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Tuesday, February 2, 2021

श्री हनुमानजी की हनुमान चालीसा का परिचय और महत्व(Introduction and importance of Hanuman Chalisa of Shri Hanuman):


श्री हनुमानजी की हनुमान चालीसा का परिचय और महत्व(Introduction and importance of Hanuman Chalisa of Shri Hanuman):-श्री हनुमानजी की चालीसा से हनुमानजी के बारे में पूरा विवरण मिल जाता है, की हनुमानजी ने किस तरह से भगवान रामजी के प्रति श्रद्धा रखते हुए हनुमानजी ने किस तरह से श्री रामजी की सेवा की थी और अपना सबकुछ श्री रामजी के चरणों में अर्पण कर दिया। हनुमानजी के द्वारा किये गए सभी कार्यो का विवरण हनुमान चालीसा में मिल जाता है। 




Introduction and importance of Hanuman Chalisa of Shri Hanuman



रामचरित मानस की तरह हनुमान चालीसा का महत्व है।तुलसीदास जी के द्वारा हनुमान चालीसा की रचना हुई थी जो कि दशरथ जी के पुत्र रामजी के बड़े भक्त थे।तुलसीदास का भरोसा भगवान रामजी पर होने से उनको औरंगजेब ने बन्दी बनाया था और कारागार में रहते हुए उन्होंने हनुमान चालीसा की रचना की थी।हनुमान जी की कृपा से ओरेंगजेब की बुद्धि भ्रमित होने पर तुलसीदास जी को छोड़ना पड़ा था।




चालीसा पाठ का मतलब:-जिस शास्त्र में चालीस छंदों के संग्रह होते है उसे चालीसा कहते है। जो भी चालीस छन्दों के संग्रह को पढ़ते है तो उनको चालीसा पाठ कहा जाता है। आज के युग में मनुष्य के दौड़-धूप के कारण उनके पास में समय का अभाव होने से उनको हनुमान चालीसा को मन में आसानी से दोहरा सकते है और मन में हनुमानजी के प्रति श्रद्धा भाव और विश्वास होना आवश्यक होता है। 




    ।।अथ श्री हनुमान जी की हनुमान चालीसा।।

      

     ।।श्री हनुमान चालीसा का दोहा।।



श्री गुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि।


बरनऊं रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि।।


बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरों पवन-कुमार।


बल बुद्धि विद्या देहु मोहिं, हरहु कलेश विकार।।


            

