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Saturday, June 22, 2024

देवी-देवता की पूजा में पुष्प का क्यों महत्त्व हैं? और कौन-कौन से पुष्प अर्पित किए जाते हैं? (Why are flowers important in the puja of devi-devata? And which flowers are offered?)

देवी-देवता की पूजा में पुष्प का क्यों महत्त्व हैं? और कौन-कौन से पुष्प अर्पित किए जाते हैं? (Why are flowers important in the puja of devi-devata? And which flowers are offered?):-इष्टदेव की पूजा करते समय पुष्प को भी पूजा में सम्मिलित किया गया है, हिन्दुधर्म में पुष्प को बहुत सारी जगह पर उपयोग में लिया जाता हैं। कुसुम अपनी सुंदरता के द्वारा दूसरों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं, पुष्प की सौन्दर्यता एवं उसमें विद्यमान सुंगध से देवी-देवताओं भी प्रसन्न होते हैं। जब पुष्प को देवी-देवताओं को अर्पण करते है, तब इष्टदेव-इष्टदेवी खुश होकर अर्पण करने वाले मनुष्य भक्त पर अपनी कृपा दृष्टि कर देते हैं और मन में धारित मनुष्य की इच्छाओं को पूर्ण करते हैं। इसी वजह से देवी-देवता, भगवान की आरती के समय, व्रत-उपवास या विभिन्न पर्वों पर पुष्प अर्पित करने का कायदा है। अभीष्ट प्राप्ति के लिए मन की इच्छा से धारित मांगलिक कर्मकांड, धार्मिक कार्यों के द्वारा पवित्र करने, सामाजिक व पारिवारिक कार्यों को करते समय बिना पुष्प के पूर्ण नहीं समझा जाता हैं।




Why are flowers important in the puja of devi-devata? And which flowers are offered?




धार्मिक कर्मकांडों में पुष्प का महत्त्व क्यों हैं? जानें कौनसे देवी-देवता पर कौन-कौन से पुष्प अर्पित किए जाते हैं?(Why are flowers important in religious rituals?  Know which flowers are offered to which deities?):-



कुलार्णव तंत्र के अनुसार में पुष्प के विषय:-में इस तरह से बताया गया है-


पुण्य संवर्द्धनाच्चापि पापौघपरिहारतः।


पुष्कलार्थदानार्थ पुष्पमित्यभिधीयते।।


अर्थात्:-जिसके उपयोग करने से धार्मिक दृष्टि से से शुभ कार्य में बढ़ोतरी, नीति एवं धर्म के विरुद्ध किये गए आचरण से मुक्ति और जो सबसे उत्तम किये गए कार्यों का परिणाम देने वाले होते हैं, उनको पुष्प कहा जाता है।



विष्णु-नारदीय व धर्मोत्तर पुराण के अनुसार में पुष्प का महत्त्व:-विष्णु-नारदीय व धर्मोत्तर पुराण के अनुसार में पुष्प के महत्त्व के बारे इस तरह बताया गया है-


पुष्पैर्दवा प्रसीदंति पुष्पैः देवाश्च संस्थिताः।


न रत्नैर्न सुवर्णेन न वित्तेन च भूरिणा


तथा प्रसादमायाति यथा पुष्पैर्जनार्दन।।



अर्थात्:-देव-दैवीय गुणों से युक्त सत्ताधारी मृत्यु से मुक्त, बहुमूल्य पत्थर, सुंदर वर्ण का चमकीला धातु, बहुत ज्यादा मात्रा से विशुद्ध तत्व जिसमें किसी दूसरे तत्व नहीं हो,दैहिक एवं आध्यात्मिक शुद्धता के लिए मन में धारित कुछ त्याग करने के कायदे, चित्त व देह को कष्टप्रद स्थिति में रखते हुए शुद्ध व विषयों से दूर रहते हुए कर्म को करने और अन्य किसी भी साधन को अपनाते हुए देवी-देवताओं को खुश करने हेतु जो भी कर्म करते हैं, उन कर्मों से इष्टदेव-इष्टदेवी उतने खुश नहीं होते हैं, जितना कि पुष्प को अर्पण करने पर होते हैं।



शारदा तिलक के अनुसार पुष्प के विषय:-में इस प्रकार कहा गया है-


दैवस्य मस्तकं कुर्यात्कुसुमोपहितं सदा


अर्थात्:-देव-दैवीय गुणों से युक्त सत्ताधारी जन्म-मृत्यु के बंधन से मुक्त को पुष्प से उत्पन्न महक एवं सुंदरता से शीघ्र खुश हो जाते हैं अतः उनकी खुशी के लिए उनके मस्तक को हमेशा पुष्पों से शोभित रखना चाहिए, जिससे उनकी कृपा प्राप्त हो सके। 


