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Friday, December 2, 2022

दत्तात्रेय जयंती कब हैं? जानें शुभ मुहूर्त एवं मन्त्र (When is Dattatreya Jayanti? Know shubh time and mantra)

दत्तात्रेय जयंती कब हैं? जानें शुभ मुहूर्त एवं मन्त्र (When is Dattatreya Jayanti? Know shubh time and mantra):-मार्गशीर्ष महीने की शुक्लपक्ष की पूर्णिमा तिथि को दत्त पूर्णिमा या दत्तात्रेय जयन्ती कहा जाता है। ऋषिवर अत्रि एवं अनसूया के पुत्र के रूप में त्रिदेवों ने श्रीदत्तात्रेय जी के अवतार के रूप में पूर्णिमा तिथि के प्रदोषकाल में लिया था। उनके जन्मदिन के रूप में भारतवर्ष में पूर्ण रूप से खुशी एवं उत्साह से मनाया जाता हैं। त्रिदेवों के संयुक्त रूप में इस दिन भगवान दत्तात्रेय जी की पूजा-अर्चना की जाती है। जो मनुष्य इस दिन अपने मन में संकल्प लेते हुए श्रीदत्तात्रेय जी को मन में धारण करते हुए उनका उपवास करते हुए अपने सामर्थ्य के अनुसार दान-दक्षिणा देने पर बहुत ही पुण्य मिलता हैं। इस पूर्णिमा तिथि के दिन नदी-सरोवर आदि में स्नान आदि करने से भी मनुष्य के बुरे कर्मों के बुरे प्रभाव से मुक्ति मिलती हैं। मार्गशीर्ष महीने का आखिरी दिन होता हैं।


When is Dattatreya Jayanti? Know shubh time and mantra




हिन्दुधर्म शास्त्रों के अनुसार किसी भी मांगलिक कार्यों को करते समय मुहूर्त के बारे जानकारी प्राप्त करनी चाहिए। जिससे मनुष्य का मांगलिक कार्य को सही समय पर पूर्ण विधिपूर्वक कर सके। दिनांक 07 दिसम्बर 2022 में दत्तात्रेय जयंती का पर्व रहेगा।  इस दिन जो शुभ मुहूर्त रहेगा, उसका विवरण इस तरह रहेगा:



विशेष:-यह सभी तरह की पंचांग सूचना नई दिल्ली के अक्षांश 28.636 और देशांतर 77.224 और time zone 5.5 के अनुसार है।



श्रीदत्तात्रेय जयंती पूजन का शुभ मुहूर्त:-श्रीदत्तात्रेय जयंती के दिन पूजन का शुभ मुहूर्त इस तरह रहेगा-



तिथि के प्रारम्भ का दिन व समय:-07 दिसम्बर 2022 को मार्गशीर्ष महीने के शुक्लपक्ष की पूर्णिमा तिथि बुधवार के दिन प्रातःकाल 08 बजकर 00 मिनिट 52 सेकण्ड पर शुरू होगी।


 

तिथि के समाप्ति का दिन व समय:-जो कि 08 दिसम्बर 2022 को गुरुवार के दिन प्रातःकाल 09 बजकर 37 मिनिट 07 सेकण्ड पर समाप्त होगी। दत्तात्रेय जी का पूजन कर सकते हैं।



विशेष:-आज के दिन सर्वाथ सिद्धि योग प्रातःकाल 07:24 से प्रातः(कल) 31:17 रहेगा।



सर्वाथ सिद्धि योग:-आज के दिन सर्वाथ सिद्धि योग होने से जिन मांगलिक कामों कोई मुहूर्त नहीं मिलने पर सर्वाथ सिद्धि मुहूर्त में मांगलिक और दूसरे सभी काम करने से काम में सफलता मिलती हैं। 



योग के प्रारम्भ का दिन व समय:-07 दिसम्बर 2022 को सिद्ध योग प्रातः 26 बजकर 52 मिनट 49 सेकंड तक रहेगा। 



