आरती श्री कुंजबिहारी जी की (Aarti of Shri Kunjbihari):-भगवान श्री कृष्णजी को कुंजबिहारी जी के नाम से भी जाना जाता हैं, माखन चोर श्री कृष्णजी की अनुकृपा को पाने के लिए मनुष्य को हमेशा उनकी आरती को नियमित रूप से करना चाहिए। जिनके पुत्र सन्तान नहीं हो रहा है उनको कृष्ण भगवान के बाल्य स्वरूप की जिसमें माखन खाते हुए तस्वीर या मूर्ति हो उस मूर्ति या तस्वीर को अपने घर के पूजा स्थल में स्थापित करके उनका पूजन करके नियमित रूप से उनकी अरदास करने से अवश्य ही पुत्र सन्तान की प्राप्ति होती है। पारिवारिक जीवन में प्रेम और एक दूसरे के प्रति मोह बना रहे और परिवार में एक दूसरे के प्रति प्रेम और सहयोग की भावना बढ़ाने के लिए नियमित रूप से श्री कुंजबिहारी जी आरती करते रहना चाहिए।
।।आरती श्री कुंजबिहारी जी की।।
आरती कुंजबिहारी की,
श्रीगिरधर कृष्णमुरारी की।
आरती कुंजबिहारी की,
श्रीगिरधर कृष्णमुरारी की।
गले में बैजंतीमाला,
बजावै मुरलि मधुर बाला।
श्रवण में कुंडल झलकाता,
नन्द के आनन्द नन्दलाला।।
आरती कुंजबिहारी,
श्रीगिरधर कृष्णमुरारी की।
गगन सम अंग कांति काली,
राधिका चमक रही आली,
लतन में ठाढ़े बनमाली,
भ्रमर-सी अलक, कस्तूरी-तिलक,
चन्द्र-सी झलक,
ललित छवि स्यामा प्यारी की।
आरती कुंजबिहारी,
श्रीगिरधर कृष्णमुरारी की।
कनकमय मोर-मुकुट बिलसै,
देवता दर सनकों तरसै,
गगन सों सुमन रासि बरसै,
बजे मुरचंग,मधुर मिरदंग, ग्वालिनी संग,
अतुल रति गोपकुमारिकी।
आरती कुंजबिहारी,
श्रीगिरधर कृष्णमुरारी की।
जहाँ ते प्रगट भई गंगा,
सकल-मल-हारिणि श्रीगंगा,
स्मरन ते होत मोह-भंगा,
बसी सिव सीस, जटाके बीच, हरै अघ कीच,
चरन छबि श्री बनचारी की।
आरती कुंजबिहारी,
श्रीगिरधर कृष्णमुरारी की।
चमकती उज्ज्वल तट रेनू,
बज रही बृंदाबन बेनू,
चहूँँ दिसि गोपि ग्वाल धेनू,
हँसत मृदु मंद, चाँदनी चंद, कटत भव-फंद,
टेर सुनु दिन दुखारी की।
आरती कुंजबिहारी,
श्रीगिरधर कृष्णमुरारी की।
आरती कुंजबिहारी,
श्रीगिरधर कृष्णमुरारी की।
गले में बैजंतीमाला,
बजावै मुरलि मधुर बाला।
।।इति श्रीकुंजबिहारी की आरती।।
।।जय बोलो कुंजबिहारी जी की जय हो।।