अलग-अलग पुष्पों को एक एकत्रित करके उनको एक धागे के द्वारा धागे में पिरोकर माल्य रूप को तैयार किया जाता हैं और तैयार पुष्पों से माल्य को जब देवी-देवताओं के कंठ में पहनाई जाती हैं, तब वे बहुत ही खुश हो जाते हैं और अपना आशीर्वाद प्रदान करते हैं।  



ललिता सहस्त्रनाम में माल्य के बाद में:-इस तरह कहा गया है-


मां शोभा लालीति माला


अर्थात्:-जो अपने गुणों के द्वारा बहुत ही चमक प्रदान करके सौन्दर्यता को बढाती हो उसे ही माला कहते हैं। जब देवी-दैवीय शक्ति से युक्त सत्ताधारी को जब पुष्पों से बनी हुई माला को अर्पण या चढ़ाई जाती हैं, तब उन देवी-दैवीय शक्ति की शोभा में ओर बढ़ोतरी हो जाती हैं। सबसे बढ़िया कमल अथवा पुंडरीक से बनी हुई माला को शास्त्रों में बताया गया हैं। 



हिन्दुधर्म में देवी-देवताओं को अर्पण करने वाले पुष्प एवं पुष्प से बनी माला:-हिन्दुधर्म में छतीस करोड़ देवी-देवताओं को बताया गया हैं, समस्त देवी-देवताओं को अर्पण किये जाने पुष्प एवं पुष्प से बनी हुई माला अलग-अलग धर्मग्रन्थों में बताई गई हैं, जो इस तरह हैं-




भगवान श्रीगणेशजी को अर्पण किये जाने वाले पुष्प एवं माला:-सर्वप्रथम पूजनीय गणेशजी को समस्त तरह के पुष्प को अर्पण किया जा सकता हैं और उनको प्रिय भी होते हैं। लेकिन आचार भूषण नामक ग्रन्थानुसार तुलसी दल को भगवान गणेशजी को नहीं चढ़ाना चाहिए। भगवान गणेशजी को सफेद या हरि दूर्वा फुनगी की तीन या पाँच पत्ती युक्त होने पर चढ़ाने से शीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं, इसके अलावा लाल रंग का पुष्प भी अर्पण कर सकते हैं।



पुष्प को अर्पण करते समय उच्चारित मंत्र:-पुष्प को गणेशजी पर अर्पण करते समय "ऊँ गणेशाय नमः" मंत्र या "ऊँ वक्रतुण्ड महाकाय सुर्यकोटि समप्रभः। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा।।" मंत्र का उच्चारण करते हुए पुष्प को अर्पण करना चाहिए।




भगवान श्रीकृष्णजी को अर्पण किये जाने वाले पुष्प एवं माला:-भगवान श्रीकृष्ण को अर्पित किए जाने वाले पुष्पों के संबंध में वे स्वयं धर्मराज युधिष्ठिर से इस प्रकार कहते हैं-"राजन! मुझे कुमुद, करवरी, चणक, मालती, नंदिक, पलाश, वैजंतीमाला, तुलसीदल और वनमाला के पुष्प अत्यंत प्रिय हैं।"



पुष्प को अर्पण करते समय उच्चारित मंत्र:-भगवान श्रीकृष्ण पर पुष्प को अर्पण करते समय "ऊँ कृं कृष्णाय नमः" मंत्र का उच्चारण करते हुए पुष्प को अर्पण करना चाहिए।




भगवान श्रीविष्णुजी को अर्पण किये जाने वाले पुष्प एवं माला:-भगवान श्री विष्णुजी को कमल, मौलसिरी, जूही, कदंब, केवड़ा, चमेली, अशोक, मालती, वैजयंती, चंपा और बसंती के पुष्प विशेष प्रिय हैं। इसके अलावा भगवान विष्णु को तुलसी दल चढ़ाने से वह अति शीघ्र प्रसन्न होते हैं।कार्तिक मास में भगवान नारायण केतकी के फूलों से पूजा करने से विशेष रूप से प्रसन्न होते हैं।



पुष्प को अर्पण करते समय उच्चारित मंत्र:-भगवान श्रीविष्णुजी पर पुष्प को अर्पण करते समय "ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय नमः" मंत्र का उच्चारण करते हुए पुष्प को अर्पण करना चाहिए।




