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Thursday, May 6, 2021

May 06, 2021

तिल शास्त्र या विज्ञान से जान सकते है भाग्य के नतीजे(The results of luck can be learned from Til shastra or science)

             



तिल शास्त्र या विज्ञान से जान सकते है, भाग्य के नतीजे(The results of luck can be learned from Til shastra or science):-हकीकत में तिल या मोल मनुष्य की निरोगता, मिजाज, व्यक्तितत्व व किस्मत के मापदंड है, जिस तरह वायुमण्डल के दबाव को नापने के लिए बैरोमीटर होता है, उसी तरह ही मनुष्य की देह की निरोगता, मिजाज, व्यक्तितत्व व किस्मत को तिलों के द्वारा जान सकते है। तिलों से मनुष्य के भाग्य की जानकारी ,मनुष्य के जीवन की भविष्यवाणी की जानकारी और मनुष्य की निरोगता के बारे में जानकारी को पुराने जमाने से चली आ रही है। आज के युग में भी मनुष्य के तिलों से दूसरे मनुष्य के बारे में जान सकते है, उनके किन-किन जगहों पर तिल है और उस तिल की जगह के क्या नतीजे होंगे।

पुराने जमाने से ही हस्तरेखा विज्ञान व ज्योतिष शास्त्र के समान ही तिल शास्त्र भी सबसे ज्यादा पुराना है। वास्तव में तिल शास्त्र को समुद्र ऋषि के द्वारा बनाया गया शास्त्र सामुद्रिक शास्त्र का ही एक भाग है। सामुद्रिक शास्त्र के अंदर हस्तरेखा विज्ञान, मुखाकृति विज्ञान और शरीर लक्षण शास्त्र या तिल शास्त्र को भी गिना जाता है।

किसी शायर ने किसी सुंदर हसीना के चेहरे पर तिल को देखकर कहा कि उस हसीना के चेहरे पर सुंदरता का मापदंड बताया जाता है।

शायरी:-आज समझा तेरे रुखसार पे तिल का मतलब,तूने दौलते हुस्न पे दरबान बिठा रखा है।

मनुष्य के देह पर तिल अपना स्थान बदलते रहते है।किसी भी मनुष्य की नीरोगता के बारे में मनुष्य की देह के तिलों से सूचना मिल सकती है। 

यदि किसी भी आदमी या औरत की बाई छाती के तीन सेंटीमीटर नीचे की जगह पर तिल होने से उन आदमी या औरत को दिल का दौरा पड़ सकता है।यदि तिल अपनी जगह से नहीं हटता है,तो आदमी या औरत को दिल के दौरे से बच जायेगा और वह तिल अपनी जगह से हट जाता है तो आदमी या औरत को दिल का दौरा मारने डालने के समान पक्का हो सकता है।


तिलों के सभी आकार:-जरा से तिल छोटे आकार के और जरा से तिल बड़े व उभार लिये हुए होते है। बड़े आकार के तिलों का असर ज्यादा और व छोटे आकार के तिलों का असर जरा सा सिमा के अन्दर होता है। लेकिन मनुष्यों के देह पर मझले या बीच वाले आकार के तिलों का असर का विचार व मनन करते हुए जानना चाहिए। 


आदमियों-औरतों की देह पर तिलों का नतीजा:-


देह के दाएं और बाएं जगह पर तिलों का नतीजा:- आदमियों के देह की दाएं जगह पर तिलों को अच्छा माना जाता है और औरतों की देह के बाएं जगह पर तिलों को अच्छा माना जाता है। औरतों की देह के दाएं जगह पर तिल होता है तो वह तिल खराब नतीजा देता है। 

आदमियों के देह के बाएं जगह पर तिल होता है तो वह तिल खराब नतीजा देता है।

जरा से तिल तो मनुष्यों में जन्म जात होते है,जरा से तिल किसी समय प्रमुख जगह पर अपने आप ही जाहिर हो जाते है। कभी-कभी जरा से तिल लुप्त हो जाते है। जब मनुष्यों के जीवन के समय में परिवर्तन होने का जमाना प्रारम्भ होता है, तो नये तिल तो जाहिर हो जाते है या फिर जरा से पुराने तिल लुप्त होने लगते है। परिवर्तन मनुष्य के जीवन काल में भी दो तरह का १ मन से मेल-मिलाप का परिवर्तन और मन के विरुद्ध सहारा देने के परिवर्तन(नेगेटिव चेंज) का होता है।

सिर की जगह पर तिलों का नतीजा:-जिस किसी आदमी के दाहिनी ओर तिल व औरत के बायीं तरफ तिल होता है, वे आदमी या औरत ज्यादा की इच्छा रखने वाली, अपने आप पर अभिमान करने वाले व किसी भी चीज या बात के बारे में जानने के इच्छुक होते है।

इस तरह आदमीयों या औरतों की गहरी रुचि सामाजिक सेवा करने में और राजनीति में होती है।

आदमियों के दाहिनी तरफ तिल होने से व औरतों के बायीं तरफ तिल होने से वे आने वाले समय में कोई महान व्यक्तित्व वाले बनते है।

आदमियों के दाहिनी तरफ तिल होने से व औरतों के बायीं तरफ तिल होने से वे भोग-विलास में किसी तरह से ज्यादा दिलचस्पी वाली नहीं होती है।

माथे की जगह पर तिलों का नतीजा:-किसी भी आदमी के माथे की मध्य जगह से दाहिनी तरफ या औरत के माथे की मध्य जगह से बायीं तरफ तिल होता है तो वह आदमी या औरत कड़े मिजाज के होते है,उनके विचारने का दृष्टिकोण से खुले और अन्य आदमियों या औरतों से जुदा होते है।

आदमी के माथे की मध्य जगह से दाहिनी तरफ या औरत के माथे की मध्य जगह से बायीं तरफ तिल होता है तो उन आदमी या औरतें पर भौम ग्रह का असर होने से आदमी या औरतें जन्म से ही हिम्मत वाले खतरों का सामना करने वाले होते है।