उसके बाद साध्य योग शुरू होगा, जो कि 08 दिसम्बर 2021 को प्रातःकाल 27 बजकर 10 मिनट 19 सेकंड तक रहेगा।



इस तरह 07 दिसंबर 2021 को पूर्णिमा तिथि के दिन सिद्ध योग व 08 दिसंबर 2021 को साध्य योग रहेगा।




दिन के चौघड़िया के समय से जानें पूजन मुहूर्त को:- जो निम्नलिखित हैं-


लाभ का चौघड़िया:-प्रातःकाल 07:02 से 08:20 तक रहेगा जो कि शुभ कार्य को करने के लिए शुभ रहेगा।



अमृत का चौघड़िया:-प्रातःकाल 08:20 से 09:37 तक रहेगा जो कि शुभ कार्य को करने के लिए शुभ रहेगा।



शुभ का चौघड़िया:-प्रातःकाल 10:55 से 12:12 तक रहेगा, जो कि शुभ  कार्य को करने के लिए शुभ रहेगा।



चर का चौघड़िया:-दोपहर 14:48 से 16:05 तक रहेगा जो कि शुभ कार्य को करने के लिए शुभ रहेगा।



लाभ का चौघड़िया:-सायंकाल 16:05 से 17:23 तक रहेगा जो कि शुभ कार्य को करने के लिए शुभ रहेगा।



रात के चौघड़िया के समय से जानें मुहूर्त को:-जो निम्नलिखित हैं-



शुभ का चौघड़िया:-रात्रिकाल 19:05 से 20:48 तक रहेगा जो कि शुभ कार्य को करने के शुभ रहेगा।



अमृत का चौघड़िया:-रात्रिकाल 20:48 से 22:30 तक रहेगा जो कि शुभ कार्य को करने के लिए शुभ रहेगा।



लाभ का चौघड़िया:-प्रातः(कल) 27:38 से 29:20 तक रहेगा जो कि शुभ कार्य को करने के लिए शुभ रहेगा।




08 दिसंबर 2021 में दिन के चौघड़िया के समय से जानें पूजन मुहूर्त को:-जो निम्नलिखित हैं-


शुभ का चौघड़िया:-प्रातःकाल 07:03 से 08:20 तक रहेगा जो कि शुभ कार्य को करने के लिए शुभ रहेगा।



दत्तात्रेय जयन्ती व्रत की पूजन विधि:-इस दिन त्रिदेवों का पूजन विधि-विधान जैसे-पीले रंग की वस्तुएं, हरिद्रा, सिंदूर, चन्दन, पीली मिठाई, अगरबत्ती, दीपक एवं धूपबत्ती आदि से षोडशोपचार कर्म से करना चाहिए, नदी या सरोवर जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए। फिर आखिर में माफी मांगते हुए अपने सामर्थ्य के अनुसार दान-दक्षिणा देनी चाहिए।




श्रीदत्तात्रेयजी को खुश करने के मन्त्र:-मनुष्य को दत्तात्रेय जी को खुश करने के लिए निम्नलिखित मन्त्रों का वांचन करना चाहिए-




दत्तात्रेय बीज मंत्र:-दत्तात्रेयजी का बीज मंत्र का वांचन करने से त्रिदेवों की स्तुति हो जाती हैं और त्रिदेवियों की भी स्तुति हो जाती हैं, जिससे मनुष्य के जीवन का उद्धार हो जाता हैं और परम् धाम को पा लेता हैं।



दक्षिणामूर्ति बीजम च रामा बिकेन संयुक्तम्।


द्रम इत्यक्षक्षाराम गनम बिंदूनाथाकलातमकम


दत्तास्यादि मंत्रस्य दत्रेया स्यादिमाश्रवह


तत्रैस्तृप्य सम्यक्त्वं बिन्दुनाद कलात्मिका


येतत बीजम् मयापा रोक्तम् ब्रह्म-विष्णु-शिव नामकाम।



दत्तात्रेय जी के नाम का बीज मंत्र:- "ऊँ द्रां" बीज मंत्र के उच्चारण से मनुष्य को दत्तात्रेय जी का आशीर्वाद मिल जाता हैं।



