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Saturday, January 23, 2021

अथ मंगलवार के व्रत करने के विधि-विधान के नियम,कथा,आरती और व्रत के फायदे(Fasting rules of Atha Tuesday, rules of law, story, Aarti and benefits of fasting)

              



अथ मंगलवार के व्रत करने के विधि-विधान के नियम,कथा,आरती और व्रत के फायदे(Fasting rules of Atha Tuesday, rules of law, story, Aarti and benefits of fasting):-मंगलवार के दिन भगवान राम जी के भक्त हनुमानजी की आराधना और पूजा-पाठ करने चाहिए। हनुमानजी को खुश करने से सभी तरह के संकटो से मुक्ति मिटती है और मनुष्य को सब तरह के सुख मिलते है।मंगल ग्रह से सम्बंधित कमजोर असर से छुटकारा मिलता है।सभी तरह के सुख को पाने के लिए, खून के दोषों को दूर करने के लिए, राजकीय सम्मान पाने तथा सन्तान के रूप में बेटे को पाने के लिए मंगलवार का व्रत को करना सबसे अच्छा रहता है। 


मंगलवार व्रत की रीति के नियम:-मंगलवार का व्रत किसी भी शुक्ल पक्ष के पहले मंगलवार से आरम्भ करना चाहिए।मनुष्य को अपने मन मे इक्कीस या पैंतालीस व्रत को करने की प्रतिज्ञा करनी चाहिए।

भोजन के रूप में:- मनुष्य को खाने में गेँहू के आटे में गुड़ और गाय के शुद्ध घी से बना हुवा हलवा और मोदक लड्डुओं का पांच से सात ग्रास लेना चाहिए और फिर मनुष्य को खाने के रूप में दूसरी चीजों को खाना चाहिए।

◆मनुष्य को मंगलवार के व्रत में नमक का उपयोग नहीं करना चाहिए।

◆मनुष्य को गेँहू के आटे में गुड़ और गाय के शुद्ध घी से बना हुवा हलवा और मोदक लड्डुओं को किसी भी बेल-पशु को खिलाकर ही भोजन को करना चाहिए।

◆मनुष्य को मंगलवार व्रत के दिन हनुमानजी के मंदिर में जाकर दीपक को जलाना चाहिए।

◆मनुष्य को मंगलवार व्रत के दिन हनुमानजी के मंदिर में जाकर लाल फूलों की माला अर्पण करनी चाहिए।

◆मनुष्य को मंगलवार व्रत के दिन हनुमानजी के मंदिर में पानी वाला श्रीफल को अर्पण करना चाहिए।

◆मनुष्य को मंगलवार व्रत के दिन हनुमानजी के मंदिर में मनुष्य को श्रीहनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए

◆मनुष्य को मंगलवार व्रत के दिन हनुमानजी के मंदिर में  या अपने घर पर हनुमानाष्टक-बजरंग बाण का पाठ पूरी श्रद्धा से करना चाहिए।

◆मनुष्य को मंगलवार व्रत के दिन हनुमानजी के मंदिर में या घर पर पूरे दिन में समय के अनुसार ऊँ क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः बीज मंत्र का उच्चारण अपने मन के अंदर जाप करना चाहिए। 

◆मंगलवार के व्रत में गेहूँ और गुड़ का ही भोजन करना चाहिए।

◆दिन रात में मनुष्य को मंगलवार के व्रत में केवल एक बार ही करना चाहिए।

◆मनुष्य को इक्कीस सप्ताह तक व्रत को करना चाहिए। मनुष्य के सभी तरह के दोष मंगलवार का व्रत करने से मिट जाते है।