आदमी के माथे की मध्य जगह से दाहिनी तरफ या औरत के माथे की मध्य जगह से बायीं तरफ तिल होने से कोई भी तरह से फर्क नहीं पड़ता है।जिस किसी भी औरत के दाहिनी तरफ मस्तक के तिल होने से वे 30 वर्ष की उम्र के बाद में ज्यादा अपने भुजा की ताकत से धन-धान्य से पूरी तरह से पूर्ण बनने वाले होते है।आदमी के माथे की मध्य जगह से दाहिनी तरफ तिल होने से वे 30 वर्ष की उम्र की आयु के बाद में अपने जीवन मे मेहनत करते हुए कामयाब होकर इज्जत पाते है।

नाक की जगह पर तिल:-आदमियों या औरतों के नाक के आगे के भाग पर तिल होने पर आदमी या औरत बहुत ही अच्छे भाग्य वाले होते है। आदमी या औरत जिस किसी भी काम या धन्धे में हाथ डालते है, तो उस काम में उनको कामयाबी मिलती है।

नाभिक के बाजू में या कपोल पर तिल वाले अधिक भाग्यवान होते है,जो नीचे की जगह से उठकर तारों-सितारों की तरह उनका नाम जाना जाता है। इस तरह तिल अनेक तरह के मंत्रियों और ऊंचे पद आसीन अधिकारियों के मुख पर देखे जा सकते है।

जब किसी आदमी या औरत के नाक के दाहिनी तरफ तिल होने पर वे आदमी या औरत घूमने-फिरने के शौकीन मिजाज के होते है, इस तरह के आदमी या औरतें अपने दुश्मनों या विरोध करने वालों पर भारी पड़ने वाले होते है।

जब किसी आदमी या औरत के नाक के बायीं तरफ तिल होने पर वे आदमी या औरत का मिजाज में बदलाव करते-रहने वाले होते है और इस तरह से आदमी या औरत रोमांस करने के मूड वाले और इनको दुर्घटनाओं से सचेत रहने की जरूरत होती है।

होंठ की जगह पर तिल का नतीजा:-जब किसी भी औरत के होंठ के ऊपर की जगह पर तिल होने पर वह औरत अपना जीवन पूरी तरह से शानो-शौकत से व धन-धान्य से बिताने वाली होती है।

जब किसी भी औरत के नीचे के होंठ की जगह पर तिल होने पर वह औरत अधिक सुंदरता की तरफ व कामक्रीड़ा में झुकाव ज्यादा रखने वाली होती है।

भौंहें की जगह पर तिल का नतीजा:-आदमी या ओरत के दोनों भौंहें के मध्य की जगह पर तिल अच्छे भाग्य और ऐश्वर्यवयान की निशानी होती है।

आदमी के दाहिनी भौंहें पर तिल होने से वे आदमी सुंदर देह व रंग की व अच्छे भाग्य को साथ लेकर आने वाली पत्नी को पाने वाला होता है।

आदमी के बायीं भौंहें पर तिल होने से वे आदमी अपनी जिद पर अड़े रहने वाले और मौके का फायदा उठाने वाले मिजाज के होते है।

आदमी के दाहिनी आंख पर तिल होने पर वह अपने माशूका या प्रेमिका से ज्यादा प्यार पाने वाला होता है, जिससे उनको जीवन में सभी तरह के सुख व जितना मीले उसमें उनको सन्तोष होता है।

जिस किसी भी आदमी या औरत के दोनों भौंहें के बीच में या पैर के तलवों पर तिल होने पर वे आदमी या औरत अधिक यात्राएं करने में रुचि वाले होते है।

गाल की जगह पर तिल का नतीजा:-जिस किसी औरत के बायें गाल की जगह पर तिल होने पर वे अपने वैवाहिक जीवन को सुख से अच्छी तरह से बिताने वाले होते है।

जिस किसी औरत के बायें गाल की जगह पर तिल होने पर वे अपने मनपसंद आदमी से विवाह करने में कामयाब होती है।

जिस किसी औरत के दाहिने गाल की जगह पर तिल होने पर वे सम्पन्न औरत सन्तानों में उनको लड़कियों से ज्यादा लड़के होते है।

जिस किसी आदमी के दाहिने गाल की जगह पर तिल होने पर वे आदमी जीवन के क्षेत्र में किसी न किसी जगह पर अपना नाम रोशन करने वाले होते है।

कान की जगह पर तिल:-जिस किसी आदमी या औरत के कान के ऊपरी जगह पर तिल होने पर वे आदमी या औरत सम्पन्न व सम्मान के साथ जीवन को जीने वाले होते हैं।उनको परिवार के लोगों से व यार-दोस्तों से पूर्ण रूप प्यार व सहयोग मिलता है।

जिस किसी आदमी या औरत के कान के नीचे की जगह पर तिल होने पर वे आदमी या औरत कर्ज में डूबे रहने वाले, वे किसी भयंकर रोग से ग्रसित रहने वाले और उनके साथ कोई भी बुरे हादसों का शिकार होंने वाले होते हैं।

जिस किसी आदमी या औरत के कान के पीछे की जगह पर तिल होने पर वे आदमी या औरत बड़ी उम्र तक जीवन को जीने वाले व उनको पुश्तैनी जमीन-जायदाद व रुपये-पैसे मिलते है।

जिस किसी आदमी या औरत के कान के अंदर की जगह पर तिल होने पर वे आदमी या औरत भोग-विलास का जीवन जीने वाले होते है।

जीभ की जगह पर तिल के नतीजे:-जिस किसी आदमी या औरत के जिव्हा के मध्य कि जगह पर तिल होने पर वे आदमी या औरत की पढ़ाई-लिखाई में बाधा आती है व उनके लिए खराब होता है।

जिस किसी आदमी या औरत के जिव्हा के मध्य कि जगह पर तिल होने पर वे आदमी या औरत की बोली बोलने के ढंग में भी बदलाव आकर वे ठीक से नहीं बोल पाते है।

