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Sunday, December 20, 2020

ज्योतिष शास्त्र में जन्मकालिक पाये का विचार और महत्व(The idea and importance of birthdays found in astrology)



ज्योतिष शास्त्र में जन्मकालिक पाये का विचार और महत्व(The idea and importance of birthdays found in astrology) :-शिशु के जन्म के समय प्रायः सभी परिजनों की यह लालसा जानने की रहती है कि उसके नवजात शिशु का जन्म किस पाद या पाये में हुआ है। पाये के आधार पर नवजात शिशु के प्रारंभिक एक साल के स्वास्थ्य का आंकलन किया जाता है। जन्मकालिक पाये का प्रभाव आरम्भिक महीने में ज्यादा तथा साल भर कम-ज्यादा रहता है। 

जन्मकालिक पाये या पाद को जानने की विधि:- मनुष्य के शिशु के जन्मकालिक पाये या पाद को दो तरह से जान सकते है।

1.चन्द्रमा के भाव स्थिति के आधार पर।

2.नक्षत्र स्थिति के आधार पर।

1.चन्द्रमा के भाव स्थिति के आधार पर:-मनुष्य की जन्मकुंडली में बारह भाव या घर होते है। इन बारह घरों को चार भागों में बांटा जाता है। प्रत्येक भाग को एक धातु (सोना,चांदी,ताम्र व लोहा) का मालिक व प्रतिनिधित्व देकर श्रेणीबद्ध किया गया है। चन्द्रमा की स्थिति इसका आधार होता है।

1.घर या भाव:-यदि चन्द्रमा मेष,कन्या व कुंभ राशि के भाव या घर में होने पर मनुष्य के शिशु का जन्मकालिक पाया या पाद सोना का पाया होता है।

2.घर या भाव:-यदि चन्द्रमा वृषभ,सिंह व धनु राशि  भाव या घर में होने पर मनुष्य के शिशु का जन्मकालिक पाया या पाद चांदी का पाया होता है।

3.भाव या घर:-यदि चन्द्रमा मिथुन, तुला और मकर राशि भाव या घर में होने पर मनुष्य के शिशु का जन्मकालिक पाया या पाद ताम्र का पाया होता है।

4.भाव या घर:-यदि चन्द्रमा कर्क,वृश्चिक और मीन राशि भाव या घर में होने पर मनुष्य के शिशु का जन्मकालिक पाया या पाद लोखन या लोहे का पाया होता है।

2.चन्द्रमा की नक्षत्र स्थिति के आधार पर:-भी मनुष्य के नवजात बालक या बालिका का जन्मोत्तर नतीजा जान सकते है।चन्द्रमा की नक्षत्र स्थिति के आधार पर पायों के विषय में शास्त्रों में दो तरह के मत माने गए है।

पहला मत नक्षत्रों की स्थिति के आधार पर पायों के बारे में:-जो इस तरह बताया गया है।

१.चन्द्रमा की नक्षत्र स्थिति के आधार पर सोने का पाया :-यदि चन्द्रमा रेवती,अश्वनी,भरणी,कृतिका, रोहिणी व मृगशिरा इन छः नक्षत्रों में से किसी एक नक्षत्र में होता है तो मनुष्य के नवजात बालक या बालिका का जन्मकालिक पाया सोने का पाया होता है।

२.चन्द्रमा की नक्षत्र स्थिति के आधार पर चांदी का पाया :-यदि चन्द्रमा आर्द्रा,पुनर्वसु, पुष्य,आश्लेषा, मघा,पूर्वाफाल्गुनी, उत्तराफाल्गुनी,हस्त,चित्रा और स्वाति इन दश नक्षत्रों में से किसी भी एक नक्षत्र में होता है तो मनुष्य के नवजात बालक या बालिका का जन्मकालिक पाया चांदी का पाया होता है।

३.चन्द्रमा की नक्षत्र स्थिति के आधार पर ताम्र का पाया:-यदि चन्द्रमा विशाखा,अनुराधा,ज्येष्ठा, मूल,पूर्वाषाढ़ा, उत्तराषाढ़ा, श्रवण,धनिष्ठा और शतभिषा इन नौ नक्षत्रों में से किसी भी एक नक्षत्र में होता है तो मनुष्य के नवजात बालक या बालिका का जन्मकालिक पाया ताम्र का पाया होता है।


४.चन्द्रमा की नक्षत्र स्थिति के आधार पर लोहे का पाया:-यदि चन्द्रमा पूर्वाभाद्रपद व उत्तराभाद्रपद इन दो नक्षत्रों में से किसी एक नक्षत्र में होता है तो मनुष्य के नवजात बालक या बालिका का जन्मकालिक पाया लोहे का पाया होता है।

दूसरे मत नक्षत्रों की स्थिति के आधार पर पायों के बारे में:-जो इस तरह बताया गया है।

१.चन्द्रमा की नक्षत्र स्थिति के आधार पर सोने का पाया :-यदि चन्द्रमा पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद रेवती,अश्वनी,भरणी और कृतिका इन छः नक्षत्रों में से किसी एक नक्षत्र में होता है तो मनुष्य के नवजात बालक या बालिका का जन्मकालिक पाया सोने का पाया होता है।