  ।।श्री हनुमान चालीसा की चौपाई।।


जय हनुमान ज्ञान गुन सागर,


जय कपीस तिहुँ लोक उजागर।।१।।


रामदूत अतुलित बल धामा,


अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा।।२।।


महावीर बिक्रम बजरंगी,


कुमति निवार सुमति के संगी।।३।।


कंचन बरन बिराज सुबेसा,


कानन कुण्डल कुंचित केसा।।४।।


हाथ बज्र आरु ध्वजा बिराजै,


काँधे मूंज जनेउ साजै।।५।।


शंकर सुवन केसरी नन्दन,


तेज प्रताप महा जग वन्दन।।६।।


विद्यावान गुनी अति चातुर,


राम काज करिबे को आतुर।।७।।


प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया,


राम लखन सीता मन बसिया।।८।।


सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा,


विकट रूप धरि लंक जरावा।।९।।


भीम रूप धरि असुर संहारे,


रामचन्द्र के काज संवारे।।१०।।


लाय सजीवन लखन जियाये,


श्री रघुबीर हरषि उर लाये।।११।।


रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई,


तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई।।१२।।


सहस बदन तुम्हरो जस गावै,


अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं।।१३।।


सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा,


नारद सारद सहित अहीसा।।१४।।


जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते,


कबि कोबिद कहि सके कहाँ ते।।१५।।


तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा,


राम मिलाय राज पड़ दीन्हा।।१६।।


तुम्हरो मन्त्र विभीषण माना,


लंकेश्वर भये सब जग जाना।।१७।।


जग सहस्र जोजन पर भानू,


लील्यो ताहि मधुर फल जानू।।१८।।


प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं,


जलधि लांघि गए अचरज नाहीं।।१९।।


दुर्गम काज जगत के जेते,


सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते।।२०।।


राम दुआरे तुम रखवारे,


होत न आज्ञा बिनु पैसारे।।२१।।


सब सुख लहै तुम्हरी सरना,


तुम रक्षक काहू को डर ना।।२२।।


आपन तेज सम्हारो आपै,


तीनों लोक हाँक ते काँपे।।२३।।


भूत पिसाच निकट नहिं आवै,


महावीर जब नाम सुनावै।।२४।।


नासे रोग हरै सब पीरा,


जपत निरंतर हनुमत बीरा।।२५।।


संकट ते हनुमान छुड़ावै,


मन क्रम बचन ध्यान जो लावै।।२६।।


सब पर राम तपस्वी राजा,


तिन के काज सकल तुम साजा।।२७।।


और मनोरथ जो कोई लावै,


सोई अमित जीवन फल पावै।।२८।।


चारों जुग परताप तुम्हारा,


है परसिद्ध जगत उजियारा।।२९।।


साधु सन्त के तुम रखवारे,


असुर निकंदन राम दुलारे।।३०।।


अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता,


अस बर दीन जानकी माता।।३१।।


राम रसायन तुम्हरे पासा,


सदा रहो रघुपति के दासा।।३२।।


तुम्हरे भजन राम को पावै,


जनम जनम के दुःख बिसरावै।।३३।।


अन्त काल रघुबर पुर जाई,


जहाँ जन्म हरि-भक्त कहाई।।३४।।


और देवता चित्त न धरई,


हनुमत सेई सर्व सुख करई।।३५।।


संकट कटै मिटे सब पीरा,


जो सुमिरै हनुमत बलबीरा।।३६।।


जय जय जय हनुमान गोसाई,


कृपा करहु गुरुदेव की नाई।।३७।।


जो सत बार पाठ कर कोई,


छुटहिं बंदी महासुख होई।।३८।।


जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा,


होय सिद्धि साखी गौरीसा।।३९।।


तुलसी दास सदा हरि चेरा,


कीजै नाथ हृदय महँ डेरा।।४०।।



                  ।।दोहा।।


पवनतनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप।


राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप।।



।।इति श्री हनुमानजी की हनुमान चालीसा।।


     ।।सियावर रामचन्द्रजी की जय।।


                  ।।दोहा।।


हनुमत को दिखे न जब रत्नों में रघुवीर।


सीताराम दिखा दिया, तब निज उर को चीर।।



श्री हनुमानजी की हनुमान चालीसा का महत्व:-श्री हनुमानजी की हनुमान चालीसा का जो  मनुष्य अपने मन से पूरी श्रद्धा और विश्वास से पाठ करते है, उन पर हनुमानजी की कृपा की बरसा होती है जिससे उनके ऊपर आने वाली सभी मुश्किलें हट जाती है।



1.जब विद्या के अध्ययन में रुचि नहीं होने पर:-जिनको विद्या के अध्ययन में रुचि नहीं होती है, उनको हनुमान चालीसा के छंद-बल बुधि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार। का पाठ करने से विद्या में रुचि होने लगती है।



2.जब डर लगने पर:-जब किसी को भी बिना मतलब का डर रहता है उनको हनुमान चालीसा का छंद-भूत पिशाच निकट नहीं आवे, महावीर जब नाम सुनावे। का मन में दोहराने से आत्मविश्वास बढ़कर डर निकलता है।



3.काम को सफल करने के लिए:-जब कोई भी काम करते समय बिना मतलब की बाधा आती है, तो उस काम को सफल करने के लिए हनुमान चालीसा के छंद-


भीम रूप धरि असुर सँहारे,


रामचन्द्र के काज सँवारे।


को जपने पर काम मे कामयाबी मिलती है।



4.बार-बार मांदगी होने पर:-जब कोई भी बार-बार बीमार हो जाते है उनको हनुमान चालीसा के छंद-नासै रोग हरे सब पीरा, जपत निरन्तर हनुमत बीरा। को जपने पर बीमारी से मुक्ति मिलती है।



5.जीवन पर कष्ट आने पर:-जिस किसी को अपने जीवन पर कष्ट आये तो उनको हनुमान चालीसा के छंद- संकट कटै मिटै सब पीरा, जो सुमिरै हनुमत बलबीरा।या संकट तें हनुमान छुड़ावै, मन क्रम बचन ध्यान जो लावै। का जाप करने से जीवन के ऊपर आने वाले कष्टो से मुक्ति मिलती है।



6.बुरे लोगों के साथ ज्यादा मेलमिलाप को दूर करने के लिए:-जिस किसी को बुरे लोगों के साथ ज्यादा मेलमिलाप होने पर उस मेलमिलाप को दूर करने के लिए हनुमान चालीसा का छंद-महाबीर बिक्रम बजरंगी, कुमति निवार सुमति के संगी। को मन में जपने से बुरे लोगों का साथ छूट जाता है।



7.बन्धन से मुक्ति के लिए:-जिस किसी भी तरह के बंधन में फस गये हो उनको उस बन्धन से मुक्त होने के लिए हनुमान चालीसा के छंद-जो सत बार पाठ कर कोई, छूटहि बन्दि महा सुख होई। को जपने से बन्धन से मुक्ति मिलती है।




8.बिना मतलब का भय सताने पर:-जिस किसी को मन में बिना मतलब का भय सताता है,उनको हनुमान चालीसा का छंद-सब सुख लहै तुम्हारी सरना, तुम रक्षक काहू को डरना। को जपने से बिना मतलब का भय खत्म होता है।



9.मन की सभी इच्छाओं को पूरा करने के लिए:-जिस किसी को अपने मन की सभी इच्छाओं को पूरा करना होता है उनको पूरे विश्वास से हनुमान चालीसा का छंद-और मनोरथ जो कोई लावै, सोई अमित जीवन फल पावै। को मन में जपने से सभी तरह की इच्छाओं की पूर्ति होती हैं।