आज का पंचांग दिनांक 04 अगस्त 2021(Aaj ka panchang date 04 August 2021):-
एकादशी तिथि के स्वामी:-एकादशी तिथि के स्वामी विश्वदेवाजी की पूजा-अर्चना करके उनको खुश करना चाहिए।जिससे विश्वदेवाजी की कृपा दृष्टि मनुष्य पर बनी रहे।जिससे मनुष्य के जीवन के सभी निर्माण से सम्बंधित कामों में कामयाबी मिल सके और जीवन में धन-धान्य का भंडार भरा रहे, बुरे समय से रक्षा हो सके और सभी तरह के कामों में किसी तरह की बाधा नहीं आवे।
एकादशी तिथि के दिन करने योग्य काम:-एकादशी तिथि के दिन मनुष्य को आभूषण, शिल्प, नृत्य, चित्रकारी, गृह, सम्बन्धी काम, शादी, यात्रा, उपनयन, शांति और पौष्टिक काम करना उत्तम रहता है।
द्वादशी तिथि के स्वामी:-द्वादशी तिथि के स्वामी श्रीविष्णुजी भगवान की पूजा-आराधना करके श्रीविष्णुजी को खुश करना चाहिए।जिससे विष्णुजी भगवान की अनुकृपा बनी रहे और उनका आशीर्वाद मिल सके।जिससे मनुष्य के जीवन में आने वाली सभी परेशानियों से मुक्ति मिलकर धन-धान्य से भंडार भर सके।
द्वादशी तिथि के दिन करने काम योग्य :-द्वादशी तिथि के दिन में मनुष्य को समस्त चर एवं स्थिर काम, दान, शांति एवं पौष्टिक काम, यात्रा एवं अन्नग्रहण के अलावा दूसरे काम करना ठीक रहता हैं।
विशेष:-आज के दिन सर्वाथ सिद्धि योग हैं।
सर्वाथ सिद्धि योग:-आज के दिन सर्वाथ सिद्धि योग होने से जिन मांगलिक कामों कोई मुहूर्त नहीं मिलने पर सर्वाथ सिद्धि मुहूर्त में मांगलिक और दूसरे सभी काम करने से काम में सफलता मिलती हैं।
विशेष:-आज के दिन कामिका एकादशी 11 व्रतं सर्वे हैं।
कामिका एकादशी(पवित्र एकादशी)व्रत विधि, कथा और महत्व(Kamika Ekadashi (Pavitra Ekadashi) fasting method, story and significance):-कामिका एकादशी श्रावण महीने के कृष्ण पक्ष की एकादशी को मनाया जाती हैं।
प्रातः स्नान आदि से निवृत होकर भगवान विष्णुजी की प्रतिमा को पंचामृत से स्नान करवा कर धूप-दीप करके भोग लगाना चाहिये।
धर्मराज ने पूछा:हे माधवजी।आपको मैं नम निवेदन से प्रणाम करता हूँ।श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की कौन सी एकादशी आती है?आप से अरदास करता हूँ कि इस माह की एकादशी के बारे में मुझे पूर्ण विवरण देवे।
भगवान श्रीकेशवजी ने कहा:राजन्। आप सुनिये।मैं आपको एक पाप को नाश करने वाले उपाख्यान को बताता हूँ और आप मन लगाकर ध्यान से सुनिये।उस उपाख्यान को पुराने समय में नारदजी के द्वारा ब्रह्माजी से पूछने पर ब्रह्माजी ने बताया था,वह उपाख्यान में आपको बताता हूँ।
ब्रह्माजी से नारदजी के द्वारा पूछने पर:हे विधाता!हे प्रजापति।मैं आपके मधुर वाणी से जानने का इच्छुक हूँ कि श्रावण महीने के कृष्ण पक्ष में कौंनसी एकादशी आती है,उस एकादशी का क्या नाम है?उस एकादशी में किस देव या देवी की पूजा-अर्चना होती है और इस एकादशी को करने से क्या पुण्य फल की प्राप्ति होती है?इस एकादशी के बारे में मुझे पूरा समझाए।
विधाता जी बोले:नारद।तुम ध्यान से सुनना मैं तुम्हें सम्पूर्ण लोकों की अच्छाई की चाह से तुम्हारे द्वारा पूछने पर तुम्हें बता रहा हूँ।श्रावण महीने के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को जो एकादशी आती है,उस एकादशी का नाम 'कामिका' हैं।'कामिका' का नाम मन में दोहराने से भी वाजपेय यज्ञ का फल प्राप्त हो जाता हैं,
