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Wednesday, July 10, 2024

शत्रुहंता गणपति साधना विधि एवं महत्त्व (Shatruhanta Ganapati Sadhana vidhi and importance)

शत्रुहंता गणपति साधना विधि एवं महत्त्व (Shatruhanta Ganapati Sadhana vidhi and importance):-आज के युग में मनुष्य एक-दूसरे से प्रत्येक क्षेत्र में खुद को दूसरे मनुष्य के आगे देखने की चाहत रखते हैं, इस तरह वे अपनी चाहत को पूरा करने का प्रयत्न भी करते है। अपने आसपास के क्षेत्र में जिसमें परिवार के सदस्यों, रिश्तेदारों, कार्यक्षेत्र में काम करने वाले एवं निवास स्थान की जगह के पास मनुष्य के द्वारा होड़ में रखे रहते हैं। जिससे मनुष्य होड़ में पीछे रहने के डर से या पीछे रहने पर जलन उत्पन्न हो जाती हैं, जिससे उन मनुष्य के मन में शत्रुता के बीज उत्पन्न होने लगते हैं। मनुष्य को अपने जीवनकाल में समस्त तरह के ऐशो-आराम एवं समृद्धि मिल जाने पर यह ऐशो-आराम एवं समृद्धि मनुष्य के लिए दुःखददायीं बन जाती हैं। जिससे आवश्यकता से अधिक गुण दोष की विवेचना करने वाले दुश्मन होने पर वे हमेशा मनुष्य को दूसरों की नजर में गिराने या किसी न किसी तरह से परेशान करने की भावना रखने पर मनुष्य का समस्त ऐशो-आराम और सुख-समृद्धि व्यर्थ हो जाती हैं। मनुष्य को इस तरह के जलन वाले दुश्मनों के कारण हमेशा मन में डर रहता हैं कि दुश्मन किसी तरह से नुकसान कर सकते हैं, इस तरह से मन में कई तरह के विचार उत्पन्न होने लगते हैं, जिससे उन विचारों में मनुष्य हर समय खोया रहता हैं। वह सोचने लगता हैं कि इन उत्पन्न दुश्मनों से किस तरह बचा जावे। इस उधड़-बुन में अपना सबकुछ समाप्त कर देता हैं। इस तरह के दुश्मनों के रहने पर वह मनुष्य अपने जीवन को बिताना उसके लिए कठिन हो जाता हैं। यदि समय के अनुसार दुश्मन यदि अपनी गतिविधियों से तेज हो जाने पर उन दुश्मनों का सामना करना या उनसे अपना प्रतिकार को पूर्ण करने में बहुत कठिनाई आ जाती है। इस तरह के दुश्मनों से बचने के लिए ऋषि-मुनियों ने बहुत सारे उपासना के बारें में बताया हैं, इन उपासना को अपनाते हुए अपने जीवनकाल में उत्पन्न दुश्मनों से छुटकारा मिल जाता हैं। जिससे दुश्मनों के द्वारा मन की जलन एवं पीछे से वार का जबाव मिल जावेगा और मनुष्य अपना जीवन सही तरीके जीते हुए अपने कार्य की सिद्धि निरन्तर पा लेगा। उन ऋषि-मुनियों के द्वारा उन उपासनाओं में से एक उपासना शत्रुहंता गणपतिजी बताया हैं, इस उपासना को अपनाते हुए अपने कार्य में सिद्धि को पा सकते हैं।


Shatruhanta Ganapati Sadhana vidhi and importance





शत्रुहंता गणपति साधना पूजा सामग्री:-कुमकुम, केशर, अक्षत, दूर्वा, दीपक, तेल, फूल, नैवेद्य, फल, अगरबत्ती, तांत्रोक्त नारियल की संख्या एक, गणपति यंत्र और काली हकीक माला आदि उपयोग में ली जाती हैं।




