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Wednesday, February 3, 2021

बजरंग बाण पाठ की रीति के नियम और फायदे(Rules and benefits of the practice of Bajrang Baan)

बजरंग बाण पाठ की रीति के नियम और फायदे (Rules and benefits of the practice of Bajrang Baan):-बजरंगबली जी को पूजा-पाठ करके उनको खुश करके उनकी कृपा को पाने के लिए मनुष्य को बजरंग बाण सटीक तरीका धर्म-शास्त्रों में बताया गया हैं, क्योंकि भगवान रामजी के अनन्य भक्त श्री बजरंगबली जी को माना जाता है। भगवान अजर-अमर बजरंगबलीजी को उत्साह, ताकत और जोश के प्रतीक माना जाता है। बजरंगबली जी को भक्ति, बल और एनर्जी का साधन भी शास्त्रों में बताया गया है।



Rules and benefits of the practice of Bajrang Baan




  ।।अथ श्री बजरंगबली जी का बजरंग बाण।।


                    ।।दोहा।।


निश्चय प्रेम प्रतीत ते, विनय करैं सनमान।


तेहि के कारज सकल,शुभ सिद्ध करैं हनुमान।।


जय हनुमंत संत हितकारी।


सुनि लीजै प्रभु अरज हमारी।।


जनके काज बिलम्ब न कीजै।


आतुर दौरि महासुख दीजै।।


जैसे कूदि सिन्धु वहि पारा।


सुरसा बदन पैठी विस्तारा।।


आगे जाई लंकिनी रोका।


मारेहु लातु गई सुर लोका।।


जाय विभीषण को सुख दीन्हा।


सीता निरखि परम पद लीन्हा।।


बाग उजारि सिन्धु महँ बौरा।


अति आतुर यम कातर तोरा।।


अक्षय कुमार को मारि संहारा।


लूम लपेटि लंक को जारा।।


लाह समान लंक जरि गई।


जय जय धुनि सुर पुर महँ भई।।


अब बिलम्ब केहि कारन स्वामी।


कृपा करहु उर अन्तरयामी।।


जय जय लक्ष्मण प्राण के दाता।


आतुर होइ दुख करहु निपाता।।


जय गिरिधर जय जय सुख सागर। 


सुर समूह समरथ भटनागर।।


ऊँ हनु हनु हनु हनुमन्त हठीले। 


बैरिहि मारू बज्र की कीले।।


गदा बज्र लै बैरिहिं मारो। 


महाराज प्रभुदास उबारो।।


ऊँ कार हुँकार महाबीर धावो।


बज्र गदा हनु विलंब न लावो।।


ऊँ ह्रीं ह्रीं ह्रीं हनुमन्त कपीशा।


ऊँ हुँ हुँ हुँ हनु अरि उर शीशा।।


सत्य होहु हरि सत्य पायके।


राम दूत धरुमारू धायके।।


जय जय जय हनुमन्त अगाधा।


दुख पावत जन केहि अपराधा।।


पूजा जप तप नेम अचारा।


नहिं जानत कछु दास तुम्हारा।।


बन उपवन मग गिरि गृह माहिं। 


तुमरे बल हम डरपत नाहीं।।


पायँ परौं कर जोर मनावौं।


यहि अवसर अब केहि गोहरावों।।


जय अंजनीकुमार बलवन्ता। 


शंकर सुवन वीर हनुमन्ता।।


बदन कराल काल कुल घालक।


राम सहाय सदा प्रतिपालक।।


भूत प्रेत पिशाच निशाचर। 


अग्नि बेताल काल मारीमर।।


इन्हें मारू तोहि सपथ रामकी।


राखु नाथ मरजाद नाम की।।


जनक सुता हरि दास कहावो।


ताकि शपथ विलंब न लावो।।


जय जय जय धुनि होत अकाशा।


सुमिरत होत दुसह दुख नाशा।।


चरण शरण कर जोरि मानवों। 


यहि अवसर अब केहि गोहरावों।।


उठु उठु चल तोहि राम दोहाई।


पायँ परौं कर जोरि मनाई।।


ऊँ चं चं चं चपल चलंता।


ऊँ हनु हनु हनु हनु हनुमंता।।


ऊँ हं हाँक देत कपि चंचल।


ऊँ सं सहम पराने खलदल।।


अपने जन को तुरन्त उबारो।


सुमिरत होय आनंद हमारो।।


यहि बजरंगबाण जेहि मारै।


ताहि कहो फिरि कौन उबारे।।


पाठ करै बजरंग बाण की।


हनुमत रक्षा करैं प्राण की।।


यह बजरंग बाण जो जापै।


तेहि ते भूत प्रेत सब काँपे।।


धूप देय अरु जपै हमेशा।


ताके तन नहिं रहे कलेशा।।

                   

