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Saturday, November 4, 2023

श्री सालासर बालाजी की आरती अर्थ सहित(Shri Salasar Balaji ki Aarti With Meaning)

श्री सालासर बालाजी की आरती अर्थ सहित(Shri Salasar Balaji ki Aarti With Meaning):-श्री सालासर बालाजी का मुख्य स्थान राजस्थान राज्य में स्थित चुरू जिले के सालासर गांव में है। श्री सालासर बालाजी की प्रतिमा दाढ़ी-मूँछो वाली है। जो कि अपनी शक्तियों के द्वारा अपने भक्तों की समस्त मन की कामनाओं को पूरा करते है। 



Shri Salasar Balaji ki Aarti With Meaning



श्री सालसर बालाजी की आरती अर्थ सहित:-श्री सालासर बालाजी को हनुमानजी के रूप में जाना जाता है, उनको अनेक रूपों का वर्णन मिलता है, इनके अनेक नाम भी हैं जिनमें एक नाम सालासर बालाजी है, तो इनको खुश करने के लिए इनकी आरती को करने से पूर्व आरती के भावों का ज्ञान होना चाहिए। उसके बाद ही आरती को करना चाहिए।



जयति जय जय बजरंग बाला,


कृपा कर सालासर वाला।


अर्थात्:-हे बजरंगबली जी! जय-जयकार हो, बजरंगबली जी की, आप सब पर कृपा दृष्टी कर दीजिए। हे सालासर के श्री हनुमानजी आपकी अरदास करता हूँ।



चैत सुदी पूनम को जन्मे,


अंजनी पवन खुशी मन में।


अर्थात्:-हे बजरंगबली जी! चैत्र मास के शुक्लपक्ष की पूर्णिमा तिथि को आपका जन्म हुआ था। तब अंजनी माता और पवन जी बहुत खुश होकर मन से खुशी मनाने लगे थे।



प्रकट भये सुर वानर तन में,


विदित यस विक्रम त्रिभुवन में।


अर्थात्:-हे बजरंगबली जी! आपके शरीर में देव के रूप वानर रूप प्रकट हुआ था, चारों तरफ इस रूप की जानकारी तीनों लोकों में हो गई और आपकी शक्ति की जानकारी हो गई।



दूध पीवत स्तन मात के,


नजर गई नभ ओर।


अर्थात्:-हे बजरंगबली जी! आप अपनी माता अंजनी की गोद में उनके स्तनों से दूध पी रहे थे, तब आपकी नजर आकाश की ओर गई।



तब जननी की गोद से पहुंचे,


उदयाचल पर भोर।


अर्थात्:-हे बजरंगबली जी! तब आप अपनी माता अंजनी की गोद से उतर कर जहां से सूर्य उदय होता है उस पर्वत पर आप प्रातःकाल ही पहुंच गए।



अरुण फल लखि रवि,


मुख डाला कृपा कर।।1।।


तिमिर भूमण्डल में छाई,


चिबुक पर इन्द्र बज्र बाए।


अर्थात्:-हे बजरंगबली जी! जब आप उदयाचल पर्वत पर पहुंचे तब आपने लाल रंग का सूर्य को फल समझकर अपने मुहं में ले लिया था। समस्त तीनों लोकों में अंधेरा छा गया तब इंद्रदेव ने आपसे कहा कि उस लाल रंग के फल के रूप में सूर्यदेव है उनको अपने मुख से आजाद करो तब आप नहीं माने तब इंद्रदेव ने अपने वज्र का प्रहार किया था तब आपकी ठोड़ी पर वज्र का प्रहार हो गया था।



तभी से हनुमत कहलाए,

द्वय हनुमान नाम पाये।।


अर्थात्:-हे बजरंगबली जी! इस तरह व्रज के प्रहार से आपकी ठोड़ी खण्डित हो गई थी, तब से आपका नाम हनुमत पड़ा था। इस तरह से आपको हनुमान का नाम प्राप्त हुआ था।


जयति जय जय बजरंग बाला,

कृपा कर सालासर वाला।


अर्थात्:-हे बजरंगबली जी! जय-जयकार हो, बजरंगबली जी की, आप सब पर कृपा दृष्टी कर दीजिए। हे सालासर के श्री हनुमानजी आपकी अरदास करता हूँ।



।।इति श्री सालासर बालाजी की अर्थ सहित संपूर्ण।।


।।अथ श्री सालासर बालाजी की आरती।।


जयति जय जय बजरंग बाला,


कृपा कर सालासर वाला।


चैत सुदी पूनम को जन्मे,


अंजनी पवन खुशी मन में।


जयति जय जय बजरंग बाला,


कृपा कर सालासर वाला।


प्रकट भये सुर वानर तन में,


विदित यस विक्रम त्रिभुवन में।


जयति जय जय बजरंग बाला,


कृपा कर सालासर वाला।


दूध पीवत स्तन मात के,


नजर गई नभ ओर।


जयति जय जय बजरंग बाला,


कृपा कर सालासर वाला।


तब जननी की गोद से पहुंचे,


उदयाचल पर भोर।


जयति जय जय बजरंग बाला,


कृपा कर सालासर वाला।


अरुण फल लखि रवि,


 मुख डाला कृपा कर।।1।।


तिमिर भूमण्डल में छाई,


चिबुक पर इन्द्र बज्र बाए।


जयति जय जय बजरंग बाला,


कृपा कर सालासर वाला।


तभी से हनुमत कहलाए,


द्वय हनुमान नाम पाये।।


जयति जय जय बजरंग बाला,


कृपा कर सालासर वाला।


।।इति श्री सालासर बालाजी की आरती।।


।।जय बोलो श्री सालासर बालाजी की जय हो।।


।।जय बोलो पवनपुत्र श्री बजरंगबली की जय हो।