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Sunday, January 24, 2021

अथ बुधवार के व्रत करने के विधि-विधान के नियम,कथा,आरती और व्रत के फायदे(Fasting rules of Atha Wednesday, rules, story, Aarti and benefits of fasting)

             



अथ बुधवार के व्रत करने के विधि-विधान के नियम,कथा,आरती और व्रत के फायदे(Fasting rules of Atha Wednesday, rules, story, Aarti and benefits of fasting):-जिन मनुष्य की जन्मकुंडली पर बुध ग्रह के बुरे असर होते है और जो मनुष्य सभी तरह के सुख की चाह रखने वाले होते है,उनको बुधवार का व्रत करना चाहिए।



बुधवार व्रत करने की रीति:-शुक्ल पक्ष के पहले बुधवार को  बुधवार के व्रत को शुरुआत करना चाहिए।

◆मनुष्य को इक्कीस या पैंतालीस व्रत करने की चाह से संकल्प से ही व्रत को करना चाहिए। 

◆रात और दिन में एक टाईम ही खाना खाना चाहिए।

◆मनुष्य को हरे रंग की चीजों को ज्यादा इस व्रत में प्रयोग में लेना चाहिए।

◆हरे रंग के अंगवस्त्र या हरे रंग के कपड़े को मनुष्य को बुधवार के दिन पहनना चाहिए।

◆मनुष्य को अपने मन में "ऊँ ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः"  बीज मन्त्र को मन में जपते हुए दिन को बिताना चाहिए। 

◆मनुष्य को बुधवार के दिन भगवान गणपति जी के दर्शन करना चाहिए।

◆मनुष्य को एक पाव मोदक के लड्डू का प्रसाद के रूप में भगवान गणपति जी को भोग लगाना चाहिए।

◆मनुष्य को बुधवार के दिन गाय को हरी रंग की घास का दान करना चाहिए।



बुधवार व्रत करने की पूजा-आराधना विधि:-बुधवार व्रत के अंत में भगवान शिव शंकर जी की पूजा- आराधना धूप,बेल-पत्र आदि से करना चाहिए।

◆मनुष्य को पूरी कथा को सुनना चाहिए और आरती लेना चाहिए उसके बाद भगवान को लगाए हुए भोग को प्रसाद के रूप में सभी को बांटने के बाद खुद को ग्रहण करना चाहिए।

◆कथा के समय उठ-खेश नहीं करनी चाहिए।

भोजन के रूप उपयोग में लेना:-मनुष्य को हरे मूंग की दाल चावल की खिचड़ी,मूँग का हलवा,हरे मूँग की पकौड़ी आदि वस्तुओं को किसी विकलांग मनुष्य को इन वस्तुओं से बनाये गये भोजन को करवा कर खुद भोजन  के चार से पांच ग्रास को ग्रहण करना चाहिए उसके बाद दूसरी वस्तुओं को खाने में उपयोग में लेना चाहिए। मनुष्य को भोजन के करने से पूर्व पांच से सात तुलसी के पान को गंगा के पानी या साफ पानी के साथ मिक्स करके पीना चाहिए।



बुधवार के दिन हवन- यज्ञ करना:-मनुष्य को अपनी मन की मुराद के पूरा होने पर अंतिम व्रत के दिन में मनुष्य को हवन-यज्ञ करने के लिए हवन समिधा के रूप में अपामार्ग,आंधीझाड़ा की लकड़ी का प्रयोग करना चाहिए।



बुधवार के दिन दान करना:- मनुष्य को अंतिम व्रत के दिन में हवन करने के बाद किसी विकलांग मनुष्य को या भिक्षुक को हरे मूंग की दाल, चावल की खिचड़ी,मूँग का हलवा,हरे मूँग की पकौड़ी आदि वस्तुओं का दान करना और इन वस्तुओं को भोजन के रूप में खिलाना चाहिए।

◆मनुष्य को बुधवार के व्रत के अंतिम व्रत के दिन कांसी के बर्तन,दो फल,हरे रंग का रुमाल,हरे रंग के कपड़े और मूंग आदि वस्तुओं का दान करना चाहिए।



