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Sunday, March 14, 2021

पापांकुशा एकादशी व्रत विधि, कथा और महत्व(Papankusha Ekadashi fasting method, story and importance)

              


पापांकुशा एकादशी व्रत विधि, कथा और महत्व(Papankusha Ekadashi fasting method, story and importance):-आश्विन महीने के शुक्लपक्ष की एकादशी तिथि को होने से इस एकादशी को 'पापांकुशा एकादशी'कहा जाता हैं।इस एकादशी को पाप रूपी हाथी को महावत रूपी अंकुश बनाकर बेधने के कारण से 'पापांकुशा एकादशी'कहलायी।इस दिन इमली का भी आहार करना चाहिए।


धर्मराज ने कहा:हे मुरलीधर जी।आप से निवेदन करता हूँ कि आप मुझे आश्विन महीने के शुक्ल पक्ष में आने वाली एकादशी के बारे में बताये।इस माह में आने वाली एकादशी को कौनसे नाम से जाना जाता हैं,इस एकादशी को किस तरह की विधि से करे और इस एकादशी का क्या महत्व है?आप कृपया करके मुझे पूरा विवरण इस एकादशी के बारे में बताये।

भगवान श्रीकेशवजी ने कहा:हे राजन्।आश्विन महीने के शुक्लपक्ष में आने वाली एकादशी को 'पापांकुशा के नाम से जाना जाता हैं।यह 'पापांकुशा'नाम की एकादशी को करने से सभी तरह के बुरे किये गए पापों को नष्ट करने करने वाली,सर्वग और मोक्ष को देने वाली,देह को स्वस्थ रखने वाली,सुंदर-सुशील औरत-आदमी की चाहत को पूरी करने वाली,रुपये-पैसों एवं सुख-सम्पदा को देने वाली और दोस्तों की संख्या में बढ़ोतरी करने वाली होती हैं।

यदि दूसरे काम के प्रसंग से भी कोई भी मानव इस एकमात्र एकादशी का उपवास कर लेने पर उस मनुष्य को जीवन में कभी यमराज के यमलोक की यातनाओं को सहन करने की जरूरत नहीं पड़ती हैं।राजन्।इस एकादशी के दिन उपवास करना चाहिए।

रात्रि के समय में जागरण करने वाले मानव को अनायास ही दिव्यरूपधारी,चतुर्भुज, गरुड़ की ध्वजा से युक्त,हार से सुशोभित और पीताम्बरधारी होकर भगवान श्रीचक्रपाणी जी के विष्णुलोक की प्राप्ति हो जाती हैं।

राजेन्द्र। ऐसे पुरुष मातृपक्ष की दश, पितृपक्ष की दश और अपने जीवनसाथी के पक्ष की भी दश पीढ़ियों के उद्धार करने वाली होती है।

उस दिन सभी मन की इच्छाओं की पूर्ति के लिए मुझ चक्रपाणि का पूजन विधि-विधान से करना चाहिए।जितेन्द्रिय मुनि लम्बे समय तक कठोर तपस्या करके जिस फल को प्राप्त करते है,वह फल उस दिन भगवान जनार्दन को प्रणाम करने से ही मिल जाता हैं।जो पुरुष सुवर्ण,तिल, जमीन,गाय,अन्न,जल,जूते और छाते का दान करते है।

वह कभी यमराज को नहीं देखता।नृपश्रेष्ठ!गरीब मनुष्य को भी चाहिए कि वह स्नान,जप ध्यान आदि करने के बाद अपने सामर्थ्य के अनुसार होम,यज्ञ तथा दान आदि करके अपने प्रत्येक दिन को सफल बनाये।

जो होम,स्नान, जप,ध्यान और यज्ञ आदि पुण्यकर्म करने वाले है,उन्हें भयंकर यम यातना नहीं देखनी पड़ती।लोक में जो मानव दीर्घायु,रुपये-पैसों वाला धनवान,अच्छे स्वभाव के और शरीर से स्वस्थ देखे जाते है।

इस विषय में अधिक कहने से क्या लाभ,मनुष्य पाप से दुर्गति में पड़ते है और धर्म से स्वर्ग में जाते हैं।राजन्।तुमने मुझसे जो कुछ पूछा था,उसके अनुसार'पापांकुशा एकादशी'का माहात्म्य मैनें वर्णन किया।

पापाकुंशा एकादशी की पौराणिक कथा:-विन्ध्य नामक पर्वत पर एक महाक्रूर नामक शिकारी रहता था।उसका जीवन हिंसा,लूटपाट, शराब पीना और वेश्यागमन में बीत गया।यमराज ने एक दिन पूर्व ही दूतों को उसे लाने के लिए भेज दिया।दूतों ने क्रोधन को कहा कि कल तुम्हारा अंतिम दिन है।हम तुम्हें ले जायेंगे।क्रोधन डर से अंगिरा ऋषि के आश्रम में चला गया।

ऋषि से रक्षा हेतु प्रार्थना की तो ऋषि को उस पर दया आ गयी।उन्होनें उसे पापांकुशा एकादशी करने को कहा।क्रोधन ने ऋषि के कहे अनुसार पापांकुशा एकादशी के व्रत को किया।इस व्रत को करने से व्रत के प्रभाव से भगवान खुश होकर उसको विष्णुधाम भेज दिया।एकादशी करने से भगवान के पार्षद आए और यमदूत उनको देखते ही भाग गए।

पापांकुशा एकादशी व्रत का महत्व:-पापांकुशा एकादशी के व्रत को करने से मनुष्य के द्वारा किये गए पापों से मुक्ति मिल जाती है।

जो मनुष्य पापांकुशा एकादशी का व्रत करता है उस मनुष्य को इस एकादशी व्रत के प्रभाव से जन्म-मरण के बंधन से आजादी मिल जाती है,उस मनुष्य की मुक्ति हो जाती है और उस मनुष्य को भगवान विष्णुजी के चरणों में उनकी सेवा करने का मौका मिलता है।