◆मनुष्य को मंगलवार के व्रत में पूजन के लिए लाल फुलों को चढ़ाना चाहिए।

◆मनुष्य को मंगलवार के व्रत के दिन लाल कपड़ों को पहनना चाहिए।

◆अंत में हनुमानजी की पूजा करनी चाहिए।

◆मंगलवार के व्रत की कथा का सुनना चाहिए।



अथ मंगलवार व्रत की पौराणिक कथा:- एक जमाने मे एक ब्राह्मण पति-पत्नी रहते थे,उनको कोई भी सन्तान नहीं थी,जिसके कारण वे दोनों ही हमेशा दुःखी रहते थे। इस तरह सन्तान नहीं होने से ब्राह्मण दुःखी होकर एक दिन हनुमानजी की पूजा करने के लिए जंगल में चला गया। वह पूजा के साथ महावीर जी से एक बेटे की इच्छा किया करता था। बेटे को पाने के लिए ब्राह्मणी नित्य मंगलवार का व्रत को किया करती थी। ब्राह्मणी मंगलवार के दिन व्रत के अंत भोजन बनाकर हनुमानजी को भोग लगाकर अंत मे खुद भोजन को करती थी। इस तरह एक दिन कोई व्रत आ गया जिसके कारण ब्राह्मणी भोजन नहीं बना सकी और हनुमानजी को भोग नहीं लगा सकी। जिससे वह अपने मन में ऐसी प्रतिज्ञा करके सो गयी कि अब वह अगले मंगलवार को हनुमानजी को भोग लगाने के बाद ही भोजन करेगी। इस तरह छः दिन तक वह भूखी प्यासी पड़ी रही। मंगलवार के दिन ब्राह्मणी को बेहोशी आ गयी तब हनुमानजी उसकी निष्ठा और लगन को देखकर खुश हो गये। हनुमानजी ने ब्राह्मणी को दर्शन दिए और कहा-"मैं तुमसे बहुत ही खुश हूँ। मैं तुझको एक सुंदर पुत्र देता हूँ। जो तुम्हारी बहुत ही सेवा करेगा।"हनुमानजी मंगल को बाल रूप में उसको दर्शन देकर अंतर्ध्यान हो गये। सुंदर बालक को पाकर ब्राह्मणी बहुत ही खुश हुई। ब्राह्मणी उस बालक का नाम मंगल रखा। थोड़े समय के बाद ब्राह्मण जंगल से लौटकर आया। खुश मुद्रा में सुंदर बालक को घर में खेलते हुए देखकर वह ब्राह्मण पत्नी से बोला कि-"यह बोला-"यह बालक कौन है?"पत्नी ने कहा-"मंगलवार के व्रत से खुश होकर हनुमानजी ने दर्शन देकर मुझे बालक दिया है। पत्नी की बात छल से भरी जान उसने सोचा यह कुल्टा व्यभिचारिणी अपनी कलुषता छुपाने  के लिए बात बन रही है। एक दिन उसका पति कुंए पर पानी भरने चला तो उसकी पत्नी ने कहा कि मंगल को भी अपने साथ ले जाओ। वह मंगल को भी साथ ले गया और उसको कुएँ में डालकर वापिस पानी भरकर घर आया तो पत्नी ने पूछा कि मंगल कहाँ है? तभी मंगल हँसते हुए घर आ गया। उसको देखकर ब्राह्मण आश्चर्यचकित हुआ। रात के समय उसके पति को हनुमानजी ने सपने में कहा-"यह बालक मैंने दिया है तुम पत्नी को कुल्टा क्यों कहते हो? पति यह जानकर हर्षित हुआ। फिर पति-पत्नी मंगलवार का व्रत रख अपना जीवन आनन्दपूर्वक बिताने लगे।जो कोई मनुष्य मंगलवार व्रत कथा को पढ़ता है या सुनता है और नियम से व्रत रखता है। उसे हनुमानजी की कृपा से सब कष्ट दूर होकर सभी तरह के सुख प्राप्त होते है।



मंगलवार तथा मंगलिया की कथा:- पुराने जमाने में एक बूढ़ी औरत थी। वह मंगल देवता को अपना इष्ट देव मानकर हमेशा मंगलवार का व्रत रखती और मंगलदेव का पूजन भी किया करती थी।मंगलवार के दिन उत्पन्न हुआ एक बेटा था इस कारण उस बूढ़ी औरत के बेटे को मंगलिया के नाम से पुकारा करती थी।मंगलदेव के दिन बुढ़िया न तो घर को लीपती और न ही पृथ्वी खोदा करती थी। एक दिन मंगल देवता उस बूढ़ी औरत की श्रद्धा की परीक्षा लेने के लिये उसके घर में साधु का रूप धरके आये और दरवाजे पर आवाज लगाई। बुढ़िया ने कहा महाराज क्या आदेश है ? साधु कहने लगा किबहुत ही जोरों की भूख लगी है,भोजन बनाना है। इसके लिए तू थोड़ी सी पृथ्वी लीप दे तो तेरा पूण्य होगा। यह सुन बुढ़िया ने कहा महाराज आज मंगलवार की व्रती हूँ इसलिये मैं चौका नहीं लगा सकती हूँ आप कहो तो जल का छिड़काव कर दूँ। उस पर भोजन बना लें। साधु कहने लगा कि मैं गोबर से लीपे चौके पर खाना बनाता हूँ। बुढ़िया ने कहा पृथ्वी लीपने के सिवाय और कोई सेवा हो तो मैं सबकुछ करने के लिए तैयार हूँ तब साधु ने कहा कि सोच समझकर उत्तर दो जो कुछ भी मैं कहूँ सब तुमको करना होगा। बुढ़िया कहने लगी कि महाराज पृथ्वी लीपने के अलावा जो भी आदेश दोगे। उसका पालन जरूर करूंगी। बुढ़िया ने इसे तीन बार वचन दे दिया। तब साधु कहने लगा कि तू अपने लड़के को बुलाकर औंधा लिटा दे,मैं उसकी पीठ पर भोजन बनाऊंगा। साधु की बात सुनकर बुढ़िया चुप हो गई। तब साधु ने कहा-"बुला ले लड़के को,अब सोच-विचार क्या करती है? बुढ़िया मंगलिया,मंगलिया कहकर पुकारने लगी।थोड़ी देर बाद लड़का आ गया। बुढ़िया ने कहा-"जा बेटे तुझको बाबाजी बुलाते हैं।" लड़के ने बाबाजी से जाकर पूछा-"क्या आदेश है महाराज?" बाबाजी ने कहा कि जाओ अपनी माताजी को बुला लाओ। तब माता आ गई तो साधु ने कहा कि तू ही इसको लिटा दे। बुढ़िया ने मंगल देवता को याद करते हुए लड़के को औंधा लिटा दिया और उसकी पीठ लगी कि महाराज अब जो कुुुछ आपको करना है कीजिए,मैं जाकर अपना काम करती हूँ। साधु ने लड़के की पीठ पर रखी हुई अंगीठी में आग जलाई  और उस पर भोजन बनाया। जब भोजन बन चुका तो साधु ने बुढ़िया से कहा कि अब अपने लड़के को बुलाओ वह भी आकर भोग ले जाये। बुढ़िया कहने लगी कि यह कैसे आश्चर्य की बात है कि उसकी पीठ पर अपने आग जलाई और उसी को प्रसाद के लिये बुलाते है। क्या यह सम्भव है कि अब भी आप उसको जीवट समझते हैं। आप कृपा करके उसका स्मरण भी मुझको न कराइए और भोग लगाकर जहां जाना हो जाइये। साधु के अत्यंत आग्रह करने पर बुढ़िया ने ज्यों ही मंगलिया कह कर आवाज लगाई त्यों ही एक ओर से दौड़ता हुआ आ गया। साधु ने लड़के को प्रसाद दिया और कहा कि माई तेरा व्रत सफल हो गया। तेरे ह्रदय में दया है और अपने इष्ट देव में अटल श्रद्धा है। इसके कारण तुमको कभी कोई कष्ट नहीं पहुंचेगा।

