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Sunday, February 7, 2021

दैनिक पंचांग के हालात को जानें दिनांक 07 फरवरी 2021 में(Know the situation of daily almanac on 07 February 2021)

              


 

दैनिक पंचांग के हालात को जानें दिनांक 07 फरवरी 2021 में(Know the situation of daily almanac on 07 February 2021):-आज के दिन सर्वाथ सिद्धि योग दोपहर 16: 14 बजे तक रहने से अच्छे काम को कर सकते है और कोई मुहूर्त नहीं मिलने पर इस योग में अपना काम करने से फायदा होगा।

आज के दिन विशेष रूप से माघ कृष्ण पक्ष षट् तिला एकादशी व्रत का दिन है।इसलिए आज के दिन भगवान विष्णु जी की पूजा-अर्चना करने से फायदा होगा।

प्रातःकाल 06:25:33 बजे से एकादशी तिथि शुरू होगी।एकादशी तिथि के स्वामी विश्वदेवा है,तो विश्वदेवा को खुश करने के लिए उनकी पूजा-अर्चना करनी चाहिए।एकादशी को नन्दा तिथि माना गई है और एकादशी तिथि में उपवास, उपनयन,विवाह,खेती-व्यापार, शिल्प,नृत्य,गृह सम्बन्धी कामों और चित्रकारी आदि कामों को करना ठीक रहता है।


            दैनिक पंचांग का विवरण



दिनांक-------------------07 फरवरी 2021            महीना (अमावस्यांत् )---------पौष

महीना (पूर्णिमांंत् )-------------माघ

पक्ष------------------------------कृष्ण पक्ष

कलियुगाब्द्--------------------5122

विक्रम संवत्-------------------2077 विक्रम संवत

विक्रम संवत् (कर्तक्)---------2077 विक्रम संवत

शक संवत्----------------------1942 शक संवत

ऋतु-----------------------------शिशिर ऋतु

सूर्य का अयण----------------उत्तरायणे

सूर्य का गोल------------------दक्षिण गोले

संवत्सर(उत्तर)------------------प्रमादी

संवत्सर--------------------------शार्वरी 



                            पंचांग                           


तिथि-------एकादशी तिथि प्रातः(कल)  28:47:03  तक रहेगी।

वार--------------रविवार

नक्षत्र----------ज्येष्ठा नक्षत्र दोपहर  16:13:41 तक रहेगा।

नक्षत्र------ उसके बाद दोपहर 16:13:41 से मूल नक्षत्र शुरू होगा।

योग---------व्याघात योग दोपहर 13:58:59 तक रहेगा।

उसके बाद  दोपहर 13:58:59 से हर्षण योग शुरू होगा

करण---------बव करण सायं 17:35:08 तक उसके बाद  में

करण---------बालव करण शुरू होकर प्रातः(कल) 28:47:03 तक रहेगा। 

चन्द्रमा की राशि---वृश्चिक राशि में चन्द्रमा दोपहर 16:13:41 तक रहेगा,

उसके बाद दोपहर 16:13:41 से धनु राशि का चन्द्रमा रहेगा। 

सूर्य की राशि-----------सूर्य मकर राशि में ही रहेंगे।


सौर प्रविष्टे-------------25,माघ।


सूर्य का उदय व अस्त,दिनमान व रात्रिमान और चन्द्रमा के उदय और अस्त का समय:-


सूर्योदय का समय:-प्रातःकाल 07:06:55।

सूर्यास्त का समय:-सायं 18:03:57।

चन्द्रोदय का समय:- प्रातः(कल) 28:10:35।

चन्द्रास्त का समय:- दोपहर 13:43:08।

दिनमान का समय:- प्रातःकाल 10:57:02।

रात्रिमान का समय:-दोपहर से 13:02:16।



आज जन्में बच्चे के नक्षत्र का चरण और नाम अक्षर:-



तीसरा चरण यी अक्षर ज्येष्ठा नक्षत्र का समय प्रातः काल 10:28:39 तक रहेगा।

चतुर्थ चरण यू अक्षर ज्येष्ठा नक्षत्र का समय दोपहर  16:13:41 तक रहेगा।

पहला चरण ये अक्षर मूल नक्षत्र का समय  रात्रि 21:59:17 तक रहेगा।

दूसरा चरण यो अक्षर मूल नक्षत्र का समय प्रातः (कल) 27:45:29 तक रहेगा।


आंग्ल मतानुसार 07 फरवरी  2021  ईस्वी सन


                    अशुभ मुहूर्त का समय                


राहुकाल मुहूर्त का समय:-दोपहर 16:42 से  18:04 तक रहेगा जो कि अशुभ मुहूर्त का समय होने से अच्छे कामों को इस समय में नहीं करे। 

