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Tuesday, August 3, 2021

शीतला माता की आरती(Sheetla Mata ki Aarti)

                 


श्री शीतला माता की आरती(Shri Sheetla Mata ki Aarti):-माता शीतला को चेचक की देवी के रूप में जाना जाता हैं। चेचक एक तरह का रोग होता हैं, जिसमें शरीर पर फलोले हो जाते है, उन फफोले में पानी की तरह द्रव भरा रहता हैं, उन फलोलो को फोड़ने पर शरीर पर बहुत ही तीव्र जलन होती हैं एवं शरीर ताप से पीड़ित हो जाता हैं। शरीर पर काले धब्बे हो जाते है। इस तरह की बीमारी से बचने के लिए मनुष्य को माता शीतला की अरदास करनी चाहिए, जिनमें माता शीतला की आरती विशेषरूप से करना चाहिए, ◆आरती करने से माता शीतला की कृपा दृष्टि बनी रहती हैं और आशीर्वाद के रूप में चेचक बीमारी से मुक्ति मिल जाती हैं।

◆माता शीतला की आरती करने से मनुष्य को सन्तति से  सम्बंधित किसी तरह की परेशानी होने पर मुक्ति मिल जाती हैं सन्तति की प्राप्ति होती हैं।


◆मनुष्य को ज्वर की तरह गर्मी के रोगों से छुटकारा मिल जाता हैं।

◆मनुष्य को शीतलता की अनुभूति होती है। इसलिए मनुष्य को अपने घर के सदस्यों की चेचक जैसी बीमारियों से रक्षा के लिए माता शीतला की आरती करते रहना चाहिए।

◆शीतला माता की आरती करते रहने पर सभी तरह के कष्टों से मुक्ति मिल जाती हैं।

◆शीतला माता का गुणगान करने मनुष्य की गरीबी मिट जाती हैं और धन-धान्य की प्राप्ति होती हैं।

◆शीतला माता की स्तुति करते रहने से जिन मनुष्य को कोढ़ का रोग होवा हुआ हैं उनका कोढ़ रोग ठीक हो जाता हैं।

◆जो औरते बांझ रोग से पीड़ित होती हैं उनको सन्तान प्राप्ति का कोई उपाय नहीं दिखाई देने पर उनको माता शीतला की शरण में जाना चाहिए और उनकी स्तुति व आरती को करते रहने पर निश्चित ही सन्तान की प्राप्ति हो जाती हैं।


।।अथ श्री शीतला माता जी की आरती।।

जय शीतला माता, मैया जय शीतला माता।

आदि ज्योति महारानी सब फल की दाता।।

जय शीतला माता, मैया जय शीतला माता।

आदि ज्योति महारानी सब फल की दाता।।

रत्न सिहांसन शोभित, श्वेत छत्र भ्राता।

ऋषिसिद्धि चंवर डोलावें, जगमग छवि छाता।।

जय शीतला माता, मैया जय शीतला माता।

आदि ज्योति महारानी सब फल की दाता।।

विष्णु सेवत ठाढ़े, सेवें शिव धाता।

वेद पुराण बरणत पार नहीं पाता।।

जय शीतला माता, मैया जय शीतला माता।

आदि ज्योति महारानी सब फल की दाता।।

इंद्र मृदंग बजावत चन्द्र वीणा हाथा।

सूरज ताल बजाते नारद मुनि गाता।।

जय शीतला माता, मैया जय शीतला माता।

आदि ज्योति महारानी सब फल की दाता।।

घंटा शंख शहनाई बाजै मन भाता। 

करै भक्त जन आरती लखि लखि हरहाता।।

जय शीतला माता, मैया जय शीतला माता।

आदि ज्योति महारानी सब फल की दाता।।

ब्रह्म रूप वरदानी तुहि तीन काल ज्ञाता।

भक्तन को सुख देनौ मातु पिता भ्राता।।

जय शीतला माता, मैया जय शीतला माता।

आदि ज्योति महारानी सब फल की दाता।।

जो भी ध्यान लगावैं प्रेम भक्ति लाता।

सकल मनोरथ पावे भवनिधि तर जाता।।

जय शीतला माता, मैया जय शीतला माता।

आदि ज्योति महारानी सब फल की दाता।।

रोगन से जो पीड़ित कोई शरण तेरी आता।

कोढ़ी पावे निर्मल काया अन्ध नेत्र पाता।।

जय शीतला माता, मैया जय शीतला माता।

आदि ज्योति महारानी सब फल की दाता।।

बांझ पुत्र को पावे दारिद कट जाता।

ताको भजै जो नाहीं सिर धुनि पछिताता।।

जय शीतला माता, मैया जय शीतला माता।

आदि ज्योति महारानी सब फल की दाता।।

शीतल करती जननी तुहि है जग त्राता।

उत्पत्ति व्याधि विनाशत तू सब की घाता।।

जय शीतला माता, मैया जय शीतला माता।

आदि ज्योति महारानी सब फल की दाता।।

दास विचित्र कर जोड़े सुन मेरी माता।

भक्ति आपनी दीजै और न कुछ भाता।।

जय शीतला माता, मैया जय शीतला माता।

आदि ज्योति महारानी सब फल की दाता।।

।।इति श्री शीतला माता की आरती।।

।।जय बोलो गदर्भवाहिनी की जय।।

।।जय बोलो महामाया शीतले की जय।।