
मगंल दोष निवारण के लिए विवाह से पहले करें ये उपाय(To prevent Mangal Dosh, do these remedies before marriage):-मगंल दोष लड़की या लड़के के जीवन के लिए बहुत ही अनिष्टकारी होता हैं। जन्म कुंडली के आठवें भाव में बनने वाले मंगल दोष के कारण लड़की के लिए वैधव्य योग बन जाता हैं, लड़की के लिए उसका पति ही सर्वोपरि होता हैं, जब तक उसका पति जीवित रहता हैं, तब तक उसका सामाजिक जीवन में महत्व रहता हैं। इसलिए विवाह करने से पहले आठवें मंगल से बनने वाले इस योग का निवारण करना चाहिए, जिससे लड़की का दाम्पत्य जीवन सुख से व्यतीत हो सके एवं पति के रूप में अमर सुहाग के रूप में रहे।
जन्मकुण्डली में यदि लग्न, चतुर्थ, सप्तम, अष्टम और द्वादश भाव में मंगल क्रूर ग्रह हो, तो मांगलिक दोष होता हैं। लड़कियों की जन्म कुंडली में अष्टम भावस्थ मंगल अशुभ फलदायी होता हैं। इस दोष के कारण विवाह में देरी होती हैं।
◆जन्म कुण्डली में पुरुष-स्त्री दोनों के ही मांगलिक दोष का विचार किया जाता है, लेकिन कन्या के जन्मांग में अष्टम घर सुख-सौभाग्य और वैवाहिक सुख का होता हैं।
◆यह दाम्पत्य जीवन को प्रभावित करता है और लड़की की जन्म कुंडली में अष्टम भावस्थ मगंल उसे प्रबल मांगल्य दोष को बनाता हैं।
◆जिन कन्याओं को आठवें घर में मंगल हो, उन्हें विवाह पूर्व वैधव्य दोष निवारण के लिए वट सावित्री का पूजन एवं व्रत करना उत्तम हैं।
◆जब जन्म कुण्डली में दो या तीन पाप ग्रहों से युक्त होकर मंगल सातवें घर का मालिक या अष्टम भाव में होने से वैधव्य योग बनता हैं।
◆जन्मकुण्डली में जब पहले घर के, सातवें घर के और आठवें घर के मालिक ग्रह मंगल ग्रह, शनि ग्रह एवं राहु ग्रह होते हैं, तब वैध्वय योग का निर्माण होता हैं।
◆जब सातवें घर का स्वामी केतु ग्रह हो और बुरे ग्रहों के प्रभाब में मगंल ग्रह आठवें या बारहवें घर का स्वामी होता हैं, तब कन्या को पूर्ण पति का साथ दाम्पत्य जीवन में नहीं मिलता हैं।
◆जब जन्मकुंडली में राहु मंगल ग्रह के साथ बैठा हो पति का सुख नहीं मिलता हैं।
◆विवाह पश्चात भी पत्नी को पति की दीर्घ आयु के लिए वट सावित्री का पूजन करने का विधान हैं।
◆वट सावित्री व्रत के दिन महिलाएं अपने अखंड सौभाग्य के लिए वट वृक्ष की पूजा करती हैं।
◆इस व्रत में तीन दिन उपवास रखा जाता है।
◆वट वृक्ष की जड़ों में ब्रह्माजी का, तने में भगवान विष्णु का तथा पत्तियों में भगवान शिव का निवास माना जाता है, ऐसा शास्त्रों में बताया गया है।
◆वट वृक्ष की पूजा दीर्घायु, अखंड सौभाग्य और अक्षय उन्नति के लिए की जाती हैं।
मांगलिक दोष के निवारण के लिए विवाह से पहले करने योग्य उपाय:-यदि किसी लड़की के मांगलिक योग हो तो शास्त्रों में इस दोष निवारण के अनेक उपाय बताए गए हैं, जो निम्नलिखित हैं-
पीपल के वृक्ष या घट विवाह कन्या का:-भगवान विष्णु की प्रतिमा या पीपल के वृक्ष या घट विवाह कन्या का कराएं।
वट सावित्री व्रत से वैधव्य दोष निवारण की पूजा विधिन और उपायइस दोष का निवारण का दूसरा उपाय यह भी हैं कि वट सावित्री का व्रत जब आता हैं, तब कन्या वट सावित्री का व्रत करें, इससे दोष निवारण संभव हैं। करें। वट सावित्री का व्रत ज्येष्ठ अमावस्या को होता हैं। यह व्रत तीन दिनों तक अर्थात् ज्येष्ठ कृष्ण त्रयोदशी से अमावस तक किया जाता है।
◆असमर्थता में सिर्फ अमावस को ही व्रत किया जा सकता है। जिन कन्याओं के वैधव्य दोष होता हैं, उनको निम्नलिखित पूजा-विधान करना चाहिए।
◆उस औरत को त्रयोदशी के दिन से अमावस्या तक व्रत का संकल्प लें।
◆फिर बांस की दो टोकरी लें।
◆उसमें सप्त धान्य जैसे-गेहूं, चावल, मोठ, जौ, मक्का, बाजरा, चना, आदि भर लें।
◆उनमें से एक टोकरी में ब्रह्मा और दूसरे में सावित्री की प्रतिमा स्थापित करें।
◆प्रतिमा के अभाव में मिट्टी की प्रतिमा बना लें।
◆वट वृक्ष के नीचे बैठकर पहले ब्रह्मा-सावित्री का, उसके बाद सत्यवान-सावित्री का पूजन करें।
◆सावित्री के पूजन में सौभाग्य की वस्तुएं काजल, मेहंदी, सिंदूर, चूड़ी, बिंदी, वस्त्र, दर्पण इत्यादि चढ़ाएं।
◆वट वृक्ष के पास दीपक जलाएं और जड़ों में जल चढ़ाते हुए प्रार्थना करें।
◆मंत्र का जप करते हुए वट वृक्ष की परिक्रमा लें।
मंत्र:-नमो वैवस्वताय।
◆परिक्रमा करते हुए वट वृक्ष के तने पर कच्चा सूत लपेटें। एक सौ आठ परिक्रमा का विधान हैं, किन्तु न्यूनतम सात परिक्रमा अवश्य करें।
◆अंत में वट सावित्री व्रत की कथा सुनें।