यमघण्टा मुहूर्त का समय:-दोपहर 12:35 से 13:58 तक रहेगा जो कि अशुभ मुहूर्त है।

गुलिक मुहूर्त का समय:-दोपहर 15:20 से 16:42 तक रहेगा जो कि अशुभ मुहूर्त है।

दूर मुहूर्त का समय:-दोपहर 16:36 से 17:20 तक रहेगा जो कि अशुभ मुहूर्त का समय है।

गंडमूल मुहूर्त का समय:-अहोरात्र  तक रहेगा जो कि अशुभ मुहूर्त का समय है।




                      शुभ मुहूर्त का समय                      


अभिजीत महूर्त का समय:-दोपहर 12:14 से दोपहर 12:57 तक का समय शुभ होने से जिन कामों को करने में मुहूर्त नहीं मिलने पर अभिजीत मुहूर्त के समय में कामों को करने से कामयाबी मिलती है।



                 दिशाशूल से बचने का उपाय:-             


दिशा शूल:-पश्चिम दिशा की ओर रहने से यदि जरूरी हो तो पान या दलिया खाकर या घी पीकर यात्रा करने से दिशाशूल का परिहार हो जाता है।


नोट:-दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है। 

◆प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है। 

"चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।

शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥

रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।

अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥"

अर्थात-:

चर:- में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।

उद्वेग:- में जमीन सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।

शुभ:- में औरत श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।

लाभ:- में धंधा करें ।

रोग:- में जब कोई बीमार बीमारी से ठीक होने पर उसे  स्नान करें ।

काल:- में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।

अमृत:- में सभी शुभ कार्य करें ।


            

 दिन के चौघड़िया के समय से जानें मुहूर्त को:-     


उद्वेग का चौघड़िया:-प्रातः 07:07 से 08:29 तक रहेगा जो कि शुभ कार्य को करने के लिए अशुभ रहेगा।

चर का चौघड़िया:-प्रातः 08:29 से 09:51 तक रहेगा जो कि शुभ कार्य को करने के लिए शुभ रहेगा।

लाभ का चौघड़िया:-प्रातः 09:51 से 11:13 तक रहेगा,जो कि शुभ कार्य को करने के लिए शुभ रहेगा।

अमृत का चौघड़िया:-प्रातः 11:13 से 12:35 तक रहेगा जो कि शुभ कार्य को करने के लिए शुभ समय रहेगा।

काल का चौघड़िया:-दोपहर 12:35 से 13:58 तक रहेगा जो कि शुभ कार्य को करने के लिए अशुभ रहेगा। 

शुभ का चौघड़िया:-दोपहर 13:58 से 15:20 तक रहेगा जो कि शुभ कार्य को करने के लिए शुभ रहेगा।

रोग का चौघड़िया:-दोपहर 15:20 से 16:42 तक रहेगा जो कि शुभ कार्य को करने के लिए अशुभ रहेगा।

उद्वेग का चौघड़िया:-सायं 16:42 से 18:04 तक रहेगा जो कि शुभ कार्य को करने के लिए अशुभ रहेगा।

       


रात के चौघड़िया के समय से जानें मुहूर्त को:-



शुभ का चौघड़िया:-सायं 18:04 से 19:42 तक रहेगा जो कि शुभ कार्य को करने के लिए शुभ रहेगा।

अमृत का चौघड़िया:-रात्रि 19:42 से 21:20 तक रहेगा जो कि शुभ कार्य को करने के लिए शुभ रहेगा।

चर का चौघड़िया:-रात्रि 21:20 से 22:57 तक रहेगा जो कि शुभ कार्य को करने के लिए शुभ रहेगा।

रोग का चौघड़िया:-रात्रि 22:57 से 24:35 तक रहेगा जो कि शुभ कार्य को करने के लिए अशुभ रहेगा।

काल का चौघड़िया:-मध्य रात्रि 24:35 से 26:13 तक रहेगा जो कि शुभ कार्य को करने के लिए अशुभ रहेगा।