                    ।।दोहा।।


प्रेम प्रतीतिहि कपि भजे, सदा धरै उर ध्यान।


तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करैं हनुमान।।



।।इति श्री बजरंगबली जी का बजरंग बाण।।


।।बोलो सियावर रामचन्द्रजी की जय।।



बजरंग बाण में बजरंगबली जी रामजी की कसम देना:-भगवान रामजी की कसम विशेष कर बजरंग बाण में दी गयी है।शास्त्रों में बताया गया है,की जब बजरंगबली जी को भगवान रामजी की कसम दी जाती है, तो वें सबकुछ छोड़कर सहायता करने के लिए हाजिर हो जाते हैं और सहायता भी करके कष्टों से आजादी दिलवाते है।जो कि निम्नांकित छन्दों में रामजी की कसम के रूप बजरंग बाण में बताई गई है, जो इस तरह हैं-भूत प्रेत पिशाच निशाचर। 


अग्नि बेताल काल मारीमर।।


इन्हें मारू तोहि सपथ रामकी।


राखु नाथ मरजाद नाम की।।


जनक सुता हरि दास कहावो।


ताकि शपथ विलंब न लावो।।


उठु उठु चल तोहि राम दोहाई।


पायँ परौं कर जोरि मनाई।।



बजरंगबली के बजरंग बाण के पाठ करने की रीति:-

◆मनुष्य को सबसे पहले सूर्य के उदय होने से पहले मंगलवार या शनिवार के दिन मनुष्य को प्रातःकाल उठकर अपनी दैनिक चर्या को पूरी करनी चाहिए।


◆मनुष्य को स्नानादि कर स्वच्छ लाल रंग के या केशरिया रंग के कपड़ो को पहनना चाहिए।


◆अपने पूजा करने की जगह पर बजरंगबली जी की प्रतिमा या फोटू को प्रतिष्ठित् करना चाहिए।


◆उसके बाद में बजरंगबली जी के स्वरूप का मन में चिंतन करते हुए उनसे अरदास करते हुए अपनी समस्त तरह की कामनाओं को उनके सामने मन में दोहराना चाहिए। उसके बाद में मन में बजरंग बाण के पाठ का इरादा बजरंगबली जी के सामने करते है।


◆मनुष्य को पाठ करने के समय बिछावन के रूप में कुश का बिछावन को प्रयोग में लेना चाहिए।


मनुष्य को पाठ शुरू करने से पहले दीपक को तिल के तेल से परिपूर्ण करके उसमें कच्चे सूत की या मोली को बटकर बनाई गई पांच मुख की बाती को रखकर कर उपासने से पहले जलाना चाहिए।


◆मनुष्य को भोग के रूप एवं  पूजा-पाठ के लिए लाल रंग के फूल, रोली, रक्त चंदन, साफ गूगल धूप, लाल रंग की मिठाई, चूरमा, लड्डू और दूसरे फलों के अलावा केला, अमरूद, मौसमी के फल आदि सामग्री को लेकर उपासना करनी चाहिए और अर्पण करके प्रसाद के रूप में उपयोग में लेना चाहिए।

◆सबसे पहले गणपति जी की पूजा-अर्चना करनी चाहिए।


◆उसके बाद मन में माता सीताजी और भगवान रामजी का स्वरूप चिंतन करना चाहिए।


◆मनुष्य को श्री बजरंगबली जी को धूप, दिप और पुष्प को अर्पण करते हुए बजरंगबली जी पूजा-अर्चना करनी चाहिए।


◆मनुष्य को अपने मन में जितनी बार इरादे से बजरंग बाण को शुरू करते है,उतनी बार सोचे हुए इरादे से रुद्राक्ष की माला से बजरंग बाण का पाठ करना चाहिए या माला नहीं होने पर मन में पाठ गिनती को याद रखते हुए जाप करना चाहिए।