उस दिन केशवजी,चक्रपाणि जी,जनार्दनजी,दामोदरजी और गोविंदजी आदि नामों से भगवान का पूजन करना चाहिए और श्रीकेशवजी के पूजन से जो फल मिलता है।
वह ही सुरसरि,काशी,नेमिषारण्य तथा पुष्कर क्षेत्र में स्थित ब्रह्माजी आदि में भी प्राप्त नहीं होता है।सिंह राशि के बृहस्पति होने पर व्यतिपात और दण्डयोग में गोदावरी स्नान से जिस फल की प्राप्ति होती है,वही फल भगवान श्रीमाधव जी के पूजन से भी मिलता है।
जो समुद्र और वन सहित सम्पूर्ण भूमि का दान करने वाला को जो फल मिलता है, केवल 'कामिका एकादशी'के व्रत को करके भी मिल सकता है,इस तरह दोनों में समान फल ही मिलता है।जो गर्भवती गाय के गर्भ के जन्म देने पर उस गाय को दूसरी वस्तुओं के साथ दान करता है,उस मानव को जिस फल की प्राप्ति होती है,वही'कामिका एकादशी का व्रत करने वाले को मिलता है।
जो मनुष्य श्रीमाधवजी का श्रवण महीने में पूजा-अर्चना करता है,उस मनुष्य के द्वारा की गई श्रावण महीने की पूजा से गन्धर्वो और नागों सहित सभी देवताओं की पूजा हो जाती है।अतः बुरे पापों से डरे हुए मानवों को अपने सामर्थ्य से पूरी कोशिश करते हुए'कामिका एकादशी'के दिन श्रीविष्णुजी का पूजा-आराधना करनी चाहिए।
जो पापरूपी कीचड़ से भरे हुए जगत् रूपी सागर में डूब रहे है,उन किये गए पाप रूपी कीचड़ से जीवन को मुक्त कराकर मोक्ष की चाह रखने वालों को 'कामिका एकादशी का व्रत सबसे अच्छा रहता है।जो फल अध्यात्म विधापरायण आदमियों को मिलता है,उसकी तुलना में केवल मात्र 'कामिका एकादशी व्रत को करके प्राप्त किया जा सकता है।
जो कामिका एकादशी का व्रत करने वाले व्रती को रात के जागरण करके नहीं तो कभी डरावने यमदूत के दर्शन होते है और नहीं कभी बुरी गति में जाना पड़ता हैं।मोती,वैदूर्य,मूंगे और लालमणि आदि से पूजा अर्चना से भगवान चक्रपाणि जी खुश नहीं होते है,जिस तरह तूलसी दल की पूजा करने पर होते है।जिस किसी ने तुलसी की मंजरियों से श्रीमाधव जी का पूजन कर लिया है,उसके जन्मभर के बुरे किये गये पापों से पक्का ही खत्म हो जाते है।
या दृष्टा निखिलाघसंघशमनी स्पृष्टा वपुष्पावनी रोगाणाम भिवन्दिता
निरसनी सिकतान्तकत्रासिनी।
प्रत्यासतिविधायिनी भगवतः कृष्णस्य संरोपिता
न्यस्ता तच्चरणे विमुक्तिफलदा तस्यै तुलस्यै नमः।।
'जो देखने से ही सम्पूर्ण बुरे किये गए पापों के समूहों को समाप्त कर देती है,छूने पर ही पूरी देह को पावन कर देती है,नमस्कार करने से देह के सभी बीमारियों को खत्म कर देती है,पानी के द्वारा सींचन करने मात्र से ही यमराज जी को डर पहुँचाती है,आरोपित करने से ही भगवान श्रीमाधव जी के पास में ले जाती है और ईश्वर के चरणों में चढ़ने पर मोक्ष के रूप में फल देती हैं,उस तुलसीदेवी को प्रणाम हैं।
जो रात के समय में दीपदान कामिका एकादशी के व्रत को करते है,उसके द्वारा किये गए पुण्य के फलों को चित्रगुप्तजी भी नहीं बता सकते है।श्रीकेशवजी के सामने की तरफ दिया इस एकादशी व्रत में जलने क् विधान माना गया है, जो दीपक को श्रीकेशवजी के सामने की जलाते है,तो दीपक को जलाने वाले के पितर स्वर्गलोग में रहते हुए अमृत का पान करते हुए सन्तुष्ट हो जाते है।