लाभ का चौघड़िया:-मध्यरात्रि 26:13 से 27:51 तक रहेगा जो कि शुभ कार्य को करने के लिए शुभ रहेगा।

उद्वेग का चौघड़िया:-रात्रि 27:51 से 29:28 तक रहेगा जो कि शुभ कार्य को करने के लिए अशुभ रहेगा।

शुभ का चौघड़िया:-प्रातः(कल) 29:28 से 31:06 तक रहेगा जो कि शुभ कार्य को करने के लिए शुभ रहेगा।



सूर्योदयकालीन उदित लग्न:-मकर लग्न 24°21' गति 294°21' रहेगा।

सूर्य नक्षत्र :-  धनिष्ठा नक्षत्र में सूर्य रहेंगे।

चन्द्रमा नक्षत्र:- ज्येष्ठा नक्षत्र में चन्द्रमा रहेंगे।

           

गोचर राशि में ग्रहों के हालात,नक्षत्रों के चरण और अक्षर :-जो नीचे बताये गए है:-


ग्रह----------राशि----------नक्षत्र के चरण--अक्षर      


सूर्य ग्रह:-मकर राशि में धनिष्ठा नक्षत्र के पहले चरण के गा अक्षर में रहेंगे।

चन्द्रमा ग्रह:-वृश्चिक राशि में ज्येष्ठा नक्षत्र के तीजे चरण के यी अक्षर में रहेंगे।

मंगल ग्रह:-मेष राशि में भरणी नक्षत्र के तीजे चरण के ले अक्षर रहेंगे।

बुध ग्रह:- मकर राशि में धनिष्ठा नक्षत्र के दुजे चरण के गी अक्षर आएगा।

गुरु ग्रह:-मकर राशि में श्रवण नक्षत्र के तीजे चरण के खे अक्षर आएगा।

शुक्र ग्रह:- मकर में श्रवण नक्षत्र के पहले चरण के खी अक्षर रहेगा।

शनि ग्रह:-मकर राशि में श्रवण नक्षत्र के पहले चरण के खी अक्षर रहेगा।

राहु ग्रह:-वृषभ राशि में रोहिणी नक्षत्र के चौथे चरण के वु अक्षर रहेगा।

केतु ग्रह:-वृश्चिक राशि में ज्येष्ठा नक्षत्र के दूसरे चरण के या अक्षर रहेगा। 



    ।।अंक शास्त्र ज्योतिष विज्ञान से जानें हाल:-


07 तारीख को जन्में मनुष्य के लिए मूलांक 7 के लिए शुभाशुभ:-

शुभ-तारीखें:-हर माह की 7,16 और 25 तारीख।

शुभ-वार:--बुधवार 

शुभ-वर्ष:-उम्र के 7,16,25,34,43,52,61,70,79,88 और 97 वें वर्ष।

शुभ-दिशा:-वायव्य(उत्तर-पश्चिम)

शुभ-रंग:--हल्का रंग।

शुभ-रत्न:-लहसुनिया।

शुभ-धातु:-मिश्रित धातु।

आराध्य-देव:-भगवान नृसिंह जी।

जपनीय-मन्त्र:-ऊँ कें केतवे नमः।

पूज्य-धारण योग्य यंत्र:-

                  14      9     16 

                  15     13    11

                  10     17     12

मित्र-अंक (मालिक ग्रह के अनुसार):-5,6,7 और 8।

शत्रु-अंक (मालिक ग्रह के अनुसार):-1,2,4 और 9।

सम-अंक (मालिक ग्रह के अनुसार):--3।



षट्तिला एकादशी(माघ कृष्ण-एकादशी) व्रत:-
यह माघ मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी के रूप में मनायी जाती हैं। माघ कृष्ण पक्ष की एकादशी व्रत में छः तरह के तिल का प्रयोग होने के कारण इसे षट्तिला एकादशी कहते है।

◆पंचामृत में तिल मिलाकर पहले भगवान विष्णु जी को स्नान करवाना चाहिए।
◆माघ कृष्ण पक्ष की एकादशी व्रत के दिन तिल मिश्रित भोजन को करना चाहिए।
◆व्रत करने वालों को दिन में हरि कीर्तन कर रात्रि में भगवान की प्रतिमा के सामने सोना चाहिए।
◆इस दिन काले रंग की गाय माता और छः तरह के तिलों में से विशेष कर काले तिलों का बहुत ज्यादा महत्व होता है।
◆व्रत करने वालों को अपने शरीर पर तिल-तेल,गर्दन,तिल को मिलाकर स्नान करना,तिल को पानी में मिलाकर पानी पीना और तिल से बनी हुई वस्तुओं को भोजन के रूप में लेना चाहिए।
◆इस व्रत के दिन काले तिलों को हवन की सामग्री के रूप में उपयोग में लेने के लिए भगवान श्रीकृष्णजी ने नारदजी को बताया था।