◆मनुष्य को बजरंग बाण का पाठ करते समय शब्दों को सही-सही पढते हुए जाप करना चाहिए और गलत नहीं पढ़ना चाहिए।


◆फिर बजरंग बाण के पाठ का पाठन करना चाहिए।


◆मनुष्य को बजरंग बाण के एक सौ आठ की संख्या में पाठ का पाठन करने से फायदा मिलता है।


◆मनुष्य को बजरंग बाण के पाठ के साथ ही हनुमानजी की हनुमान चालीसा का पाठ भी करना चाहिए।


◆मनुष्य को बजरंग बाण के पाठ के साथ ही पाठ पूरा कर लेने के बाद में श्री राम जी के गुणगान करने के लिए श्री रामस्त्रोत का भी पाठ करने से बुरे और नकारात्मक प्रभाव कम होते है।


◆मनुष्य को सुंदरकांड का पाठ को भी पाठन करने से सभी तरह की जीवन की मुश्किलों से मुक्ति मिल जाती है।


◆सुंदरकांड का पाठ भी सायं काल शनिवार को और प्रातःकाल मंगलवार के दिन आरती करने के बाद ही शुरू करना चाहिए।




सुंदरकांड का पाठ की रीति:-सबसे पहले बजरंगबली जी की फोटू या प्रतिमा की पूजा-अर्चना करनी चाहिए, उनको धूप, दीपक, फूल और भोग को अर्पण करना चाहिए। 


◆उसके बाद माता सीताजी, श्रीरामजी, लक्ष्मण जी सहित भगवान भोलेनाथ की स्तुति करते हुए सुंदरकांड का पाठ को शुरू करना चाहिए।


◆मनुष्य को शुद्ध गाय के घृत को दीपक में डालकर लगातार जोत जलती रहनी चाहिए।


◆मनुष्य को पाठ के उच्चारण में किसी तरह की गलती और अपने सभी तरह के गलत कर्मो के लिये माफी मांगते हुए अरदास करनी चाहिए और अपनी मन की सभी इच्छाओं को पूरा करने के लिए अनुरोध करना चाहिए।




बजरंग बाण के पाठ के पाठन के फायदे:-बजरंग बाण के पाठ के पाठन से मनुष्य जीवन की सभी तरह की मुश्किलों से निजात संभव है-



◆लग्न में भौम ग्रह के कारण विलंब होने पर और दाम्पत्य जीवन में सुख की प्राप्ति के लिए:-जिन मनुष्यों के उम्र के बढ़ते जाने पर भी लग्न नहीं हो पाने और जिन मनुष्यों के दाम्पत्य जीवन में दाम्पत्य सुख नहीं मिलने के हालात में उनको बजरंग बाण के पाठ को केले के वृक्ष के नीचे बैठकर पाठन करने से इन परेशानियों से आजादी मिल जाती है। जिससे भगवान बजरंगबली जी की कृपा मिल जाती है और सुखी जीवन की प्राप्ति होती है।



◆कहीं से उधार लिये ऋण से निजात:-मनुष्य के ऊपर ज्यादा कर्ज होने पर बजरंग बाण का पाठ पूरी आस्था से करने पर उधार लिए ऋण से निजात मिल जाता है।


◆कोर्ट-कचहरी में चल रहे मुकदमे में जीत पाने:-मनुष्य के चल रहे कोर्ट-कचहरी के मुकदमे से निजात पाने के लिए बजरंग बाण का पाठ करना चाहिए।


◆गुप्त और प्रत्यक्ष दुश्मनों से निजात पाने:-बजरंग बाण के पाठ करने से मनुष्य के गुप्त और प्रत्यक्ष दुश्मनों से निजात मिल जाता है।



◆बार-बार की कुदृष्टि के असर से निजात पाने:-बजरंग बाण के पाठ का पाठन करने से बार-बार लगने वाली कुदृष्टि से मुक्ति मिल जाती है।


◆खून की कमी से निजात पाने:-मनुष्य के शरीर में खून की कमी होने से मनुष्य बजरंग बाण के पाठ से खून की मात्रा ठीक होने लगती है।



◆ऑपेरशन से निजात पाने:-बजरंग बाण के पाठ का पाठन करने से मनुष्य की व्याधि के कारण होने ऑपेरशन से मुक्ति मिल जाती हैं।