२.चन्द्रमा की नक्षत्र स्थिति के आधार पर चांदी का पाया :-यदि चन्द्रमा आर्द्रा,पुनर्वसु, पुष्य,आश्लेषा, मघा,पूर्वाफाल्गुनी, उत्तराफाल्गुनी,हस्त,चित्रा और स्वाति इन दश नक्षत्रों में से किसी भी एक नक्षत्र में होता है तो मनुष्य के नवजात बालक या बालिका का जन्मकालिक पाया चांदी का पाया होता है।

३.चन्द्रमा की नक्षत्र स्थिति के आधार पर ताम्र का पाया:-यदि चन्द्रमा विशाखा,अनुराधा,ज्येष्ठा, मूल,पूर्वाषाढ़ा, उत्तराषाढ़ा, श्रवण,धनिष्ठा और शतभिषा इन नौ नक्षत्रों में से किसी भी एक नक्षत्र में होता है तो मनुष्य के नवजात बालक या बालिका का जन्मकालिक पाया ताम्र का पाया होता है।


४.चन्द्रमा की नक्षत्र स्थिति के आधार पर लोहे का पाया:-यदि चन्द्रमा रोहिणी व मृगशिरा इन दो नक्षत्रों में से किसी एक नक्षत्र में होता है तो मनुष्य के नवजात बालक या बालिका का जन्मकालिक पाया लोहे का पाया होता है।

जन्मकालिक पाये का महत्व:-फलित ज्योतिष के सिद्धांत के आधार पर राशि या भाव  की तुलना में नक्षत्र के आधार पर मिलने वाला नतीजा अधिक असर वाला होता है। इस कारण ही मनुष्य के नवजात शिशु का पाया को ज्यादातर नक्षत्र के आधार पर जान कर उसके नतीजे को बताया जाता है।

फलादेश के अनुसार चांदी का पाये को सबसे बढ़िया बताया जाता है। उसके बाद दूसरी जगह में ताम्र के पाये को अच्छा बताया जाता है, लेकिन चांदी के पाये की तुलना में अच्छे नतीजे ताम्र पाये में कम मिलते है। उसके बाद तीसरी जगह पर सोने के पाये का होता है तथा चोथी जगह पर लोहे के पाये का होता है,जो कि बहुत ही खराब होता है।

ग्रहों की नजर से विचार करने पर चांदी धातु का सम्बन्ध चन्द्रमा से होता है, जो कि सबसे अच्छे स्वास्थ्य की निशानी होता है।

ग्रहों की नजर से विचार करने पर ताम्र का सम्बन्ध भौम या मंगल से होता हैं, जो कि चन्द्रमा के बाद तुलनात्मक रूप से अच्छा ग्रह होता है ,जिससे विशेष परिस्थिति में राजयोग भी बनाता है।

ग्रहों की नजर से विचार करने पर सोने धातु का सम्बन्ध सूर्य से होता है,जो कि भौम के बाद तुलनात्मक रूप से अच्छा ग्रह होता है।

ग्रहों की नजर से विचार करने पर लोहे धातु का सम्बन्ध शनि या मन्द से होता है,जो कि रवि के बाद तुलनात्मक रूप से अच्छा ग्रह होता है।

पायों के नतीजे:-

चांदी का पाये के नतीजे:-कोई भी मनुष्य के नवजात शिशु का जन्मकालीन चांदी के पाये या पाद में बालक या बालिका जन्म होता है। वे मनुष्य धन्धे-रोजगार में अच्छी तरह से उन्नति करके सामाजिक जीवन में मान-सम्मान मिलता है और उनके कार्यों में कामयाबी मिलती है।

ताम्र के पाये के नतीजे:-ताम्र पाये में जन्में मनुष्य देह में निरोगता होने से वे अधिक मेहनत करके रुपये-पैसे कमाने वाले होने से उनको मान-सम्मान सामाजिक जीवन में मिलेगा।

सोने के पाये के नतीजे:-सोने के पाये में जन्मे मनुष्य शरीर से अस्वस्थ रहने वाले होने से उनको अपने परिवार में लड़ाई-झगड़े व मतभेद रहेंगे और वे मेहनत करने पर भी उनको रुपये-पैसे को कमाने में कामयाबी नहीं मिलती है।

लोहे के पाये के नतीजे:-लोहे के पाये में जन्मे मनुष्य शरीर से कमजोर व शरीर में बीमारी से ग्रसित रहने वाले, रुपये-पैसे के लिए अधिक मेहनत करते हुए जूझने वाले होंगे,जीवन में लड़ाई-झगड़े व घर के सदस्यों के बीच में मतभेद होंगे,जीवन में मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा और किसी तरह से मन के अंदर उथल-पुथल चलती रहेगी।

मनुष्य के जीवन के ऊपर असर करने वाले पहलुओं में से एक पाया फल भी होता है लेकिन इसका असर कम-ज्यादा भी हो सकता है।

जन्मकुंडली में ग्रह स्थिति अलग है तो दशा-अन्तर्दशा का भी सटीक मनुष्य पर असर होता है। अतः सभी विधाओं के समावेश एवं समायोजन से मनुष्य का भविष्य जानना शास्त्र सम्मत होता है।