जिस किसी आदमी या औरत के जिव्हा के सिरे कि जगह पर तिल होने पर वे आदमी या औरत के लिए अच्छा होने से वे अच्छी व मिट्ठी वाणी से बोलने वाले होते है।

जिस किसी आदमी या औरत के जिव्हा के नीचे कि जगह पर तिल होने पर वे आदमी या औरत सीधे-साधे मिजाज के होने से वे सांसारिक जीवन के सुख व ऐश्वर्य को छोड़कर आत्मा की शुद्धि के लिए सन्यास आश्रम की चले जाने वाले होते है।

ठुड्डी की जगह पर तिलों के नतीजे:-जिस किसी भी औरत के ठुड्डी के मध्य में तिल होने से वे औरत सम्पन्नता वाली व धन से परिपूर्ण जीवन को बिताने वाली होती है और आध्यात्मिक सोच वाली होती है।

जिस किसी भी आदमी के ठुड्डी के मध्य में तिल होने से वे आदमी दूसरों की भलाई करने वाले व परमात्मा व आत्मा से सम्बन्ध रखते हुए जीवन में विख्यात व 

मान-सम्मान पाने वाला होता है।
जिस किसी भी आदमी के ठुड्डी के बायीं तरफ में तिल होने से वे आदमी धर्म में रुचि रखने वाले डरपोक किस्म के बहुत अधिक विद्वान होते है।
जिस किसी भी आदमी के ठुड्डी के दाहिने तरफ में तिल होने से वे आदमी बहुत ही मेहनत करके रुपये-पैसों को कमाने वाले होते है।
कन्धा की जगह पर तिलों के नतीजे:-जिस किसी भी आदमियों या औरतों के कंधे व हाथ के जोड़ में तिल होने से वे आदमी या औरतें प्यार के मामलों में नाकामयाब रहते है।
जिस किसी भी औरत के बायें कंधे पर तिल होने पर वे औरतें अपने घरवाले से अच्छा सम्मान व प्यार को पाती है।
जिस किसी भी औरत के दाहिने कंधे पर तिल होने पर वे औरतें अपने घरवाले से अच्छा सम्मान व प्यार को नहीं पाती है।
गला के जगह पर तिलों के नतीजे:-जिस किसी आदमी या औरत के गला या गर्दन पर तिल होने से वे मान-सम्मान को पाने वाले होते है।
जिस किसी आदमी या औरत के गला या गर्दन पर तिल होने से वे आदमी या औरतें बहुत ही मेहनती होते है, जिससे वे अपने जीवन में कामयाब भी रहते है।लेकिन 40 से 45 वर्ष की उम्र की अवस्था के बीच में इनके साथ कोई भी गंभीर हादसा होने से बाल-बाल बच जाते है।
सीने या छाती की जगह पर तिलों के नतीजे:-जिस किसी आदमी या औरत के सीने या छाती पर तिल होने से वें खुली सोच के व उनकी सोचने की क्षमता अच्छी होती है, जिससे वें किसी भी दूसरों के साथ अपनी दलील देने में सक्षम होते है।
जिस किसी औरत के सीने या छाती पर तिल होने से इनकी सन्तान अच्छी होकर इनको ज्यादा इज्जत देते है जिससे इनका मान-सम्मान बढ़ता है।
जिस किसी आदमी के सीने या छाती पर तिल होने से वें खाने में अधिक रूचि रखने वाले पेटू होते है व अपनी जिम्मेदारी को अच्छी तरह से निभाते है।
जिस किसी आदमी की नाभि के नीचे तिल होने से वें जीवन में एक बार तो उनको बहुत बड़े धन से सम्बन्धित हानि को उठाना पड़ता है।इनका पेट में भी दुखावा होने से पाचन ठीक से नहीं हो पाता है।
पीठ की जगह पर तिलो के नतीजे:-जिस किसी आदमी या औरत के पीठ की जगह पर तिल होने से वें अपने परिवारिक जीवन में सुख से जीने वाले,वे अपनी धन-सम्पदा को दूसरों के देने की सोच वाले और इनमें शिक्षा के प्रति अधिक लगाव रहता है।
रीढ़ की हड्डी की जगह पर तिलो के नतीजे:-जिस किसी औरत या आदमी के रीढ़ की हड्डी की जगह पर तिल का निशान वाले ऊँचे पद को पाने वाले होते है,वे राजनीतिज्ञों व अच्छे प्रशासक बनते है।
कमर की जगह पर तिलों के नतीजे:-जिस किसी आदमी या औरत के कमर पर तिल होता है, वें आदमियों या औरतों का जुदा-जुदा पारिवारिक जीवन होता है।
कमर पर तिल वाली औरतें अधिक ऊंची पढ़ाई करने वाली होती है।
कमर पर तिल वाले आदमियों का वैवाहिक जीवन दुःख में बीतता है।
जांघ की जगह पर तिलों के नतीजे:-जिन आदमी या औरतों के जांघ पर तिल होता है,उनके कान पर भी तिल होता है। 
जिन आदमी या ओरतों के दाहिनी जांघ पर तिल होने से उनका वैवाहिक जीवन कामयाब होकर सुख-सम्पन्नता से बीतने वाला होता है।
जिन आदमी या ओरतों के बायीं जांघ पर तिल होने से उनका वैवाहिक जीवन नाकामयाब होकर दुःख व अनेक तरह की मुश्किलों से बीतने वाला होता है।
जिन आदमी या ओरतों के दाहिने बाजू की जगह पर तिल होने से धन के साथ मान-सम्मान मिलता है।
जिन आदमी या ओरतों के दाहिने हथेली की जगह पर तिल होने से रुपये-पैसे वाला बना देता है।
जिन आदमी या ओरतों के हथेली की जगह पर शुक्र पर्वत पर या बृहस्पति शिखर पर तिल होने से वें बहुत ज्यादा रुपये-पैसे मिलते है।
जिन आदमी या ओरतों के वक्ष के मध्य की जगह तिल होने से वें राजा-महाराजा की तरह जीवन को धन-सम्पदा से जीने वाले होते है।
जिन आदमी या ओरतों के कलाई की जगह पर तिल होने पर उनको अचानक रुपये-पैसे मिलते है और लॉटरी के खुलने से धन को पाते है,जिससे उनको अपार धन सम्पदा मिलती है।
जिन आदमी या ओरतों के भुजा के जितनी ऊपर की जगह पर तिल होता है, उतनी ही बड़ी उम्र में वे धन पाकर उनका भाग्य का उदय होता है।
जिन आदमी या औरतों की भुजा या गले पर सात तिलों का समूह होता है, जिसे सप्त ऋषि मण्डल कहते है। वें उच्च सिरे से परमात्मा और आत्मा के बीच सम्बन्ध में रुचि रखने वाले व दूसरों की मदद करने वाले होते है। ये बहुत ही ज्यादा मेहनती होने के साथ भाग्य भी इनका अच्छा होने से ये अपने ज्ञान व भाग्य के मेल से यह कठिन वस्तुओं को व परमात्मा व आत्मा के बीच सम्बन्ध को प्राप्त कर लेते है।
जिस किसी आदमी या औरत के कटि के नीचे तिल होता है,तो आदमी या औरतों में काम क्रीड़ा के प्रति ज्यादा झुकाव होता है, क्योंकि यह कटि के नीचे की जगह पर शुक्र ग्रह व अन्य ग्रहों का क्षेत्र होने से काम वासना की ओर ले जाते है।
जिस किसी आदमी या औरत के जाणुओं पर तिल होने से वें शारीरिक सुखों को ही जीवन का लक्ष्य मानने वाले विलासी प्रवर्ति की ओर झुकाव ज्यादा हो जाता है। जिससे आदमी या औरत में कामक्रीड़ा के प्रति ज्यादा झुकाव होने से अपनी इच्छा को पूरा करने के लिए जल्दी आतुर होते है।
ये सभी तिल ग्रहों के अच्छे असर के कारक होते है, लेकिन जन्मपत्रिका में ग्रह कमजोर हालत में होने पर नतीजे बुरे मिलते है।
जैसे बायें गाल पर तिल होने पर खर्च भाव की तीव्रता के कारण आदमी या औरत रुपये-पैसे ज्यादा खर्च करने वाले होते है।
शुक्र बुरी हालत में होने से आदमी या औरत की बाई आंख पर तिल होने से उनको लड़ाई-झगड़े करने वाले पति-पत्नी मिलते है।
जिन आदमी या औरत के नीचे होंठ पर तिल होने से रुपये-पैसे की कमी रहती है।
पहले घर का मालिक या आठवें घर का मालिक ग्रह कमजोर होने पर आदमी या औरत की उम्र मे कमी होती है।
भौम कमजोर या दुश्मन ग्रहों के बीच में होने से आदमी या औरत की बाई भुजा पर तिल होता है तो आदमी या औरत कायर मिजाज के हो जाते है।
आदमी या औरत के बगंल में तिल होने से वें दूसरों को नुकसान करने वाले होते है।
मनुष्य देह में वक्ष, उदर और पीठ की जगह को प्रमुख माना जाता है, वक्ष, पेट और पीठ की जगह पर तिल होने पर भविष्यवाणी आसानी से कर सकते है।
तिल ज्योतिष शास्त्र के अच्छे नतीजे पर विश्वास रखने वाला शास्त्र है,इसलिए ज्यादातर तिलों को अच्छा माना गया है। लेकिन तो भी तिलों के बारे में गहराई से विवेचना करनी चाहिए। जिससे मनुष्यों के शुभ भविष्य के इशारा मिल सकते है।