श्रीलक्ष्मीजी को अर्पण किये जाने वाले पुष्प एवं माला:-धन-संपत्ति को देने वाली श्रीलक्ष्मीजी को कमल के पुष्प से विशेष लगाव होता हैं, इसके अलावा उन्हें पिला फूल और लाल गुलाब चढ़ाकर भी प्रसन्न किया जा सकता हैं। जो पुष्प भगवान श्रीविष्णुजी को चढ़ाते हैं, वे ही पुष्प जैसे-कमल, मौलसिरी, जूही, कदंब, केवड़ा, चमेली, अशोक, मालती, वैजयंती, चंपा और बसंती के पुष्प आदि से विशेष लगाव रहता हैं।




पुष्प को अर्पण करते समय उच्चारित मंत्र:-देवी लक्ष्मीजी पर पुष्प को अर्पण करते समय "ऊँ श्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै श्रीं श्रीं ऊँ नमः" मंत्र एवं महालक्ष्मी मंत्र "ऊँ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ऊँ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः" का उच्चारण करते हुए पुष्प को अर्पण करना चाहिए।




हनुमानजी को अर्पण किये जाने वाले पुष्प एवं माला:-पवनपुत्र हनुमानजी भगवान रामजी के सेवक होते हैं, भगवान हनुमानजी को लाल रंग एवं केसरिया रंग बहुत ही प्रिय होते हैं, इसलिए बजरंगबली को लाल फूल, लाल गुलाब, लाल गेंदा और तुलसीदल को चढ़ाने पर बहुत खुश हो जाते हैं और भक्त मनुष्य की मन की इच्छा को पूर्ण भी जल्दी से जल्दी करते हैं। 



पुष्प को अर्पण करते समय उच्चारित मंत्र:-हनुमानजी पर पुष्प को अर्पण करते समय "श्री हनुमंते नमः" मंत्र का उच्चारण करते हुए पुष्प को अर्पण करना चाहिए।




महादेवजी को अर्पण किये जाने वाले पुष्प एवं माला:-महादेव शिवजी जो अपने भक्तों पर जल्दी खुश हो जाते हैं, इसलिए इनको भोलेनाथजी भी कहते हैं, अर्थात् भक्तों के द्वारा उनका नाम मात्र से भी याद करने पर प्रसन्न होकर अपनी अनुकृपा कर देते हैं। इसलिए भगवान शिवजी की पूजन-अर्चन करते समय धतूरा, मौलसिरी, जवा, कनेर, आक, कुश, निर्गुंडी के पुष्प, हरसिंगार और नागकेसर के सफेद पुष्प तथा सूखे कमलगट्टे आदि के पुष्पों को भगवान शंकरजी को चढ़ाने का शास्त्रों में विधान बताया गया है। इनमें से भगवान शिवजी को सबसे अधिक प्रिय बिल्व पत्र एवं धतूरे के पुष्प होते है, इनको विशेष रूप से शिवजी की पूजा के समय उपयोग में लेना चाहिए। इन फूलों के अलावा तुलसी दल एवं केवड़े के पुष्प को कभी भगवान शिवजी पर नहीं चढ़ाना चाहिए



पुष्प को अर्पण करते समय उच्चारित मंत्र:-महादेव शिवजी  पर पुष्प को अर्पण करते समय "ऊँ नमः शिवाय" मंत्र या 

महामृत्युंजय मंत्र 


"ऊँ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।


उर्वारुकमिव बन्धनानत् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्।।


का उच्चारण करते हुए पुष्प को अर्पण करना चाहिए।



भगवती गौरी को अर्पण किये जाने वाले पुष्प एवं माला:-भगवती गौरी की पूजा-अर्चना करते समय भगवान शंकर को चढ़ने वाले पुष्पों जैसे-धतूरा, मौलसिरी, जवा, कनेर, आक, कुश, निर्गुंडी के पुष्प, हरसिंगार और नागकेसर के सफेद पुष्प तथा सूखे कमलगट्टे आदि  पुष्पों को मां भगवती का लगाव रहता हैं। माता भगवती को लाल रंग से विशेष लगाव होता हैं, इसलिए धर्मग्रन्थों माता भगवती को समस्त लाल रंग एवं सफेद रंग के फूल को चढ़ाया जा सकता है, इन लाल रंग एवं सफेद रंग के पुष्पों को चढ़ाने से मनुष्य के मन में शांति एवं चिंता को दूर करते हुए मन में धारित कामना को माता भगवती पूर्ण करती हैं। माता भगवती को चढ़ाए जाने वाले पुष्पों जैसे-बेला, चमेली, केसर, श्वेत और लाल फूल, स्वेत कलम, पलाश, तगर, अशोक, चंपा, मौलसिरी, मदार, कुंद, लोध, कनेर, आक, शीशम और अपराजित (शंखपुष्पी) आदि के फूलों से देवी की भी पूजा की जाती हैं। किन्तु कुछ शास्त्रों के अनुसार आक और मदार के पुष्प को माता भगवती को नहीं अर्पण करना चाहिए। यदि पूजा-अर्चना में दूसरे पुष्प नहीं मिलने पर आक और मदार के पुष्प को परिस्थिति वश चढ़ाया जा सकता हैं। 