षट्तिला-एकादशी(माघ-कृष्ण-एकादशी)व्रत-की पौराणिक कथा:-एक जमाने में एक गरीब ब्राह्मणी एक नगर में रहती थी।वह नित्य प्रतिदिन भगवान की पूजा-पाठ करती थी। उसने साधु-संतों के द्वारा बताएं अनुसार तपस्या करना शुरू किया। वह नित्य तपस्या करने से उसकी देह सूखती जा रही थी। लेकिन उसने तपस्या निरन्तर चालू रखी और अपने शरीर को सुखा डाला। उस ब्राह्मणी के इस तरह की कठोर तपस्या को करते देख भगवान खुश होकर उसकी परीक्षा लेने के लिए एक भिखारी का रूप लेकर उसके सामने प्रकट हुए और उसके द्वार पर जाकर उससे भीख मांगने की आवाज लगाई। ब्राह्मणी ने गुस्सा करते हुए भगवान के रूप में भिखारी के भिक्षा बर्तन में मिट्टी का ढेला दाल डाल दिया।इस तरह भगवान के रूप में बने भिखारी ने वह मिट्टी का ढेला लेकर चले गये। समय बीतने पर उस ब्राह्मणी की मृत्यु हो गई और मरने के बाद उसे बैकुण्ठ में जगह मिली। बैकुण्ठ में रहने के लिए उसे मिट्टी का साफ और आलीशान भवन दिया गया।उसके लिए रहने की व्यवस्था तो थी,लेकिन खाने-पीने की कोई तरह की व्यवस्था नहीं थी।इस तरह उस बैकुण्ठ की जगह पर व्यवस्था को देखकर उसे बहुत ही ज्यादा दुःख हुआ।फिर उस ब्राह्मणी ने मन में सोचा की मैंने जीवनभर तपस्या की और कठोर तपस्या के करने पर भी मुझे इस बैकुण्ठ में सुविधाएं दी।लेकिन इन सुविधाओं में खाने-पीने के लिए मुझे कुछ भी नहीं उपलब्ध करवाया।फिर अपने अन्तःकरण से ईश्वर को याद किया और भगवान से इसका कारण पूछा तो भगवान ने कहा कि इसका कारण देवांगन से पूछो।तब देवांगनाओं ने उस ब्राह्मणी को बताया-"तुमने षट्तिला एकादशी का व्रत नहीं किया है तब ब्राह्मणी ने फिर पूरे विधि-विधान के साथ षट्तिला एकादशी का व्रत करना शुरू किया और व्रत के प्रभाव से उसे स्वर्ग के सारे सुखों की प्राप्ति हुई और सब सुखों को भोगते हुए भगवान का गुणगान करती रही थी।

दूसरी षट् तिला एकादशी व्रत की पौराणिक कथा:-पुराने जमाने में वाराणसी में एक गरीब अहीर रहता था। वह जंगल से लकड़ी काटकर बेचने का काम करता था। जिस दिनुसकी लकड़ी नहीं बिकती तो परिवार को भूखा रहना पड़ता था। एक दिन वह साहूकार के घर लकड़ी बेचने गया। साहूकार के यहां उसने देखा कि किसी उत्सव की तैयारी चल रही थी। अहीर ने सेठजी से डरते-डरते पूछा कि सेठजी!किसी चीज की तैयारी हो रही है। सेठजी ने बताया कि षट् तिला एकादशी व्रत की तैयारी की जा रही है। इस व्रत के करने से गरीबी,रोग,पाप आदि से छुटकारा तथा धन एवं पुत्र की प्राप्ति होती है। इस तरह अहीर ने सेठजी से षट् तिला एकादशी व्रत की विधि-विधान को जानकर अपने पहुंचकर अहीर ने अपनी स्त्री सहित षट् तिला एकादशी व्रत का व्रत किया। इस तरह व्रत करने से वह गरीब से अमीर बन गया।