Sunday, February 7, 2021

February 07, 2021

मनुष्य के हाथ की हथेली में तिल नतीजे(Mole results in the palm of man's hand)


मनुष्य के हाथ की हथेली में तिल नतीजे (Mole results in the palm of man's hand):-हमारे पुराने जमाने से मनुष्यों की सोच है कि जिस किसी मनुष्य के हाथ में तिल होता है उसके पास में लक्ष्मी जी खूब रहती है, परन्तु हकीकत में इस आम धारणा से अलग है। हमारे ऋषियों-मुनियों अपने ज्ञान-अनुभव से मनुष्य के जीवन में होंने वाली घटनाओं को जानने के बहुत ही सारे उपक्रम किया है, जिससे मनुष्य के स्वभाव, आचरण और चरित्र को जान सके। इन सबको जानने के लिए ऋषियों-मुनियों ने मनुष्य के हाथों का परीक्षण किया और उन्होंने बहुत सारे मनुष्यों के हाथों को देखकर उनके बारे में जानकारी इकट्ठी की और अपने ज्ञान क्षेत्र में उनको सजाया। मनुष्य के शरीर के अंग हाथ के हथेली में स्थित तिलों के आधार पर मनुष्य के बारे में विश्लेषण किया और बताया कि अमुक का स्वभाव ऐसा रहेगा और उसका चरित्र, धन-संपदा आदि इतनी रहेगी। इस शास्त्र को सामुद्रिक शास्त्र के अंर्तगत रखा था। जो कि पुराने जमाने से संजोये हुआ ज्ञान है, जो कि आज के युग में प्रचलन में है। इस ज्ञान से मनुष्य के हाथ की हथेली में स्थित तिलों से मनुष्य के बारे में जानकारी मिलती है।



Mole results in the palm of man's hand


 सफेद रंग का तिल:-मनुष्य की हथेली में यदि सफेद रंग का तिल है तो उन्नति करवाने वाला होता है।




लाल रंग का तिल:-मनुष्य की हथेली में यदि लाल रंग का तिल है तो खून के संचार सम्बन्धित बीमारी का होता है।



पीले रंग का तिल:-मनुष्य  की हथेली में यदि पीला रंग का तिल है तो खून के कमी से सम्बंधित बीमारी को देने वाला होता है।



