव लक्ष्मी जी और सन्तोषी माता को खुश करके उनकी कृपा दृष्टि को अपने ऊपर करवाना चाहिए। यह व्रत सभी लड़कियों-ओरतों और लड़कों-आदमियों के लिए है।शुक्रवार के व्रत को करने से कुंवारी लड़की या लड़कों का विवाह अपनी चाह के अनुसार होता है।



शुक्रवार व्रत की विधि के नियम:-शुक्रवार के व्रत को करने वालों को अपने मन से नियमों का पालन करते हुए व्रत को करने से फायदा होता है।

◆मनुष्य को किसी भी माह के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाले पहले शुक्रवार से व्रत को आरम्भ करना चाहिए।

◆मनुष्य को अपनी मन की कामनाओं की पूर्ति के लिए इक्कीस या इकतीस व्रत को करना चाहिए।

◆शुक्रवार व्रत के दिन स्नानादि करने के बाद में सफेद कपड़े को पहनना चाहिए।

◆मनुष्य को रंग में सफेद गाय को देखना चाहिए और पानी वाला नारियल एक या दो लड़कियों को उनको देखकर देना चाहिए।

◆मनुष्य को ऊँ द्रां द्रीं द्रौं सः शुकाय नमः  मंत्र को व्रत के  पूरे दिन जपते रहना चाहिए।

◆मनुष्य को सफेद रंग की चादर को बिछाकर रात के समय सोना और सोने से पहले धार्मिक संगीत को सुनना और धार्मिक पुस्तकों को पढ़ने के बाद ही सोना चाहिए।



शुक्रवार व्रत के लिए भोजन करना:- मनुष्य को अपने खाने  में दूध,दही,चाँवल, खीर,घी,साबूदाना,सफेद मावा,मिष्ठान,केला,जुवार,गेँहू की रोटी आदि सफेद चीजो को ही केवल खाना चाहिए और दूसरी चीजों को खाना अच्छा नहीं होता है।



अथ शुक्रवार व्रत की कथा आरम्भ:-एक जमाने में तीन दोस्त थे,उनमें से एक कायस्थ,ब्राह्मण और वैश्य इन तीनों दोस्तों में बहुत ही ज्यादा दोस्ती थी। उन तीनों दोस्तों की शादी हो गयी थी। लेकिन ब्राह्मण और कायस्थ के लड़कों का गौना भी हो गया था,परन्तु सेठ के बेटे का गौना नहीं हुआ था। एक दिन कायस्थ के लड़के ने कहा- ''है दोस्त! तुम मुकलावा करके अपनी पत्नी को घर क्यों नहीं लाते? पत्नी के बिना घर कैसा लगता है। यह बात सेठ के लड़के को जंच गई,कहने लगा कि मैं अभी जाकर मुकलावा लेकर आता हूँ। ब्राह्मण के लड़के ने कहा अभी मत जाओ क्योंकि शुक्र अस्त हो रहा है, जब शुक्र उदय हो जाये तब  जाकर ले आना। परन्तु सेठ के लड़के को ऐसी जिद हो गई कि किसी तरह से नहीं माना और अपने ससुराल को चला गया। उसको आया हुआ देखकर ससुराल वाले भी आश्चर्य चकित रह गये और पूछा कि कैसे आना हुआ? तब वह कहने लगा कि मैं अपनी पत्नी को विदा कराने के लिए आया हूँ। ससुराल वालों ने भी बहुत समझाया कि इन दिनों शुक्र अस्त है जब शुक्र उदय हो जाएगा तब आप विदा कराके ले जाना,लेकिन वह सेठ का लड़का नहीं किसी की बात को सुनी और अपनी औरत को अपने साथ विदा कर ले जाने का बार-बार आग्रह करता रहा, तो उसके ससुराल वालों ने लाचार होकर अपनी पुत्री को अपने जमाई के साथ विदा कर दिया। थोड़ी दूरी पर जाने के बाद रास्ते में उसके रथ का पहिया टूट कर गिर पड़ा।रथ के बैल का पग टूट गया। उसकी पत्नी घायल हो गई। जब आगे चले तो रास्ते में डाकू मिले, उसके पास जो धन,कपड़े और जेवरात थे वह सब उससे छीन लिये। इस तरह उसे बहुत से मुश्किलों का सामना करना पड़ा। इस तरह जैसे-तैसे अपने नगर में पहुँचा और अपने घर गया। जैसे ही अपने घर पर पहुँचा तो सेठ के लड़के को सांप ने काट दिया, वह बेहोश होकर गिर पड़ा। तब उसकी पत्नी अधिक विलाप कर रोने लगी। उसे वैद्यों को दिखलाया तो वैद्य कहने लगे-यह तीन दिन में मर जायेगा। जब उसके दोस्त ब्राह्मण के लड़के को जानकारी हुई तो उसने कहा-"सनातन धर्म की प्रथा है कि जिस समय शुक्र का अस्त हो कोई अपनी पत्नी को नहीं लाता। परन्तु यह शुक्र के अस्त में अपनी पत्नी को विदा कराके ले आया है, इस कारण से इसको मुश्किलों का सामना करना पड़ा है।

