वैशाख मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि (वरूथिनी एकादशी) के व्रत की विधि, कथा और फायदे (The method, story and benefits of fasting of Ekadashi date (Varuthini Ekadashi) of Krishna Paksha of Vaishakh month):-वैशाख मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को वरुथिनी एकादशी मनायी जाती है।वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को अत्यंत पुण्यदायिनी और सौभाग्यप्रदायिनी वरूथिनी एकादशी कहा जाता है।
वैशाख मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि (वरूथिनी एकादशी) के व्रत करने की विधि:-निम्नलिखित हैं।
◆इस दिन भक्ति भाव से मधुसूदन देवजी की पूजा-अर्चना करनी चाहिए।
◆इस व्रत को करने से भगवान मधुसूदन जी की कृपा दृष्टि की प्राप्ति होती है।
◆इस व्रत को करने से सभी तरह के पापों का नाश होता है और पापों से मुक्ति मिलती है।
◆इस व्रत के करने से सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
◆व्रत करने वाले को हविष्यान्न का मतलब यज्ञादि में उपयोग में लाये जाने वाले विहित सात्विक अन्न या आहार जैसे-जौ, तिल, मूँग, चावल आदि भोजन के रूप में ग्रहण करना चाहिए
◆व्रत करने वाले को अपने परिवार के सदस्यों को रात्रि में भगवद भजन करके जागरण करना चाहिए।
◆इस दिन खरबूजे का आहार के रूप में ग्रहण करना चाहिए
व्रत करने वालों को निम्नांकित चीजों को छोड़ना:- चाहिए-
1.व्रत करने वालों को भोजन कांसे के बर्तन में नहीं करना चाहिए।
2.व्रत करने वालों को शाकाहारी रहना चाहिए और मांस आदि मांसाहारी चीजों से परहेज करना चाहिए।
3.व्रत को करने वालों को मसूर की दाल को भोजन के रूप में ग्रहण नहीं करना चाहिए।
4.भोजन के रूप में चना या चने की दाल को उपयोग में नहीं लेना चाहिए।
5.कोंन्दो का त्याग करना चाहिए।
6.व्रती को शाक का परहेज रखना चाहिए।
7.व्रती को मधु से दूरी बनाकर रखनी चाहिए।
8.व्रती को दूसरे के अन्न का त्याग करना चाहिए।
9.भोजन को दिन-रात में एक बार करना चाहिए और दूसरी बार भोजन को ग्रहण नहीं करे।
10.व्रती को अपनी कामक्रीड़ा पर नियंत्रण रखते हुए औरत से दूरी रखनी चाहिए। इस दिन रति क्रिया भी नहीं करना चाहिए और ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।
11.इस दिन व्रत करके जुआ खेलना नहीं चाहिए।
12.इस दिन व्रत करके नींद नहीं लेनी चाहिए।
13.व्रत करने वालो को व्रत के दिन पान का सेवन नहीं करना चाहिए।
14.व्रत के दिन में दन्तधावन नहीं करनी चाहिए।
15.व्रत करने वालों को दूसरों के बारे में बुरी बाते नहीं करना चाहिए।
16.व्रत करने वालों को शूद्रता को त्याग देना चाहिए।
17.इस दिन किसी तरह की हिंसा नहीं करनी चाहिए।
18.जो कोई व्रत करते है, उनको इस दिन अपने गुस्से को नियंत्रण में रखना चाहिए।
19.जो कोई व्रत करने वालो को झूठ नहीं बोलना चाहिए।
इन सब बातों का ध्यान रखने से व्रत करने वालों को मानसिक शांति मिलती है।
वैशाख मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि(वरूथिनी एकादशी) के व्रत की पौराणिक कथा:-पुराने जमाने में एक नगर में मांधाता नामक एक राजा राज्य करता था। जो अत्यन्त ही दान करने वाला था और अपने दरबार में आये हुए किसी को भी खाली हाथ नहीं भेजता था।मांधाता राजा में दूसरों के भलाई करने में रुचि रखते थे।अपनी भलाई करने के काम से चारों तरफ उनकी प्रसिद्धी थी।राजा तपस्या भी किया करता था।इस तरह राजा अपना सबकुछ त्याग करके अपने राज्य को अपनी सन्तान को देखकर खुद ईश्वर की भक्ति करने के लिए जंगल में चला गया। जंगल में एक दिन तपस्या में मग्न था। एक भालू आया वह राजा मान्धाता के पैर को पकड़कर घसीटते हुए वन में ले गया।तब राजा मान्धाता अपने ऊपर मौत का साया देखकर और घबराकर भगवान विष्णु जी से प्रार्थना की।हे विष्णुजी! इस मौत रूपी भालू से मेरी रक्षा करे। भक्त की पुकार को सुनकर भगवान विष्णुजी ने अपने सुदर्शन चक्र से उस भालू को मार दिया और अपने भक्त की रक्षा की थी।
भगवान विष्णुजी ने राजा मांधाता से कहा-हे राजन!मथुरा में मेरी वराहावतार मूर्ति है।वरूथिनी एकादशी का व्रत रखकर उसकी पूजा करना। उसके प्रभाव से तुम अपने पैरों को पुनः प्राप्त कर सकोगे। राजा ने इस व्रत को अपार श्रद्धा से किया था। व्रत करने से व्रत के प्रभाव से राजा को उनके पैरों की पुनः प्राप्ति हुई। इस तरह राजा मांधाता अपने पैरों को पाकर भगवान विष्णुजी की मूर्ति वराहावतार की पूजा-आराधना करने लगा। इस तरह भगवान विष्णु जी की वराहावतार मूर्ति की पूजा करते हुए अपने जीवन को आनन्द से जीते हुए और अंत में मोक्ष गति की प्राप्ति हुई।
वैशाख मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि (वरूथिनी एकादशी) के व्रत करने के फायदे:-
◆वरूथिनी एकादशी के व्रत करने से व्रत करने वालों को अन्न दान और लड़की का विवाह के रूप में कन्या दान के समान पुण्य फल मिलता है।
◆वरुथिनी एकादशी व्रत को करने से व्रती को मानव जीवन के आने-जाने के चक्कर से आजादी मिलकर मोक्ष की प्राप्ति होती है और स्वर्ग के भागी बनते है।
◆वरूथिनी एकादशी व्रत की कथा को सुनने से और दूसरों को इस व्रत के महत्व को बताकर उनको व्रत करने के लिए प्रेरित करने से हजारों गायो के दान के समान पुण्य फल की प्राप्ति होती है।