कला रंग का तिल:-मनुष्य की हथेली में यदि काले रंग का तिल है तो सभी तरह के कामों में रुकावट देने वाला होता है।



◆मनुष्य की हथेली में बाधा देने वाला प्रकृति कहा पर बसा हुआ है, इस पर निर्भर करता है। 



विभिन्न जगहों पर काले तिल और उनके नतीजे:-निम्नलिखित हैं।



गुरु के क्षेत्र पर।


शनि के क्षेत्र पर।


सूर्य के क्षेत्र पर।


बुध के क्षेत्र पर।


चन्द्र के क्षेत्र पर।


शुक्र के क्षेत्र पर।


मंगल के क्षेत्र पर।



मस्तिष्क रेखा के क्षेत्र पर।



हृदय रेखा के क्षेत्र पर।



जीवन रेखा के क्षेत्र पर।



भाग्य रेखा के क्षेत्र पर।



स्वास्थ्य रेखा के क्षेत्र पर।



मंगल रेखा के क्षेत्र पर।



 सूर्य रेखा के क्षेत्र पर।



विवाह रेखा के क्षेत्र पर।  




गुरु के क्षेत्र पर:-मनुष्य के हथेली में जीव या गुरु क्षेत्र पर काला तिल शादी में अड़चन को पैदा करने वाला होता है।


 

◆मनुष्य को अधिक की चाह पाने वाला बनता है।



◆मनुष्य को अपने ध्येय में जितना सोच था उतना नहीं मिलने में कामयाबी नहीं देने वाले होते है।



◆मनुष्य जितनी मेहनत करता है, उस मेहनत के अनुसार रुपये-पैसों की प्राप्ति नहीं होती है और बिना मतलब के रुपयों-पैसों का नुकसान होता है।



◆मनुष्य को कोई ऐसी अप्रत्याशित हादसा होता है,जो उसने कभी सोचा भी नहीं था।



◆मनुष्य के नेतृत्व करने की क्षमता में कमी और रुकावटे अति है।




शनि के क्षेत्र पर:-मध्यमा अंगुली के नीचे के क्षेत्र को शनि या मन्द का क्षेत्र कहते है।



◆शनि या मन्द के क्षेत्र पर काला तिल होने से मनुष्यों को अपने प्यार के मामलों में नाकामयाबी मिलती है



◆मनुष्य कोई भी गभीरता के मामलों को गलत अर्थों के रूप में लेता है।



◆मनुष्य अपने जीवन में संभल-संभल कर चलने पर भी परेशानी आती रहती है।




सूर्य के क्षेत्र पर:-मनुष्य के हाथ में मध्यमा अंगुली के पास में अनामिक अंगुली के नीचे के क्षेत्र को सूर्य के क्षेत्र कहते है।



◆मनुष्य के हाथ के सूर्य के क्षेत्र पर काला तिल होने से आंखों के रोग और मनुष्य के मान-सम्मान को ठेस का सूचक होता है।



◆मनुष्य को समाज मे बुराई ज्यादा मिलती है। 



◆मनुष्य को नौकरी में किसी भी प्रकरण को लेकर विवाद और मतभेद होता है।



◆मनुष्य पूरे जोश उत्साह और मेहनत के साथ काम करते हुए आगे बढ़ते है, लेकिन अनायास ही मनुष्य को अंतिम समय में नाकामयाबी ही हाथ में आती है।



बुध के क्षेत्र पर:-मनुष्य के हाथ में कनिष्ठा अंगुली के नीचे के क्षेत्र को बुध का क्षेत्र कहते है।



◆बुध के क्षेत्र पर काला तिल होने से मनुष्य को अपने व्यापार में नुकसान देंते है।



◆मनुष्य की बुद्धि नकारात्मक कार्यों में लग जाती है।



◆मनुष्य को कोई काम करने में रुचि नहीं रहती है, जिससे वह अलसी बन जाता है।



◆मनुष्य व्यवहार कुशल, कार्य कुशल और चातुर्य होते हुए भी दूसरे मनुष्य आपको हल्का आंकता है।



चन्द्र के क्षेत्र पर:-मनुष्य के हाथ में कनिष्ठा अंगुली के नीचे के क्षेत्र बुध क्षेत्र के थोड़े नीचे के क्षेत्र को चन्द्र क्षेत्र कहते है।


◆चन्द्र के क्षेत्र पर काला तिल होने से मनुष्य को अपने प्यार में असफलता मिलती है।



◆मनुष्य को जल से डर लगता है व जल से सम्बंधित बीमारी और जल से आघात का डर बना रहता है।



◆मनुष्य की शादी में परेशानी होते हुए बहुत ही देरी होती है।


◆मनुष्य के मन में बुरे ख्याल आते रहते है।



◆मनुष्य अपने मन में कल्पना की दुनियां में खोया रहता है, जिससे खुद ही कुंठित होता है।



शुक्र के क्षेत्र पर:-मनुष्य के हाथ में अंगुष्ट अंगुली के नीचे के क्षेत्र को शुक्र का क्षेत्र कहते है।


◆शुक्र के क्षेत्र पर काला तिल होने से मनुष्य को कोई छिपी हुई बीमारी होती है।



◆मनुष्य को अपनी प्रेमिका से तिरस्कृत होना पड़ता है और औरत से कष्ट मिलता है।



◆मनुष्य के द्वारा किसी भी दूसरे मनुष्य के प्रति सहानुभूति के भाव को दिखाने पर दूसरों के द्वारा उसे स्वार्थ समझते है।



◆मनुष्य कभी-कभी अपनी भावनाओं में बहकर गलत कदम उठा सकते है।



◆मनुष्य को अपनी क्षमता पर खुद को भरोसा नहीं रहता है।



मंगल रेखा के क्षेत्र पर:-मनुष्य के हाथ में कनिष्ठा अंगुली और तर्जनी अंगुली के नीचे के क्षेत्र में दो मंगल के क्षेत्र होते है।



◆मंगल के क्षेत्र में काला तिल होने से मनुष्य को बहुत तेज मिजाज का बनाता है और गुस्सा भी बहुत आएगा।