दत्त गायत्री मंत्र:-"ऊँ दिगंबराय विद्मये योगीश्रारय् धीमही तन्नो दतः प्रचोदयात'' दत्त गायत्री मंत्र का वांचन करने से मनुष्य के मन में अच्छी सोच एवं जीवन में आध्यात्मिक भाव उत्पन्न होते हैं।



तंत्रोक्त गायत्री मंत्र:-"ऊँ द्रां दत्तात्रेयाय नमः" तंत्रोक्त गायत्री मंत्र के वांचन करना चाहिए।



दत्तात्रेय जी का महामंत्र:-"दिगंबरा दिगंबरा श्रीपाद वल्लभ दिगंबरा" मन्त्र का वांचन करना चाहिए।



दत्तात्रेय जी का महामंत्र:-मन में बुरी भावनाओं पर विजय पाने हेतु मनुष्य को 'ऊँ श्री गुरुदेव दत्त' और 'श्री गुरु दत्तात्रेय नमः आदि मन्त्रों को मन में उच्चारित करना चाहिए।  



इसके अनुरूप एक भजन-


सबको नाच नचा गई रे सोने की चिड़ियां,


सबको नाच नचा गई रे सोने की चिड़ियां


उड़के चिड़ियां जब लंका पर बैठी,


उड़के चिड़ियां जब लंका पर बैठी


सोने की लंका जला गई रे सोने की चिड़ियां,


सोने की लंका जला गई रे सोने की चिड़ियां


उड़कर चिड़ियां जब नारद पर बैठी,


उड़कर चिड़ियां जब नारद पर बैठी


बन्दर का मुखड़ा बना गई रे सोने की चिड़ियां,


बन्दर का मुखड़ा बना गई रे सोने की चिड़ियां


उड़कर चिड़ियां ब्रह्मा, विष्णु, महेश पर बैठी,


उड़कर चिड़ियां ब्रह्मा, विष्णु, महेश पर बैठी


सबको झूला, झूला गई रे सोने की चिड़ियां,


सबको झूला, झूला गई रे सोने की चिड़ियां




श्रीदत्तात्रेय जी की जयन्ती के व्रत करने का महत्त्व:-दत्तात्रेय उपनिषद में कहा गया हैं, श्रीदत्तात्रेय जी की जयंती के दिन व्रत को रखकर दत्तात्रेय जी की पूजा-अर्चना करनी चाहिए, जिससे दत्तात्रेय जी मनुष्य की पूजा-अर्चना से खुश हो जावे और अपना आशीर्वाद दे देवे। इसलिए दत्तात्रेय जयंती का महत्त्व इस तरह हैं-


 

◆इस दिन व्रत करने से व्रती के समस्त तरह के किये हुए धर्म एवं नीति के विरुद्ध आचरणों से छुटकारा मिल जाता हैं। 



◆मनुष्य को जीवन में सभी तरह के आनन्द एवं वैभव मिल जाता हैं। 



◆मनुष्य को गृहस्थी सुख की प्राप्ति होती हैं और गृहस्थी जीवन में बिना किसी तरह के क्लेश से छुटकारा मिल जाता हैं। 


◆मनुष्य के जीवन में बनते हुए कार्यों में बाधा आने से छुटकारा मिल जाता हैं। 



◆मनुष्य का मन सही रूप से कार्य करता हैं और शरीर में किसी भी तरह के बुरे विकार नहीं आते हैं।


◆मनुष्य को अनावश्यक रूप डर से छुटकारा मिल जाता हैं। 


◆मनुष्य को जीवन-मरण के बंधन से मुक्ति मिल जाती हैं और मनुष्य को मोक्ष मिल जाता हैं।