◆नवग्रहों में से सम्बंधित खराब ग्रह के होने से उस ग्रह के असर को कम करने के लिए:-जिस मनुष्य की जन्मकुंडली में कोई भी ग्रह कमजोर होकर बुरी स्थिति में होने पर उस ग्रह को मजबूत करने के लिए नियमित रूप से बजरंग बाण का पाठ का पाठन करना चाहिए। बजरंग बाण के पाठ को पाठन से मनुष्य को सूर्य के उगने से पहले उठकर बजरंग बाण के पाठ का पाठन करना चाहिए। बजरंगबली जी के फोटो या प्रतिमा के सामने बैठकर आटे से बना कर दिया का उपयोग करना चाहिए। इस तरह से पाठ का पाठन करने ग्रह से सम्बंधित कमजोरी दूर होकर उस ग्रह को मजबूती मिलेगी जिससे उस ग्रह का दूषित असर कम होगा।



◆असाध्य व्याधियों से आजादी को पाने के लिए:-मनुष्य को असाध्य व्याधियों जैसे:-केंसर, टी.बी., मसा और हृदय विकारों से मुक्ति पाने के लिए बजरंग बाण के पाठ का पाठन करना चाहिए। बजरंग बाण के पाठ का पाठन करते समय बजरंगबली जी की प्रतिमा के सामने बैठकर घृत के दीपक को प्रज्वलित करके राहुकाल के समय में इक्कीस पान के पत्तो की माला बनाकर उस माला को बजरंगबली जी अर्पण करते हुए मन में उस असाध्य व्याधि से मुक्त होने की अरदास करनी चाहिए।



◆काम करने की जगह पर कामयाबी पाने के लिए:-जो कोई भी मनुष्य अपने काम करने की जगह पर बाधाओं के आने पर उन बाधाओं से मुक्ति पाने के लिए मनुष्य को मंगलवार के दिन बजरंगबली जी के सामने बैठकर बजरंग बाण का करते हुए बजरंगबली जी को एक पानी का नारियल अर्पण करके उस नारियल को किसी लाल रंग के वस्त्र में लपेटकर उस बंधे हुए नारियल को अपने घर में किसी जगह पर रखने पर काम की जगह पर आ रही बाधाएं से निजात मिलती है।



◆मंगल ग्रह से होने वाले बुरे योग से मुक्ति:-मंगल ग्रह के बुरे असर को कम करने के लिए मंगलवार के दिन बजरंग बाण के पाठ का पाठन करके बंदरो को गुड़ व चना खिलाने से मंगल ग्रह के बुरे असर कम होते है।



◆शनि ग्रह,राहु और केतु ग्रह के असर को कम करने के लिए:-बजरंग बाण के पाठ का पाठन करने शनि ग्रह,राहु और केतु ग्रह के असर कम होते है।



◆घर में सुख-शांति के लिए:-मनुष्य को अपने घर के बाहर की साइड और अंदर की साइड में पांच मुख के बजरंगबली जी फोटो को लगाने से और बजरंग बाण का पाठ करने से फायदा मिलता है।



बजरंग बाण के पाठ का पाठन कब-कब नहीं करें:-बजरंगबली जी अच्छे नतीजे देने वाले अजर-अमर देवता है। मनुष्य को अपनी मन की इच्छा को पूरा करने के लिए बजरंग बाण का पाठ करना चाहिए।


◆मनुष्य बुरे और गलत कामों को करने में बजरंग बाण के पाठ का पाठन नहीं करना चाहिए।


◆मनुष्य को अपनी मन की इच्छाओं को पूरा करने के लिए ही बजरंग बाण के पाठ का पाठन करना चाहिए।  किसी को अपने पैरों में झुकाने के लिए और उसका फायदा उठाने के उद्देश्य से नहीं करना चाहिए।


◆मनुष्य को गलत और बुरे काम जैसे-चोरी, डकैती और मारपीट आदि में बजरंग बाण का पाठ नहीं करना चाहिए।


◆मनुष्य को सामान्य जीवन में होने वाली छोटी-मोटी बाधाओं के लिए भी बजरंग बाण का पाठ नहीं करना चाहिए।


