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Sunday, September 12, 2021

आरती युगल किशोर की कीजै अर्थ सहित(Aarti yugal kishor ki kije with meaning)

                  

आरती युगल किशोर की कीजै अर्थ सहित(Aarti yugal kishor ki kije with meaning):-आरती श्री युगल किशोर जी की करनी चाहिए। भगवान श्रीकृष्णजी के नाम होने से उनके तरह-तरह रूपों में आरती की जाती है, उन रूपों में एक रूप युगल किशोर जी का भी है।



Aarti yugal kishor ki kije with meaning




आरती युगल किशोर की कीजै अर्थ सहित:-आरती युगल किशोर जी आरती करके उनकी अनुकृपा को प्राप्त कर सकते है, आरती करने पूर्व आरती के शब्दों के अर्थ को जानना चाहिए, उसके बाद में आरती के अर्थों को समझकर आरती करने से उचित मन के अनुरूप फल मिलता हैं।



आरती युगल किशोर की कीजै।


राधे तन-मन-धन न्योछावर कीजै।। 



अर्थात्:-हे युगल किशोर जी! प्रत्येक मनुष्य को युगल किशोर जी की आरती करनी चाहिए, जिस राधा ने अपना तन, मन और धन को श्रीकृष्णजी को समर्पित किया था, उसी तरह ही आरती करके अपना सबकुछ श्रीकृष्णजी को अर्पण करना चाहिए।



रवि शीश कोटि बदन की शोभा।


ताहि निरख मेरो मन लोभा।।


अर्थात्:-हे युगल किशोर जी! सूर्य के शीश के समान आपकी करोड़ो देह से बढ़कर शोभा होती है, जब आपके देह को देखने पर मेरा मन लालची हो जाता है, बार-बार देखने का मन करता हैं।



गौर श्याम मुख निरखत राझै।


प्रभु को रूप नजय भर पीजै।।


अर्थात्:-हे युगल किशोर जी! आपके गौर एवं श्याम मिश्रित मुख को सभी देखते ही रहते है, आपके रूप को देखने के बाद आपसे नजर नहीं हटती हैं।


कंचन थार कपूर की बाती।


हरि आये निर्मल भई छाती।।


अर्थात्:-हे युगल किशोर जी! आपकी पूजा में सोने की थाली एवं कपूर की बाती से होती है। आपके दर्शन करने के लिए भगवान भी आते है, आपकी शुद्ध छाती के दर्शन करते हैं।



फुलनकी सेज फूलन की माला।


रत्न सिहांसन बैठे नन्दलाला।।


अर्थात्:-हे युगल किशोर जी! आपके गले में फूलों की माला है और आपकी सेज भी फूलों की बनी हुई हैं। जब आप इन फूलों की सेज पर रत्नों से जड़ित सिंहासन पर बैठते हो तब आपका देह अलग ही तरह का होता हैं।



मोर मुकुट मुरली कर सोहै।


नटवर वेष देख मन मोहै।।


अर्थात्:-हे युगल किशोर जी! आपके मस्तक पर मोर के मुकुट अपनी शोभा बढ़ाता है, हाथ में आप मुरली लेकर अति शोभमान दिखाई पड़ते हो। आपकी कुशलता के रूप आपके वस्त्र को देखकर किसी का भी मन विचलित हो जाता हैं।



आढयो नील पीतपट सारी।


कुंज बिहारी गिरवरधारी।।



अर्थात्:-हे युगल किशोर जी! आपको कुंज बिहारी भी कहते है, आपको गिरिवरधारी भी कहते है, जब आपके द्वार पर आपके पट को आढयो भील ने खोला था, तब आपने उस कोढ़ से ग्रसित भील ने आपसे अरदास की तब आपने उसके नीले-पिले शरीर से कोढ़ से मुक्त किया था।



श्री पुरुषोत्तम गिरवरधारी।


आरती करत सकल बज्रनारी।।


अर्थात्:-हे युगल किशोर जी! आपको कोई पुरुषोत्तम के नाम से जानता है, कोई आपको गिरिवरधारी के रूप में जानते हैं, आपकी आरती समस्त बज्रवासी नर-नारी करते हैं।



नन्दनन्दन वृष भानु किशोरी।


परमानन्द स्वामी अविचल जोरी।।


अर्थात्:-हे युगल किशोर जी!  समस्त तीनों में आप उत्तम और सर्वशक्तिमान हो, आप नन्द जी के पुत्र हो, वृष भानु की कन्या राधिका है। आप दोनों की जोड़ी बहुत ही अस्थिर हैं।




।। अथ आरती श्री युगल किशोर जी की।।


आरती युगल किशोर की कीजै।


राधे तन-मन-धन न्योछावर कीजै।।


रवि शीश कोटि बदन की शोभा।


ताहि निरख मेरो मन लोभा।।


आरती युगल किशोर की कीजै।


राधे तन-मन-धन न्योछावर कीजै।।


गौर श्याम मुख निरखत राझै।


प्रभु को रूप नजय भर पीजै।।


आरती युगल किशोर की कीजै।


राधे तन-मन-धन न्योछावर कीजै।।


कंचन थार कपूर की बाती।


हरि आये निर्मल भई छाती।।


आरती युगल किशोर की कीजै।


राधे तन-मन-धन न्योछावर कीजै।।


फुलनकी सेज फूलन की माला।


रत्न सिहांसन बैठे नन्दलाला।।


आरती युगल किशोर की कीजै।


राधे तन-मन-धन न्योछावर कीजै।।


मोर मुकुट मुरली कर सोहै।


नटवर वेष देख मन मोहै।।


आरती युगल किशोर की कीजै।


राधे तन-मन-धन न्योछावर कीजै।।


आढयो नील पीतपट सारी।


कुंज बिहारी गिरवरधारी।।


आरती युगल किशोर की कीजै।


राधे तन-मन-धन न्योछावर कीजै।।


श्री पुरुषोत्तम गिरवरधारी।


आरती करत सकल बज्रनारी।


आरती युगल किशोर की कीजै।


राधे तन-मन-धन न्योछावर कीजै।।


नन्दनन्दन वृष भानु किशोरी।


परमानन्द स्वामी अविचल जोरी।।


आरती युगल किशोर की कीजै।


राधे तन-मन-धन न्योछावर कीजै।।


।।इति श्रीयुगल किशोर जी की आरती।।


।।जय बोलो युगल किशोर जी की जय हो।।


।।जय बोलो नन्दनन्दन सुत की जय हो।।