        

    ।।अथ मंगलवार व्रत कथा समाप्त।।



मनुष्य के द्वारा दान करना:-मनुष्य को सब तरह के काम करने के बाद में दक्षिणा के रूप में लाल कपड़े,ताम्र के बर्तन,गुड़ और नारियल आदि वस्तुओं का श्रद्धा पूर्वक दान किसी गरीब मनुष्य को या ब्राह्मण को करना चाहिए।


मंगलवार के व्रत में हवन-यज्ञ करना:-मनुष्य को  हनुमानजी के नाम से और मंगल ग्रह के अशुभ असर के लिए और अपनी मन की इच्छा के पूरा होने पर हवन-यज्ञ करना चाहिए।

◆मंगलवार के अंतिम व्रत के दिन पर हवन करना चाहिए।

◆मनुष्य को हवन करने के बाद बालक विद्यार्थी को लड्डुओं से भोजन करना चाहिए।

◆मनुष्य को हवन की समिधा के रूप में खदिर-खैर की लकड़ी का उपयोग करना चाहिए।


मंगलवार के व्रत को करने के फायदे:-मंगलवार के व्रत को मनुष्य के द्वारा करने से उसको ऋण लेने से मुक्ति मिलती है।

◆मनुष्य की धन सम्बन्धी परेशानी से आजादी मिलती है।

◆मनुष्य को सन्तान की प्राप्ति होती है।

◆मनुष्य को सुख मिलता है और मनुष्य के मन में अपने ऊपर विश्वास बढ़ता है

      


    

        ।।अथ मंगलवार के व्रत की आरती।।


आरती कीजै हनुमान लला की।

दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।।आरती कीजै हनुमान....।। 

जाके बल से गिरिवर कांपे।

रोग दोष निकट न झांके।।आरती कीजै हनुमान....।। 

अंजनी पुत्र महा बलदाई।

सन्तन के प्रभु सदा सहाई।।आरती कीजै हनुमान....।। 

दे बीड़ा रघुनाथ पठाये।

लंका जारि सिया सुधि लाये।।आरती कीजै हनुमान....।। 

लंका सो कोट समुद्र सी खाईं।

जात पवनसुत बार न लाई।।आरती कीजै हनुमान....।। 

लंका जारि असुर संहारे।

सियारामजी के काज संवारे।।आरती कीजै हनुमान....।। 

लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे।

लाय संजीवन प्राण उबारे।।आरती कीजै हनुमान....।। 

पैठी पाताल तोरि जम कारे।

अहिरावण की भुजा उखारे।।आरती कीजै हनुमान....।। 

बाएं भुजा असुर संहारे। 

दाहिने भुजा संत जन तारे।।आरती कीजै हनुमान....।। 

सुर नर मुनि आरती उतारें। 

जै जै जै हनुमान उचारें।।आरती कीजै हनुमान....।। 

कंचन थार कपूर लौ छाई। 

आरति करत अंजना माई।।आरती कीजै हनुमान....।। 

जो हनुमान जी की आरती गावै।

बसि बैकुंठ परमपद पावै।।आरती कीजै हनुमान....।। 

लंका विध्वंस किये रघुराई।

तुलसीदास कीर्ति गाई।।आरती कीजै हनुमान....।। 


  ।।अथ मंगलवार के व्रत की आरती समाप्त।।