 यदि दोनों पति-पत्नी वापस अपने ससुराल चले जायें और शुक्र के उदय होने पर वापिस आवें तो निश्चय ही मुश्किलें दूर हो जायेगी। इतना सुनते ही सेठ और उसकी पत्नी ने अपने बेटे और बहु को वापिस उसके ससुराल के लिए रवाना किया। जब दोनों पति-पत्नी जैसे ही ससुराल पहुँचे तब जाकर सेठ के लड़के की बेहोशी दूर हो गई और फिर सामान्य ईलाज से सांप के डसे विष से उस सेठ के लड़के को मुक्ति मिली। अपने दामाद को ठीक हुआ देखकर ससुराल वालों को अत्यंत ही खुशी हुई और जब शुक्र का उदय हुआ तब बड़ी खुशीपूर्वक अपनी बेटी को अपने दामाद के साथ विदा किया। इसके बाद दोनों घर पर पहुँचे और अपना जीवन खुशी से बिताया। हर शुक्रवार का व्रत विधि-विधान से करने लगे और कथा को सुनते एवं दूसरों को भी शुक्रवार के व्रत की महिमा के बारे में बताते। इस तरह शुक्रवार के दिन का व्रत करने से सभी तरह की बाधाए दूर हो जाती है।


      ।।अथ शुक्रवार व्रत कथा समाप्त।।



शुक्रवार व्रत के लिए हवन-यज्ञ करना:-मनुष्य को अपनी इच्छा के पूरे के बाद अंतिम शुक्रवार के दिन हवन-यज्ञ करना चाहिए।

◆हवन-यज्ञ के लिए समिधा के रूप में उडम्बर-गूलर की लकड़ीयों का प्रयोग करते हुए हवन करना चाहिए।



शुक्रवार व्रत के दिन दान करना:-मनुष्य को अंतिम व्रत के दिन पर हवन करके छह कन्याओं को दूध,दही,चाँवल, खीर,घी,साबूदाना,सफेद मावा,मिष्ठान,केला,जुवार,गेँहू की रोटी आदि चीजों का  खाना खिलाना या दान करना चाहिए।

◆मनुष्य को दक्षिणा के रूप में सफेद कपड़े,सफेद रुमाल,श्रृंगारिक वस्तु,चाँदी आदि का दान अपनी शक्ति के अनुसार किसी एक आंख से काने व्यक्ति को करना चाहिए।



शुक्रवार के दिन का व्रत करने के फायदे:-शुक्रवार का व्रत कुंवारे लड़के-लड़की के मन की इच्छा के अनुसार जीवनसाथी को पाने में मदद करता है।

◆मनुष्य को अपने जीवनसाथी से प्यार और मधुरता से गृहस्थी जीवन बिताने में सहायता करता है।

◆मनुष्य के लिए मांगलिक काम को ठीक तरह से होने में मदद करता है।

◆शुक्रवार का व्रत आदमी-औरत और लड़के-लड़की सभी के लिए अच्छा नतीजा देने वाला है।


  

        ।।अथ शुक्रवार की आरती।।


आरती लक्ष्मण बाल जती की।

असुर संहारन प्रजापति की।।आरती लक्ष्मण बाल....।।

जगमग ज्योति अवधपुरी राजे।

शेषाचल पर आप विराजे।।आरती लक्ष्मण बाल........।।

घण्टाताल पखावाज बाजै।

कोटि देव आरती साजै।।आरती लक्ष्मण बाल............।।

क्रिटमुकुट कर धनुष विराजै।

 तीन लोक जाकि शोभा राजै।।आरती लक्ष्मण बाल....।।

कंचन थार कपूर सुहाई।

 आरती करत सुमित्रा माई।।आरती लक्ष्मण बाल........।।

प्रेम मगन होय आरती गावैं।

बसि बैकुण्ठ बहुरि नहीं आवैं।।आरती लक्ष्मण बाल....।।

भक्ति हेतु हरि लाड़ लड़ावैं।

जब घनश्याम परम् पद पावैं।।आरती लक्ष्मण बाल.....।।


       ।।अथ शुक्रवार की आरती समाप्त।।