जो मनुष्य घृत या तिल के तेल से भगवान के सम्मुख दीपक को जलाते है,तो दीपक को सम्मुख जलाने वालों को अपनी देह को जन्म-मरण के मोह-माया से छूटने पर करोड़ो दीपकों से पूजित होकर स्वर्गलोग की प्राप्ति होती हैं।
कामिका एकादशी व्रत की पौराणिक कथा:-पुराने जमाने में एक गांव में एक ठाकुर रहता था,वह स्वभाव से बहुत ही क्रोधी था।उसके गुस्से से सब गांव के लोग डरते थे।एक दिन उस गुस्सेल ठाकुर की भिड़न्त एक ब्राह्मण से हो गयी।इस भिड़न्त में ब्राह्मण मारा गया।इस पर ठाकुर साहब ने ब्राह्मण की तेरहवीं करनी चाही।लेकिन सब ब्राह्मणों ने भोजन करने से मना कर दिया।तब उन्होनें सभी ब्राह्मणों से निवेदन किया कि हे महात्माओं!मेरा पाप कैसे दूर हो सकता हैं?तब महात्माओं ने उसे कामिका एकादशी के व्रत करने के बारे में कहा:तब ठाकुर ने पूरा विधि-विधान पूछा।तब महात्माओं ने उस ठाकुर को पूरा विधि-विधान कामिका एकादशी व्रत का बताया और आज्ञा दी कि तुम यह व्रत करो।
ठाकुर ने पूरे व्रत का विधि-विधान जान करके उस कामिका एकादशी के व्रत को वैसा ही किया जैसा उन महात्माओं ने बताया था।रात के समय भगवान की मूर्ति के सामने जाकर सो गया,जब वह सो रहा था,तब सपने में भगवान ने कहा कि ठाकुर तेरा सब पाप दूर हो गया है। अब तुम ब्राह्मण की तेरहवीं कर सकते हो।तेरे घर सूतक नष्ट हो गया है।ठाकुर ब्राह्मण की तेरहवीं करके ब्रह्म हत्या के पाप से मुक्त हो गया।
कामिका एकादशी व्रत का महत्व भगवान श्रीमाधव जी कहते है:हे धर्मराज कुंतीपुत्र!मैंने तुमको पूरा विवरण तुम्हारे सामने अपनी वाणी से बताया हूँ, जो कि 'कामिका एकादशी का गुणगान था।'कामिका एकादशी का व्रत सभी तरह के बुरे पापों को नष्ट करने वाली होती हैं,इसलिए मनुष्यों को इस व्रत को अवश्य करना चाहिए।
यह व्रत मनुष्य को स्वर्गलोक और बड़े-बड़े पुण्यफल के समान फल देने वाला है।जो अपने मन से पूरी समर्पण भाव से इस एकादशी के व्रत के गुणगान के महत्व को सुनता है,वह मनुष्य सभी तरह के पापों से मुक्ति पाकर जन्म-मरण के चक्कर से आजाद होकर श्रीविष्णुजी के धाम को प्राप्त कर लेता है।
।।दैनिक पंचांग का विवरण।।
दिनांक------------------04 अगस्त 2021
महीना (अमावस्यांत् )---------आषाढ़
महीना (पूर्णिमांंत् )-------------श्रावण
पक्ष------------------------------कृष्ण पक्ष
कलियुगाब्द्--------------------5123
विक्रम संवत्-------------------2078 विक्रम संवत
विक्रम संवत् (कर्तक्)---------2077 विक्रम संवत
शक संवत्----------------------1943 शक संवत
ऋतु-----------------------------वर्षा ऋतु
सूर्य का अयण----------------दक्षिणायणे
सूर्य का गोल-----------------उत्तर गोले
संवत्सर(उत्तर)------------------आनंद
संवत्सर--------------------------प्लव
।।आज के पंचांग के हालात को जानें।।
तिथि----एकादशी तिथि दोपहर 15:16:57 तक रहेगी, उसके बाद द्वादशी तिथि दोपहर 15:16:57 से शुरू होगी।
वार-------------बुधवार।
नक्षत्र--मृगशिरा नक्षत्र प्रातः(कल) 28:23:55 तक रहेगा,
उसके बाद आर्द्रा नक्षत्र शुरू होगा।
योग....व्याघात योग अहोरात्र 24:49:08 तक रहेगा,
उसके बाद हर्षण योग रहेगा।
करण...बालव करण दोपहर 15:16:57 तक रहेगा।
उसके बाद
करण...कौलव करण शुरू होकर प्रातः(कल) 28:16:41 तक रहेगा।
चन्द्रमा की राशि--वृषभ राशि में चन्द्रमा दोपहर 15:06:28 तक रहेगा,