◆मनुष्य बिना पुरुषार्थ के ही रुपयों-पैसों, सम्पन्नता और किसी भी तरह की भौतिक सुखों की प्राप्ति के लिए भी बजरंग बाण के पाठ का पाठन नहीं करना चाहिए।


◆मनुष्य को किसी का अहित करने के उद्देश्य से भी और अपने फायदे के लिए भी पाठ नहीं करना चाहिए।


◆मनुष्य को बिना पुरुषार्थ के ही अपने किसी भी कामों को पूरा कराने के उद्देश्य के लिए भी बजरंग बाण के पाठ को नहीं करना चाहिए।



बजरंग बाण के पाठ को करते समय सावधानियां:-भारतीय वैदिक धर्म गर्न्थो में बजरंग बाण को सबसे श्रेष्ठ करामाती और सब तरह की कामनाओं को सिद्ध करने वाला बताया गया है। इसलिए बजरंग बाण के पाठ को बिना मतलब के गलत और बुरे कामों के लिए उपयोग में नहीं करके अच्छे और भलाई के कामों को करने के लिए करना चाहिए। बजरंग बाण के पाठ के पाठन को मंगलवार और शनिवार के दिन में करने से ज्यादा फायदा मिलता है।


◆बजरंग बाण के पाठ को मुख्यतौर पर मंगलवार के दिन ही पाठन करना चाहिए और हर कोई भी वार को नहीं करना चाहिए।


◆मनुष्य को इकतालीस दिन तक निरन्तर अपने मन में पक्के इरादे से अपने मन की इच्छाओं को पूरा करने के लिए करना चाहिए।


◆मनुष्य को स्वच्छ लाल रंग के कपड़ो को धारण करके पूरी तरह से ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए ही बजरंग बाण के पाठ का पाठन करना चाहिए।


◆मनुष्य को अपने मन में प्रतिज्ञा करते हुए ही बजरंग बाण के पाठ को शुरू करना चाहिए।


◆मनुष्य को बजरंग बाण के पाठ के पाठन की प्रतिज्ञा लेने पर जितने दिन तक कि प्रतिज्ञा हो उतने दिन तक व्यसन और मांस आदि का सेवन नहीं करना चाहिए।


◆मनुष्य को बजरंग बाण के पाठ के रीति का पालन करना चाहिए।



बजरंग बाण की तपस्या करने की रीति:-कोई भी मनुष्य बजरंग बाण का पाठ कर सकता है, लेकिन जब तक बजरंग बाण के पाठ को करने का तरीका मालूम नहीं होने पर उसका फल नहीं मिलता है। बजरंग बाण की तपस्या को करने के लिए मनुष्य को रीति के उसूलों का पालन करने पर ही सफलता और लक्ष्य की प्राप्ति होती है।



बजरंग बाण की तपस्या करने की रीति:-मनुष्य को मंगलवार के दिन अधोरात्री में पूर्व दिशा में लकड़ी का बाजोट को बिछाकर उसको स्वच्छ पवित्र जगह के जल से साफ करके उस बाजोट पर साफ लाल रंग का वस्त्र या कापड़ बिछाकर उस कापड़ पर बजरंगबलीजी की मूर्ति को स्थापित करके धूप, दिप, पुष्प, भोग के रूप में गुड़ व चना, रोटला, चूरमा,फल और अगरबत्ती आदि प्रक्रिया से पूजन करना चाहिए और एक लाल रंग के कागज पर  "ऊँ हं हनुमते रूद्रात्मकाय हुं फट स्वाहा" मन्त्र को लिखकर उस लिखे हुए लाल रंग के कागज को उस लकड़ी के बाजोट या चौकी पर रख देते है और बाजोट के रूप में रखी हुई चौकी के दायीं तरफ घृत का दीपक को प्रज्वलित कर देना चाहिए। फिर कुश से बना हुआ बिछावन पर बैठकर लगातार पांच मर्तबा बजरंग बाण के पाठ का पाठन करना चाहिए और पाठ का पाठन होने के बाद उस लाल रंग के कागज को अपने मन्दिर में भगवान के द्वार में रख देते है और हमेशा धूप-दीपादि दिखाकर पूजन करना चाहिए। इस तरह रोजाना करने से बजरंग बाण की तपस्या में कामयाबी मिल जाती है और मन की चाहत पूरी होती है।