◆मनुष्य को अपनी कोई भी तरह की बात या वस्तु पर अड़ने वाला बनाता है।



◆मनुष्य को किसी भी तरह से गिरने पर चोट लगती है।



◆मनुष्य को दुर्घटना से सम्बंधित हादसे का शिकार होना पड़ता है।



◆मनुष्य अपने जोश में ऐसा कोई भी काम को कर बैठते है,जिसमें वे सक्षम नहीं होते है।



मस्तिष्क रेखा के क्षेत्र पर:-मनुष्य के हाथ में कनिष्ठा अंगुली और तर्जनी अंगुली के नीचे के क्षेत्र में दो मंगल के क्षेत्र होते है, उन मंगल के क्षेत्र को जोड़ने वाली रेखा मस्तिष्क रेखा का क्षेत्र होता है।


◆मस्तिष्क रेखा के क्षेत्र पर काला तिल होने से मनुष्य को मस्तिष्क से सम्बंधित बीमारी, चोट के लगने से या इससे से सम्बंधित बीमारी देता है।


◆मनुष्य में मस्तिष्क रेखा के क्षेत्र जिस पर्वत के नीचे आता है उससे सम्बन्धित विकार को देते है।



◆बुध अंगुली नीचे व्यापार में बाधा देते है।



◆सूर्य पर्वत के नीचे राज्य से सम्बंधित परेशानी देते है।


◆शनि पर्वत के नीचे होने पर बीमारी देते है।



◆गुरु पर्वत के नीचे होने से मनुष्य को टेंशन देते है।



हृदय रेखा के क्षेत्र पर:-बुध पर्वत,सूर्य पर्वत, शनि पर्वत और गुरु पर्वत के नीचे की ओर हृदय रेखा के क्षेत्र होते है।



◆हृदय रेखा के क्षेत्र पर काला तिल होने से मनुष्य को ह्रदय की बीमारी देते है।


◆मनुष्य के हाथ में जिस पर्वत के नीचे हृदय रेखा के क्षेत्र में तिल होते है, उस पर्वत से सम्बंधित विषयों के सम्बंध में दिल को ठेस लगती है।



जीवन रेखा के क्षेत्र पर:-मनुष्य के हाथ में मणिबन्ध रेखा, चन्द्र पर्वत, शुक्र पर्वत से निकल कर मंगल या गुरु पर्वत की ओर जाने वाली रेखा को जीवन रेखा क्षेत्र कहते है।


◆जीवन रेखा पर काला तिल होने से मनुष्य को लंबी उम्र या निरन्तर कोई न कोई बीमारी देता है, जिसके कारण ◆मनुष्य चिड़चिड़ापन व खीझ बढ़ती है।



भाग्य रेखा के क्षेत्र पर:-भाग्य रेखा के क्षेत्र पर काला तिल होने से मनुष्य को भाग्य उन्नति में बाधा व काम के अंतिम समय में विफलता देता है।



◆मनुष्य के लिए यह तिल दुर्भाग्यपूर्ण होता है, जो जीवन में अड़चनें देंते है।



स्वास्थ्य रेखा के क्षेत्र पर:-स्वास्थ्य रेखा के क्षेत्र पर काला तिल होने से मनुष्य को लगातार बीमारी और दुःख देने वाला होता है।


मंगल रेखा के क्षेत्र पर:-मंगल रेखा पर काला तिल होने से मनुष्य अपने पक्ष की बात की बात नहीं बता पाते है।



◆मनुष्य को ज्यादा डर लगता है।



◆मनुष्य को झिझक बनी रहती हैं।




सूर्य रेखा के क्षेत्र पर:-सूर्य रेखा के क्षेत्र पर काला तिल होने से मनुष्य को यश नहीं मिल पाता है।



◆मनुष्य को उन्नति में निरन्तर बाधा और असफलता मिलती है।


विवाह रेखा के क्षेत्र पर:-विवाह रेेखा पर तिल होनेे से मनुुष्य की शादी में अड़चनें आती है।



◆मनुष्य की शादी भी हो जाने पर वैवाहिक जीवन में परस्पर वैचारिक मतभेद दर्शाते हैं।



जन्मकुंडली में पाप ग्रह सूर्य, शनि, मंगल, केतु जिस स्थान पर बैठते है। वे भाव जिस अंग का प्रतिनिधित्व करते है उस अंग पर ही तिल होता है, उससे सम्बन्धित अंग का फल मिलता है।

Tuesday, December 8, 2020

December 08, 2020

चेहरे को पढ़ना (फेस रीडिंग) या चेहरे पर लिखा है आप कैसे हैं जनाब


चेहरे को पढ़ना (फेस रीडिंग) या चेहरे पर लिखा है आप कैसे हैं जनाब?(Face reading or is written on the face how are you?):-भारतीय ज्योतिष सामुद्रिक शास्त्र का ही एक अंग या भाग है। पुराने जमाने में इंसान के चेहरे की आकृति या आकार को देखकर भूत, भविष्य और वर्तमान समय को जानने का विधान था। उसी के आधार पर सामुद्रिक शास्त्र की रचना हुई। पश्चिमी देशों में चेहरे को देखकर भविष्यवाणियों का प्रचलन तो अब आरम्भ हुआ है। सामुद्रिक शास्त्र विधा से पता चलता है कि चेहरा आपके बारे में काफी कुछ बोलता है।




Face reading or is written on the face how are you?