उसके बाद में मिथुन राशि में चन्द्रमा रहेगा।
सूर्य की राशि--------कर्क राशि में रहेगा।
सौर प्रविष्टे............20, श्रावण
सूर्य का उदय व अस्त,दिनमान व रात्रिमान और चन्द्रमा के उदय और अस्त का समय:-
सूर्योदय का समय:-प्रातःकाल 05:45:28।
सूर्यास्त का समय:-रात्रिकाल 19:08:33।
चन्द्रोदय का समय:-प्रातः(कल) 26:26:04।
चन्द्रास्त का समय:-सायंकाल 16:02:46।
दिनमान का समय:-दोपहर 13:23:04।
रात्रिमान का समय:-प्रातःकाल 10:37:29।
आज जन्में बच्चे के नक्षत्र का चरण और नाम अक्षर:-
पहले चरण वे अक्षर मृगशिरा नक्षत्र का समय प्रातःकाल 08:25:19 तक रहेगा।
दूसरे चरण वो अक्षर मृगशिरा नक्षत्र का समय दोपहर 15:06:28 तक रहेगा।
तीसरे चरण का अक्षर मृगशिरा नक्षत्र का समय रात्रिकाल 21:46:02 तक रहेगा।
चतुर्थ चरण की अक्षर मृगशिरा नक्षत्र का समय प्रातः(कल) 28:23:55 तक रहेगा।
।।आंग्ल मतानुसार 04 अगस्त 2021 ईस्वी सन।
।।आज के दिन के अशुभ मुहूर्त का समय।।
राहुकाल मुहूर्त का समय:-दोपहर 12:27 से 14:07 तक रहेगा जो कि अशुभ मुहूर्त का समय होने से अच्छे कामों को इस समय में नहीं करे।
यमघण्टा मुहूर्त का समय:-प्रातःकाल 07:26 से 09:06 तक रहेगा जो कि अशुभ मुहूर्त है।
गुलिक मुहूर्त का समय:-प्रातःकाल 10:47 से 12:27 तक रहेगा जो कि अशुभ मुहूर्त है।
दूर मुहूर्त का समय:-प्रातःकाल 12:00 से 12:54 तक रहेगा जो कि अशुभ मुहूर्त है।
।।आज के दिन का शुभ मुहूर्त का समय।।
अभिजीत महूर्त का समय:-दोपहर 12:00 से दोपहर 12:54 तक का समय शुभ होने से जिन कामों को करने में मुहूर्त नहीं मिलने पर अभिजीत मुहूर्त के समय में कामों को करने से कामयाबी मिलती है।
।।आज के दिन दिशाशूल से बचने का उपाय।।
दिशा शूल:-उत्तर दिशा की ओर रहने से यदि जरूरी हो तो तिल का या पुष्प का दान करके या दूध पीकर करके यात्रा करने से दिशाशूल का परिहार हो जाता है।
।।आज के शुभ-अशुभ चौघड़िया को जानें।।
नोट:-दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
◆प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
"चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥"
अर्थात-:
चर:- में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग:- में जमीन सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ:- में औरत श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ:- में धंधा करें ।
रोग:- में जब कोई बीमार बीमारी से ठीक होने पर उसे स्नान करें ।
काल:- में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत:- में सभी शुभ कार्य करें ।
दिन के चौघड़िया के समय से जानें मुहूर्त को:-
लाभ का चौघड़िया:-प्रातःकाल 05:45 से 07:26 तक रहेगा जो कि शुभ कार्य को करने के लिए शुभ रहेगा।
अमृत का चौघड़िया:-प्रातःकाल 07:26 से 09:06 तक रहेगा जो कि शुभ कार्य को करने के लिए शुभ रहेगा।
काल का चौघड़िया:-प्रातःकाल 09:06 से 10:47 तक रहेगा, जो कि शुभ कार्य को करने के लिए अशुभ रहेगा।
शुभ का चौघड़िया:-प्रातःकाल 10:47 से 12:27 तक रहेगा, जो कि शुभ कार्य को करने के लिए शुभ रहेगा।
रोग का चौघड़िया:-दोपहर 12:27 से 14:07 तक रहेगा जो कि शुभ कार्य को करने के लिए अशुभ रहेगा।