शत्रुहंता गणपति साधना पूजा विधि:-भगवान गणेशजी के प्रति जो मनुष्य विश्वास एवं श्रद्धाभाव रखते हैं, उन मनुष्य को इस साधना विधि का प्रयोग करते हुए अपने कार्य को सिद्धि पा सकते हैं, शत्रुहंता गणपति साधना विधि इस तरह हैं-



◆मनुष्य को शत्रुहंता गणपति साधना विधि को गणेश जयन्ती के दिन रात्रिकाल के दस बजे के बाद ही शुरू करनी चाहिए।



◆इसके अलावा किसी भी माह में शुक्लपक्ष में पड़ने वाले बुधवार को भी कर सकते हैं।



◆मनुष्य को साधना विधि के दिन सवेरे जल्दी उठकर अपनी रोजाने की क्रियाएँ जैसे-स्नानादि को पूर्ण करना चाहिए।



◆उसके बाद स्वच्छ या नवीन वस्त्रों जिनका रंग पीला हो उनको पहनना चाहिए।



◆फिर मन ही मन में भगवान गणेशजी को याद करते हुए उनको अपने मन मंदिर में रखते हुए किसी भी तरह के बुरे विचारों को नहीं आने देना चाहिए।



◆फिर अपने जिस स्थान पर यह साधना विधि करनी होती हैं, उस स्थान को पूर्ण तरह से साफ-सफाई करनी चाहिए।



◆फिर साधना विधि के रात्रिकाल के समय दस बजे के अनुसार साधना विधि की जगह पर पूर्व दिशा की ओर मुहं को रखते हुए बैठना चाहिए।



◆बिछावन के लिए कुश का बिछावन उपयोग में लेना चाहिए।



◆यह साधना विधि एकांत में करनी चाहिए।



◆फिर लकड़ी का एक बाजोट लेकर उस पर एक नवीन व स्वच्छ सफेद रंग का कपड़ा बिछाना चाहिए।



◆उस सफेद रंग के कपड़े पर ताम्र धातु या किसी भी धातु से बनी थाली को रखना चाहिए।



◆उस थाली में कुमकुम से 'ऊँ गणेशाय नमः' लिखना चाहिए।



◆फिर उस बाजोट पर कुमकुम एवं केशर से रंगे हुए अक्षत को रखते हुए ढ़ेरी बनानी चाहिए।



◆इस अक्षत की ढ़ेरी पर एक तांत्रोक्त नारियल एवं गणपति यंत्र को रखना चाहिए।



◆इस ढ़ेरी के नजदीक एक तेल से भरे हुए दीपक को रखना चाहिए।



◆फिर उस बाजोट पर सफेद कागज पर शत्रु का नाम लिखकर गणपति यंत्र के पास में रखना चाहिए।



◆उसके बाद ''काली हकीक माला" लेकर निम्नलिखित मंत्र को उच्चारण करना चाहिए-



"गं घ्रौं गं शत्रुविनाशाय नमः"



◆इस मंत्र को तीन दिन तक रोजाना रात्रिकाल के समय तीन माला ''काली हकीक माला" से करनी चाहिए।



◆फिर रोजाना मंत्रों का वांचन करते हुए जप करने के बाद एक मुट्ठी काली मिर्च के दाने को दुश्मन के नाम पर चढ़ाना चाहिए।



◆फिर अंतिम दिन में समस्त क्रियाएँ करने के बाद उन समस्त सामग्रियों को सफेद कपड़े में बांधकर किसी दूर सुनसान स्थान या जंगल में छोड़कर आ जाना चाहिए।



◆समस्त सामग्रियों को रखते समय किसी भी तरह के शब्द को नहीं निकालना चाहिए।



◆वापिस लौटते समय पीछे की तरफ भी नहीं देखना चाहिए।



◆शत्रुहंता गणपति साधना करने से जो परेशान करने वाले शत्रु काबू हो जायेगें और किसी भी तरह से हानि नहीं पहुँचा पावेंगे।