अथ बुधवार व्रत की कथा:-पुराने समय में एक व्यक्ति अपनी पत्नी को विदा करवाने के लिए अपने ससुराल को गया।अपने ससुराल में कुछ दिनों तक रुकने के बाद अपने सास-ससुर से अपनी पत्नी को उसके साथ भेजने का कहा।लेकिन उसके सास-ससुर ने कहा कि आज तो बुधवार का दिन है और आज के दिन बेटी को विदा नहीं करते है। वह व्यक्ति अपने सास-ससुर की बात को नहीं माना बहुत समझाने पर भी अपने जिद पर अड़ा रहा और अपनी जिद से अपनी पत्नी को बुधवार के दिन अपने ससुराल से लेकर अपने नगर की तरफ रवाना हो गया। रास्ते में उसकी पत्नी को प्यास लगी तो उसनेअपनी पति से कहा कि मुझे बहुत जोर की प्यास लगी है। तब वह व्यक्ति लोटा लेकर अपने रथ से उतरकर जल लेने के लिए निकल पड़ा और जब वह व्यक्ति पानी लेकर अपनी पत्नी के पास आया तो वह देखकर आश्चर्य से चकित रह गया कि ठीक अपनी ही जैसी शक्ल तथा वैसी ही वेशभूषा में एक व्यक्ति उसकी पत्नी के पास में रथ पर बैठा हुआ था। दूसरा व्यक्ति बोला कि यह मेरी पत्नी है। मैं तो अभी-अभी अपने ससुराल से विदा कराकर ला रहा हूँ। इस तरह दोनों व्यक्ति आपस मे लड़ाई-झगड़े करने लगे। तभी राज्य के सिपाही आकर लोटे वाले व्यक्ति को पकड़ने लगे। औरत से पूछा,की इन दोनों में से तुम्हारा असली पति कौनसा है? तब वह पत्नी शांत रही क्योंकि दोनों ही एक जैसे रूप और कपड़े पहने हुए थे वह किसे अपना पति कहे। वह व्यक्ति ईश्वर से प्रार्थना करता हुआ बोला- ''है परमेश्वर!यह आपकी क्या लीला है कि सच्चा झूठ बन रहा हूँ।" तभी आकाशवाणी हुई कि मूर्ख व्यक्ति आज बुधवार के दिन तुझे गमन नहीं करना था। तूने किसी की भी बात नहीं मानी और बुधवार के दिन अपने हठ से अपनी पत्नी को विदा कराकर ले आया। यह सब लीला बुधदेव भगवान की है। उस लोटे वाले व्यक्ति ने बुधदेव भगवान से प्रार्थना की और अपनी गलती के लिए माफी मांगी। तब जाकर बुधदेवजी गायब हो गए। वह अपनी औरत को लेकर अपने नगर को आया तथा बुधवार का व्रत उन दोनों पति-पत्नी ने पूरे विधि-विधान से करने लगे।

जो व्यक्ति बुधवार की कथा को सुनता है और दूसरों को सुनाता है उसको बुधवार के दिन यात्रा का कोई भी तरह का दोष नहीं लगता है और उसको सब तरह के सुख मिलते है।


            ।।अथ बुधवार व्रत कथा समाप्त।।



बुधवार के दिन व्रत को करने के फायदे:-बुधवार का व्रत करने वाले मनुष्य को ज्ञान और बुद्धि में बढ़ोतरी होती है।

◆मनुष्य के व्यापार में अच्छे रुपयों-पैसों की प्राप्ति होती है।

◆मनुष्य को उत्तम सन्तान की प्राप्ति होती हैं।



           ।।अथ बुधवार की आरती।।


आरती युगलकिशोर की कीजै।

तन मन न्यौछावर कीजै।।आरती युगल.........।। 

गौर श्याम मुख निरखन लीजै।

हरि का स्वरूप नयन भरि लीजै।।आरती युगल....।। रवि शशि कोटि बदन की शोभा 

ताहि निरखि मेरो मन लोभा।।आरती युगल.........।। ओढ़े नील पीत पट सारी।

कुंजविहारी गिरिवरधारी।।आरती युगल.........।। 

फूलन की सेज फूलन की माला।

रत्न सिंहासन बैठे नन्दलाला।।आरती युगल........।।कंचनथार कपूर की बाती। 

हरि आए निर्मल भई छाती।।आरती युगल.........।। 

श्रीपुरुषोत्तम गिरिवरधारी।

आरती करें सकल बज्र नारी।।आरती युगल......।। 

नन्दनन्दन बृजभान किशोरी।

परमानन्द स्वामी अविचल जोड़ी।।आरती युगल...।।


      ।।अथ बुधवार की आरती समाप्त।।