उद्वेग का चौघड़िया:-दोपहर 14:07 से 15:48 तक रहेगा जो कि शुभ कार्य को करने के लिए अशुभ रहेगा।
चर का चौघड़िया:-दोपहर 15:48 से 17:28 तक रहेगा जो कि शुभ कार्य को करने के लिए शुभ रहेगा।
लाभ का चौघड़िया:-सायंकाल 17:28 से 19:09 तक रहेगा जो कि शुभ कार्य को करने के लिए शुभ रहेगा।
रात के चौघड़िया के समय से जानें मुहूर्त को:-
उद्वेग का चौघड़िया:-रात्रिकाल 19:09 से 20:28 तक रहेगा जो कि शुभ कार्य को करने के लिए अशुभ रहेगा।
शुभ का चौघड़िया:-रात्रिकाल 20:28 से 21:48 तक रहेगा जो कि शुभ कार्य को करने के शुभ रहेगा।
अमृत का चौघड़िया:-रात्रिकाल 21:48 से 23:08 तक रहेगा जो कि शुभ कार्य को करने के लिए शुभ रहेगा।
चर का चौघड़िया:-रात्रिकाल 23:08 से 24:27 तक रहेगा जो कि शुभ कार्य को करने के लिए शुभ रहेगा।
रोग का चौघड़िया:-मध्य रात्रि 24:27 से 25:47 तक रहेगा जो कि शुभ कार्य को करने के लिए अशुभ रहेगा।
काल का चौघड़िया:-प्रातः(कल) 25:47 से 27:07 तक रहेगा जो कि शुभ कार्य को करने के लिए अशुभ रहेगा।
लाभ का चौघड़िया:-प्रातः(कल) 27:07 से 28:26 तक रहेगा जो कि शुभ कार्य को करने के लिए शुभ रहेगा।
उद्वेग का चौघड़िया:-प्रातः(कल) 28:26 से 29:46 तक रहेगा जो कि शुभ कार्य को करने के लिए अशुभ रहेगा।
।।सूर्य के उदय के समय के लग्न को जानें।।
सूर्योदयकालीन उदित लग्न:-कर्क लग्न 17°42' गति 107°42' रहेगा।
सूर्य नक्षत्र :- आश्लेषा नक्षत्र में सूर्य रहेंगे।
चन्द्रमा नक्षत्र:-मृगसिरा नक्षत्र में चन्द्रमा रहेंगे।
गोचर राशि में ग्रहों के हालात,नक्षत्रों के चरण और अक्षर :-जो नीचे बताये गए है:-
ग्रह----------राशि----------नक्षत्र के चरण--अक्षर
सूर्य ग्रह:-कर्क राशि मे आश्लेषा नक्षत्र के पहले के डी अक्षर में रहेंगे।
चन्द्रमा ग्रह:-वृषभ राशि में मृगसिरा के पहले चरण के वे अक्षर में रहेगा।
मंगल ग्रह:-सिंह राशि में मघा नक्षत्र के तीसरे चरण के मू अक्षर में रहेंगे।
बुध ग्रह:-कर्क राशि में आश्लेषा नक्षत्र के दूसरे चरण के डू अक्षर में रहेगा।
गुरु ग्रह:कुंभ राशि में धनिष्ठा नक्षत्र के चौथे चरण के गे अक्षर में रहेगा।
शुक्र-ग्रह:सिंह राशि में पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र के तीसरे चरण के टी अक्षर में रहेगा।
शनि ग्रह:-मकर राशि में श्रवण नक्षत्र के दूसरे चरण के खू अक्षर में रहेगा।
राहु ग्रह:-वृषभ राशि में रोहिणी नक्षत्र के दूसरे चरण के वा अक्षर में रहेगा।
केतु ग्रह:-वृश्चिक राशि में अनुराधा नक्षत्र के चौथे चरण के ने अक्षर में रहेगा।
।।अंक शास्त्र ज्योतिष विज्ञान से जानें हाल:-
04 तारीख को जन्में मनुष्य के लिए मूलांक 04 के लिए शुभाशुभ:-
शुभ-तारीखें:-हर माह की 4, 13, 22 और 31 तारीख।
शुभ-वार:-शनिवार, रविवार व सोमवार।
शुभ-वर्ष:-उम्र के 4, 13, 22, 31, 40, 49, 58, 67, 76, 85 एवं 94 वें वर्ष।
शुभ-दिशा:-आग्नेय(दक्षिण-पूर्व)।
शुभ-रंग:-नीला, खाकी, मटमैला(सलेटी)।
शुभ-रत्न:-गोमेद।
शुभ-धातु:-मिश्रित धातु।
आराध्य-देव:-गणेश जी।
जपनीय-मन्त्र:-ऊँ रां रांहवे नमः।
पूज्य-धारण योग्य यंत्र:-
13 8 15
14 12 10
9 16 12
मित्र-अंक (मालिक ग्रह के अनुसार):-4, 5, 6 एवं 8 ।
शत्रु-अंक (मालिक ग्रह के अनुसार):-1, 2, 7 एवं 9।
सम-अंक (मालिक ग्रह के अनुसार):-3।