सामुद्रिक शास्त्र विधा  भारत की एक पुरानी सामुद्रिक ज्ञान के रूप में आज भी अवस्थित है। चेहरे मिलाकर विवाह सम्बन्ध को तय करना एक रोचक विषय है। इस पर शोध कार्य अभी जारी है।



जहां जन्मपत्री के बिना विवाह आदि का निर्णय नहीं ले सकते या जिन लोगों के पास जन्मपत्री नहीं है, उनके लिए यह एक विश्वसनीय मार्ग या रस्ता हो सकता है।



चेहरे की आकृति से व्यक्ति के स्वभाव (नेचर) आदि के विषय में बताया जा सकता है।



किसी शायर ने कहा है कि तुमने तो पढ़े होंगे बेजान किताबों के पन्ने हम तो वो पढ़ते हैं जो चेहरे पर लिखा होता है। इससे यही ध्वनित होता हैं कि चेहरा हमारा हाल बता देता है, बशर्ते हमें पढ़ना आना चाहिए।



शास्त्रों में चेहरे की आकृतियों के आधार पर यह बताया गया है कि किस आकृति के चेहरे वाले इंसान का स्वभाव कैसा होता है। चेहरे की आकृति से पंच तत्वों में से उसके मुख्य तत्व का पता चलता है।



वैदिक साहित्य में त्रिकोण को शक्ति का प्रतीक माना गया है। वहीं आकृति विज्ञान में इसकी उपयोगिता चेहरे से मिलाने पर अत्यधिक महत्वपूर्ण हो जाती हैं।



त्रिकोण ऊपर की ओर प्रहारक अवस्था में रहता है और नीचे की ओर सृजनकारक या रचनाकारक हो जाता है। अतः श्रीयंत्र जब इस प्रकार ऊपर का बिंदु बनाता है तब वह संहार का कारक हो जाता है। सृष्टि उत्पति  के समय श्रीयंत्र का आकार ले लेती हैं।



शास्त्रों के अनुसार:-


◆ऊपर की ओर होने पर त्रिकोण अग्नितत्व का कारक होता है।


◆जब त्रिकोण नीचे की ओर बिंदु पर केंद्रित हो तो वायुतत्व का कारक(चिन्ह) माना जाता है।


◆जीवन का मूल कारक गोल रूप में हो तो जलतत्व का कारक माना जाता है। शान्त शीतल जीवन देने वाला जल धरती पर 80 प्रतिशत है। यह उसी प्रकार है जिस प्रकार मानव शरीर में 80 प्रतिशत है।


◆रहने के लिए चोकोर रूप में हो तो पृथ्वीतत्व या धरतीतत्व का कारक माना जाता है। अतः धरती पर जीवन बिताने के लिए चकोर भूमि आवास ही प्रचलित हैं।


◆अंडाकार रूप में नजर आने वाला हो तो आकाश तत्व का कारक माना जाता है। जिसमें गहरा छिपा हुआ ब्रह्माण्ड जिसके गर्भ में है। अतः आकाश को अंडाकार ही स्वीकार किया गया हैं।



इस प्रकार इन पांचों प्रकृति के चेहरों और उनकी आकृतियों में वह सब कुछ समाया हुआ है, जो उनका स्वभाव है।



1.अग्नितत्व:- ऊपर की ओर होने पर त्रिकोण अग्नितत्व का कारक होता है और उनके गुणधर्म व स्वभाव आदमी व औरतों में निम्नलिखित है:



आदमी या पुरुष:-अक्सर दुबले-पतले, लम्बे मुख वाले तेज,खून के रंग समान आँखों वाले, तेज चलने वाले, तेज व अच्छी स्मरण शक्ति या यादास्त शक्ति वाले, शीघ्र गुस्सा करने वाले, जिद्दी स्वभाव के, सही व सामने बोलने वाले, घमण्ड से युक्त और चँचल स्वभाव के होते है। इस तत्व के इंसान निर्माण व ध्वंस दोनों कार्यों में लगे रहने वाले होते है। यह लोग अविकसित व अपराधी जगत् से सम्बद्ध हो सकते है। इनमें पाशविक व हिंसात्मक दृष्टि देखी जा सकती हैं।



औरतें या स्त्रियों:- अग्नितत्व की औरतें या स्त्रियां शादि में कम भरोसा करने वाली होती है तथा राजनीति में ज्यादा अग्रसर रहनी वाली हो सकती है। राजनीति में विशेष रूप से सफल होने वाली हो सकती है। यदि गृहस्थ जीवन में होने पर उनमे बर्दाश्त करने की क्षमता बहुत ही कम होती है। उसमें हल्की नोंक-झोंक तक को भी सहने की क्षमता नहीं होती, हमेशा घर में लड़ाई-झगड़े का माहौल बना रहता है। खून के रंग की वस्तुओं में अधिक रुचि रखती है। उन्हें चंचल, मादक द्रव्य सेवी, वाचालता पसन्द होती है। ये प्रायः स्वतंत्रता को पसंद करने वाली होती हैं।



2.वायुतत्त्व:-जब त्रिकोण नीचे की ओर बिंदु पर केंद्रित हो तो वायुतत्व का कारक(चिन्ह) माना जाता है।



आदमी या पुरुष:- हवातत्व वाले आदमी या पुरुष अधिक घूमने वाले, काम को जल्दी-जल्दी खत्म करने वाले होते है। इस तत्व के पुरुष अधिकतर मीडिया व फिल्म इंडस्ट्रीज में कार्य करने वाले होते है। वहीं ये खेल के मैदान में भी हल्ला मचाकर रखने वाले होते है। इनमें ताजगी, हौसला, स्वच्छन्दता, किसी भी बात की दलील देने में कुशल तथा सब जगह पर मन मे उम्मीद लगाने वाले होते है। इनमें  किसी के बारे में जानने की तीव्र रुचि, किसी भी नई जानकारी के बारे में तलाश करते रहने वाले, प्यार व सुंदरता के प्रति लगावशील रहने वाले, कामक्रीड़ा के प्रति प्यासा रहने वाले तथा जीवनसाथी से इनके अच्छे सम्बन्ध नहीं रखपाने वाले होते है। अपने भविष्य को लेकर अत्यधिक स्वधान व लम्बी  यात्राएं भी करने वाले होते हैं।