सूर्यदेवजी को अर्पण किये जाने वाले पुष्प एवं माला:-भगवान सूर्यदेव की उपासना कुटज के पुष्पों से किए जाने का विधान है। इसके अतिरिक्त कमल, कनेर, मौलसिरी, चंपा, पलाश, आक और अशोक के पुष्प भी सूर्यदेव को समर्पित किए जाते हैं, किन्तु तगर पुष्प सूर्यदेव को अर्पित किया जाना वर्जित है।




पुष्प को अर्पण करते समय उच्चारित मंत्र:-सूर्यदेवजी पर पुष्प को अर्पण करते समय "ऊँ घृणिं सुर्याय नमः" मंत्र का उच्चारण करते हुए पुष्प को अर्पण करना चाहिए।




कालिका पुराण के अनुसार:-कालिका पुराण के अनुसार पुष्प को अर्पण करने से पूर्व निम्नलिखित सावधानियों एवं ध्यान रखने योग्य बातें-



1.बहुत दिनों के पुष्प को अर्पण के बारे में:-देवी-देवता को पुष्प अर्पण करते समय पहले से तोड़े हुए पुष्प जो कि बहुत दिनों के होने पर कभी अर्पण नहीं करना चाहिए।



2.पुष्प के खंडित होने के बारे में:-जब भी देवी-देवता को अर्पण करते समय पुष्प एक सही एवं पूर्ण स्थिति में होना चाहिए, किसी तरह से उनकी पँखड़िया टूटी-फूटी नहीं होनी चाहिए।




3.धरती माता की गोद में पड़े हुए पुष्प के बारे में:-जब भी देवी-देवता को पुष्प अर्पण करना हो तो पुष्प को उसके वृक्ष, झाड़ी और लता से ताजी अवस्था में तोड़कर ही अर्पण करना चाहिए, जमीन के नीचे पड़े हुए पुष्प को अर्पण नहीं करना चाहिए।




4.गंदे एवं कीड़ों से युक्त पुष्प के बारे में:-जब देवी-देवता को पुष्प को चढ़ाते समय पुष्प को साफ पानी से धोकर एवं कपड़े पोंछकर ही अर्पण करना चाहिए। पुष्प में किसी भी तरह की गंदगी एवं कीड़े आदि लगे हुए नहीं होने चाहिए।



5.किसी से मांगकर पुष्प को लाने के बारे में:-देवी-देवता को चढ़ाने वाले पुष्प को दूसरों से मांगकर नहीं लाना चाहिए, किसी दूसरे से मांगकर लाये हुए पुष्प को चढ़ाने पर वे पुष्प इष्टदेव के द्वारा स्वीकार नहीं किये जाते हैं।



6.चोरी करके लाये हुए पुष्प के बारे में:-देवी-देवता को चढ़ाएं जाने वाले पुष्प को किसी के यहां से चुराकर या बिना अनुमति से लाये हुए को नहीं चढ़ाना चाहिए, इस तरह से लाये हुए पुष्प को चढ़ाने पर इष्टदेव स्वीकार नहीं करते हैं।



पुष्प के विषय में विशेष बातें:-इस बारे में एक बात विशेष रूप से उल्लेखनीय है कि-



बासी नहीं होने वाले पुष्प के विषय में:-देवी-देवता को चढ़ाएं जाने वाले पुष्प में कमल और कुमुद के पुष्प ग्यारह से पंद्रह दिन तक बासी नहीं होते हैं।



अगस्त्य के पुष्प के बारे में:-देवी-देवता को अर्पण किये जाने वाले पुष्प में अगस्त्य के पुष्प हमेशा ताजी अवस्था में रहते हैं, इनको कभी प्रयोग में किया जा सकता है। 



पुष्प की कली को चढ़ाने के बारे में:-देवी-देवता को कभी भी पुष्प की कली को नहीं चढ़ाया जा सकता है। सिवाय चंपा की कली को देवी-देवता को अर्पण किया जा सकता है। 



पूजन में पुष्प के उपयोग करने के बारे में:-हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि केतकी के पुष्प को किसी भी देवी-देवता की पूजा-अर्चना करते समय उन पुष्प को अर्पण नहीं करना चाहिए। 



पुष्प को तोड़ने के बारे में:-धर्मशास्त्रों के अनुसार पुष्प को हमेशा प्रातःकाल के समय तोड़ना चाहिए। 


●मध्याह्न एवं स्नान के बाद पुष्प को कभी नहीं तोड़ना चाहिए।