मेहमान को कौनसी दिशा में ठहरावें(Which direction should the guest stay) या मेहमानों को कहा ठहराएँ?(Where are the guests?):-पुराने जमाने से अपने घर के दरवाजे पर कोई भी आने पर उसकी सेवा देवता के रूप में कई जाती थी।उन आने वाले मनुष्य जिनमें साधु-संत,फकीर,भिखारी,ऋषि-मुनि का आदर से स्वागत करके उनको कुछ न कुछ देकर उनको सन्तुष्ट करके ही विदा करते थे,बदले में उनके द्वारा आशीष दिया जाता था। हिन्दू धर्म-शास्त्रों में अपनी शरण और अपने आये हुए को सम्मान देना चाहिए। जब किसी के घर पर कोई मेहमान आते है तो उनको देवता के समान मानकर उनको आदर से सत्कार करना चाहिए।इसलिए शास्त्रों में कहा गया है कि 'अतिथि देवों भवः' अर्थात मेहमान भगवान के समान है।लेकिन आज के युग में जगह कम होने से मनुष्य की प्रवृत्ति ऐसी हो गई है कि वे चाहते कि उनको कोई भी तरह का व्यधान नहीं होवे और मेहमान कम समय पर वापस लौट जावें।इसलिए वास्तुशास्त्र के अनुसार मेहमान को कौंनसी दिशा के कमरे में रोके जिसे उनकी सेवा और मेहमानदारी हो सके और मेहमान कम समय रुके वापस लौट जावे।इसलिए वास्तुशास्त्र में मेहमान को रोकने के कमरों कि दिशा बतायी है।
वास्तुशास्त्र के अनुसार मेहमानों रोकने की दिशा:-वास्तुशास्त्र के अनुसार को वायव्य कोण के कक्ष में ठहराना चाहिए।क्योंकि वायव्य कोण के ग्रह,दिशा तथा देवता तीनों का स्वभाव चलते रहने का होता है। वायव्य कोण का मालिक सोम ग्रह होता है जो कि सबसे ज्यादा तेज गति से चलने वाले ग्रह होते है।
◆वायव्य कोण हवा की जगह होती है तथा वायव्य कोण के मालिक देव मारुत है।वायव्य कोण की दिशा में मेहमान को रोकने से मेहमान खुद को आदरपूर्ण मानते हुए उस भाव को अनुभव करते है।
◆मेहमान का आदर तथा हद तभी तक ही बना रहता है,जब तक वह मेहमान बने रहे।
◆मेहमान से इतर कुछ और बनने का कोशिश करने पर उसका इज्जत-प्रतिष्ठा खत्म होती है।
◆जिस प्रकार देवता को पूजा में बुलाने के लिए आव्हान किया जाता है,फिर पूजा करते है और बाद में उन देवी-देवता को त्याग देते है,उसी तरह मेहमान को आदर के साथ घर में लाते है और उनको इज्जत देते है।किंतु मेहमान जब तक ही मेहमान रहते है जब तक कि अपनी सीमा का पालन करते है। अतः मेहमानदारी धर्म की सीमा बनी रहे।
◆इसलिए मेहमानों को उत्तर,ईशान-पूर्व अथवा पश्चिम दिशा के कमरे में रोक सकते है।
◆परंतु सबसे अच्छी दिशा वायव्य कोण की होती है। मेहमानों को भूलकर भी दक्षिण,नैर्ऋत्य कोण यत् आग्नेय के कमरों में नहीं रोकना चाहिए।
◆दक्षिण दिशा तथा नैर्ऋत्य कोणों में मेहमानों को रोकने से ज्यादा दिनों तक रुके रहते है तथा उनको अच्छी तरह से आदर व मान-सम्मान देने पर भी भलाई या सहायता को नहीं मानते है।
◆आग्नेय कोण में रोकने पर मेहमान की सेवा करने वाले और मेहमान के बीच के सम्बन्धो में कड़वा पन आकर सम्बन्ध में खटास पड़ जाती हैं।
मेहमान के कमरे का रंग:-मेहमान को जिस कमरे में रोके उनका रंग हरा,नारंगी,गुलाबी,पिला या केशरिया या सफेद रखना चाहिए।
◆मेहमान के कमरों का रंग नीला,काला, भूरा यत् धुंए के रंग का कभी भी नहीं रखना चाहिए।