औरतें या स्त्रियों:-वायुतत्व वाली औरतें या स्त्री घर बसाने के लिए तेज रुचि वाली, फटा-फट काम करने वाली, साफ-सफाई को पसंद वाली व घर के कामो में कुशल होती है। इस तत्व वाली औरतें या स्त्रियां में नहीं अहम् होता है, न ही गुस्सा व वे नहीं बेवकूफ होती है। वें हर कोई माहौल में घुल-मिलकर सामंजस्यपूर्ण ढंग से रहने वाली होती है। इनमें उतावलापन देखा जा सकता है। समय व धन के खर्च के प्रति बेहद ही जागरूक होती है, जो कि अच्छे गुणों में गिने जा सकते हैं।




3.जलतत्व:-जीवन का मूल कारक गोल रूप में हो तो जलतत्व का कारक माना जाता है। शान्त शीतल जीवन देने वाला जल धरती पर 80 प्रतिशत है। यह उसी प्रकार है जिस प्रकार मानव शरीर में 80 प्रतिशत होता है।



आदमी या पुरुष:-जलतत्व वाले आदमी या पुरुष का चेहरा गोल होता है। इस तत्व के आदमी या पुरुष में मांस सार की तेज होने अवस्था होती है। इनके गाल भरे हुए, गुद-गूदे व चिकने होते है। हमेशा मन में खुश रहने वाले, समाज में अधिक प्यारा होता है, चंचल प्रवृत्ति मनोरंजन के शौकीन होते है। जलतत्व के व्यक्ति के बारे में कहा जाता है कि यह व्यक्ति सिद्ध या अवतार पुरुष होते है तथा शांत प्रकृति से समाज उत्थान में सहायक होते है। जीवन के आरम्भ में अत्यधिक मेहनत करते है। समाज के रिश्तों से ऊबे हुए, स्वस्थ, कल्पना में खोये रहने वाले, सपनों को देखने वाले, आध्यात्मिकता में अत्यधिक रुचि रखने वाले होते है। ये इंसान जीवन में मुसीबतों से सदा घिरे रहते है और हर मुसीबतों के बाद अपनी छाप छोड़ने में कामयाब भी दिखाई देते है।




औरतें या स्त्रियों:-औरतें या स्त्रियों के चेहरे जलतत्व के होने पर उनका स्वभाव चंचल होगी। वह श्रृंगार प्रिय, बहुत ही बुद्धि वाली, विदुषी होती है। वह अपने प्रियतम से ज्यादा प्यार करने वाली व अपने पति के प्रति भक्ति भाव एवं अनुराग वाली होती है। जलतत्व की औरतें या स्त्रियां योवावस्था में सीधी, सरल ह्रदय, दया का भावना वाली, स्नेही व चंचल होती हैं।




4.पृथ्वीतत्व:-रहने के लिए चोकोर रूप में हो तो पृथ्वीतत्व या धरतीतत्व का कारक माना जाता है। अतः धरती पर जीवन बिताने के लिए चकोर भूमि आवास ही प्रचलित हैं।



आदमी या पुरुष:-वर्गाकार चेहरे वाले आदमी या पुरुषों के ललाट व आँखों के ऊपर वाला भाग आकर्षक होता है। पृथ्वी तत्व आदमी या पुरुष भौतिक सुख साधनों से सम्पन्न सुखी और समृद्धिशाली होते है और इनके विचार मजबूत होते हैं। भौतिकता के प्रति इनका आसक्ति के अनुसार इनको भौतिकवादी कहा जा सकता है। इनमें तामसिक गुण अधिक होते है। यह मन ही मन में सोचने वाले या सपनों को देखने वाले होते है। 




पृथ्वी तत्व के आदमी या पुरुषों की कमियां या दुर्गुण:-पृथ्वी तत्व के आदमी या पुरुषों में काम करने की चाहत नहीं होती है, जिद पकड़ने वाले, लम्बी सोच वाले, विलासी व बेवकूफ स्वभाव के होते है।



औरतें या स्त्रियों:-पृथ्वी तत्व प्रधान औरतें या स्त्रियों के शरीर के साथ-साथ सोच भी मोटी या बड़ी होती हैं। ये योजना बनाने में कुछ हद तक धीमे स्वभाव की लेकिन दूसरों के लिए व्यवहार कुशल तथा वस्तुओं को इकट्ठा करके रखने वाली होती है, परन्तु इनका चरित्र कमजोर हो सकता है।




5.आकाश तत्व:-अंडाकार रूप में नजर आने वाला हो तो आकाश तत्व का कारक माना जाता है। जिसमें गहरा छिपा हुआ ब्रह्माण्ड जिसके गर्भ में है। अतः आकाश को अंडाकार ही स्वीकार किया गया हैं।




आदमी या पुरुष:-अंडाकार चेहरा, चेहरे पर चमक और आँखों में विशेष तेज देखा जा सकता है। ऐसे लोगों में सतोगुण तथा तेजोगुण दोनों का प्रभाव स्पष्ट देखा जा सकता है। आकाश तत्व वाले आदमी या पुरुष धर्मगुरु, उच्च राजनेता, महान साहित्य की रचना करने वाले तथा संचालन की विशेष प्रवृत्ति से सम्पन्न रहते है। ये जनता के प्रतीक होते है। ये उदार ह्रदय, दया की भावना वाले, इच्छाओं की अधिकता, गरिमा से सम्पन्न एवं आदर्शयुक्त व्यवहारिक होते है। इस वर्ग के लोग एकांत में रहने की रुचि वाले, सौम्य-तेजस्वी, ईश्वर पर विश्वास करने वाले एवं गुरु तत्वमय आत्मावंलबी होते है।




औरतें या स्त्रियों:-आकाश तत्व की प्रधानता वाली औरतें या स्त्रियां विशेष कुछ नहीं कर पाती, परन्तु तत्वज्ञान, वाचाल, व्यवहारिक, सतोगुण से युक्त देखा जा सकता है। शादी आदि से अक्सर डर रहता है। इस श्रेणी की औरतें स्वभाव से धर्मपरायण, साफ-सुधरी, काम को पूरा में लगनशील, सेवा करने वाली, ईश्वर के प्रति भक्तिपूर्ण एवं सौभाग्यवती होती है।